Tuesday, November 19, 2024
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SFI ने केरल के कॉलेज में भगवान अयप्पा के अपमानजनक पोस्टर लगाए

सीपीएम ने एक बार फिर भगवान अय्यपा के भक्तों का अपमान करने की दुस्साहस किया है। जन्मभूमि की ख़बर के अनुसार, आज (24 जून) त्रिशूर के केरेलेवर्मा कॉलेज में, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने सबरीमाला के भगवान अयप्पा का अपमानजनक पोस्टर लगाया। SFI केरल में सत्ताधारी दल CPM का छात्र संगठन है।

फ्लेक्स बोर्ड पर चित्रित पोस्टर में भगवान अय्यप्पा को मासिक धर्म के ख़ून में सराबोर एक महिला के पैरों के बीच उल्टा लटकते हुए दिखाया गया है। ख़बर अनुसार, पोस्टर में लिखा है, “जहाँ भी मासिक धर्म को अशुद्धि के रूप में देखा जाता है, वहाँ वे अपने स्वयं के जन्म से इनकार कर रहे हैं।”

हिंदू संगठन, अयप्पा भक्त और राजनेता ने मौके पर पहुँचकर उन्होंने कॉलेज के अधिकारियों से अपमानजनक पोस्टर को हटाने का अनुरोध किया। भाजपा ने इसे अय्यप्पा भक्तों का अपमान कहा है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केरल में मुफ़्त में नहीं आती और सत्ता पक्ष हिंदुओं के ख़िलाफ़ अपना पक्ष रखने के लिए जाना जाता है। हाल ही में, कम्युनिस्ट सरकार ने बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको का मजाक बनाने से संबंधित एक कार्टूनिस्ट को पुरस्कार देने के अपने फ़ैसले को पलट दिया था क्योंकि इससे ईसाई मतावलम्बियों की भावनाओं को ठेस पहुँची थी। एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में, सरकार के सत्ता संभालने के बाद से 119 लोगों को सोशल मीडिया पर सीएम के ख़िलाफ़ अपमानजनक पोस्ट के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया था।

राज्य सरकार ने भक्तों की दलीलों के विपरीत, सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की सभी महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया था। अपनी परम्पराओं को बचाने की कोशिश के लिए लगभग 2000 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया था।

NewsLaundry के कुटिल संपादक ने पुराने वीडियो के ज़रिये बनाया ‘डर का माहौल’

प्रोपेगंडा पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री के संपादक और ट्विटर ट्रोल अभिनन्दन सेखरी ने एक पुरानी घटना को लेकर ‘डर का माहौल’ वाला नैरेटिव आगे बढ़ाने की कोशिश की है। दरअसल, स्वराज नामक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो डाला, जिसमें कुछ लोग एक वृद्ध मुस्लिम दम्पति को ‘जय श्री राम’ बोलने को कह रहे हैं। यूजर ने लिखा कि उसके पास इसके लिए कोई शब्द नहीं है, वह मौन है। ट्रोल सह संपादक अभिनन्दन सेखरी ने इस वीडियो को कमेंट के साथ रीट्वीट किया। सेखरी के ट्वीट को आप नीचे देख सकते हैं।

अभिनन्दन सेखरी ने इस वीडियो को लेकर आज के माहौल को ‘डर वाला’ साबित करने की कोशिश की। अभिनन्दन ने इस घटना के हवाले से लिखा कि एक सौम्य स्लोगन को हथियार बनाया जा रहा है। अभिनन्दन ने एक वर्ष से भी ज्यादा पुरानी इस घटना को लेकर यह भी साफ़ नहीं किया कि ये वीडियो कब का है। अगर ऐसा लिख दिया जाता तो शायद भ्रम फैलाने में कठिनाई होती।

जब ऑपइंडिया ने इस वीडियो की पड़ताल की तो हमें पता चला कि ये ख़बर अप्रैल 2018 की है। नीचे ‘मिरर नाउ’ का वो स्क्रीनशॉट आप देख सकते हैं, जिसे अप्रैल 2, 2018 को अपडेट किया गया था। अभिनन्दन ने इसी वीडियो के हवाले से लिखा कि ‘वन्दे मातरम्’ के साथ भी यही हो रहा है।

अप्रैल 2018 में कई मीडिया संस्थानों ने इस ख़बर को प्रकाशित किया था

अभिनन्दन सेखरी इससे पहले न्यूज़लॉन्ड्री के एक वीडियो में मेजर जनरल जीडी बख्शी का भी मज़ाक बना चुके हैं। शेखर ने कुत्ते-बिल्लियों की तरह आवाज़ें निकालते हुए दावा किया था कि मेजर जनरल गगनदीप बख्शी इसी तरह न्यूज़ डिबेटों में हिस्सा लेते हैं। सोशल मीडिया पर अभिनन्दन के ताज़ा ट्वीट के बाद लोगों ने भी उन्हें चेताया कि पुरानी ख़बर को बिना तारीख बताए शेयर कर के भरम फैलाने की कोशिश न करें।

डु प्लेसी जी, जिस IPL को आप कोस रहे हैं, उसी से रशीद खान और नबी स्टार बन रहे हैं

एक कहावत है, “धोबी से पार न पाए, गदहे के कान मरोड़े”। यह पूरी तरह से चरितार्थ होता है विश्व कप से बाहर होने के मुहाने पर खड़ी दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट टीम के कप्तान फाफ डु प्लेसी पर, जो अपनी टीम के खराब प्रदर्शन का ठीकरा आईपीएल के सर फोड़ना चाहते हैं। पाकिस्तान के हाथों सात में से अपना पाँचवाँ मैच हारने के बाद दक्षिण अफ़्रीकी कप्तान ने कहा कि आईपीएल के चलते उनके खिलाड़ी, और खासकर उनके मुख्य गेंदबाज कैगिसो रबादा को ठीक से आराम करने का मौका नहीं मिला और इसीलिए रबादा की गेंदबाजी सुस्त रही।

थके ज़रूर हैं आपके खिलाड़ी, लेकिन आईपीएल से नहीं, ‘बोझ’ से

यह पूरी तरह सच है कि रबादा ही नहीं, मौजूदा विश्व कप में सबसे थके, सुस्त खिलाड़ियों की पूरी जमात दक्षिण अफ्रीकियों की ही है। लेकिन इसके लिए किस हद तक आईपीएल दोषी है, और कितना दोष इस तथ्य का है कि आधी से अधिक दक्षिण अफ़्रीकी टीम ही ‘नौसिखिया’ है, और बेंच स्ट्रेंथ बनाने पर दक्षिण अफ्रीका के खेल प्रशासकों ने ध्यान ही नहीं दिया? पिछले विश्व कप के पहले जैक्स कैलिस के रिटायरमेंट के बाद से ही बड़े खिलाड़ियों की टीम से विदाई एक-एक कर हो रही है, और उनकी जगह लेने के लिए नए खिलाड़ी नहीं आए।

अगर पिछले विश्व कप से ही तुलना करें तो इस बार कई बड़े दक्षिण अफ़्रीकी नाम टीम का हिस्सा नहीं हैं- मोर्ने मोर्केल, डेल स्टेन, एबी डिविलियर्स, वेन पर्नेल, वर्नोन फिलेंडर। यह सब केवल स्टार भर ही नहीं थे- इन बड़े खिलाड़ियों की जमात के होने का मतलब था कि अगर एक कोई किसी दिन न भी चले तो उस दिन कोई दूसरा तो है प्रदर्शन करने के लिए। इस बार दक्षिण अफ्रीका के साथ ऐसा नहीं है। इस बार अगर रबादा मान लिया जाए कि आईपीएल खेल-खेल कर थक गए, तो उनकी जगह कोई नहीं था उनके स्तर का प्रदर्शन कर सकने वाला। और यह बेंच स्ट्रेंथ बनाना, यह एक ही खिलाड़ी पर से निर्भरता कम करना, वेन पर्नेल और वर्नोन फिलेंडर जैसे खिलाड़ियों को विश्व कप से बाहर करते समय यह जिम्मेदारी लेना कि जिसे बदले में ला रहे हैं, वह भी गच्चा न दे जाए- यह सब रबादा की नहीं, बोर्ड की, चयनकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है।

इसी आईपीएल की पैदाइश मुहम्मद नबी और रशीद खान भी हैं

इसी विश्व कप में एक भी मैच न जीतने वाली अफगानिस्तान भी है, जो शायद सबसे ज़्यादा दिल जीत रही है- क्योंकि वह लड़ती हुई दिख रही है, संघर्ष करती दिख रही है। यहीं इसके उलट डु प्लेसी के खिलाड़ी जीतने के लिए नहीं, खेलने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। और इसी आईपीएल में सबका ध्यान खींचने वाले मुहम्मद नबी और रशीद खान अपनी राष्ट्रीय टीमों के लिए भी वैसा ही प्रदर्शन कर रहे हैं। डु प्लेसी को सोचना चाहिए ऐसा क्यों है।

संक्रमण काल के लिए सही तैयारी न करना है असली वजह

दक्षिण अफ्रीका की पतली हालत की असली वजह है संक्रमण काल, जो हर टीम के साथ लगभग एक-डेढ़ दशक बाद आता रहता है। एक साथ कई सारे बड़े खिलाड़ी या तो ढलान पर होते हैं, या रिटायर होने लगते हैं, और युवाओं की फ़ौज उनकी जगह लेने के लिए तुरंत-तुरंत तैयार नहीं होती। ऐसे में चयनकर्ताओं और बोर्ड की जिम्मेदारी होती है कि बड़े खिलाड़ियों के साथ बैठकर उनके भविष्य पर बात करें, उनके लिए बाकायदा ‘रिटायरमेंट प्लान’ तैयार करें, और उनके कैरियर के अंतिम दौर में उन्हें अधर में छोड़ने या टीम से पूरी तरह बाहर करने की बजाय उस दौर को थोड़ा लम्बा खींचने की कोशिश करें, ताकि वह खिलाड़ी भले ही पूरे समय उपलब्ध न हो लेकिन अहम मौकों पर जब तक उसका विकल्प नहीं मिलता, वह रहे।

यही भारत में सचिन, द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के साथ किया गया। उन्हें अपनी मर्जी की महत्वपूर्ण सीरीजों में खेलने की छूट थी, न कि ‘या तो हर मैच के लिए उपलब्ध रहो, या निकल जाओ’ का दबाव। सहवाग को सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में न होने के बावजूद 2011 के अहम विश्व कप में रखा गया, और टीम की खिताबी जीत में उनका योगदान रहा। और यह केवल भारत नहीं, कमोबेश हर टीम ऐसा ही करती है। इसका इकलौता अपवाद ऑस्ट्रेलिया है, जो बड़े-से-बड़े कप्तान और खिलाड़ी को उसका चरम निकल जाने के बाद नहीं बर्दाश्त करता। लेकिन इसके लिए उसके पास योजना होती है, बेंच स्ट्रेंथ होती है। इसीलिए ऑस्ट्रेलिया के ‘स्वर्णिम प्रतिमान’ (गिलक्रिस्ट, वॉ बंधु, पोंटिंग, शेन वॉर्न, मैक्ग्रा) आदि के बिना भी, ऑस्ट्रेलिया के खुद के मानक पर कमज़ोर होते हुए भी माइकल क्लार्क की टीम विश्व कप जीत ले गई।

अब दक्षिण अफ्रीका के पास ऑस्ट्रेलिया जैसी बेंच स्ट्रेंथ भी नहीं है, और जब टीम की ख़राब हालत का पूर्वानुमान कर रिटायर हो चुके एबी ने विश्व कप के लिए लौटने का प्रस्ताव दिया तो उसे भी प्रबंधन ने ठुकरा दिया। वह भी तब जबकि कप्तान डु प्लेसी और कोच ओटिस गिब्सन एबी की वापसी चाहते थे। दुधारू गाय की लात खाई जाती है, अपने भूखे होने पर उसके सींग की नुक्ताचीनी नहीं की जाती। गांगुली, जवागल श्रीनाथ को रिटायरमेंट से निकाल कर ले आए और 2003 विश्व कप में वह भारत को फाइनल तक पहुँचाने वाले सबसे अहम खिलाड़ियों में एक साबित हुए। आईपीएल को दोष देना असली समस्याओं को नकारना होगा।

दिल्ली ट्रिपल मर्डर: 3 गायब मोबाइल और 2 ग्लास शराब से खुलेंगे राज़, खुशबू का परिचित था हत्यारा?

दिल्ली ट्रिपल मर्डर मामले में नया मोड़ आया है। पुलिस ने मृत नर्स खुशबू के एक क़रीबी को हिरासत में लिया है। बता दें कि कल रविवार (जून 24, 2019) को वसंत विहार के एक फ्लैट में एक बुज़ुर्ग दम्पति की हत्या कर दी गई थी। उन दोनों के साथ उस घर में काम करने वाली नर्स की भी हत्या कर दी गई। जब घर का कामकाज करने वाली सहायिका वहाँ पहुँची तो उसने देखा कि तीनों की लाश पड़ी हुई है। पुलिस को शक है कि कातिल कोई क़रीबी व्यक्ति ही है। ट्रिपल मर्डर को लूटपाट का रूप देने के लिए हत्यारों ने सामान भी इधर-उधर बिखेर दिए थे ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके और जाँच सही एंगल से न हो।

पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है, उसका नाम नित्यम है। पूछताछ में वह पुलिस को लगातार गुमराह कर रहा है। नर्स खुशबू नौटियाल से उसके क़रीबी सम्बन्ध थे। मृत बुजुर्ग माथुर दम्पति की एक बेटी भी है, जो ग्रेटर कैलाश में रहती हैं और समय मिलते ही अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए पहुँच जाती थीं। उन्होंने बताया कि घर में से कोई भी सामान चोरी नहीं हुई है। बुजुर्ग दम्पति सरकारी कर्मचारी थे और एनडीएमसी में कार्यरत थे। दोनों ही काफ़ी दिनों पहले रिटायर हो चुके थे। उनकी बेटी भी एनडीएमसी में ही कार्यरत हैं।

हालाँकि, पुलिस ने इस मामले में नित्यम के किरदार को लेकर तो अभी कुछ नहीं कहा है लेकिन इतनी जानकारी ज़रूर मिली है कि वारदात के दिन उसका फोन रात 8.30 बजे स्विच ऑफ हो गया था। बुजुर्ग दम्पति का फोन रात के 1.30 बजे ऑफ हुआ और सबसे बड़ी बात यह है कि इसके ठीक 20 मिनट बाद खुशबू का मोबाइल फोन भी ऑफ हो गया। यही वो वक़्त था, जिसके आसपास तीनों की हत्या हुई। हत्या के बाद तीनों मृतकों के फोन चोरी कर लिए गए। पुलिस का मानना है कि इसे चोरी व लूटपाट के वारदात का रूप देने के लिए फोन चोरी किए गए।

वहाँ से पुलिस को 2 चाय के कप मिले हैं। उनकी फॉरेंसिक जाँच के बाद पुलिस इस बात का पता लगाएगी कि उस पर किसके होठों के निशान हैं। उन कपों के ऊपर किसकी उँगलियों के निशान हैं, इसका भी पता लगया जाएगा। घर में जाँच के दौरान स्टील के 2 ग्लास मिले हैं, जिनमें थोड़ी मात्रा में शराब भरी हुई थी। वहाँ एक सिगरेट का पैकेट भी था, जिसमें बिना जली हुई सिगरेट पड़ी हुई थी। इसके अलावा एक जली हुई बीड़ी भी मिली है। ये मर्डर बड़ी प्लानिंग के साथ किया गया है, मृतकों के फोन तक नहीं छोड़े गए। घर की दीवारों पर कहीं भी ख़ून के छीटें तक नहीं मिले हैं। खुशबू की हत्या करने के लिए उस पर सबसे ज्यादा वार किए गए।

तीनों फोन का सीडीआर खंगालने के बाद पुलिस को पता चलेगा कि ये लोग किन-किन लोगों के संपर्क में थे। इसका अलावा इलाक़े की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। कातिल ने वारदात को अंजाम देने के बाद घर के दरवाज़े पर बाहर से कुण्डी लगा दी थी। जागरण में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, बुजुर्ग दम्पति अपना फ्लैट अपने भतीजे को देना चाहते थे, जिससे उनकी बेटी नाराज़ थी। इसके बाद दम्पति के भतीजे और बेटी-दामाद के बीच बहस भी हुई थी। इसीलिए पुलिस प्रॉपर्टी विवाद के एंगल से भी जाँच कर रही है। अब तक 8 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।

दैनिक जागरण के दिल्ली संस्करण में छपी ख़बर

बुजुर्ग दम्पति रोज़ साढ़े 8.30 से 9 बजे के बीच अपनी बेटी से वीडियो कॉल पर बात करते थे। इस कार्य में खुशबू उनकी सहायता करती थी। पुलिस को शक है कि कहीं खुशबू ने ही तो अपने किसी परिचित को नहीं बुलाया था? पुलिस की थ्योरी के अनुसार, हो सकता है कि दोनों में विवाद हुआ हो और हत्यारे ने खुशबू की हत्या करने के बाद ख़ुद के बचने के लिए बुजुर्ग दम्पति की भी हत्या कर दी हो। घर में कामकाज करने वाली नौकरानी बबली से भी पूछताछ की जा रही है।

असम की नाबालिग लड़की का अपहरण करने के ज़ुर्म में जाबेद अहमद गिरफ़्तार

असम पुलिस ने 23 जून 2019 को, 12 वर्षीय बच्ची के अपहरण के 11 दिनों के बाद महाराष्ट्र में नासिक के एक होटल से उसे सुरक्षित बचा लिया। बच्ची असम के होजई ज़िले की रहने वाली है।

असम के वित्त और स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्विटर पर यह खबर शेयर की और अपहरणकर्ता का पता लगाने और लड़की को सुरक्षित बचाने के लिए पुलिस की त्वरित कार्रवाई के लिए उनकी सराहना की।

ख़बर के मुताबिक़, 12 जून को बलिराम की छोटी बेटी गीता (बदला हुआ नाम) का अपहरण होजई के जमुनामुख से जाबेद अहमद ने कर लिया था। काफ़ी खोजबीन के बाद असम पुलिस ने लड़की को नासिक के एक होटल से सुरक्षित बचा लिया।

दरअसल, 12 जून, 2019 को गीता अचानक लापता हो गई थी, जिसके बाद उसके परिवार द्वारा एक FIR दर्ज कराई गई। पीड़ित परिवार द्वारा दर्ज कराई गई शिक़ायत के आधार पर, पुलिस ने अपनी जाँच प्रक्रिया तेज़ कर दी और आख़िरकार महाराष्ट्र के नासिक में बच्ची का पता लगा लिया और उसे बचा लिया। उसी गाँव के रहने वाले एम डी जाबेद अहमद पर बच्ची को अगवा करने और उसे महाराष्ट्र ले जाने का आरोप है।

कॉन्ग्रेस नेता संसद में हुए ‘अधीर’: PM मोदी और अभिनंदन पर की आपत्तिजनक टिप्पणी

लोकसभा में आज (जून 24, 2019) कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। कॉन्ग्रेस नेता ने इंदिरा गाँधी और पीएम मोदी की तुलना के संदर्भ में कहा, ”कहाँ माँ गंगा और कहाँ गंदी नाली।” अधीर के इस विवादित टिप्पणी पर भाजपा सांसदों ने काफी हंगामा किया।

दरअसल, ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना स्वामी विवेकानंद से की थी। जिसके जवाब में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की तुलना स्वामी विवेकानंद से करना ग़लत है। सिर्फ नाम नरेंद्र होने से दोनों को एक समान नहीं बताया जा सकता है। तभी वहाँ बैठे कुछ भाजपा सांसदों ने कहा कि आप भी तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को भारत (इंडिया) बताते थे। इस दौरान चौधरी अपनी बात रखते हुए भाषा पर नियंत्रण नहीं रख पाए और उन्होंने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इंदिरा गाँधी की तुलना माँ से किया तो वहीं पीएम मोदी के लिए गंदी नाली शब्द का इस्तेमाल किया।

अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी के खिलाफ की आपत्तिजनक टिप्पणी (साभार: HCN)

अधीर रंजन द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को आप वीडियो में 1:10 से 1:15 सेकेंड के बीच सुन सकते हैं।

इसके साथ ही लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा की सरकार पर झूठ बोलकर सत्ता में आने का आरोप लगाया और पीएम से सवाल भी किया कि क्या वो अभी तक 2जी और कोयला घोटाले में किसी को पकड़ पाए हैं? उन्होंने पूछा, “आप सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को सलाखों के पीछे भेज पाए? आप उनको चोर कहते हुए सत्ता में आए तो अब वो संसद में कैसे बैठे हैं?”

अधीर रंजन ने विंग कमांडर अभिनन्दन को सम्मानित करने का तंज कसा और साथ ही उनकी मूंछों को राष्‍ट्रीय मूँछ घोषित करने की भी पेशकश की। उन्होंने कहा, “विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को सम्‍मान मिलना चाहिए और उनकी मूंछों को राष्‍ट्रीय मूंछ घोषित किया जाना चाहिए।”

गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी: जेल में डेरा प्रेमी की सरिए व ईंट-पत्थर से हत्या, माहौल तनावपूर्ण

2015 में गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी के मामले में मुख्य आरोपित डेरा प्रेमी महिंदरपाल सिंह उर्फ़ बिट्टू की नाभा जेल में बंद 2 सिख युवकों ने सरिए व ईंट पत्थर से हमला करके हत्या कर दी, जिसके बाद डेरा प्रेमी भड़क गए और सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की 45 सदस्यीय कमेटी ने ऐलान किया है जब तक बिट्टू के हत्यारों पर कार्रवाई नहीं होती तब तक वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगें।

खबरों के अनुसार शनिवार (जून 22, 2019) को बिट्टू जेल में हो रहे निर्माण स्थल के करीब घूम रहा था कि तभी गुरसेवक और मनिंदर सिंह नामक कैदियों ने उसपर सरिये और ईंट से हमला कर दिया। वे दोनों महिंदर को तब तक पीटते रहे जब तक वह बेसुध होकर गिर नहीं गया। हमले की खबर मिलते ही जेल अधिकारी महिंदर को दोनों युवकों की पकड़ से छुड़ाने वहाँ पहुँचे। हमलावरों से बिट्टू को छुड़वाया गया और फिर सिविल अस्पताल में पहुँचाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत करार दे दिया।

पोस्टमार्टम के बाद रविवार (जून 23, 2019) की सुबह महिंदरपाल का मृत शरीर कोटकपुरा लाकर डेरा सच्चा सौदा के नाम चर्चा घर में रखा गया, जहाँ काफ़ी संख्या में डेरा प्रमियों ने महिंदरपाल को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान अंतिम संस्कार को लेकर दिनभर चली अटकलों के बीच कमेटी ने अंतिम संस्कार न करने का निर्णय लिया और माँग रखी कि सभी डेरा प्रेमियों पर दर्ज बेअदबी के केस रद्द करने और उन 2 कैदियों पर कार्रवाई करने की सूरत में ही महिंदरपाल का दाह संस्कार किया जाएगा।

राज्य में बिगड़ते माहौल को देखकर इलाके में रैपिड एक्शन फोर्स और बीएसएफ के जवान तैनात किए गए हैं। पुलिस और प्रशासन के मुख्य अधिकारी भी मौक़े पर पहुँचे हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इस मामले में जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सहायक जेल सुपरिंटेंडेंट अजमेर सिंह (इंजार्च स्पेशल सिक्योरिटी सेल), बैरक प्रभारी मेजर सिंह व अमन गिरी और संतरी लाल सिंह को निलंबित कर दिया है। साथ ही जेल सुपरिंटेंडेंट बीएस भुल्लर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए होम सेक्रेटरी को पत्र लिखा है।

फिलहाल हत्या के आरोपित मनिंदर सिंह के घर पर पुलिस तैनात कर दी गई है। मनिंदर की माँ का कहना है कि उन्हें जेल में हुई घटना की जानकारी नहीं है कि ये सब क्यों और कैसे हुआ, लेकिन मनिंदर अक्सर कहता था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के साथ हुई बेअदबी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल अमृतसर मान दल समेत अन्य सिख संगठनों ने मनिंदर की माता-पिता को सिरोपा डालकर सम्मानित भी किया है।

न्यूज 18 की खबर के अनुसार बिट्टू के परिवारवालों ने आरोप लगाया है कि इस हत्या के पीछे बहुत बड़ी साजिश है। महिंदर के बेटे अमरिंदर सिंह के मुताबिक जब उसके पिता को 2018 में गिरफ्तार किया गया था तो पहले उन्हें फरीदकोट जेल में रखा गया, बाद में उन्हें नाभा जेल भेज दिया गया, लेकिन परिवार के कहने पर नाभा जेल से उन्हें दोबारा फरीदकोट में भेज दिया गया। लेकिन उनकी जान को खतरे की आशंका के चलते पिछले साल अक्टूबर में महिंदर को नाभा जेल दोबारा भेज दिया गया। खबरों के अनुसार उन्हें वहाँ स्पेशल बैरक में रखा गया था, जिसमें 3 दरवाजे थे और तीनों लॉक थे, किसी से भी उनकी मुलाकात कड़ी सुरक्षा में कराई जाती थी, साथ ही उनकी बंदी का समय भी बाकी जेल के कैदियों से अलग था।

बता दें ताजा खबर के मुताबिक महिंदरपाल बिट्टू के कत्ल की जिम्मेदारी गैंगस्टर दविंद्र बंबीहा ग्रुप ने ली है। सोशल मीडिया पर डाले एक पोस्ट में लिखा है कि इस वारदात को उनके समूह के लोगों ने अंजाम दिया है। ऐसे में जेल या फिर पुलिस के अधिकारी उनके साथी गुरसेवक और मनिंदर के साथ कोई भी ज्यादती करते हैं तो वह अपने घर परिवार की सुरक्षा के बारे में सोच लें।

मुस्लिम डॉक्टर के 4000 बौद्ध महिलाओं की चोरी से नसबंदी करने पर भड़के बौद्ध धर्मगुरु

श्री लंका के बौद्ध धर्मगुरु वारकागोडा ज्ञानरत्न तेरो ने 4,000 बौद्ध महिलाओं की गुप्त नसबंदी की कड़ी आलोचना की है। इस कृत्य की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नीच काम करने वाला अगर बौद्ध होता तो श्री लंका के पारम्परिक कानून के अंतर्गत उसे ज़िंदा ही टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया होता। उन्होंने अपने अनुयायियों को रासायनिक नसबंदी से बचने के लिए मुस्लिम प्रतिष्ठानों में खाना न खाने की भी अपील की।

‘वे हमसे प्यार नहीं करते, हमारे समुदाय को ज़हर देते हैं’

सिंहली में दिए गए इस भाषण में उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय उनसे (सिंहलियों, बौद्धों से) प्रेम नहीं करता। मुस्लिम समुदाय ने उनके लोगों (बौद्धों) को ज़हर देकर उन्हें नष्ट करने की कोशिश की है। उन्होंने बौद्धों से खुद को बचाने के लिए उनकी दुकानों का बहिष्कार करने और विशेषतः उनके भोजनालयों से खाना न खाने (क्योंकि उस भोजन में नसबंदी वाले रसायन हो सकते हैं) की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि जो युवा लोग मुस्लिमों की दुकानों पर खा रहे हैं, ऐसा सम्भव है कि वह जैविक माता-पिता न बन पाएँ

उन्होंने डॉक्टर मोहम्मद सियाब्दीन का उदाहरण दिया जिस पर 4,000 बौद्ध महिलाओं की डिलीवरी के दौरान उनकी नसबंदी कर देने का आरोप है। श्री लंकाई मीडिया के मुताबिक 1,000 से अधिक पीड़ित महिलाएँ सामने आ चुकीं हैं। डॉक्टर पर ईस्टर धमाकों के आरोपी संगठन एनटीजे का सदस्य होने का भी आरोप है। उन्होंने आरोप लगाया कि वह डॉक्टर हज़ारों बच्चों का हत्यारा है और ऐसे गद्दारों को आज़ादी से घूमने का अधिकार नहीं होना चाहिए

‘महिला श्रद्धालुओं को लगता है उसे पत्थर मारने चाहिए’

