Wednesday, May 22, 2024
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12 पार्टियों ने किया था EVM से छेड़छाड़ के लिए सम्पर्क: नक़ाबपोश ‘टेक एक्सपर्ट’ का दावा

अमरीका के एक स्वघोषित साइबर विशेषज्ञ, सैयद शूजा, जिन्होंने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को डिज़ाइन करने वाली टीम का हिस्सा होने का दावा किया है, ने लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर दावा किया है कि वह दिखा सकते हैं कि EVM मशीनों को ‘हैक’ किया जा सकता है।

लंदन के इस टेक एक्सपर्ट का दावा है कि EVM मशीनों को हैक किया जा सकता है, यानि EVM से छेड़छाड़ की जा सकती है और 2014 के लोकसभा चुनावों में EVM मशीनों से गड़बड़ी की गई थी। सैयद शूजा का कहना है कि चुनाव आयोग के दावों के बावज़ूद वो EVM मशीनों को हैक कर के दिखा सकता है।

अपने एक लाइव प्रसारण में सैयद शूजा नाम का यह व्यक्ति बता रहा है कि उन्होंने 2009 से लेकर 2014 तक ECIL के लिए काम किया था और उस पर 4 दिन पहले हमला किया गया था। भारतीय मूल के अमरीका टेक एक्सपर्ट सैयद शूजा ईवीएम हैकिंग पर डेमो देने की बात कह रहे हैं। इस व्यक्ति  का कहना है कि इस डेमो के लिए चुनाव आयोग को भी न्यौता दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी यहाँ नहीं पहुँचा है। इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को भी बुलाया गया था, जिनमें से केवल कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल यहाँ पहुँचे हैं।

सैयद शूजा ने दावा किया है कि वह उस टीम का हिस्सा थे, जिसने ईवीएम डिज़ाइन की थी। उनकी डिज़ाइन की गई ईवीएम 2014 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल हुई थी। सैयद शूजा कौन हैं और उनके दावों में कितनी सच्चाई है इसके बारे में फ़िलहाल कुछ साफ नहीं है, जबकि वो दावा कर रहे हैं कि वो इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के पूर्व कर्मचारी भी रह चुके हैं।

उसने कहा कि इस दौरान उसे लगा था कि ईवीएम मशीन के साथ कुछ गड़बड़ हुई है। इस टेक एक्सपर्ट ने अपने बयान में एक बड़ा खुलासा किया है। एक्सपर्ट का कहना है कि जब वो और उनकी टीम बीजेपी के नेताओं से मिलने के लिए हैदराबाद गई तो उनकी टीम पर गोलियाँ चलाई गई, जिसमें शूजा बच गए। शूजा का कहना है कि उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ यह सोचकर एक बैठक की कोशिश की थी, कि वे भाजपा को ब्लैकमेल कर सकते हैं।

शूजा ने दावा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में गड़बड़ हुई थी। उन्होंने कहा, यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सभी जगह धोखाधड़ी हुई। ईवीएम को कम फ़्रीक्वेंसी सिग्नल से बाधित किया जा सकता है। शूजा ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को ECIL की तरफ से निर्देश दिए गए थे कि पता कीजिए EVM हैक हो सकती है या नहीं और यह पता करने के लिए कहा गया था कि ऐसा कैसे होता है। साथ ही उसने कहा कि बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे 2014 में EVM से छेड़छाड़ के बारे में जानते थे, इसीलिए इसके बाद उन्हें मार दिया गया। साथ ही, उन्होंने बताया कि तंज़ील अहमद नमक NIA अधिकारी इस सन्दर्भ में FIR फ़ाइल करने वाला था और उसकी भी मौत हो गई।

सैयद शूजा का कहना है कि वो एक बड़े नामी पत्रकार से मिला था और उसे इस बारे में पूरी कहानी बताई थी। शूजा ने कहा कि टीवी डिबेट में वो पत्रकार हर रात बहुत चिल्लाता है। शूजा ने दावा किया है कि उसे 12 राजनीतिक पार्टियों की तरफ से ईवीएम हैक करने के बारे में पूछा गया। उसने कहा बीजेपी, कांग्रेस, आप, एसपी और बीएसपी समेत राजनीतिक पार्टियां भी  छेड़छाड़ में शामिल थी।

सैयद शूजा ने दावा किया है कि सीनियर जर्नलिस्ट गौरी लंकेश ने उनकी स्टोरी चलाने के लिए हामी भरी थी, लेकिन उनकी हत्या कर दी गई।

खुद को टेक एक्सपर्ट बता रहे शूजा ने दावा किया है कि साल 2014 के चुनाव में कॉन्ग्रेस ने ईवीएम हैकिंग के चलते 201 सीटें गँवाई थी। सैयद शूजा का कहना है कि भाजपा, सपा, बसपा और AAP के अलावा अन्य लोगों ने भी उनसे यह जानने के लिए संपर्क किया कि क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है?

