बिहार के छपरा के मोतिराजपुर गाँव में स्थित एक मदरसे में बम ब्लास्ट हो गया। छानबीन हुई तो पता चला कि एक छात्र मदरसे के पीछे मिले बम को गेंद समझकर मदरसे में उठा लाया और फिर खेलने लगा। मौलाना ने देखा तो उसे बाहर फेंकना चाहा लेकिन तब तक बम फट गया था। घटना में मौलाना और छात्र दोनों गंभीर रूप से घायल है।
पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। पता लगाया जा रहा है कि आखिर ये बम आए कहाँ से? शुरुआती जाँच में तो इसे पटाखे फैक्ट्री का बम बता दिया गया लेकिन इससे बात खत्म नहीं होती। समाचारों में मदरसों को लेकर जो खबरें आना शुरू हुई हैं वो सवाल खड़ा करती हैं कि आखिर दीनी तालीम के नाम पर मदरसों में चल क्या रहा है। कहीं से यौन उत्पीड़न की खबरें आती हैं, कहीं से शारीरिक शोषण, क्रूरता की तो कहीं से कट्टरपंथ के पाठ की।
ज्यादा दिन नहीं बीते राजस्थान के अजमेर में 5 छात्रों ने इमाम को डंडे से पीट-पीटकर और रस्सी से गला घोंटकर मार डाला था। जब मामला खुला तो चौंकाने वाली बात सामने आई। छात्रों ने बताया कि इमाम के यौन उत्पीड़न से तंग आकर ये हत्या उन लोगों ने ही की। ये छात्र उस इमाम से इतने परेशान थे कि इन्होंने बकायदा साजिश रचकर उसको जान से खत्म किया। इसी तरह असम के सलमारा जिले में एक मदरसे के अंदर नाबालिग लड़के से यौन उत्पीड़न की घटना 9 मई को खुली थी। आरोपित मदरसे का मौलाना अखिरुल इस्लाम ही था। इस मौलाना ने बच्चे की मारपीट करके हालत ऐसी कर दी थी कि वो क्लास में जाने से डरता था।
पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक से मदरसों पर आती हैं खबर
ये 2-3 मामले वो हाल के मामले हैं जो पिछले एक हफ्ते में आए… महीनों का आँकड़ा देखें या फिर सालों की बात करें तो मदरसों में हो रहे कुकर्म की खबरों की गिनती आपको हमेशा बढ़ती हुई ही मिलेगी। मामले जिले, राज्य या किसी प्रदेश तक सीमित नहीं हैं। इस्लामी मुल्कों में भी मदरसों के यही हाल हैं।
कहीं से वीडियो आती है कि छोटे बच्चों को निर्ममता से पीटा जा रहा है, कहीं पता चलता कि क्लास के बीच में छात्राओं के साथ छेड़खानी होती है। किसी को मार्क्स देने के नाम पर परेशान किया जाता है तो किसी के मुँह में जबरन कपड़े ठूँस कर उसके साथ रेप होता है। अफ्रीका से तो एक बार ऐसी खबर भी आई थी कि वहाँ मदरसों में पढ़ने वालों से गरीब बच्चों से मौलवी भीख मँगवाने लगे थे।
इसी तरह पाकिस्तान की बात करें तो वहाँ भी मदरसों में बच्चों का यौन शोषण होता है, लेकिन उसके साथ वहाँ उन्हें ऐसी तालीम मिलती है कि वो आतंकी संगठन में शामिल होने से कोई गुरेज नहीं करते। पाकिस्तान का दारुल उलूम हक़्क़ानिया ऐसा ही एक मदरसा है जिससे पढ़कर निकले लोग तालिबान जैसे संगठनों में शामिल होकर कट्टरपंथ के रास्ते पर चल पड़ते करने लगते हैं। बांग्लादेश में भी मदरसों की ऐसी कई कहानियाँ हैं।
मीडिया में मौजूद कुछ खबरें तो यहाँ तक बताती हैं कि पाकिस्तान अपने आतंक का एजेंडा भारत में मदरसों के जरिए पूरा करने में लगा है…। हम इन खबरों को एक बार झुठलाने की अगर सोचें भी तो पिछले सालों में ऐसे तमाम उदाहरण सामने आ गए हैं जो बताते हैं आतंकी अपने टेरर मॉड्यूल को मदरसे के बहाने ही जमीन पर उतारना चाहते हैं।
असम में टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़
