Wednesday, June 26, 2024
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रॉबर्ट वाड्रा बोले- राजनीति में आउँगा, भाजपा ने कहा- ‘सर्कस’ में बस ‘जोकर’ की एंट्री बाकी थी

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की बहन प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के राजनीति में एंट्री करने की अटकलों पर बयानबाजी शुरू हो गई है। मुरादाबाद में आजकल रॉबर्ट वाड्रा के होर्डिंग व पोस्टर लगे हैं। इन सभी पोस्टर में उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया है। भाजपा नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने इसे लेकर जहाँ कॉन्ग्रेस पर जबरदस्‍त तंज कसा है, वहीं कॉन्ग्रेस नेता संदीप दीक्षित का कहना है कि हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ का सामना कर रहे वाड्रा ने भी सक्रिय राजनीति में आने का संकेत क्या दिया, उनको लोकसभा चुनाव लड़ाने की माँग होने लगी।

राजनीति में आने की अटकलों पर रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, “पहले मुझे आधारहीन आरोपों से मुक्त होना है। उसके बाद मैं इस मामले (राजनीति में आने पर) पर काम करना शुरू करूँगा। अभी कोई जल्द नहीं है।”

रॉबर्ट वाड्रा के लोकसभा चुनाव लड़ने से संबंधित पोस्टर मुरादाबाद में लगने पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “ये जो P-R (प्रियंका-राहुल) का सियासी सर्कस है, इसमें जोकर की एंट्री बाकी थी। अब जोकर की एंट्री दिखाई पड़ रही है।”

मुरादाबाद के युवाओं में वाड्रा को लेकर काफी जोश नज़र आ रहा है। युवा कॉन्ग्रेस की ओर से लगाए गए पोस्टर पर लिखा है कि रॉबर्ट वाड्रा मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए आपका स्वागत है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी बढ़ने लगी है। कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के सक्रिए राजनीति में उतरने के बाद अब उनके पति रॉबर्ट वाड्रा के सियासी मैदान में एंट्री को लेकर हलचल तेज हो गई है।

वहीं, कल ही कॉन्ग्रेस पार्टी के सहयोगी महान दल जनता से अपील करती दिखी थी। ‘महान दल’ के अध्यक्ष केशव देव मौर्य वोटर्स से अपील कर रहे थे कि वोट देने के लिए प्रत्याशी मत देखना, चाहे वह कोई भी हो, अच्छा हो, बुरा हो, खराब हो, बाहर का हो, भीतर का हो, पाकिस्तान से भी आकर लड़े, बस हाथ का पंजा देखकर ही उसी को वोट देना। यह मात्र संयोग ही हो सकता है कि रॉबर्ट वाड्रा इनमें से ज्यादातर शर्तों पर एकदम ‘फिट’ नजर आते हैं।

मध्य प्रदेश: कॉन्ग्रेस MLA के बेटे ने बरसाई गोलियाँ, CCTV में क़ैद हुई घटना

मध्य प्रदेश के सुमावली विधान सभा से कॉन्ग्रेस विधायक हैं ऐंदल सिंह कंसाना। इनके बेटे हैं राहुल सिंह। राहुल आगरा-मुंबई हाइवे पर स्थित छौंदा टोल प्लाजा पर 15-20 बदमाशों के साथ हमला और तोड़-फोड़ करते हुए पाए गए।

दैनिक भास्कर की ख़बर के अनुसार यह घटना शनिवार-रविवार (फ़रवरी 24, 2019) रात की है। जब पूरा वाकया सीसीटीवी कैमरे में क़ैद हो गया। पुलिस का कहना है कि इन बदमाशों ने टोल के ऑफिस पर क़रीब पाँच मिनट तक ताबड़तोड़ गोलियाँ बरसाई। परिस्थिति को गंभीर होता देख वहाँ मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स ने इन बदमाशों पर जवाबी गोलीबारी की।

साभार: दैनिक भास्कर

दोनों तरफ से चली गोलियों में एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। मुरैना के एसपी रियाज़ इक़बाल के मुताबिक़ विधायक ऐंदल सिंह कंसाना के बेटे राहुल सहित 15-20 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ 307 धारा के तहत केस दर्ज किया गया है। घटना को अंजाम देने के बाद से ही अपराधी फरार हैं।

इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए टोल मैनेजर भगवान सिंह सिकरवार ने बताया कि रात के साढ़े 10 बजे राहुल उन्हें फोन करके धमकी दे रहा था कि टोल से उसकी और उसके नाम से जितनी भी गाड़ियाँ निकलेंगी, उनसे कोई शुल्क ना लिया जाए।

लेकिन, सीनियर मैनेजर द्वारा इस बात की मनाही के बाद राहुल अपने 15-20 साथियों के साथ वहाँ पहुँचा और जमकर गोलीबारी की। गोलीबारी की आवाज़ सुनते ही वहाँ पर हड़कंप मच गया और वहाँ मौजूद सभी कर्मचारी बूथ छोड़कर भागने लग गए। साथ ही उस हाइवे से गुज़रने वाले सभी वाहन भी अपनी जगह पर खड़े रह गए।

मामले के तूल पकड़ने के बाद कॉन्ग्रेस विधायक का बयान आया है कि फायरिंग के वक्त उनका बेटा टोल पर गया ही नहीं। साथ ही विधायक ने टोल टैक्स ठेकेदार की FIR को भी झूठा करार दिया।

पत्थरबाजी से सुरक्षाबलों का होता है मानवाधिकार हनन, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज़ो से सुरक्षाबलों की सुरक्षा की माँग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने 19 वर्षीय प्रीति केदार गोखले और 20 वर्षीय काजल मिश्रा द्वारा दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को भी नोटिस जारी किए।

याचिका में सुरक्षाबल के मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए एक नीति तैयार करने की माँग भी की गई है। इस याचिका में सुरक्षा बलों पर ड्यूटी के दौरान भीड़ द्वारा पत्थरों से होने वाले हमलों का ज़िक्र किया गया है। बता दें कि जब सुरक्षाबल आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में लगे हुए होते हैं तब कई बार उन पर स्थानीय युवकों द्वारा पत्थरबाज़ी की जाती है। ऐसा करने के पीछे मक़सद यह होता कि सुरक्षा बलों का ध्यान भटकाया जाए और आतंकवादियों को भागने का मौक़ा मिल सके।

दोनों याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऐसी घटनाओं से जवानों के कर्तव्य पालन में बाधा तो आती ही है, साथ में उनकी तैनाती की जगह पर उनकी सुरक्षा को भी ख़तरा होता है।

जैश पर प्रतिबंध: फ्रांस है भारत के साथ, मसूद अज़हर के भाई व कमांडरों पर भी कसेगी नकेल!

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को सबक सिखाने की कोशिशों में भारत को फ्रांस का साथ मिला है। पिछले दिनों फ्रांस सरकार के सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी थी कि संयुक्त राष्ट्र संघ में जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित करने के लिए फ्रांस प्रस्ताव पेश करेगा। इसके अलावा भारत-फ्रांस मिलकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के ख़िलाफ़ पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं।

ख़बरों के अनुसार, जैश के सरगना मसूद अज़हर के साथ-साथ उसके भाई अब्दुल रौफ़ असगर और अन्य जैश कमांडरों के ख़िलाफ़ भी संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के साथ पठानकोट हमले के आरोपी असगर को भी प्रतिबंधित करने के लिए सरकार डॉजियर तैयार कर रही है।

फ़िलहाल यह देखना बाक़ी है कि अब्दुल रौफ़ असगर और जैश के अन्य आतंकियों को यूएन के सेक्शन 1267 के तहत प्रतिंबधित सूची में शामिल करने के लिए अलग से प्रस्ताव रखा जाएगा या अज़हर के लिए पेश किए जाने वाले प्रस्ताव में ही उसका नाम शामिल कर लिया जाएगा।

भारत ने ऐसी तमाम कोशिशें की हैं, जिससे जैश के अन्य कमांडरों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल कराया जा सके। लेकिन भारत की इन कोशिशों में चीन ने हमेशा ही अड़ंगा लगाया है। इस बार भी संशय बरक़रार है। कहीं ऐसा न हो कि भारत के पक्ष में फ्रांस की कोशिशों में चीन अपनी टांग अड़ा दे।