सैयद शूजा के अनुसार, “एसपी, बीएसपी ने पूछा कि क्या वे ईवीएम से कुछ भी कर सकते हैं? हमने कॉन्ग्रेस से संपर्क किया, हमने सोचा कि हम उनकी मदद कर सकते हैं। AAP दुनिया को यह दिखाना चाहती थी कि EVM हैक की जा सकती है”। उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिकी में राजनीतिक शरण ली है, और उन्होंने इसके लिए अमरीका को दस्तावेज़ दिए हैं।

ईवीएम एक्सपर्ट होने का दावा करने वाले इस व्यक्ति का कहना है कि अगर बीजेपी के लोगों पर नज़र नहीं रखी जाती तो बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी ईवीएम हैक करने की कोशिश में थी, जिसके बाद ये लोग इन राज्यों में भी सरकार बना लेते। शूजा का दावा है कि टेलीकॉम कम्पनी रिलायंस जियो ने EVM हैक करने के लिए बीजेपी को कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल उपलब्ध कराए थे।

इसके बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता है। ईवीएम से दूर बैठे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसमें ऐसा कोई भी नेटवर्किंग उपकरण मौजूद नहीं हैं, जिसे ब्लूटूथ या वाई-फाई के ज़रिए एक्सेस किया जा सके। इसलिए ईवीएम से छेड़छाड़ करने के लिए मशीन को खोलने की ज़रूरत पड़ेगी, जिसे चुनाव आयोग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। साथ ही, चुनाव आयोग ने इस पर क़ानूनी कार्रवाई करने की बात है।

हालाँकि, इस लाइव प्रसारण के बाद निर्वाचन आयोग के शीर्ष तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. रजत मूना ने सैयद शूजा के दावे को खारिज़ कर दिया है। आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर और चुनाव आयोग की टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के मेंबर डॉ. रजत मूना ने हैकर के दावे को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि ईवीएम मशीनों से किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है और ये मशीनें टेंपर-प्रूफ हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें ऐसी मशीनें हैं, जिनमें किसी भी प्रकार के वायरलेस संचार के माध्यम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।

यह प्रसारण यूरोप में इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (IJA) की तरफ से आयोजित किया गया था, जिसमें एक भारतीय मूल के अमरीकी साइबर एक्सपर्ट सैयद शूजा को बुलाया गया था। उन्होंने ईवीएम हैकिंग को लेकर कई बड़े दावे किए हैं। सैयद शूजा कौन हैं और उनके दावों में कितनी सच्चाई है इसके बारे में फ़िलहाल कुछ साफ नहीं है।

केजरीवाल का नया धमाका: BJP ने 30 लाख वोटरों के नाम कटवाए

केजरीवाल की राजनीतिक शुरुआत ही आरोपों और सनसनी फैलाने से हुई थी। उनके पास हमेशा दूसरी पार्टियों के ख़िलाफ़ कई बोरे सबूत हुआ करते थे। कुछ सबूत तो वो हमेशा हाथ में लेकर ही चलते थे। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव क़रीब आता जा रहा है। एक बार फिर से आरोप लगाने का दौर शुरू हो गया है।

ताज़ा मामला यह है कि पिछले दिनों केजरीवाल ने एक और दावा किया कि ‘बीजेपी ने दिल्ली में 30 लाख वोटर्स का नाम वोटर लिस्ट से कटवा दिया।’ इसके लिए उन्होंने कई ट्वीट किए।

ये ट्वीट 4 दिसंबर 2018 का है जिसे अरविंद केजरीवाल की तरफ़ से किया गया है। इस ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने लिखा था कि अग्रवाल समाज के 8 लाख वोटर्स हैं जिसमें बीजेपी ने 4 लाख वोटर्स के नाम कटवा दिए।

