Sunday, December 22, 2024
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FIR करवाने की जगह ट्ववीट क्यों किया? मोहम्मद जुबैर से हाई कोर्ट का सीधा सवाल, कहा- पोस्ट से लग रहा अशांति पैदा करने की थी कोशिश

यति नरसिंहानंद ने 29 सितंबर को एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी। जुबैर ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें उसने इस भाषण को 'अपमानजनक और घृणास्पद' बताया था। इसके बाद यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार (18 दिसंबर 2024) को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक एवं कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर से कई सवाल किए। अदालत ने पूछा कि यति नरसिंहानंद के भाषण को लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने के बजाय सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर क्यों पोस्ट किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि जुबैर के ट्वीट देखकर लगता है कि वे अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।

दरअसल, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब माँगा है। खंडपीठ ने पूछा कि मोहम्मद जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के अपराध के लिए मामला क्यों दर्ज किया गया है। कोर्ट ने 20 दिसंबर तक जवाब माँगा है।

खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि यह व्यक्ति (यति नरसिंहानंद) अजीब व्यवहार कर रहा है तो क्या आप पुलिस के पास जाने के बजाय और भी अजीब व्यवहार करेंगे? क्या आपने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है? मैं आपके आचरण को देखूँगा। यदि आपको उसका (यति) भाषण, चेहरा पसंद नहीं है तो आपको उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए।”

दरअसल, जुबैर ने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद द्वारा दिए गए भाषण को ‘अपमानजनक और घृणास्पद’ बताते हुए ट्वीट किया था। इसको लेकर जुबैर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। नरसिंहानंद के समर्थकों द्वारा दायर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की माँग करते हुए मोहम्मद जुबैर ने हाई कोर्ट में याचिका दी थी, जिस पर सुनवाई हुई।

दरअसल, यति नरसिंहानंद ने 29 सितंबर को एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी। जुबैर ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें उसने इस भाषण को ‘अपमानजनक और घृणास्पद’ बताया था। इसके बाद यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

त्यागी ने डासना देवी मंडी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए जुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को दोषी ठहराते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। गाजियाबाद पुलिस ने इसके बाद जुबैर पर बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे सबूत गढ़ना), 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए। इसके बाद बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध भी जोड़ा गया।

इसके बाद जुबैर ने एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और गिरफ्तारी से बचने की माँग की। अपनी याचिका में जुबैर ने कहा है कि उसने यति नरसिंहानंद की बार-बार की सांप्रदायिक टिप्पणियों और महिलाओं और वरिष्ठ राजनेताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों को उजागर करने के लिए एक्स पर पोस्ट किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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