Sunday, September 8, 2024
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ताहिर हुसैन को कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज: दिल्ली दंगो और अंकित शर्मा हत्या का है आरोपित

अपनी जमानत याचिका में ताहिर हुसैन ने कहा था कि वो निर्दोष है। दिल्ली हिंसा में उसका हाथ नहीं है और पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत भी नहीं हैं। पुलिस उसे गलत तरीके से फँसा रही है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के खिलाफ कठोर अवैध गतिविधियाँ अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।

दिल्ली हिंदू विरोधी हिंसा के मामले में आरोपित और आम आदमी पार्टी से निष्कासित पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया है। इसके बाद अब ताहिर हुसैन को फिलहाल जेल में ही रहना होगा। दरअसल ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस ने आईबी अंकित शर्मा की हत्या और दिल्ली हिंसा में संलिप्तता के चलते गिरफ्तार किया गया था।

दरअसल, अपनी जमानत याचिका में ताहिर हुसैन ने कहा था कि वो निर्दोष है। दिल्ली हिंसा में उसका हाथ नहीं है और पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत भी नहीं हैं। पुलिस उसे गलत तरीके से फँसा रही है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के खिलाफ कठोर अवैध गतिविधियाँ अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।

आपको बता दें कि ताहिर हुसैन पर आइबी कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा की हत्या में शामिल होने के साथ-साथ, दिल्ली में हिंसा भड़काने, साजिश रचने समेत कई अन्य मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा मामले में 5 मार्च को गिरफ्तार किया था। दरअसल ताहिर हुसैन अपने वकील के साथ राऊज एवेन्यू कोर्ट में मुँह पर मास्क लगाए सरेंडर करने के लिए पहुँचा था, लेकिन पहले से वहाँ मौजूद दिल्ली पुलिस के विशेष जाँच दल ने गिरफ्तार कर लिया था।

चश्मदीदों के अनुसार, उसकी इमारत में करीब तीन हजार दंगाई जमा थे। वहॉं से हिंदुओं को निशाना बना पत्थरबाजी हुई। पेट्रोल बम फेंके गए। गोलियॉं चलाई गई। उसकी इमारत से पत्थरों और पेट्रोल बम का जखीरा बरामद किया गया था। शुरुआत में आम आदमी पार्टी ने उसका बचाव करने की कोशिश की, लेकिन, जब एक के बाद एक सबूत सामने आते गए तो निलंबित कर आम आदमी पार्टी ने उससे पल्ला झाड़ने की कोशिश की।

ताहिर हुसैन मामले में कोर्ट के आदेश की कॉपी

उल्लेखनीय है कि सीएए, एनआरसी विरोध के नाम पर 23-24 फरवरी को दिल्ली में शुरू हुई हिंदू विरोधी हिंसा में 53 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी। इस हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस दौरान दंगाइयों ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुँचाया था।

हिंसक भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूँक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। इस हिंसा मे राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं आईबी में कार्यरत अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश को नाले में फेंक दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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