केजरीवाल के अनुसार – “अग्रवाल समाज के दिल्ली में टोटल 8 लाख वोट हैं। उनमें से लगभग 4 लाख वोट कटवा दिए? यानि 50% । आज तक ये समाज भाजपा का कट्टर वोटर था। इस बार नोटबंदी और GST की वजह से ये नाराज़ हैं तो भाजपा ने इनके वोट ही कटवा दिए? बेहद शर्मनाक।”

एक दूसरे ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने ये भी दावा किया है कि दिल्ली में 30 लाख वोटर्स का नाम बीजेपी ने कटवा दिया जिसमें पूर्वांचल के 15 लाख वोटर्स, 8 लाख मुस्लिम और 3 लाख दूसरे वोटर्स हैं।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल और AAP की  सोशल मीडिया टीम प्रेस के माध्यम से बीजेपी पर यह आरोप लगा रही है कि बीजेपी ने 30 लाख वोटर्स का नाम कटवाया है। आम आदमी पार्टी ये साबित करना चाहती है कि बीजेपी ही दिल्ली में वोटर्स के नाम जुड़वाती और कटवाती है।

बीजेपी ने कहा कि ये दावा सीधे-सीधे चुनाव आयोग की स्वायत्तता को चुनौती है क्योंकि वोटर्स का नाम जोड़ने और काटने का काम चुनाव आयोग का है न कि बीजेपी का।

बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मुक़दमा दायर किया है। इधर भारतीय जनता पार्टी की लीगल टीम के अलावा दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य चुनाव आयोग से मुलाकात कर, उनसे इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ शिकायत की।

बता दें कि आम आदमी पार्टी बार-बार वोटर लिस्ट से नाम कटवाने को लेकर बीजेपी को घसीट रही है। बीजेपी नेताओं ने चुनाव आयोग को दी गई शिकायत के साथ अरविंद केजरीवाल के इस मामले में किये गए ट्वीट भी सौंपे हैं।

आज सोमवार (जनवरी 21, 2019) को बीजेपी ने इसी सिलसिले में पटियाला हाउस कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर कर दिया है।

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, “आखिर ये आँकड़ा केजरीवाल लाए कहाँ से? जबकि चुनाव आयोग के मुताबिक डेढ़ लाख वोटर्स के नाम लिस्ट में और जोड़े गए हैं, 90 हजार वोटर्स के नाम कटे हैं, जिसमें से किसी की मृत्यु हो गई है या फिर कुछ लोगों ने अपना निवास स्थान बदल लिया है।”

रिपोर्ट के अनुसार, मनोज तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली के लोगों को फ़ोन कर ये भ्रम फ़ैलाया जा रहा है कि आपका नाम बीजेपी ने वोटर्स लिस्ट से कटवा दिया था, जिसे अरविंद केजरीवाल ने फिर से जुड़वा दिया है।

बसपा नेता ने खोया आपा, बोले – ‘साधना सिंह का सिर काटने वाले को देंगे ₹50 लाख इनाम’

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता विजय यादव लगातार ऊल-जुलूल बोलते हुए सारी मर्यादाओं को लाँघ रहे हैं। बीते दिनों मायावती के जन्म दिन पर भाजपाइयों को दौड़ा-दौड़ा कर मारने वाले बयान देने वाले पूर्व बसपा विधायक विजय यादव ने इस बार कहा कि बीजेपी विधायक साधना सिंह ने मायावती को अपशब्द कहा था, जो भी साधना का सिर लेकर आएगा उसे ₹50 लाख का इनाम दिया जाएगा।

बता दें कि बीजेपी विधायक साधना सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती पर की गई टिप्पणी के बाद माफ़ी माँगी थी, और कहा था कि उनका किसी का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। अगर उनकी बातों से दुख पहुँचा है तो वो खेद व्यक्त करती हैं।

पहले भी उगल चुके हैं बीजेपी के खिलाफ ज़हर

उत्तर प्रदेश में बसपा की अध्यक्ष मायावती के जन्मदिन पर उनकी पार्टी के नेता विजय यादव ने एक बेहद विवादित बयान दिया था। मायावती के जन्म दिन पर जनसभा को संबोधित करते हुए विजय यादव ने कहा था, “घबराने की जरूरत नहीं है, दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगे बीजेपी को, मरी हुई नानी याद दिला देंगे।”

