लोकसभा चुनाव से पहले ओडिशा में कॉन्ग्रेस पार्टी की नैय्या डूबती नज़र आ रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुछ दिनों पहले स्पष्ट कर दिया था कि लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल, कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा गठबंधन पर दिए गए बयान के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाला काम किया। गठबंधन से अलग होने के ऐलान के बाद राहुल ने चिटफंड घोटाले के बहाने ओडिशा के मुख्यमंत्री पर हमला किया।
राहुल गाँधी ने अपने बयान में कहा कि नवीन पटनायक प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रिमोट कंट्रोल किए जा रहे हैं। जब इस मामले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने राहुल के इस बयान पर सिर्फ़ दो शब्द ख़र्च करते हुए कहा – “बिल्कुल बकवास।”
ओडिशा में राहुल गाँधी की समस्या कम होने की बजाय और अधिक बढ़ती ही जा रही है। प्रियंका गाँधी को पूर्वी यूपी कॉन्ग्रेस महासचिव बनाए जाने के फ़ैसले ने भले ही हिंदी पट्टी के कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ताओं में जोश भरा हो, लेकिन ओडिशा में इसका कोई भी असर देखने को नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि एक के बाद एक कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता अपना पाला बदल रहे हैं।
सोमवार को कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व मंत्री श्रीकांत जेना ने राहुल गाँधी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा कि वह राहुल को इस क़दर बेनक़ाब कर देंगे कि वो लोगों को मुँह दिखाने के लायक नहीं रह जाएँगे। श्रीकांत जेना ने राहुल गाँधी पर आरोप लगाते हुए कहा, “मैं ओडिशा में अवैध खनन, सामाजिक न्याय के मुद्दों पर राहुल गाँधी से उनका रुख़ जानना चाहता हूँ। वह कुछ कहते क्यों नहीं हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि वह दोहरी बात कर रहे हैं।”
जानकारी के लिए आपको बता दें कि पिछले दिनों कॉन्ग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ आवाज उठाने की वजह से पूर्व विधायक कृष्णा चंद्र सागरिया के साथ श्रीकांत जेना को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने बदला पाला
साल की शुरुआत में ही राहुल बाबा को तब झटका लगा जब उनकी पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नबा किशोर दास ने पार्टी छोड़कर बीजेडी ज्वॉइन कर ली। एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते राहुल गाँधी की असफलता की तौर पर नबा किशोर दास के इस फ़ैसले को देखा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि कॉन्ग्रेस कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ा बल्कि इसलिए क्योंकि नबा किशोर दास ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि जनता चाहती है कि वो कॉन्ग्रेस की बजाय बीजेडी से चुनाव लड़े। नबा के इस बयान से साफ़ पता चलता है कि ओडिशा की जनता कॉन्ग्रेस को पसंद नहीं कर रही है।
पहले से कमज़ोर पार्टी की हालत और ख़स्ता हुई
ओडिशा में 147 विधानसभा सीट हैं। पिछले चुनाव में कॉन्ग्रेस सिर्फ़ 16 सीटों पर जीत दर्ज़ करा पाई थी। राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं,कॉन्ग्रेस को इनमें से एक भी सीट नहीं मिली थी। इससे अंदाज़ा लगाना साफ़ है कि कॉन्ग्रेस पहले ही सरेंडर कर चुकी है। कॉन्ग्रेस से बाक़ी बची उम्मीद इसलिए मद्धिम हो रही हैं क्योंकि पिछले कुछ सालों में भाजपा मज़बूती से राज्य में उभरी है। ऐसे में जब कई विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं ओडिशा में कॉन्ग्रेस की नैय्या अब डूबती ही नज़र आ रही है।