माफिया अतीक अहमद की 15 अप्रैल, 2023 (शनिवार) को प्रयागराज में हत्या कर दी गई। यह हत्या पुलिस कस्टडी में तब हुई जब उसे मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। इस हत्या के साथ अतीक का 4 दशक से अधिक पुराना आपराधिक साम्राज्य ध्वस्त हो गया। इस साम्राज्य में अतीक, उसका भाई अशरफ, उसकी बीवी शाइस्ता और उसके बेटे तक शामिल हुआ करते थे। इस नेटवर्क ने तमाम लोगों की जमीनें कब्जाईं और कई हत्याएँ करवाईं।
इन सभी के अलावा अपहरण जैसे अपराध इस गैंग के पेशे में रूटीन तौर पर शामिल थे। उन्हीं तमाम अपराधों में से एक था अशोक साहू हत्याकांड।
अशोक साहू की हत्या साल 1996 में प्रयागराज के मध्य सिविल लाइंस इलाके में हुई थी। ऑपइंडिया ने इस केस के विवेचक रहे तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर धीरेन्द्र राय से बात की। उन्होंने बताया कि कैसे अतीक का न सिर्फ आपराधिक दुनिया में अच्छा दखल था बल्कि उसके भाई को बचाने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर तक सक्रिय भागीदार बने थे।
अशरफ को नहीं पहचान पाया था अशोक
ऑपइंडिया से बात करते हुए ex DSP धीरेन्द्र राय ने बताया कि तब वो प्रयागराज में इंस्पेक्टर पद पर तैनात थे। उन्होंने बताया कि अशरफ और अशोक के बीच सिविल लाइन्स इलाके में झगड़े की शुरुआत गाड़ी की ओवरटेकिंग को ले कर शुरू हुई थी। राय के मुताबिक, तब अशोक अशरफ को नहीं पहचान पाया था, लेकिन बाद में जानकारी होने पर वो काफी डर गया था।
धीरेन्द्र राय ने हमें आगे बताया कि डर के मारे अशोक साहू अतीक के घर गया था। वहाँ उसने अतीक से माफ़ी माँगी। अतीक अहमद ने उस समय कहा कि गलती तो किए हो, लेकिन जाओ और आगे से सही रहना। इस बात पर अशोक आश्वस्त हो कर वहाँ से चला गया था।
माफ़ी माँगने पर भी मार डाला गया अशोक
पूर्व DSP धीरेन्द्र राय के अनुसार, माफ़ी माँगने के बाद भी अतीक अहमद ने 2 दिनों बाद प्रयागराज के सिविल लाइन्स में अशोक की हत्या करवा दी। यह हत्या गोली मार कर हुई थी। हत्या के बाद पुलिस ने अतीक, उसके भाई अशरफ और उसके अब्बा फिरोज को नामजद किया।
अशरफ का मददगार इंस्पेक्टर मंसूर अहमद काजी
रिटयर्ड DSP धीरेन्द्र राय के अनुसार, तब उत्तर प्रदेश के जिला चंदौली में पोस्टेड इंस्पेक्टर मंसूर अहमद काजी ने अशरफ की गैर-कानूनी ढंग से मदद की। इंस्पेक्टर काजी ने अशरफ की घटना के समय अपने थाने में अवैध तमंचे के साथ गिरफ्तारी दिखा दी थी। हालाँकि, तब इंस्पेक्टर रहे धीरेन्द्र राय ने इंस्पेक्टर काजी और अशरफ को भी अपनी जाँच रिपोर्ट में साजिशकर्ता के तौर पर दिखाया था।
अभी तक केस ही नहीं शुरू हुआ
पूर्व DSP धीरेन्द्र राय ने हमें बताया कि साल 1996 के इस मामले का ट्रायल भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया था। उन्होंने हमें बताया कि उनकी खुद की खोजबीन में मामले की चार्जशीट MP/MLA कोर्ट में दबी पड़ी मिली। हालाँकि, उन्हें यह भी नहीं पता कि इस मामले में बाद में अशरफ और इंस्पेक्टर काजी का क्या हुआ था। खुद से तत्कालीन इंस्पेक्टर धीरेन्द्र राय ने अतीक और उसके अब्बा फ़िरोज़ अहमद की गिरफ्तारी साल 1996 में की थी।
अशोक साहू का परिवार गुमनाम
पूर्व DSP धीरेन्द्र राय हमें अशोक साहू के परिवार के बारे में अधिक जानकारी नहीं दे पाए। उन्होंने बताया कि बाद में उनका ट्रांसफर लखनऊ हो गया और साल 2015 में उन्होंने राजधानी लखनऊ से ही बतौर डिप्टी SP रिटायरमेंट लिया था।