सपा-बसपा के गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं में और उनके समर्थकों में एक अलग ही ‘स्तर’ का आत्मविश्वास देखने को मिल रहा है। लगातार हर तरफ ऐसे बयान सुनने में आ रहे हैं कि इस गठबंधन ने बीजेपी पार्टी से जुड़े लोगों की नींदें उड़ा दी हैं।

‘नए भारत के निर्माण में भारतीय प्रवासियों की भूमिका’ है 15वें ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के केंद्र में

भारत की आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी में 15वें ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ 2019 का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को इस कार्यक्रम में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ यहाँ शिरकत करेंगे। 21 से 23 जनवरी 2019 तक चलने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन पहली बार वाराणसी में किया जा रहा है। ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ सम्‍मेलन 2019 का विषय है- नए भारत के निर्माण में भारतीय प्रवासियों की भूमिका।

मेहमानों के स्वागत को तैयार है वाराणसी

कार्यक्रम में भाग लेने वाले 400 से अधिक अप्रवासी भारतीय मेहमानों के स्वागत के लिए वाराणसी तैयार है। यहाँ के लोग ‘काशी अतिथि योजना’ के तहत अपने घरों में 1,500 से अधिक मेहमानों के ठहरने और देखभाल की मेज़बानी करेंगे। मेहमानों को घर का पकाया हुआ भोजन परोसा जाएगा। इसके अलावा वे स्थानीय लोगों के साथ पूरा दिन व्यतीत करने और पारम्परिक बनारसी दिनचर्या के भी साक्षी बनेंगे।

विभिन्न खेलों का हो रहा है आयोजन

कार्यक्रम को ज़्यादा से ज़्यादा लोकोन्मुखी और समावेशी बनाने के लिए यहाँ कई खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। 17 जनवरी से, कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, जैसे पारंपरिक खेलों में क्रमशः ₹51,000, ₹25,000, ₹10,000 के नकद पुरस्कारों के साथ प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही हैं।

अटल जी ने लिया था ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाने का निर्णय

पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था। जिसके बाद पहले प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन 9 जनवरी, 2003 को नई दिल्‍ली में हुआ था। ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के आयोजन के लिए 9 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया था, क्‍योंकि वर्ष 1915 में इसी दिन महात्‍मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए थे।

बता दें कि अब ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ का आयोजन हर दो साल में एक बार किया जाता है। यह आयोजन विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय को सरकार के साथ काम करने और अपनी जड़ो से दोबारा जुड़ने का मंच उपलब्‍ध कराता है। सम्‍मेलन के दौरान भारत और विदेश दोनों में विभिन्‍न क्षेत्रों में महत्‍वपूर्ण योगदान देने वाले चुने गए भारतीय प्रवासियों को प्रवासी भारतीय सम्‍मान प्रदान किए जाते हैं।

IIT खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने पता लगाया भारत में जीवन का प्रारंभिक स्रोत

हम धरती की आयु और धरती पर उत्पन्न होने वाले जीवन के कालखंड को कैसे समझ सकते हैं? इसका उत्तर प्रणय लाल ने भारत की नेचुरल हिस्ट्री पर लिखी अपनी पुस्तक ‘Indica: A Deep Natural History of the Indian Subcontinent’ में पुराने जमाने के विज्ञान लेखक निगेल काल्डर को उद्धृत करते हुए लिखा है।

काल्डर कहते हैं कि मान लीजिए 4 अरब 60 करोड़ वर्ष पुरानी पृथ्वी एक 46 वर्षीया महिला है। अब यदि कोई इस महिला की जीवनी लिखेगा तो जन्म के पहले सात वर्ष एक बच्ची के रूप में महिला ने क्या किया इसका कोई प्रमाण उसे उपलब्ध नहीं होगा।

लेकिन जन्म से सात वर्ष बाद के कालखंड में उस महिला के जीवन में क्या-क्या घटित हुआ इसके सबूत मिलने की संभावना अधिक प्रबल है। उसी प्रकार धरती के जन्म के तुरंत बाद क्या हुआ इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है लेकिन धरती के लगभग पाँच अरब वर्षों के जीवन में हाल के दो तीन अरब सालों में क्या-क्या हुआ इसके साक्ष्य ग्रीनलैंड या अफ्रीका की चट्टानों में मिल सकते हैं। मनुष्य की स्मृति के समान धरती की सतह से भी उसपर होने वाले परिवर्तन के साक्ष्य समय के साथ मिटते जाते हैं।

