बिहार के चर्चित बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश हत्याकांड में पुलिस ने एक महिला सहित 6 को गिरफ्तार किया है। 14 नवम्बर 2021 (रविवार) को प्रेस को जारी बयान में पुलिस ने बताया है कि रोशन कुमार, पवन कुमार, मनीष कुमार, बिट्टू कुमार, दीपक कुमार और पूर्णकला देवी को गिरफ्तार किया गया है। जॉंच जारी होने का हवाला देकर पुलिस ने हत्या की वजह नहीं बताई है।
हत्या की वजह को लेकर ऑपइंडिया ने बेनीपट्टी DSP से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वर्तमान गिरफ्तारियों को अंतिम निष्कर्ष न समझा जाए। इस घटना से जुड़े हर बिंदु पर पुलिस अनुसंधान कर रही है। बेनीपट्टी थाना प्रभारी ने जाँच का अंतिम निष्कर्ष आने तक कुछ भी बताने से इनकार किया। उनके मुताबिक अभी तक सामने आए तथ्य सार्वजनिक करने से आगे की जाँच प्रभावित हो सकती है।
मृतक अविनाश के भाई चंद्रशेखर झा ने ऑपइंडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग उन बड़े लोगों के हाथ की कठपुतली हो सकते हैं जो उनके भाई को रास्ते से हटाना चाहते थे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने जिस महिला पूर्णकला देवी को गिरफ्तार किया है, वह अनुराग हेल्थ केयर नर्सिंग होम में नर्स थी। अविनाश इस नर्सिंग होम के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा था। उन्होंने पूर्णकला को जाल के तौर पर इस्तेमाल किए जाने का संदेह जताया है।
चंद्रशेखर ने ये भी बताया कि आरोपित रोशन कुमार ने अपना नया नर्सिंग होम खोला था। उसे अविनाश पर हमले के लिए उकसाया गया होगा। पकड़े गए आरोपित अविनाश का काफी सम्मान करते थे। अगर उन्हें अविनाश को बहाने से बुला कर लाने या पकड़ कर लाने का टास्क भी दिया गया रहा होगा तो भी उन्हें ये नहीं पता रहा होगा कि उसकी हत्या कर दी जाएगी।
इस हत्या के विरोध में सर्वदलीय संघर्ष समिति ने बेनीपट्टी में मार्च निकाला। समिति ने मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपए मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की माँग की है। जिले में चल रहे अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई माँगते हुए समिति ने 72 घंटे के अल्टीमेटम के साथ आरोपितों का केस फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की भी डिमांड रखी है।
गौरतलब है कि बिहार के मधुबनी जिले में RTI कार्यकर्ता और स्थानीय पत्रकार अविनाश झा 9 नवम्बर 2021 को अचानक लापता हो गए थे। उनका शव बेनीपट्टी से सटे उड़ेन गाँव के पास से 12 नवम्बर को बरामद किया गया था। इस मामले में परिजनों ने जिले के नर्सिंग होम माफियाओं पर आरोप लगाया था। अविनाश लगातार आरटीआई के जरिए नर्सिंग होम के फर्जीवाड़े को उजागर कर रहे थे। इसकी वजह से कई नर्सिंग होम पर कार्रवाई के लिए प्रशासन को मजबूर होना पड़ा था।