महिला श्रद्धालुओं के उद्गार प्रकट करते हुए भिक्खु तेरो ने बताया कि उनकी महिला श्रद्धालुओं ने ऐसा काम करने वाले को पत्थरों से मार डालने की राय प्रकट की है। वहीं अपनी राय रखते हुए तेरो ने कहा कि ऐसा करने वाला अगर बौद्ध होता तो उसे जिन्दा ही टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया होता। उन्होंने किसी एक पार्टी पर श्री लंकाई नस्ल के भविष्य को लेकर भरोसा करने की बजाय ऐसे सांसदों का निर्वाचन करने की अपील की जो श्री लंका के बारे में सोचते हों और उससे प्रेम करते हों। उन्होंने श्री लंकाई संसद के पूर्व स्पीकर चमाल राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने की संभावना पर भी ख़ुशी जताई।

पत्नी और बच्चों के सामने माओवादियों ने दिनदहाड़े पुलिसकर्मी की हत्या की

एक ख़ौफ़नाक घटना में, छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में रविवार (23 जून) को दिन के उजाले में एक साप्ताहिक बाजार में माओवादी आतंकवादियों द्वारा एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई।

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, यह घटना रविवार दोपहर करीब 2 बजे की है जब सहायक कॉन्स्टेबल चैतू कादती अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मितुर गाँव के बाज़ार में गए थे। नक्सलियों ने मितुर गाँव में परिवार और अन्य लोगों के सामने पुलिसकर्मी को चाकू मार दिया।

माओवादियों की एक छोटी ‘एक्शन टीम’ ने अचानक चैतू कादती पर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए, जिससे उनकी मौक़े पर ही मौत हो गई। हालाँकि, माओवादी नक्सलियों ने कादती के परिवार के अन्य सदस्यों को कोई हानि नहीं पहुँचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की और फिर बिना किसी डर के वो जंगल में वापस चले गए। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में अराजकता का यह स्पष्ट उदाहरण है।

पुलिस के अनुसार, कादती की तैनाती मिर्तुर पुलिस स्टेशन में थी, लेकिन वो नियमित तौर पर माओवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया करते थे। एक अधिकारी ने कहा, “विद्रोही ने उन पर नज़र रखी होगी और उसे पता था कि वह रविवार को अपने परिवार के साथ ‘हाट’ में ख़रीदारी करने जाएँगे।”

इसके आगे अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस की एक टीम घटनास्थल पर पहुँची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि हमलावरों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है। हाल ही में, एक ऐसी ही घटना में, छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले में माओवादियों द्वारा एक पुलिस के मुख़बिर की हत्या कर दी गई थी। 30 वर्षीय पुलिस का मुख़बिर ज़िसे छन्नू सोढ़ी के नाम से जाना जाता है, उस पर इन वामपंथी आतंकवादियों की एक ‘छोटी एक्शन टीम’ ने हमला किया था।

बड़ी खबर: UP में कॉन्ग्रेस ने किया सभी जिला कमिटियों को भंग, नेताओं के ख़िलाफ़ एक्शन की तैयारी

कॉन्ग्रेस पार्टी ने त्वरित रूप से यूपी में सभी जिला कमिटियों को भंग कर दिया है। एक अहम बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। उत्तर प्रदेश की जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहाँ प्रत्येक सीट पर 2 सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो चुनावी तैयारियों को देखेगी। इसके आल्वा तीन सदस्यीय समिति भी बनाई गई है, जो चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ आई अनुशासनहीनता की शिकायतों पर काम करेगी और उचित कार्रवाई की सिफ़ारिश करेगी।

उत्तर प्रदेश संगठन को लेकर कॉन्ग्रेस पार्टी ने लिया बड़ा निर्णय

अजय कुमार लल्लू को उत्तर प्रदेश (पश्चिमी) के संगठन में बदलाव करने के लिए पार्टी द्वारा अधिकृत किया गया है। लल्लू कुशीनगर के अंतर्गत आने वाले तमकुही राज विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और लगातार दूसरी बार जीत कर विधायक बने हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए किसी और को अधिकृत किया जाएगा, इसका निर्णय अभी नहीं लिया गया है।

उत्तर प्रदेश में हार के बाद कॉन्ग्रेस संगठन के बेहतर प्रदर्शन के लिए लगातार आत्ममंथन जारी है। कई अहम बैठकें ख़ुद पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी ने भी की। पार्टी में प्रियंका को बड़ा रोल देने की माँग की जा रही है।