याद दिला दें कि पिछली बार 2017 में मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर चीन ने ही वीटो लगाया था और कहा था कि ऐसा करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। तब भारत ने इसे सेलेक्टिव अप्रोच और डबल स्टैंडर्ड बताकर चीन की आलोचना की थी और कहा था कि इससे आतंकवाद से जंग जीतने की अंतरराष्ट्रीय प्रयास कमज़ोर होते हैं। पुलवामा हमले के बाद भी जैश के प्रमुख मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में चीन ने ही अपने पाँव पीछे किए थे।

अब यह साफ़ हो चला है कि अगर चीन असगर और अन्य जैश कमांडरों को प्रतिबंधित करने वाले प्रस्ताव के साथ भी यही रवैया अपनाता है तो निश्चित तौर पर उसे अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी। बता दें कि अज़हर का भाई असगर न सिर्फ़ पठानकोट हमले में शामिल था बल्कि वह भारत के ख़िलाफ़ अपने अभियान में अज़हर से भी अधिक प्रभावशाली रहा है। हाल ही में असगर ने भारत पर हमले की बात कही थी। कश्मीर एकजुटता दिवस के दिन असगर ने कहा भी था कि वह भारत को आतंकित करना चाहता है। असगर के अलावा इब्राहिम अतहर और शाहिद लतीफ का नाम प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित किया जा सकता है। दोनों ही पठानकोट हमले का आरोपी है।

फ्रांस ने अपने प्रयासों के लिए अन्य यूरोपीय देशों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। वहीं पाकिस्तान ने भी अपने मित्र देशों के साथ मेल-जोल बढ़ा दिया है, जिससे वो फ्रांस की इस पहल में बाधा उत्पन्न कर सके।

शौर्य को सलाम: वकालत छोड़ सेना में लेफ्टिनेंट बनेंगी बलिदानी मेजर की पत्नी, SSB परीक्षा में आईं ‘अव्वल’

भारत-चीन सीमा पर वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सेना के मेजर प्रसाद गणेश महादिक की पत्नी भी अब सेना में शामिल होंगी। उन्होंने सेना में शामिल होने के लिए ज़रूरी सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली है। उन्होंने दूसरे प्रयास में यह परीक्षा उत्तीर्ण की। ‘विडो केटेगरी’ में 16 अभ्यर्थियों में अव्वल आईं गौरी माहादिक अब 49 हफ़्ते की ट्रेनिंग के लिए अप्रैल में चेन्नई रवाना होंगी। क़रीब एक वर्ष के कड़े प्रशिक्षण के बाद उन्हें मार्च 2020 में भारतीय सेना में नॉन-टेक्निकल श्रेणी के तहत लेफ्टिनेंट का पद दिया जाएगा।

गौरी महादिक पेशे से वकील और कंपनी सेक्रेटरी हैं। पति के चल बसने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ कर सेना में जाने का निर्णय लिया। फिलहाल वह मुंबई के एक फर्म में जॉब कर रही हैं। इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ काम कर चुकीं गौरी ने अपने इस निर्णय के बारे में बताते हुए कहा:

“पति के शहीद होने के 10 दिन बाद मैं सोच रही थी कि अब मुझे क्या करना चाहिए। फिर मैंने फ़ैसला किया कि मुझे उनके लिए कुछ करना है और मैं सेना में शामिल होउँगी। मैं उनकी (पति स्वर्गीय प्रसाद महादिक) वर्दी और उनके स्टार को पहनूँगी। मैं चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में प्रशिक्षण के बाद बतौर लेफ्टिनेंट के रूप में अगले साल सेना में शामिल हो जाउँगी। मेरे पति ने भी वहीं ट्रेनिंग ली थी।

SSB की परीक्षा के बारे में बात करते हुए गौरी महादिक ने बताया:

“देश की रक्षा करते हुए बलिदान हुए जवानों की विधवाओं के लिए एसएसबी परीक्षा हुई थी। बेंगलुरू, भोपाल और इलाहाबाद- इन तीन केंद्रों से कुल 16 अभ्यर्थी चुनी गईं। हमें सीडीएस की लिखित परीक्षा से छूट दी गई। हमारा भोपाल में सीधे ओरल टेस्ट हुआ था। परीक्षा केंद्र पर मुझे वही टेस्ट नंबर मिला, जो कि ओटीए में चयन से पहले मेरे पति को मिला था।”

