उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 22 मई 2022 को एक बयान में पहाड़ों पर बनती अवैध मजारों पर चिंता जताई थी। उन्होंने मजारों को कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ने और उन्हें अतिक्रमण बताते हुए उन पर कार्रवाई का ऐलान किया था। साथ ही उन्होंने राज्य में अवैध घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को चिन्हित करने के एक अभियान की जानकारी देते हुए उत्तराखंड में हो रहे जनसांख्यिकी बदलाव को चिंता का विषय बताया था।
कुछ ही दिन पहले देहरादून के पॉश इलाके में कैलाश अस्पताल के बगल में बनी मज़ार पर हिन्दू संगठनों ने हंगामा किया था। हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि गली में अंडे बेचने वाले एक आरोपित ने धीरे-धीरे पूरा कुनबा मज़ार के पास जुटा लिया। मामले में पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था और मूल रूप से UP के संभल निवासी मज़ार के कथित खादिम को वो जगह छोड़नी पड़ी थी। बाद में वहाँ जमा हुए अतिक्रमण को भी हटाया गया था। हालाँकि, पुलिस के मुताबिक मज़ार अभी भी अपनी ही जगह मौजूद है।
1985 से पहले एक भी नहीं थी मस्जिद: स्वामी दर्शन भारती
अवैध मजारों और नशे के खिलाफ काम कर रहे वयोवृद्ध संत स्वामी दर्शन भारती ने ऑपइंडिया से पहले और अब के हालत पर बात करते हुए कुछ खास जानकारी दी। उन्होंने कहा, “1985 तक यहाँ एक भी मस्जिद नहीं थी। हमारे यहाँ मुस्लिमों को मनिहारी कहा जाता है जो औरतों के साज-श्रृंगार के सामान बेचने का काम करते हैं। अल्मोड़ा में एक स्थानीय स्वर्णकार ने पहली मस्जिद दया भाव से मनिहारियों को बनाने दी थी। उन्हें ये नहीं पता था कि इसके बाद यहाँ मस्जिदों की बाढ़ आ जाएगी। दया दिखाने वाले उस स्वर्णकार के परिजन आज भी देहरादून में रहते हैं जिनका यहाँ नाम बताना उचित नहीं है।”
यही दावा वॉइस फॉर इंडिया की फाउंडर और अमेरिकी एक्टिविस्ट रेनी लिनन व कुछ अन्य लोगों ने भी किया है।
उत्तराखंड में पहली मस्जिद 1985 में अल्मोड़ा में बनी जो बहुत ही छोटी सी थी….केवल 36 साल में 1700 मस्जिद हो गयी हैं, देवभूमि हिमालय को कैसे बचाना है, यह समस्त हिन्दू समाज को सोचना होगा…#हिमालय_हमारा_देवालय_है
— Renee Lynn (@Voice_For_India) September 3, 2021
13 वीं सदी में कत्यूर राजा ने बसाया था पहला मुस्लिम परिवार
स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक, “बहुत पहले अल्मोड़ा में कत्यूर राजा का शासन हुआ करता था। तब उन्होंने अपने कुछ कामों को करवाने के लिए रामपुर से कुछ मुस्लिमों को बुलवाया था। उनके परिवारों को रहने के लिए कोने में कहीं जगह दे दी गई थी। धीरे-धीरे मुस्लिमों की आबादी बढ़ती चली गई और आज कई ऐसे इलाके बन गए हैं जहाँ जाने के बाद उत्तराखंड लगता ही नहीं। वो जगह देवबंद लगेगी। 1985 तक इन मुस्लिमों ने कभी मस्जिद की बात नहीं की। लेकिन अब कट्टरवाद है। आज उन्हें पहले मस्जिद चाहिए।”
महापाप हुआ एन डी तिवारी की सरकार में
