कहते हैं आर्कमडीज़ को नहाते-नहाते भौतिकी का एक सिद्धांत दिमाग में आया था और वो बिना कपड़े पहने ही ‘यूरेका-यूरेका’ चिल्ला कर बाथटब से निकल लिए थे। न्यूटन भी अपने बगीचे में चिल्ल मार रहे थे कि सर पे सेब गिरा और उन्हें गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का ज्ञान प्राप्त हुआ। बड़े-बड़े लोग छोटी-छोटी बातों में जीवन का गूढ़ रहस्य ढूँढ़ ही लेते हैं। ऐसा ही कुछ किया है इस्लामी पत्रकारिता की बहुत बड़ी वाहक और चंदाकार सुश्री राणा अयूब ने।
दरअसरल राणा इन दिनों अपने परिवार के साथ छुट्टियों पर केरल गई हुई हैं। तस्वीरों से लगता है कि वो किसी बड़े रिजॉर्ट में होंगी जहाँ एक बड़ा सा एक ऐसा स्वीमिंग पूल भी है जिसे देख आप और हम शायद इस सोच में डूब जाएँ कि कहीं पानी ठंडा या पूल गहरा तो नहीं है। पर, इसी स्वीमिंग पूल में रविवार की शाम जब राणा अयूब अपनी सेल्फ़ी ले रही थीं तो उनके दिलो-दिमाग़ में बस उन्हीं लोगों की चिंता थी जिनके स्वीमिंग पूल तो छोड़िए योगीजी ने जिनके लिए बाथरूम तक न छोड़ा और पूरा मकान तुड़वा दिए।
जब हमें राणा अयूब के इस दुख का पता चला तो हमने उनके सोशल मीडिया अकॉउंट खंगालकर उस तस्वीर और वीडियो को निकाला जिसे देख साफ हो गया कि वो स्वीमिंग पूल में नहाते-नहाते भी देश के मुस्लिमों की चिंता में इतना डूबीं थी कि उनके काले चश्मे के बावजूद आँसू रुक न सके और इतना बहे कि स्वीमिंग पूल का पानी, समुद्र के पानी जितना खारा हो गया। हमने जब वह वीडियो देखी तो हमें भी लगा कि आखिर परिवार के साथ छुट्टी मनाते-मनाते भी राणा के कंधों पर कौम की कितनी जिम्मेदारी है कि एक ओर उन्हें स्वीमिंग पूल में खड़े रहकर फोटो भी निकालनी है और दूसरी ओर कौम पर क्या अत्याचार हो रहे हैं इसकी सूचना आगे तक देनी है।
ट्रोल्स उनकी इस जिम्मेदारी को नहीं समझते। वो बस इस बात पर आपत्ति जताने में लगे हैं कि अगर राणा वाकई मुस्लिमों के प्रति चिंतित हैं तो इतनी चिल्ल करने वाली तस्वीरें इंस्टा पर क्यों डाल रही हैं… तो ऐसे ट्रोल्स को राणा पर सवाल उठाने से पहले ये ध्यान देने की जरूरत है कि राणा ने अपनी वीडियो में पाउट बनाया है। पाउट का मतलब होता है होठों को गोल और छोटा बनाना। अब ट्रोल्स क्या इतना भी नहीं समझ सकते कि क्रूर योगी सरकार ने बुलडोजर कार्रवाई कर करके उनका व उनकी कौम के लबों को छोटा कर दिया है, बोलने की स्वतंत्रता कम कर दी है!
Twitter life vs Insta life.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) June 13, 2022
Tip – check the timings of posts. pic.twitter.com/4nnl8wyBtK
जैसे राणा का पाउट योगी जी की फासीवादी नीतियों का एक प्रमाण है वैसे ही उनका काला चश्मा भी कोई स्वैग के लिए नहीं लगाया गया। राणा ने उसे लगाया है ताकि वह उससे अपने आँसू छिपा सकें जो यूपी में बुलडोजर कार्रवाई देख उनकी आँखों से बह रहे हैं।
आप यदि राणा के ट्विटर पर जाएँगे तो आपको लगेगा ही नहीं कि राणा ने अपने काम से ब्रेक लिया है। वह लगातार ट्विटर पर पोस्ट कर करके अपने समुदाय पर होते अत्याचार का दुख व्यतीत कर रही हैं। वहीं इंस्टा पर क्लोज फ्रेंड्स के लिए स्वीमिंग पूल सेल्फी भी भेज रही हैं। सोशल मीडिया पर इतने बैलेंस ढंग से किए जा रहे पोस्ट से आपको आखिर दिक्कत ही क्या है। अगर दोनों ही पोस्ट एक समय शेयर किए जा रहे हैं तो क्या जरूरी है इस बात को पूछना कि एक सोशल मीडिया पर इतना गंभीर पोस्ट और एक पर इतना चिल्ल करता पोस्ट क्यों शेयर किया।
ट्रोलर्स को नहीं पता चलता लेकिन जो लोग उन्हें लगातार फॉलो करते हैं उन्हें मालूम है कि राणा के सिर पर कितना भार है। उन्होंने जब ट्विटर पर दंगाइयों को मुस्लिम कार्यकर्ता बताकर उनके घरों पर होती कार्रवाई का दुख जताया तो वह वैकेशंस पर थीं। कोई करता है क्या वैकेशंस पर भी कौम के लिए काम…?