बता दें कि 30 दिसंबर 2017 में गौरी महादिक के पति भारत-चीन सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश के तवांग में ड्यूटी के दौरान एक अग्नि दुर्घटना में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 31 वर्षीय मेजर गणेश महादिक और गौरी महादिक की शादी को उस वक़्त बस 2 वर्ष ही हुए थे। बिहार रेजिमेंट के 7वें बटालियन का हिस्सा रहे मेजर महादिक मार्च 2012 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। जब महादिक का पार्थिव शरीर मुंबई के विरार स्थित उनके आवास पर पहुँचा था, तब उनके पिता ने कहा था कि हरेक नव वर्ष के दौरान उन्हें उनके बेटे का बलिदान याद आएगा।

गौरी महादिक और स्वर्गीय मेजर गणेश

गणेश महादिक का शरीर आग से इतना झुलस गया था कि परिवार वालों को उनके पार्थिव शरीर को पहचानने में भी मुश्किल आ रही थी। मेजर गणेश जब वीरगति को प्राप्त हुए थे, तब गौरी की उम्र मात्र 26 वर्ष थी। मेजर गणेश को संगीत और खेल से ख़ासा लगाव था। वह मैराथन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे। गौरी महादिक के सेना में शामिल होने की ख़बर सुन लोग उनके साहस व हौसले को सलाम कर रहे हैं।

‘दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य पर केजरीवाल की बातें खोखली’

दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की माँग को लेकर 1 मार्च से अरविंद केजरीवाल अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने वाले हैं। इसी मौक़े को आधार बनाते हुए दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने उन पर निशाना साधा है। उन्होंने केजरीवाल को लेकर टिप्पणी की है कि वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के मुद्दे पर केवल ‘खोखली बातें’ कर रहे हैं।

दिल्ली कॉन्ग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने कहा है कि केजरीवाल दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे के बारे में केवल खोखली बातचीत कर रहे हैं। इन बयानबाजी से कुछ भी सामने आने वाला नहीं है।

शीला दीक्षित ने कहा कि सिर्फ संसद की कार्यवाही से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाया जा सकता है और अभी कोई संसद सत्र तो है नहीं, तो वह ऐसा क्यों कर रहे हैं?

पूर्व सीएम का मानना है कि अगर केजरीवाल दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे के विषय में गंभीर थे तो उन्हें 4 साल पहले यह मुद्दा उठाना चाहिए था। लेकिन, वह लोकसभा चुनाव को देखते हुए पूर्ण राज्य का मुद्दा उठा रहे हैं।

अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए महरौली और बदरपुर इलाकों में कॉन्ग्रेस नेता शीला ने कहा कि दिल्ली के लोग मुख्यमंत्री केजरीवाल के खोखले वादों से तंग आ गए हैं।

साथ ही कॉन्ग्रेस नेता शीला दीक्षित ने इस बात को भी दोहराया कि वह लोकसभा के चुनावों में आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन की बात करते हुए लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी भी।

बता दें कि इस हड़ताल पर केजरीवाल ने खुद एक ट्वीट भी किया है कि वह दिल्ली वालों का कर्ज कभी नहीं चुका सकते हैं। दिल्ली वालों के अधिकारों की लड़ाई को उन्होंने गर्व की बात बताते हुए कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा पाने का अधिकार है और उसे यह मिलना ही चाहिए।


‘घर’ ख़रीदने पर अब मात्र 1% GST: मिडिल क्लास को बड़ी राहत

गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल द्वारा रियल स्टेट क्षेत्र में माँग को बढ़ावा देने के लिए निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। साथ ही इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ को समाप्त करने का फ़ैसला किया है। काउंसिल की बैठक में जो फ़ैसला लिया गया है, उसका संबंध घर ख़रीदने वाले लोगों से है। उनके हित में किफ़ायती दर के मकानों पर भी जीएसटी 8% से घटाकर 1% करने का फ़ैसला लिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार (फ़रवरी 24, 2019) को जीएसटी काउंसिल की बैठक सम्पन्न होने के बाद इस फ़ैसले की जानकारी दी।

इस फैसले से दिल्ली-एनसीआर समेत महानगरों में 60 वर्गमीटर और छोटे शहरों में 90 वर्गमीटर कारपेट एरिया और ₹45 लाख तक मूल्य वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर अब मात्र 1 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इससे अधिक क्षेत्रफल वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इन महानगरों में चेन्नई, मुंबई और बेंगलूरु शामिल हैं।

