ऐसा लगता है कि ‘द वायर’ और ‘द हिंदू’ जैसी कुख्यात वामपंथी वेबसाइटों में रोजगार प्राप्त करने की एकमात्र शर्त हिंदूफोबिक विचारों को पोषित और प्रकट करना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हिंदू-विरोधी प्रवृत्ति लंबे समय से इन वेबसाइटों से जुड़े पत्रकारों और लेखकों की पहचान रही है।
हाल ही में द वायर के सुप्रकाश मजूमदार नाम के एक पत्रकार ने भगवान राम के परम भक्त भगवान हनुमान पर तीक्ष्ण हिंदूफोबिक टिप्पणी की। सुप्रकाश मजूमदार ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि भगवान राम पर भगवान हनुमान का ”गे क्रश” था।
मजूमदार ने ट्विटर पर पूछा, “मुझे लगता है कि हनुमान का राम पर समलैंगिक क्रश था। आपको क्या लगता है?”
’द हिंदू’ के एक पत्रकार, सुचित्रा, ने हिंदुओं और हिंदू धर्म का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट का जवाब देते हुए दावा किया कि हिंदू अब सबसे आधुनिक और सहिष्णु धर्म होने का दावा करेंगे। इसके साथ ही सुचित्रा ने हिंदुओं पर चुटकी लेते हुए मजूमदार को सलाह दी कि वो इस तरह के तर्क से उन्हें अस्त्र शस्त्र उपलब्ध न करवाएँ।
बता दें कि सुचित्रा इससे पहले कॉन्ग्रेस मुखपत्र नेशनल हेराल्ड में काम कर चुकी है। उन्होंने मजूमदार के ट्वीट का जवाब देते हुए भगवान हनुमान का अपमान किया।
भगवान हनुमान को दो पत्रकारों द्वारा बदनाम करने और हिंदूफोबिक कमेंट करने को लेकर सोशल मीडया यूजर्स का आक्रोश बढ़ गया। उन्होंने हिंदू भावना को ठेस पहुँचाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की माँग की। इसके बाद सुप्रकाश मजूमदार ने अपना ट्विटर अकाउंट डिएक्टिवेट कर लिया।
वहीं दूसरी तरफ ’द हिंदू’ की पत्रकार सुचित्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट में प्रोटेक्शन लगा दिया है, जिससे कि सिर्फ उसके फॉलोवर्स ही ट्वीट देख सकते हैं। सुचित्रा ने संभवतः इस डर से ऐसा किया हो कि उनके द्वारा हिंदू धर्म और हिंदू देवताओं का अपमान वाले ट्वीट को यूजर्स सामने ला सकते हैं।
सुचित्रा के ट्विटर बॉयो के अनुसार उन्होंने क्विंट, द सिटिजन, द कारवाँ, कॉन्ग्रेस के मुखपत्र-नेशनल हेराल्ड जैसे मीडिया संगठनों के साथ काम किया था, जिनमें से कई पर हिंदू-विरोधी सामग्री प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया है।
भारत के संविधान में निहित अभिव्यक्ति के अधिकार के बहाने हिन्दूपोबिक विचारों को फैलाना द वायर जैसे वामपंथी विचारधारा वाले वेबसाइट में काम करने वाले पत्रकारों का हथकंडा रहा है। इन वेबसाइटों से जुड़े लेखकों और पत्रकारों ने हमेशा ही हिंदुओं के प्रति उपेक्षा दिखाई है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है कि द वायर से जुड़े पत्रकारों ने हिंदूफोबिक व्यवहार किया है। द वायर ने शरजील इमाम जैसे अपराधी को अपना प्लेटफॉर्म दिया था, जिन्होंने न केवल हिंदूफोबिक उद्घोषणाओं को प्रकट किया था, बल्कि असम और भारत के शेष उत्तर पूर्व को काटने के लिए समुदाय विशेष के लोगों को ‘चिकेन नेक’ काटने के लिए उकसाने वाली देशद्रोही विचारधारा को भी प्रदर्शित किया था। इसके अलावा हिंदुओं के पर्व होली, दिवाली आदि पर भी अपनी घृणा का प्रदर्शन कर चुका है।