साल 2022 में असम में जो टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था वो याद करें तो पता चलता है कि कट्टरपंथियों की कितनी गहरी साजिश चल रही है। असम पुलिस ने उस समय कई आतंकियों को गिरफ्तार किया था और जिन मदरसों से इसके संबंध मिले थे उनपर हिमंता सरकार ने बुलडोजर चलवा दिया था। उन्होंने साफ-साफ ऐलान किया था कि अगर उन्हें पता चला कि किसी मदरसे में अवैध गतिविधियाँ चल रही हैं, देश विरोधी तालीम दी जा रही हैं तो तुरंत वो मदरसे को गिरवा देंगे। इसके बाद असम में 1281 के करीब मदरसे बंद हुए थे। सरकार ने फैसला लिया था कि प्रदेश में दीनी तालीम की जगह आधुनिक शिक्षा दी जाएगी जिससे बच्चे भविष्य में कुछ अच्छा कर सकें।
यूपी में एक्शन
इसके अलावा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी लगातार कट्टरपंथ से लड़ने में प्रयासरत है, लेकिन उनके लिए ये काम इतना आसान नहीं है। मदरसों को फलने-फूलने के लिए खाद-पानी यूपी की पहले की सरकारों ने ही दिया। जब योगी सरकार आई तो अवैध रूप से चल रहे मदरसों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। योगी सरकार ने जाँच करवाई तो पता चला कि हजारों की संख्या में न केवल अवैध मदरसे चलाए जा रहे हैं बल्कि सीमाओं पर अचानक इनकी गिनती बढ़ी है। सरकार के पास जब इनकी रिपोर्ट पहुँची तो वह इस पर सख्त हुए। करीब 16000 मदरसों पर एक्शन लिया गया। इसके बाद एक खबर यह भी आई कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। हालाँकि बाद में जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा तो वहाँ उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी गई…।
दीनी तालीम के नाम पर बच्चे भेजे जा रहे मदरसों में
बता दें कि जिस तरह की तस्वीर पिछले कुछ समय में मदरसों की उभरकर आई है उससे यही पता चलता है कि ये आने वाले समय में कितना भयावह रूप ले सकते हैं। केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से ही नहीं सामाजिक दृष्टि से भी सवाल उठता है कि आखिर ऐसे संस्थानों का काज क्या होता है।
क्या मजहब के नाम पर बच्चों को दुनिया से पीछे कर देना मौलानाओं का काम है? या फिर उन्हें यौन उत्पीड़न का शिकार बनाकर उन्हें भीतर से तोड़ने का बीड़ा उन्होंने उठाया है? मदरसों में बम फटना या रेप होना या आतंकियों को पनाह मिलना कोई सामान्य घटना नहीं हैं… लेकिन इन सबकों लेकर अलग-अलग जगह के मदरसे बदनाम हुए हैं।
इनकी खबरें पढ़ने के बावजूद मजहब की बातें करने वाले कुछ कट्टरपंथी विचारधारा वाले अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने की बजाय मदरसों में जाने को मजबूर करते हैं और जब वो जाने से मना करते हैं तो उनके साथ मारपीट होती है।
आज देहरादून,उत्तराखंड में अवैध अनमैप्ड मदरसों का निरीक्षण किया मदरसा वली उल्लाह दहलवी व मदरसा दारूल उलूम में उत्तरप्रदेश व बिहार के गरीब बच्चों को ला कर रखा गया है।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (मोदी का परिवार) (@KanoongoPriyank) May 13, 2024
बच्चों के रहने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भयंकर कमी है जहां बच्चे सोते हैं वहीं खाना बनता है जहां दीनी तालीम पढ़ते… pic.twitter.com/0t9j5H1zhN
कुछ दिन पहले एनसीपीआर अध्यक्ष ने भी मदरसों में जमा होती भीड़ की तस्वीर को दुनिया के आगे उजागर किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया था कि कैसे गरीब बच्चों को ला लाकर मदरसों में भरा जा रहा है। जहाँ न बुनियादी सुविधाएँ उन्हें मिलती हैं और न वो अच्छे से जीवन व्यतीत कर पाते हैं।