जीएसटी काउंसिल की 33वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं को लग रहा था कि बिल्डर इनपुट टैक्स पर छूट का लाभ उन्हें नहीं दिया जा रहा था। इसलिए रियल एस्टेट क्षेत्र में टैक्स प्रणाली में बदलाव की सिफ़ारिश के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया गया।

वित्त मंत्री ने बताया कि इनपुट टैक्स पर छूट खत्म होने के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र का कारोबार कहीं फिर से पहले की तरह नकद लेन-देन का धंधा ना बन जाए, इसके लिए बिल्डर कंपनियों को निर्माण सामग्री का एक बहुत ऊंचा हिस्सा जीएसटी में पंजीकृत डीलरों से ख़रीदना अनिवार्य किया जाएगा। यह हिस्सा कितना प्रतिशत रखा जाएगा, यह एक समिति द्वारा तय किया जाएगा। मंत्रियों के समूह ने यह सीमा 80 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है।

जानकारी के अनुसार, आवासीय परियोजनाओं पर जीएसटी की ये दरें आगामी 1 अप्रैल से प्रभावी होंगी। वित्त मंत्री ने बताया कि काउंसिल ने फिटमेंट और लॉ कमिटी को रियल स्टेट से जुड़े ट्रांजिशन नियम बनाने के लिए भी कहा है। इस पर संभावना है कि आगामी 10 मार्च तक समिति द्वारा इन नियमों का प्रारुप तैयार कर लिया जाएगा।

बता दें कि ट्रांजिशन नियमों का फ़ायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन्होंने अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट पहले से ही बुक किया हुआ है लेकिन उस प्रोजेक्ट को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट ना मिला हो। जेटली के मुताबिक काउंसिल ने अफोर्डेबल हाउसिंग पर जीएसटी की दर को 8 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने का उद्देश्य रियल स्टेट को बढ़ावा देना तो है ही, साथ ही इससे मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग और कमज़ोर आय वर्ग को घर ख़रीदने में सुविधा भी मिलेगी।

केजरीवाल का बुरा हाल: चंडीगढ़ में खाली कुर्सियों को सुनाना पड़ा भाषण, बेइज्जती देख मिनटों में भागे

रविवार (फरवरी 24, 2019) को चंडीगढ़ में आयोजित आम आदमी पार्टी की रैली बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई। रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के पहुँचने की ख़बर के बावजूद लोग नहीं जुटे। किरकिरी होते देख केजरीवाल ने मात्र 8-9 मिनटों में ही अपना भाषण ख़त्म कर दिया। रविवार को छुट्टी का दिन होने के बावजूद रैली में लोगों की नगण्य उपस्थिति ने आम आदमी पार्टी को सकते में डाल दिया है। चंडीगढ़ के सेक्टर 25 में आयोजित इस रैली में केजरीवाल ने अपना भाषण आनन-फानन में निपटा दिया।

केजरीवाल की रैली में लोगों का न आना अख़बारों में भी चर्चा का विषय बना

खाली कुर्सियाँ देख बौखलाए अरविन्द केजरीवाल ने ज़ल्दबाज़ी में पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी हरमोहन धवन के लिए वोट माँगा और हरियाणा में एक और रैली सम्बोधित करने का बहाना बना कर वहाँ से निकल पड़े। मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़, जो लोग रैली में उपस्थित थे, वो भी स्थानीय नहीं थे। उन्हें बाहर से रैली में लाया गया था। केजरीवाल के जाते ही ये लोग भी रैली स्थल से चलते बने। सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल की इस रैली का खूब मज़ाक बनाया।

केजरीवाल की चंडीगढ़ रैली में खाली पड़ी कुर्सियाँ

बता दें कि चंडीगढ़ से आप के लोकसभा प्रत्याशी वरिष्ठ नेता हरमोहन धवन पहले भाजपा में थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उस समय उन्होंने चंडीगढ़ से ही जीत दर्ज की थी। उस से पहले वह जनता पार्टी के अध्यक्ष भी बने थे। मंच पर केजरीवाल, भगवंत मान, हरमोहन और शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी के बावजूद लोगों का रैली में न आना चर्चा का विषय है। 2014 में चंडीगढ़ से भाजपा की किरण खेर ने जीत दर्ज की थी। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी व पूर्व मिस इंडिया गुल पनाग तीसरे नंबर पर रही थीं। रैली में किरण खेर पर तंज कसते हुए केजरीवाल ने कहा:

