Sunday, May 5, 2024
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हिंदुस्तानी मुसलमान, वहशी तालिबान को ढँकने के लिए हिंदुत्व को घसीटा: राजदीप के साथ नसीरुद्दीन, ‘जिहाद’ को बताया साजिश

''शायद इस बात को कहने का यह उचित समय नहीं था, लेकिन मैं इसे और किस समय पर कह सकता था? मेरा इरादा मुस्लिम समुदाय को अपमानित करना या फिर उसे नीचा दिखाने से नहीं था। क्या मैं एक बेवकूफ हूँ कि मैं अपने ही समुदाय के खिलाफ जाऊँगा और खुद को इसमें शामिल करूँगा?

इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने मंगलवार (14 सितंबर 2021) को अपने शो में ‘बढ़ती हिंदुत्व की ताकतों’ के लिए तालिबान की जीत का जश्न मनाने वाले भारतीय मुसलमानों को दोषी ठहराया। दरअसल, वह अपने शो में बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का इंटरव्यू ले रहे थे, जिन्होंने हाल ही में भारतीय मुसलमानों की आलोचना करते हुए एक वीडियो जारी किया था। शाह ने अपने वीडियो में हिन्दुस्तानी मुसलमानों से शांति और अहिंसा का पालन करने और कट्टरपंथी वहशी इस्लामी समूह (तालिबान) का समर्थन नहीं करने के लिए कहा था।

अपने शो में सरदेसाई ने कहा, “इस देश में मुसलमानों का एक वर्ग है जो महसूस करता है कि उन्हें देश में बढ़ती हिंदुत्व ताकतों द्वारा बैकफुट पर धकेल दिया गया है। ऐसे में जब वे तालिबान को अफगानिस्तान में पश्चिमी शक्तियों से मुकाबला करते हुए देखते हैं, तो शायद वे तालिबान के साथ इसे इस्लाम के खिलाफ युद्ध के रूप में देखते हैं।”

71 वर्षीय शाह ने इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी का जश्न मनाने वाले भारतीय मुसलमानों पर उनकी टिप्पणी केवल देश में पिछड़े लोगों के एक वर्ग के बारे में थी न कि पूरे मुस्लिम समुदाय के बारे में।

मशहूर अभिनेता ने कहा कि उन्हें उस वीडियो पर इतनी तीव्र प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि तालिबान की वापसी से खुश लोगों को खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या वे अपने मजहब में सुधार करना चाहते हैं या पुरानी बर्बरता के साथ रहना चाहते हैं। अभिनेता ने कहा कि हो सकता है कि उस वीडियो में मैंने स्पष्ट रूप से पूरी बात नहीं कही हो, लेकिन मेरा मतलब पूरे मुस्लिम समुदाय से नहीं है, जैसा कि मुस्लिम लोगों और अन्य लोगों द्वारा इसकी व्याख्या की जा रही है।

“मुसलमानों को काफी बदनाम किया जाता है”

नसीरुद्दीन शाह का वीडियो वायरल होने के बाद तमाम भारतीय मुस्लिम, तथाकथित लिबरल-वामपंथी पत्रकारों सहित कट्टरपंथी मुस्लिमों की लॉबी अभिनेता को गाली देने और लताड़ने के लिए खुलेआम सोशल मीडिया पर नंगई पर उतर आई थी। दिग्गज अभिनेता ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी का जश्न मना रहे भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग को बेहद खतरनाक करार दिया था। हालाँकि, अब अभिनेता का ​कहना है कि उनका इरादा पहले से ही बदनाम किए जा रहे मुस्लिम समुदाय को और ‘अपमानित’ करने का नहीं था।

शाह ने आरोप लगाया, “इस समय, मुसलमानों को पहले से ही काफी बदनाम किया जा रहा है, जबकि कई मामलों में उनकी आजीविका को खतरा हो रहा है। हर पल उनकी जान को खतरा होता है, उन पर हमला किया जा रहा है और खुले तौर पर बदनाम किया जा रहा है। ऐसे कई दक्षिणपंथी हिंदू उपदेशक हैं जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का प्रचार करते हुए आपत्तिजनक बयान दिए हैं।”

‘इश्किया’ फिल्म के अभिनेता ने अपने समुदाय द्वारा और अधिक आक्रोश से खुद को बचाने के लिए आगे कहा, ”शायद इस बात को कहने का यह उचित समय नहीं था, लेकिन मैं इसे और किस समय पर कह सकता था? मेरा इरादा मुस्लिम समुदाय को अपमानित करना या फिर उसे नीचा दिखाने से नहीं था। क्या मैं एक बेवकूफ हूँ कि मैं अपने ही समुदाय के खिलाफ जाऊँगा और खुद को इसमें शामिल करूँगा?

“इस्लाम को सुधार की जरूरत है”

अभिनेता ने दावा किया, “पिछड़े वर्गों के कई लोगों में पूर्वाग्रह था कि तालिबान सही हैं और उन्हें सत्ता में होना चाहिए।” 71 वर्षीय अभिनेता ने वीडियो में कहा था कि तालिबान के फिर से आने के कारण खुश होने वालों को खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या वे अपने मजहब में सुधार करना चाहते हैं या पुरानी बर्बरता के साथ रहना चाहते हैं। शाह कथित तौर पर इस्लाम को ‘बदनाम’ करने के लिए और भारतीय मुस्लिम, तथाकथित लिबरल-वामपंथी पत्रकारों की प्रतिक्रिया से हैरान रह गए थे। उनकी निंदा करने वालों में सबा नकवी और रिफत जावेद भी शामिल थे, जो तालिबान की जीत को अस्वीकार करने के शाह के विचार से परेशान लग रहे थे।

शाह ने ‘भारतीय इस्लाम’ को सही ठहराया

शाह ने यह भी कहा कि ‘भारतीय इस्लाम’ पर उनकी टिप्पणी पर कई लोग भड़क गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘भारतीय इस्लाम’ से उनका मतलब था कि भारतीय इस्लाम अन्य देशों की तुलना में बहुत अलग और बेहतर है। अभिनेता ने कहा, “भारतीय इस्लाम मध्य पूर्वी शरिया कानूनों का पालन नहीं करता है। चोरों को बर्बरतापूर्ण सजा नहीं देता। हम महिलाओं के अधिकारों का दमन नहीं करते हैं। हम महिलाओं को सिर से पैर तक एक घृणित बुर्के जैसे परिधान में नहीं ढकते। हम व्यभिचारियों को पत्थर नहीं मारते।”

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय इस्लाम में महिलाओं को शिक्षा और उनके काम करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाता है। उन्हें सार्वजनिक जीवन जीने की पूर्ण स्वतंत्रता दी जाती है। भारतीय इस्लाम ने कविता, कला, साहित्य और संगीत दिया है। निजामुद्दीन औलिया और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जैसे धर्मनिरपेक्ष संतों द्वारा भारतीय इस्लाम का प्रतिनिधित्व किया गया है। मैं अपने भारतीय इस्लाम को सर्वोपरी मानता हूँ। अभिनेता ने कहा कि उन्होंने ‘भारतीय इस्लाम’ को एक अलग इकाई नहीं कहा था।

शाह ने आगे कहा कि भारतीय मुसलमानों को वास्तव में भारत में सताया जाता है। उन्होंने ‘लव जिहाद’ और ‘नारकोटिक्स जिहाद’ की वास्तविकता को भी सिरे से खारिज करते हुए इसे साजिश करार दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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