राणा अयूब के पोस्ट के पीछे असली कहानी
राणा अयूब के अलग-अलग सोशल मीडिया पर अलग-अलग मूड को दिखाते पोस्ट चंद घंटे पहले के हैं। हम समझ सकते हैं कि व्यथित होकर उन्होंने इस ट्वीट को किया होगा। जब हमने उनकी यही व्यथा समझने के लिए उनके इंस्टा अकॉउंट को देखा तो हमें पता चला कि अल्पसंख्यकों पर होते अत्याचारों की बात विदेश तक पहुँचाते पहुँचाते वह इतना थक गईं कि कुछ दिन पहले ही परिवार संग छुट्टियों पर गई थी। लेकिन इसी बीच क्रूर योगी सरकार ने जावेद पंप को पत्थर बता कर उसके घर पर बुलडोजर चलवा दिया। जिस समय यह खबर आई उस समय राणा पूल में बैठकर अल्पसंख्यकों पर होते तरह-तरह के अत्याचार की सूची बना रही थीं ताकि गल्फ देशों से शिकायत कर सकें। देश का तेल पानी बंद कर करवा सकें। मगर ये लिस्ट पूरी होती ही कि फासीवादी योगी सरकार एक्शन में आ गई। जावेद के घर की एक-एक ईंट को गिरता देख राणा के आँसू नहीं थमे और वह दर्द से कराह उठीं।
ट्विटर पर उनका यही दर्द लगातार किए गए ट्वीट में देखने को मिला और इंस्टाग्राम पर उनकी यह पीड़ा वीडियोज में सामने आई। परिवार वाले उनके आँसू देख दुखी न हों इसलिए उन्होंने काला चश्मा लगाए रखा। इसके बाद 360 डिग्री घूमकर अपने दर्शकों को स्वीमिंग का का नजारा दिखाया। वह चाहती थी कि इस वीडियो के साथ वह कोई मजहबी गीत लगाएँ ताकि उनके फॉलोवर्स समझ पाएँ कि छुट्टियों के दौरान भी उनके भीतर से इस्लाम का प्रेम खत्म नहीं हुआ। हालाँकि उन्हें इंस्ट्राग्राम की ट्रेंडिंग रील का कोई गाना लगाना पड़ा ताकि रील ज्यादा रीच पाए।
अब उनके ट्विटर और इंस्टा पर पोस्ट देख कुछ कट्टर हिंदूवादी उनकी मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और ये दिखाया जा रहा है कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए मुसलमानों को भड़काने वाले परिवार के साथ मौज उड़ा रहे हैं और जो उनकी बातों में आकर दंगा किए, वो पुलिस द्वारा पीटे जा रहे हैं। लेकिन अगर आप राना अयूब का ट्विटर-इंस्टा देखेंगे तो पाएँगे कि भले ही वो परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने गईं हों लेकिन जिस तरह उनके अल्पसंख्यक भाइयों ने सड़कों पर कर्तव्य समझ जगह-जगह दंगा मचाया, वैसे ही वो भी अपने काम में जुटी हैं। अभी देखिए उनकी चेकलिस्ट में पहला काम आफरीम फातिमा का स्टैंड लेना था वो उन्होंने स्वीमिंग पूल में खड़े होकर ट्वीट करके ले लिया है। दूसरा काम भारत को फासीवादी बताने का था वो भी वह कर चुकी हैं।
अब थोड़ा बहुत जो समय मिला है वह उसे परिवार के साथ व्यतीत कर रही हैं, उन्हें खुश रहकर दिखा रही हैं। लेकिन वास्तविकता ये है कि जैसे ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटना समाज में घटी तो वो दोबारe से स्वीमिंग पूल में आकर खड़ी होंगी और अपनी सेल्फी… ओह सॉरी-सॉरी ‘स्टैंड’ लेंगी।