“पिछली बार मोदी की हवा थी, इसलिए वे जीत गईं। उसके बाद वे कितनी बार लोगों के बीच आईं। संसद में भी बहुत कम आती हैं। आती हैं तो बोलती नहीं। वे एक एक्ट्रेस हैं। उन्हें मुंबई में फ़िल्में करनी है और उन फ़िल्मों से पैसा कमाना है। उन्हें सांसद का एक स्टेटस सिंबल चाहिए था, जो चंडीगढ़ के लोगों की वजह से उन्हें मिल चुका है। किसी को उनसे मिलना हो तो वे मिलती नहीं। उनसे मिलने के लिए लोगों को मुंबई जाना पड़ता है। क्या उन्होंने कोई स्कूल व अस्पताल बनवाया? क्या किसी बच्चे का एडमिशन करवाया? किसी ग़रीब मरीज़ का इलाज करवाया?”

भाजपा के बाग़ी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने रैली को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का मज़ाक बनाते हुए कहा कि अब दिल की बात होगी। उन्होंने मोदी सरकार को तानाशाही सरकार करार दिया। भगवंत मान ने प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें कभी-कभी शक होता है कि मोदी को चाय बनानी भी आती है या नहीं? रैली में यशवंत सिन्हा के भी उपस्थित रहने की बात कही जा रही थी और पोस्टरों में भी इसका जिक्र किया गया था, लेकिन यशवंत सिन्हा रैली में नहीं पहुँचे।

Period. End of sentence: भारतीय प्रोड्यूसर की फिल्म को मिला ऑस्कर

पीरियड एक ऐसी मासिक प्रक्रिया है जो युवावस्था में कदम रखने वाली हर लड़की की सच्चाई है। फिर भी समाज ने इस आइने को हमेशा से पर्दे में रखने का प्रयास किया। नतीजन इस पर्दे के पीछे असहाय दर्द और परेशानियों से कराहती महिलाएँ न किसी से अपनी शिकायत कर पाईं और न ही अपने लिए कोई कदम उठा पाईं।

भारत में महिलाओं की इसी स्थिति का आकलन करते हुए एक भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने ‘Period. End of sentence’ नाम की फिल्म प्रोड्यूस की। इसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट कैटेगरी फिल्म के लिए ऑस्कर अवार्ड (2019) मिला। इसका निर्देशन मैलिसा बर्टन और रयाक्ता जहताबची ने किया है।

इस अवार्ड के मिलने पर अपनी खुशी को ज़ाहिर करते हुए रयाक्ता ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि पीरियड्स पर बनी फिल्म ने अवार्ड जीत लिया है। साथ ही गुनीत ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम जीत गए। धरती पर मौजूद हर लड़की इस बात को जान ले कि वह देवी है…”

क्या है फिल्म में

यह फिल्म भारतीय महिलाओं की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म है। इसमें पीरियड्स के मुद्दे को उजागर किया गया है। 26 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पास पैड का विकल्प न होने के कारण वो बीमारियाँ की चपेट में आ जाती हैं और मासिक धर्म उनकी मौत का कारण बनता है। साथ ही छोटी बच्चियों को कैसे इस दौरान स्कूल जाने में दिक्कत होती है, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ता है।

इस फिल्म की कहानी हापुड़ में स्थित गाँव की महिलाओं पर केंद्रित है। जिन्हें पैड की सुविधा उपलब्ध नहीं है और उपर्युक्त परेशानियों से उन्हें गुजरना पड़ रहा है। इन परेशानियों को मद्देनजर नजर रखते हुए वहाँ एक पैड मशीन लगाई जाती है, जिसके बाद से महिलाओं को पैड के बारे में पता भी चलता है और वह उसे स्वयं बनाने का फैसला भी करती हैं।

