Friday, November 22, 2024
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’50-100 साल में आएगा मुस्लिम शासन, राम मंदिर को तोड़ मस्जिद बनाई जाएगी’: मौलाना साजिद का भड़काऊ बयान, कहा- आने वाली नस्लें खामोश नहीं रहेंगी

मौलाना साजिद रशीदी वही बात कह रहे हैं, जो मुस्लिमों की राजनीति करने वाले नेता असदुद्दीन कह रहे हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र कह रहे हैं। सबका कहना है कि 'अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी'। ये लोग सीधे तौर पर भारतीय कानून और न्यायपालिका को चुनौती दे रहे हैं।

देश में लोकतंत्र और कानून की दिन-रात दुहाई देने वाले कट्टरपंथी न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को पचा नहीं पा रहे हैं। समय-समय पर वे धमकाते रहते हैं कि अयोध्या में मस्जिद थी और आगे भी रहेगी। अब एक मौलाना ने कहा कि 100 साल में भारत में मुस्लिमों का शासन आते ही राम मंदिर की जगह मस्जिद बना दी जाएगी।

ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने भारत की कानून-व्यवस्था को सीधा चुनौती दी है। उसने कहा है कि 50-100 साल बाद मुस्लिम शासक के आने पर अयोध्या के राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई जा सकती है। मुस्लिमों की आने वाली नस्लें इसको लेकर खामोश नहीं रहेंगी।

मौलाना रशीदी ने कहा, “आज मुसलमान खामोश है। मेरी आने वाली नस्ल… मेरा बेटा, उसका बेटा, उसका पोता…. 50-100 साल के बाद एक हिस्ट्री उनके सामने आएगी कि हमारी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बना दिया गया। उस वक्त हो सकता है कि कोई मुस्लिम शासक हो, कोई मुस्लिम जज हो या मुस्लिम शासन आ जाए… कुछ नहीं कहा जा सकता है कि क्या फेरबदल हो जाए… तो क्या उस हिस्ट्री की बुनियाद पर इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई जाएगी? बिल्कुल बनाई जाएगी।”

टाइम्स नाऊ नवभारत से बात करते हुए मौलाना ने कहा कि इस देश की एक हिस्ट्री लिखी जाएगी और हिस्ट्री ये लिखी जाएगी कि 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया और उसके बाद में उस वक्त के प्रधानमंत्री ने जाकर राम मंदिर का शिलान्यास किया था, जो कि संविधान के बिल्कुल विरुद्ध था।

हालाँकि, टीवी बहस के दौरान मुस्लिम वक्ता रशीदी के बयान को व्यक्तिगत बताकर उसके खतरनाक इरादों की गंभीरता को कम करने का प्रयास कर रहे थे। हालाँकि, एक भी ऐसा कथित मुस्लिम विद्वान सामने नहीं आया, जिसने रशीदी बयान की निंदा की हो या उसके बयान पर फतवा जारी किया हो।

ये सिर्फ साजिद रशीदी का बयान नहीं है, ऐसे कई मुस्लिम समाज के कई नेताओं ने दिए हैं। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बार-बार कहा है कि ‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इशांअल्लाह’। उन्होंने यहाँ तक कि मुस्लिम अपनी आने वाली नस्लों को बताएँगे कि वहाँ मस्जिद को शहीद करके मंदिर बनाया गया था। 

इतना ही नहीं, 6 दिसंबर 2022 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्र नेता मोहम्मद फरीद ने ‘काला दिवस’ के रूप में मनाते हुए मार्च निकाला था। छात्रों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे, जिसमें लिखा था, ‘जब अरजे खुदा के काब से, सब बुत उतरवाए जाएँगे’। इस दौरान छात्र कहते रहे कि ‘बाबरी मस्जिद अभी जिंदा है। मस्जिद वहीं थी, वहीं है और इंशाअल्लाह आगे भी वहीं रहेगी’।

जाहिर सी बता है कि मौलाना साजिद रशीदी वही बात कह रहे हैं, जो मुस्लिमों की राजनीति करने वाले नेता असदुद्दीन कह रहे हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र कह रहे हैं। इसलिए इसे सिर्फ एक व्यक्ति का बयान कहकर भी नहीं टाला जा सकता। इसके पीछे कुछ गहरी साजिश हो सकती है, PFI के साल 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने वाले टुलकीट जैसा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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