Sunday, December 22, 2024
Homeराजनीतिचुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की...

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं श्रद्धालु

चुनाव आयोग ने बिश्नोई समाज के मतदान के अधिकार और उनके परंपराओं के सम्मान के लिए ये फैसला लिया है। बिश्नोई समाज हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या का त्योहार मनाता है।

चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मतदान और मतगणना की तारीखों में बदलाव किया है। बिश्नोई समाज और भाजपा की हरियाणा यूनिट ने ये माँग की थी। पहले हरियाणा में मतदान के लिए 1 अक्टूबर की तारीख़ तय की गई थी, लेकिन अब इस दिन मतदान नहीं होगा। दोनों ही राज्यों के लिए मतगणना 8 अक्टूबर को होगी और चुनाव परिणाम भी उसी दिन जारी किए जाएँगे। चुनाव आयोग ने बिश्नोई समाज के मतदान के अधिकार और उनके परंपराओं के सम्मान के लिए ये फैसला लिया है।

बिश्नोई समाज हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या का त्योहार मनाता है। ये एक सदियों पुरानी प्रथा है, जो निरंतर चली आ रही है। ‘अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा’ ने चुनाव आयोग को ज्ञापन देकर चुनाव की तारीखों को बदलने की माँग की थी। न सिर्फ हरियाणा, बल्कि पंजाब और राजस्थान में भी बिश्नोई समाज के परिवार बड़ी संख्या में इस त्योहार को मनाते हैं। राजस्थान के बीकानेर में हर वर्ष वो इकट्ठा होते हैं और वहीं पर वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

वहाँ स्थित मुकाम गाँव बिश्नोई समाज का पैतृक स्थल माना जाता है और वो वहाँ जाकर दर्शन करते हैं। इस बार ये त्योहार 2 अक्टूबर को पड़ रहा है। ऐसे में सिरसा, फतेहाबाद और हिसार में रहने वाले हजारों बिश्नोई परिवार उस दौरान राजस्थान की यात्रा पर रहेंगे। 1 अक्टूबर को वोटिंग होता तो वो अपने मताधिकार से वंचित हो सकते थे। हालाँकि, ये पहली बार नहीं हुआ है जब किसी त्योहार के कारण तारीखों में बदलाव किया गया हो। 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान गुरु रविदास जयंती के कारण मतदान एक सप्ताह आगे बढ़ाया गया था।

इसी तरह 2022 में मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान ईसाई समाज की रविवार के प्रेयर को लेकर तारीख बदली गई थी। राजस्थान में 2023 में ऐसा किया गया था। वहाँ देवउठनी एकादशी विवाह के लिए बहुत बड़ा अवसर होता है और इसीलिए उस दिन लोग जश्न में व्यस्त रहते हैं। इसी तरह 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बारावफात के लिए तारीख बदली गई थी। हालाँकि, अब कॉन्ग्रेस जैसों ने इस फैसले पर राजनीति शुरू कर दी और इसका विरोध कर रहे हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -