Saturday, November 23, 2024
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AMU का बैंक खाता सीज: ₹14.83 करोड़ संपत्ति कर न चुकाने पर अलीगढ़ नगर निगम ने की कार्रवाई

“अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर अलीगढ़ नगर निगम के लगभग 14.83 करोड़ रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। यह बकाया राशि पिछले 8 से 10 सालों से लंबित है। इसको लेकर 2019 में भी खातों को सीज किया गया था। बकाया भुगतान के लिए विश्वविद्यालय को पर्याप्त समय और मौका दिया गया, लेकिन..."

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। 14 करोड़ रुपए से अधिक के प्रॉपर्टी टैक्स के भुगतान न करने पर अलीगढ़ नगर निगम ने यह कार्रवाई की है। अधिकारियों का कहना है कि अगर एक सप्ताह के भीतर बकाया भुगतान नहीं किया जाता है, तो एएमयू के खाते से पैसा नगर निगम को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि यदि एक सप्ताह के भीतर बकाया राशि नहीं दी जाती है तो संपत्तियों को बाधित करने के बारे में भी विचार किया जाएगा।

मुख्य कराधान अधिकारी विनय कुमार राय ने बताया, “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर अलीगढ़ नगर निगम के लगभग 14.83 करोड़ रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। यह बकाया राशि पिछले 8 से 10 सालों से लंबित है। इसको लेकर 2019 में भी खातों को सीज किया गया था। बकाया भुगतान के लिए विश्वविद्यालय को पर्याप्त समय और मौका दिया गया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसलिए उन्‍हें विश्वविद्यालय के बैंक खाते को सीज करने का निर्णय लेना पड़ा।”

उन्‍होंने बताया कि बकाया भुगतान न करने के कारण उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धाराओं 507, 509 व 513 के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए अलीगढ़ नगर निगम द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संचालित खाता को तत्काल प्रभाव से सीज किया गया है।

राय ने बताया कि अगर एक सप्ताह के भीतर बकाया राशि जमा नहीं की जाती तो एएमयू के खाते से पैसा नगर निगम को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। संपत्तियों को बाधित करने के बारे में भी सोचेंगे। उन्‍होंने बताया कि एएमयू ने शासन को भी कर मुक्त करने के लिए लिखा था, लेकिन वहाँ से कोई राहत नहीं मिली और वसूली के आदेश प्राप्त हुए। 

मुख्य कराधान अधिकारी विनय कुमार राय ने बताया कि इस मामले में कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय के अवर सचिव को पत्र लिखा गया था। पत्र में एएमयू की ओर से 10 अप्रैल 1990 में जारी शासनादेश का हवाला दिया गया। यह आदेश उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 के तहत प्रदेश सरकार ने जारी किया था। शासनादेश से जो कर मुक्ति दी गई थी, वह नगर पालिका अधिनियम 1916 के तहत थी। वहीं, एएमयू पर जो टैक्‍स लगाया गया है, वह उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की व्यवस्था के तहत है।

इस संबंध में एएमयू के जनसंपर्क विभाग के एमआईसी इंचार्ज प्रो. शाफे किदवई का कहना है कि नगर निगम द्वारा की गई कार्रवाई का पक्ष अभी देखा नहीं है। पक्ष देखने के बाद विधिक राय लेकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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