आज विज्ञान की सहायता से मनुष्य धरती की संरचना और उसपर जीवन कब और कैसे उत्पन्न हुआ इसका पता लगाने का प्रयास कर रहा है। काल्डर के अनुसार चलें तो जब धरती 11 वर्ष की थी तब उसपर जीवन प्रारंभ हुआ था। उस समय एक कोशिका वाले जीव जंतु पहली बार उत्पन्न हुए थे जिन्हें Last Universal Common Ancestor (LUCA) कहा जाता है। उन्हीं अंतिम पूर्वजों से बाद में बहुकोशिकीय (एक से अधिक कोशिका वाले) जीव उत्पन्न हुए।

भारत में सबसे पहले बहुकोशिकीय जीव कब पैदा हुए इसपर मतभेद है लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने भारत की धरती पर एक कोशिका वाले जीव कब उत्पन्न हुए इसका पता लगाया है। आईआईटी खड़गपुर में बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर पिनाकी सार के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के दल ने महाराष्ट्र में कोयना नदी के तट पर बसे करार गाँव में ऐसे सूक्ष्म जीवों का पता लगाया है जो उस क्षेत्र में तब से अस्तित्व में हैं जब पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन का घुलना प्रारंभ हुआ था।

प्रोफेसर पिनाकी सार ने बताया कि आज से 2.5 अरब वर्ष से लेकर 6.5 करोड़ वर्ष की अवधि में जब पृथ्वी ठंडी हो रही थी तब जीवन सूक्ष्म रूप में जन्म ले रहा था। जब पृथ्वी का वायुमंडल निर्मित हो रहा था तब आरंभ में उसमें ऑक्सीजन नहीं थी। उस समय कुछ ऐसे सूक्ष्म जीव उत्पन्न हुए जिन्हें ‘aerobes’ कहा जाता है। इन्हीं aerobes में से एक हैं सायनोबैक्टीरिया।

समुद्री सायनोबैक्टीरिया ने ढाई अरब वर्ष पहले प्रकाश संश्लेषण क्रिया से ऑक्सीजन उत्पन्न की जो वायुमंडल में जाकर घुली तब धरती पर रहने वाले जीव उत्पन्न हुए जिन्होंने फेफड़ों से साँस लेना सीखा। इसे ‘ग्रेट ऑक्सीजिनेशन इवेंट’ अर्थात वायुमंडल में ऑक्सीजन घुलने की प्रक्रिया कहा जाता है।

दक्कन के पठारी क्षेत्र में कोयना नदी के पास करार गाँव में 1964 में बड़ा भूकंप आया था जिसके कारणों का पता लगाने के लिए भूगर्भशास्त्रियों की एक टीम लगी थी। चूँकि दक्कन के पठार के पत्थर भी विश्व के सबसे प्राचीन पत्थरों में से हैं इसलिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों को भी उन चट्टानों के भीतर जीवन का पता लगाने को कहा।    

खड़गपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने 2014 में शोध करना आरंभ किया था जिसके फलस्वरूप चार वर्ष बाद उन्हें ऐसे सूक्ष्म जीवाणु मिले जो दक्कन क्षेत्र में तब से मौजूद थे जब ग्रेट ऑक्सीजिनेशन इवेंट हुआ था। यह शोध प्रतिष्ठित ‘नेचर’ पत्रिका की ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ के नवंबर संस्करण में प्रकाशित हुआ है।

चट्टानों के भीतर विषम परिस्थितियों में एक कोशिका वाले ये सूक्ष्म जीवाणु अभी जीवित हैं या नहीं इसका पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों का दल अब इसकी खोज में लगा है।

विवेक डोभाल ने दायर किया कारवाँ पत्रिका और जयराम रमेश के ख़िलाफ़ मानहानि का केस

NDTV के पत्रकार रवीश कुमार के शब्दों में कहें तो एक बार फिर इस देश में मीडिया का गला घोंटा जाने वाला है। मामला यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल ने कारवाँ पत्रिका और जयराम रमेश के ख़िलाफ़ पटियाला हाईकोर्ट में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज़ करा ली है। इस मामले की मंगलवार (जनवरी 21,2019) को सुनवाई हो सकती है। विवेक डोभाल ने यह कहते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया है कि सभी आरोप झूठे हैं और उनका व्यवसाय वैध है, न कि ब्लैकमनी से जुड़ा हुआ।

कुछ दिन पहले ही अपने वामपंथी तर्कों की आड़ में अंग्रेज़ी की कारवाँ पत्रिका की एक जाँच का ज़िक्र करते हुए NDTV पत्रकार रवीश कुमार, जो कि समय-समय पर वर्तमान सरकार और उनके पदाधिकारियों के क्रियाकलापों पर आपत्ति जताते रहते हैं, ने एक लेख जारी किया था, जिसमें दावा किया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल केमैन आइलैंड, जो कि टैक्स-हेवन के रूप में जाना जाता है, में हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं। रवीश कुमार ने यहाँ तक लिखा था कि “डी-कंपनी का अभी तक दाऊद का गैंग ही होता था और भारत में एक और डी कंपनी आ गई है”। इस पत्रिका के अनुसार यह हेज फंड 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के 13 दिन बाद रजिस्टर्ड किया गया था।

पत्रिका के इस ‘खुलासे’ को आधार बनाते हुए कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कॉन्ग्रेस मुख्यालय से प्रेस को सम्बोधित करते हुए आरोप लगाया था कि अजीत डोभाल के दोनों बेटे जीएनवाई एशिया के जाल में फँसे हैं, जो बिल्कुल ‘डी-कंपनी’ की तरह है। जयराम रमेश ने कहा था कि टैक्स-हैवन केमैन आईलैंड से इतने बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश के आने और नोटबंदी के निर्णय के बीच सम्बन्ध हैं।

विवेक डोभाल ने कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश, कारवाँ पत्रिका के प्रधान सम्पादक और कौशल श्राफ (रिपोर्टर) के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि की शिकायत के लिए दिल्ली की पटियाला हाईकोर्ट की मदद माँगी है। कोर्ट कल यानी मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा।

सवाल एकबार फिर वही है कि वामपंथी गिरोह अपने राजनैतिक और वैचारिक मनमुटावों के कारण पहले भी वर्तमान सरकार और इसके अधिकारियों पर इस तरह के बिना सिर-पैर के आरोप लगाता आया है, जिसके बाद कोर्ट प्रेस से किसी के ऊपर बेवजह और बेबुनियाद आरोप लगाकर कोर्ट का कीमती समय बर्बाद ना करवाने की प्रार्थना कर चुका है, साथ ही यह भी कह चुका है कि पत्रकारिता को अधिक ज़िम्मेदार होना चाहिए।

इस मानहानि के मुकदमे के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वामपंथ की प्रासंगिकता इस देश में महज़ हँगामा खड़ा करने तक ही तो सीमित नहीं रह गई है? इससे पहले भी कारवाँ ने एक फ़र्ज़ी इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी करते हुए बवाल काटा था कि जस्टिस लोया की हत्या की गई। इस केस को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज़ कर दिया था। ऐसे ही, गुजरात चुनावों के समय अमित शाह के बेटे पर इसी पत्रिका ने इसी तरह भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। हालाँकि, जब इन पर मानहानि का मुक़दमा किया गया तो वो प्रेस फ़्रीडम और आपातकाल की बात करने लगे थे।

भगवंत मान ने ‘जनहित’ में दारू छोड़ी, सड़जी खुश हुए; अन्य AAP नेताओं ने लिए चुनावी रेज़ोल्यूशन

भारत में कई राजनीतिक पार्टियाँ हैं और उन सबकी अलग-अलग विषेशताएँ हैं। भाजपा अपने IT सेल के लिए विख्यात है तो कॉन्ग्रेस अपने अल्पसंख्यक विंग के लिए। लेकिन देश में एक ऐसी पार्टी भी है जिसके पास उसकी अपनी कॉमेडी विंग है। वो पार्टी है- आम आदमी पार्टी। हमारी चुनौती है आपको, एक भी ऐसा राजनीतिक दल दिखा दें जिसके पास कॉमेडी और फ़िल्म समीक्षा के लिए अलग से एक ख़ास सेल हो। AAP इस मामले में भारत ही नहीं, दुनिया के सारे राजनीतिक दलों से काफ़ी आगे है।