हालाँकि कुछ रूढ़िवादी लोगों द्वारा इस पर आपत्ति जताई जाती है, लेकिन महिलाएँ अपने इरादे से पीछे नहीं हटतीं और परेशानियों का डटकर सामना करती हैं। पैड निर्माण के इस प्रोजेक्ट को विदेश से भी सहायता मिलती है। गाँव में बनने वाली इस सैनिटरी नैपकिन को फ्लाई (Fly) का नाम दिया जाता है। जो दर्शाता है कि सैनिटरी पैड्स के साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों से आजादी मिलती है और वो खुल कर बुलंदियों को हासिल कर सकती हैं।

गुनीत मोंगा द्वारा प्रोड्यूस की गई इस फिल्म का ऑस्कर में बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी अवॉर्ड के लिए ‘ब्लैक शीप’, ‘एंड गेम’, ‘लाइफबोट’ और ‘अ नाइट ऐट दी गार्डन’ फिल्मों से मुकाबला था। लेकिन सबको पछाड़ते हुए उनकी इस फिल्म ने अवार्ड अपने नाम किया। बता दें कि इससे पहले गुनीत ‘लंच बॉक्स’ और ‘मसान’ जैसी फिल्मों को भी प्रोड्यूस कर चुकी हैं।

भारत सख़्त, इमरान पस्त: शांति के लिए PM मोदी से एक और मौक़े की लगाई गुहार

भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को चहुँओर घेरने के प्रयासों के बाद पाकिस्तान के तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं। सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेकर उसकी निंदा करने से लेकर FATF (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने तक- पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने भी पाकिस्तान को घुटनों पर ला खड़ा किया है। ऐसे में, वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के तेवर भी अब ढीले पड़ते दिख रहे हैं। उन्होंने भारत से एक मौक़ा और देने की बात कही है।

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोषियों को न छोड़ने की बात कह भारतीय रुख को स्पष्ट कर दिया था। हाल ही में राजस्थान के टोंक में पाक पीएम इमरान ख़ान के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा था:

“जब पाकिस्तान को नया पीएम मिला तो मैंने उन्हें बधाई दी। जनता उन्हें क्रिकेटर के तौर पर जानती है। मैंने उनसे कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत लड़ाई हो गई। पाकिस्तान को कभी कुछ नहीं मिला, हर लड़ाई हमने जीती। मैंने उन्हें बताया कि हमें ग़रीबी और अशिक्षा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने (इमरान ख़ान) कहा- ‘मोदी जी मैं पठान का बेटा हूँ। मैं सच बोलता हूँ और अपने शब्दों पर कायम रहूंगा। अब वक्त आ गया है कि इमरान खान अपने शब्दों पर खरे उतरें। आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”

मोदी के इस बयान का जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने पुलवामा हमले से जुड़े सबूत की माँग की है और कहा है कि अगर भारत ‘कार्रवाई करने योग्य’ सबूत देता है तो वह उपयुक्त क़दम उठाएँगे। इमरान ख़ान के कार्यालय की तरफ से जारी बयान में सबूत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की बात कही गई है। विगत गुरुवार (फरवरी 19, 2019) को भी ख़ान ने भारत से सबूतों की माँग की थी। साथ ही उन्होंने भारत द्वारा किसी भी कार्रवाई का कड़ा प्रत्युत्तर देने की धमकी भी दी थी। रविवार (फरवरी 24, 2019) को इमरान ख़ान ने अपने बयान में कहा:

“दिसंबर 2015 में पीएम मोदी के साथ मेरी बैठक में, हम एक-दूसरे से इस बात पर सहमत हुए थे कि ग़रीबी उन्मूलन हमारे क्षेत्र के लिए एक प्राथमिकता है। हम किसी भी आतंकवादी घटना द्वारा शांति प्रयासों को पटरी से उतारने की उनकी योजना को सफल नहीं होने देंगे। हालाँकि, पुलवामा से बहुत पहले, ये प्रयास सितंबर 2018 में पटरी से उतर गए थे।”

उधर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत को धमकी देते हुए अपने रुख में बदलाव करने को कहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी पत्र लिख कर हस्तक्षेप की माँग की है। क़ुरैशी ने गीदड़-भभकी देते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान पर बुरी नज़र न डाले। एक तरफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान मोदी से एक और मौक़े की माँग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ उनके विदेश मंत्री भारत को आँखें दिखा रहे हैं। इमरान ख़ान ने यह भी कहा कि भारत में आगामी आम चुनाव के कारण शांति की उम्मीद बहुत कम है।