Monday, November 25, 2024
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राहुल और सोनिया की दौलत में हुआ दसियों गुना इज़ाफा: ADR रिपोर्ट का खुलासा

2016 में एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार कॉन्ग्रेस की आय 2010-11 से 2013-14 के बीच में ₹1,687.12 करोड़ आंकी गई थी, जो कि अन्य पार्टियों के मुकाबले सबसे अधिक थी।

असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने गुरुवार (मार्च 2,2019) को अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए। यह रिपोर्ट 2004 से 2017 तक यूपी में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाकर तैयार की गई है।

इस रिपोर्ट के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि 2004 से अब तक 235 सांसदों की औसत संपत्ति ₹6.08 करोड़ थी। जबकि पिछले तीन चुनावों में लगातार जीतने वाले 5 सांसदों की संपत्ति में बड़े स्तर पर इजाफा हुआ है। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की संपत्ति 2004 में ₹55.38 लाख थी जो 2014 में 16 गुना से अधिक बढ़कर ₹9.40 करोड़ से भी अधिक हो गई। मुलायम सिंह यादव की संपत्ति में भी 13 गुना की बढ़त पाई गई। वहीं यूपीए संयोजक सोनिया गांधी की संपत्ति में 10 गुना का इजाफा हुआ। जबकि बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की संपत्ति में 5 गुना बढ़ौतरी हुई।

निश्चित अवधि में यूपी से संसद और विधानसभा तक पहुँचने वाले 38% राजनेताओं की पृष्ठभूमि आपराधिक है। इतना ही नहीं 23% महानुभाव तो हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा, रेप जैसे गंभीर अपराधों में आरोपित हैं। इसके अलावा यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले 3 बार से लगातार चुने जाने वाले सांसदों-विधायकों की संपत्ति में 13 साल के भीतर 10 गुना इज़ाफा हुआ है।

एडीआर के फाउंडर मेंबर प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री और यूपी इलेक्शन वॉच ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए यह बताया कि रिपोर्ट में 2004 से 2017 के बीच हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 19,971 प्रत्याशियों और 1,443 सांसदों और विधायकों की पृष्ठभूमि का विश्लेषण है।

इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 13 सालों में विधानसभा-लोकसभा चुनाव में 59 फीसदी करोड़पतियों को टिकट मिला। इनमें एसपी के 55 फीसदी, कॉन्ग्रेस के 42 फीसदी और बीजेपी में 52 फीसदी करोड़पतियों को तरजीह दी गई। जब जीतने वालों के आंकड़ों पर गौर किया गया तो मालूम पड़ा कि भाजपा के 73% सांसद/विधायक करोड़पति रहे हैं जबकि एसपी में यह दर 58%, बीएसपी में 42% और कांग्रेस में 52% रही हैं। 

बता दें कि इस रिपोर्ट के अनुसार एसपी के 42 फीसदी, बीएसपी के 34 फीसदी, कॉन्ग्रेस के 35 फीसदी, भाजपा 37 फीसदी और आरएलडी से चुनकर आए 21 फीसदी प्रतिनिधियों ने अपने ऊपर आपराधिक मुकदमों को घोषित किया है। विधानसभा पर गौर करें तो 2012 में 45% के साथ सर्वाधिक दागी चुने गए थे।

इसके अलावा साल 2016 में एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार कॉन्ग्रेस की आय 2010-11 से 2013-14 के बीच में ₹1,687.12 करोड़ आंकी गई थी, जो कि अन्य पार्टियों के मुकाबले सबसे अधिक थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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