Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाज'महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते, पासपोर्ट जमा करो': भीमा-कोरेगाँव मामले में अर्बन नक्सल वर्नोन गोंजाल्विस...

‘महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते, पासपोर्ट जमा करो’: भीमा-कोरेगाँव मामले में अर्बन नक्सल वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को SC से जमानत

पुलिस का दावा है कि गोंजाल्विस और परेरा व अन्य के कारण ही भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़की थी। ये दोनों प्रतिबंधित माओवादी संगठन में भर्ती के लिए लोगों को उकसा रहे थे और सीपीएम (माओवादी) के लिए कैडर तैयार कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अर्बन नक्सली वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी है। जमानत के साथ ही कोर्ट ने कई तरह की शर्तें भी लगाई हैं। दोनों को भीमा-कोरेगाँव हिंसा की साजिश रचने और प्रतिबंधित माओवादी संगठन के साथ संबंध रखने के आरोप में साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से दोनों जेल में थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने शुक्रवार (28 जुलाई 2023) को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए कहा है कि बेशक उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं लेकिन केवल आरोपों के चलते जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

कोर्ट द्वारा यह भी टिप्पणी की गई कि गंभीर आरोपों को देखते हुए मामले की सुनवाई चलते रहने तक आरोपितों को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपित 5 साल से हिरासत में हैं, इसलिए उन्हें सशर्त जमानत दी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को विशेष NIA कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के साथ जमानत दी है। इन शर्तों में कहा गया है कि मुकदमा चलने तक दोनों महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते। दोनों आरोपितों को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा। साथ ही NIA को अपना पता और मोबाइल नंबर देना होगा।

कोर्ट के निर्देश के अनुसार जमानत के दौरान केवल 1 ही मोबाइल का उपयोग आरोपित कर सकते हैं। दोनों आरोपितों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके मोबाइल फोन हमेशा चार्ज रहें। साथ ही वे अपने फोन की लोकेशन चालू रखेंगे ताकी उनकी लाइव-ट्रैकिंग NIA को मिल सके। दोनों को हर सप्ताह जाँच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा।

बता दें कि वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा साल 2018 से मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। मुंबई हाई कोर्ट ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हालाँकि सह-आरोपित सुधा भारद्वाज को जमानत मिल गई थी। इसी के खिलाफ गोंसाल्विस और फरेरा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जहाँ से उन्हें भी जमानत मिल गई।

क्या है भीमा-कोरेगाँव मामला:

भीमा-कोरेगाँव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़की थी। इस हिंसा से एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद ने एक बैठक बुलाई थी। पुणे पुलिस का दावा है कि भीमा-कोरेगाँव हिंसा के तार सीधे तौर पर एलगार परिषद से जुड़े हुए हैं। पुलिस का यह भी मानना है कि गोंजाल्विस और परेरा व अन्य के कारण ही भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़की थी।

पुणे पुलिस के अनुसार ये दोनों प्रतिबंधित माओवादी संगठन में भर्ती के लिए के लिए लोगों को उकसा रहे थे और सीपीएम (माओवादी) के लिए कैडर तैयार कर रहे थे। यही नहीं ये दोनों 4 ऐसे संगठनों से जुड़े थे, जो प्रतिबंधित माओवादी संगठन के मुखौटे के रूप में काम करते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

‘छिछोरे’ कन्हैया कुमार की ढाल बनी कॉन्ग्रेस, कहा- उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया: चुनावी सभा में देवेंद्र फडणवीस की पत्नी को लेकर की...

कन्हैया ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, "हम धर्म बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और डेप्युटी सीएम की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील बना रही हैं।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -