Sunday, May 5, 2024
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मनीष कश्यप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई: वकीलों ने कहा – बिहार सरकार के इशारे पर दर्ज किए गए झूठे FIR

मनीष कश्यप का आरोप है कि बिहार सरकार के इशारे पर उनके खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में झूठी FIR दर्ज कराई गई है।

बिहार के YouTuber मनीष कश्यप की याचिका पर सोमवार (10 अप्रैल, 2023) को सुनवाई नहीं हो सकी। उन्हें पहले बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस उन्हें ले गई। मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट से माँग की है कि इस प्रकरण में उनके खिलाफ दर्ज सारे मामलों को एक जगह ट्रांसफर किया जाए। तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के खिलाफ हुई हिंसा पर वीडियो बनाने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

उन पर फर्जी वीडियो बनाने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट में मनीष की तरफ से उनके वकील ने कोर्ट नंबर 13 में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय करोल की पीठ के सामने याचिका लगाई थी। उन्हें केस संख्या 63 दी गई थी। लेकिन, जब लंच हुआ तब तक 43 मामलों की ही सुनवाई हो पाई। लंच ब्रेक के बाद जजों को दूसरी पीठ में बैठ कर सुनवाई करनी थी, इसीलिए ये मामला रह गया। अब मंगलवार को सुनवाई होगी।

मनीष कश्यप का आरोप है कि बिहार सरकार के इशारे पर उनके खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में झूठी FIR दर्ज कराई गई है। 9 मार्च, 1991 को पश्चिम चम्पारण के डुमरी महन्वा गाँव में जन्मे मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है, जिन्होंने 2016 में पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग पूरी की। उनके पिता भारतीय सेना में रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग से पहले महारानी जानकी कुँवर महाविद्यालय से पढ़ाई की थी।

इससे पहले इस मामले को मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने उठाया गया था, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि उन्होंने अभी इसके बारे में जानकारी नहीं ली है। इसीलिए, मनीष कश्यप को अंतरिम राहत नहीं मिल पाई। तमिलनाडु सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अमित आनंद तिवारी पेश हुए। मदुरै की कोर्ट ने मनीष कश्यप को न्यायिक हिरासत में भेज रखा है। मनीष कश्यप 18 मार्च को आत्मसमर्पण के बाद से ही पुलिस की गिरफ्त में हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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