स्वामी दर्शन भारती ने ऑपइंडिया को बताया कि उत्तराखंड में मुस्लिमों को सबसे अधिक बढ़ावा कॉन्ग्रेस की एन डी तिवारी के नेतृत्व में बनी सरकार में मिला था। उन्होंने बताया, “एन डी तिवारी की सरकार में महापाप हुआ है। उनकी ही सरकार में नैनीताल के नैना देवी के मंदिर के ऊपर उत्तराखंड की सबसे बड़ी मस्जिद बना दी गई। मस्जिद पूरी तरह से अतिक्रमण करके सड़क पर बनाई गई है। मस्जिद के आगे मंदिर भी छोटा लगने लगा है।”
उन्होंने आगे कहा, “हिन्दुओं के इस उद्गम स्थल का दुर्भाग्य रहा कि राज्य बनने के बाद पहली सरकार नारायण दत्त तिवारी की बन गई। हमें तो लगा था कि यह प्रदेश दुनिया को हिन्दू धर्म का संदेश देगा लेकिन अब तो यहाँ अस्तित्व पर ही संकट मंडरा रहा है। उत्तराखंड में बनी अधिकांश मस्जिदें नारायण दत्त तिवारी के समय की हैं। श्रीनगर, पौड़ी, दुगड्डा और कोटद्वार में भी मस्जिदों को बनवा दिया गया। बॉर्डर पर पड़ने वाले धारचूला में भी मस्जिद बना दी गई है। कॉन्ग्रेस की सरकार में तो मुस्लिम राज्यमंत्री भी बनाए गए।”
नैनीताल की इस मस्जिद पर कुछ लोगों द्वारा वीडियो भी बनाए गए हैं।
फरवरी 2022 में कॉन्ग्रेस नेता और N D तिवारी के सहयोगी रहे मातबर सिंह कंडारी का वीडियो भी रुद्रप्रयाग में मस्जिद के लिए जमीन देने के वादे के साथ वायरल हुआ था।
7 वर्षों से नहीं बनने दी गई कोई नई मस्जिद
स्वामी दर्शन भारती ने दावा किया कि पिछले 7 सालों से कोई नई मस्जिद उत्तराखंड में नहीं बनने दी गई है। उन्होंने बताया, “कोई बना कर तो दिखाए अब। जो मजारें बनाई गई हैं उन पर हम कार्रवाई करवा रहे हैं। देहरादून-मसूरी मार्ग पर 2 मज़ारें बन गईं हैं। उन्हें भी हटना होगा। हम जोशीमठ और कर्णप्रयाग में मस्जिदों का निर्माण रोक चुके हैं। अब उत्तराखंड का नागरिक धर्म के प्रति जागरूक हो रहा है। यहाँ के हिन्दुओं को पता ही नहीं था कि यहाँ हो क्या रहा है।”
सरकारी जमीनों पर बनी हैं लगभग 2000 अवैध मजारें
स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक आज पूरे उत्तराखंड में लगभग 2000 अवैध मजारें हैं। ये मजारें तमाम सरकारी जमीनों को कब्जाए हुए हैं। मज़ारों को सिंचाई विभाग, वन विभाग, PWD आदि जमीनों पर बनाया गया है। देहरादून नगर निगम और जिला पंचायत की 60 से 70 प्रतिशत सरकारी जमीनों पर मुस्लिमों का कब्ज़ा है। देहरादून की आज़ाद नगर कॉलोनी की कई हजार हेक्टेयर जमीनों पर मुस्लिमों का अवैध कब्ज़ा है। आज देहरादून की राजीव नगर से गुजरती रिस्पना नदी और शहर के नालों की जमीनों पर कई मंजिला ऊँची मस्जिदें खड़ी हो गईं हैं। इसके अलावा कई मदरसे भी बन गए हैं। आज ये इलाका मुस्लिम बहुल लगता है। आज मुस्लिम जोशीमठ तक पहुँच गया है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले 4-5 सालों में देवभूमि की संस्कृति खत्म हो जाएगी।”
सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में बन रही अवैध मजारों के वीडियो शेयर किए हैं।
अल्मोड़ा के मनीला साल्ट में भी एक मजार का वीडियो शेयर किया गया है। ये मनिला देवी मंदिर के पास मौजूद है।