जम्मू कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के आरोपितों में एक आतंकी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की अदालत ने दोषी करार दिया है। अब उसे कितनी सजा दी जाए, इसको लेकर 25 मई से कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने जाँच एजेंसी को मलिक के फाइनैंशियल लेन-देन को लेकर भी एक रिपोर्ट को सौंपने का आदेश दिया है।
गुरुवार (19 मई 2022) को मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली की अदालत ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत और इंडियन पीनल कोड के तहत साजिश और देशद्रोह का दोषी पाया। कोर्ट ने मलिक को सुनवाई की अगली तारीख तक अपनी वित्तीय संपत्ति के संबंध में एक एफिडेविड कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
#WATCH | Delhi: Separatist Yasin Malik being brought out of NIA Court after hearing in terror funding case. The court convicted him in the matter. Argument on sentence to take place on 25th May. pic.twitter.com/33ue61lDaH
— ANI (@ANI) May 19, 2022
बता दें कि टेरर फंडिंग के मामले में अदालत ने मार्च में आरोप तय किए थे। उस दौरान ये पाया गया था कि मलिक, शब्बीर शाह, राशिद इंजीनियर, अल्ताफ फंटूश, मसरत और हुर्रियत/संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (JRL) सीधे आतंकी फंड लेते थे। इसके अलावा मलिक ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फंड जुटाने के लिए दुनियाभर में एक मैकेनिज्म तैयार कर दिया था।
कबूल चुका है आतंकवाद के आरोप
गौरतलब है कि इसी महीने 2022 में यासीन मलिक ने कोर्ट में आतंकवाद के आरोपों को कबूल किया था। उसने पटियाला हाउस कोर्ट की एनआईए अदालत में अपनी गलती मानते हुए कोर्ट से कानून के मुताबिक सजा देने की माँग की थी।
कौन है यासीन मलिक
यासीन मलिक वो आतंकी है, जो कि घाटी में हिंदुओं के नरसंहार में सीधे तौर पर शामिल था। वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष होने के साथ ही पाकिस्तान का कट्टर समर्थक भी है। उस पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप है। इतना ही नहीं 1990 में वायुसेना के 4 अधिकारियों की बेरहमी से हत्या का आरोप भी यासीन मलिक पर ही है।