जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट को मंगलवार (25 जून 2024) को गिरफ्तार कर लिया गया। मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट 2 दशकों से भी ज्यादा समय तक बार एसोसिएशन का अध्यक्ष रहा है। उसका दामाद जावेद इकबाल वानी अभी श्रीनगर हाई कोर्ट का जज है। मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट पर आरोप है कि उसने अपने प्रतिद्वंदी वकील बाबर कादरी की लश्कर के आतंकवादियों से हत्या कराई थी।
कादरी की हत्या करने वाला लश्कर का कमांडर साकिब मंजूर अगस्त 2021 में मुठभेड़ में मारा जा चुका है। वो घाटी में ‘द रेजिस्टेंट फोर्स’ का भी चेहरा था। द रेजिस्टेंट फोर्स लश्कर का मुखौटा संगठन है, जिसने बीते कुछ सालों में घाटी में हुए आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट अलगाववादी कामों के चलते काफी समय जेल में भी बिता चुका है। वो हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मुखिया सैयद अली शाह गिलानी के गुट में रहा है, जो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की वकालत करता था। मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट कई बार जेल जा चुका है। उसे 1990 में लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और 1992 तक जेल में रखा गया था। यही नहीं, घाटी में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के आरोप में उन्हें 2008 और 2010 में दो बार फिर से गिरफ्तार किया गया था। 5 अगस्त, 2019 को जिस दिन अनुच्छेद 370 को हटाया गया था, उस समय उसे पीएसए के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था, हालाँकि साल 2021 में उसे रिहा कर दिया गया, जब उसने अलगाववादी गतिविधियों में शामिल नहीं होने का वचन दिया था।
कादरी की घर में गोली मार कर हत्या
बाबर कादरी श्रीनगर में वकील थे। वो मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट के विरोधी थे और बार एसोसिएशन पर मियाँ अब्दुल कयूम भट्ट के लंबे समय से कब्जे का विरोध कर रहे थे। बाबर कादरी ने आरोप लगाया था कि भट्ट ने चुनावों में हेरफेर करके वर्षों तक अपने पद पर कब्जा जमाए रखा। सितंबर 2020 में कादरी की उनके श्रीनगर स्थित घर पर दो आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जो मुवक्किल बनकर आए थे। उन्होंने अपनी हत्या के कुछ दिन पहले एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कैसे भट्ट ने बार चुनावों में धांधली की थी। कादरी पर साल 2018 में भी हमला हुआ था।
अगस्त 2022 में पुलिस ने श्रीनगर में भट और दो अन्य वकीलों के घरों की तलाशी ली थी और डिजिटल उपकरण, बैंक स्टेटमेंट और दस्तावेज जब्त किए थे। इस साल की शुरुआत में हाई कोर्ट ने कादरी हत्याकांड को निर्भीक और निष्पक्ष सुनवाई के लिए श्रीनगर से जम्मू की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। जहाँ गवाह ऐसे माहौल में गवाही देने की स्थिति में हों जो स्वतंत्र और प्रतिकूल न हो। हाई कोर्ट का आदेश SIA की एक याचिका पर आया था। जिसमें दावा किया गया था कि श्रीनगर का कोई भी वकील कुछ प्रभावशाली अधिवक्ताओं की संलिप्तता के कारण कानूनी सहायता देने को तैयार नहीं था। कादरी की हत्या की प्रारंभिक जाँच के बाद मामला एसआईए को स्थानांतरित कर दिया गया था।
बार एसोसिएशन के चुनाव पर लगी रोक
भट्ट की गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश जारी किया जिसमें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के चुनावों को रोक दिया गया। ये चुनाव 27 जून को होने वाले थे। प्रशासन ने श्रीनगर में निचली अदालत परिसर में धारा 144 भी लागू कर दी है, जहाँ चुनाव होने वाले थे। भट्ट पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता गिलानी के साथ संबंधों के लिए चर्चित था और एसोसिएशन समेत 23 संगठनों को हुर्रियत से जोड़ने में कामयाब रहा था। वो अलगाववादी नेताओं, आतंकियों के मामलों को फ्री में अदालत में चुनौती देता था और उनका केस लड़ता था।