इसी क्रम में पंजाब के लोगों को भी आख़िरकार आम आदमी पार्टी को वोट देने की एक बड़ी वज़ह मिल ही गई। राज्य में AAP के सांसद भगवंत मान ने जनता के हित में दारू छोड़ने की घोषणा कर दी है। जी हाँ, जनता के हित में। यह पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी वज़ह है AAP को वोट करने की। और पार्टी के सुप्रीमो सह फ़िल्म समीक्षा विंग के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने इसे ‘एक बड़ा त्याग’ बताया है। यहाँ बताना ज़रूरी है कि केजरीवाल कभी-कभार दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर भी काम कर लेते हैं।

भगवंत मान ने AAP के बाकी नेताओं के सामने एक ऐसी चुनौती पेश की है जिस से सब अचरज में हैं। अब ख़ुद पार्टी के मुखिया ने उनके दारू छोड़ने को बलिदान बता दिया है तो बाकी के नेता भी केजरीवाल को खुश करने के चक्कर में लगे हैं। यही नहीं, वो भी कुछ ऐसा बलिदान देना चाहते हैं जिस से ‘सड़जी’ की प्रशंसा पा सकें। तो आइए जानते हैं कि भगवंत मान के दारू छोड़ने से प्रेरित AAP के अन्य नेताओं ने किस चीज का बलिदान दिया।

सोमनाथ भारती

सोमनाथ भारती AAP के नेता हैं। उनके पड़ोसियों का कहना है कि उनका पालतू कुत्ता AAP का सदस्य नहीं था। यहाँ तक कि कई बार केजरीवाल ने भी उसे पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने का अनुरोध किया था लेकिन वो बेचारा जानवर केजरीवाल को जानता था, समझता था- उसने जीवनपर्यन्त AAP की प्राथमिक सदस्यता नहीं ली। केजरीवाल ने उसे अपनी पार्टी के एनिमल सेल का अध्यक्ष बनाने का भी ऑफर दिया लेकिन वो टस से मस न हुआ।

चाहे कितनी भी इच्छाशक्ति हो पर जब कोई जीव AAP नेताओं की संगत में रहे जिनके एक तिहाई से भी ज़्यादा विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं, तो खुद को कब तक रोक पाएगा? उसकी भी मति भटक गई और उसके बाद हुआ कुछ यूँ कि वो बेचारा भी ‘वांटेड’ हो गया।

सोमनाथ भारती ने भी चुनाव के मौके पर अपना रेज़ोल्यूशन तय करते हुए कहा है कि अब वो अपनी पत्नी पर कुत्ते नहीं छोड़ेंगे और उन्हें पीटेंगे भी नहीं। अपनी पत्नी को कुत्ते से कटवाने वाले सोमनाथ के इस बयान पर अभी दिल्ली के मालिक की तरफ से कोई प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। लेकिन हाँ, शशि थरूर ने एक प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी कर उनकी तारीफ़ की है, जिसे समझने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड से विशेषज्ञ बुलाए गए हैं।

अमानतुल्लाह ख़ान

दिल्ली से विधायक हैं। सड़जी के काफ़ी क़रीबी माने जाते हैं। जब भगवंत मान के दारू छोड़ने को केजरीवाल ने बलिदान बताया तब से ये भी इस सोच में डूबे हैं कि सड़जी का ध्यान आकर्षित करने के लिए क्या किया जाए? वैसे भी बेचारे एक बार पार्टी से निकाले ही जा चुके हैं, अपनी जगह पक्की करने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही होगा उन्हें। ये केजरीवाल के इतने क़रीबी हैं कि अगर मालिक इन्हे किसी को प्यार से समझाने भेजते हैं तो ये दो-चार झापड़ लगा कर ही वापस आते हैं।

नाराज़ केजरीवाल ने इन्हे कितनी बार सिखाया कि थप्पड़ मारना नहीं चाहिए बल्कि उनकी तरह थप्पड़ खाना चाहिए लेकिन खान साहब मानते ही नहीं। थप्पड़ खाने का ये फ़ायदा है कि आप बाद में मोदी पर सारे इल्ज़ाम थोप कर खुद को हल्का कर सकते हो लेकिन थप्पड़ मारने में वो मजा कहाँ। एक बार अरविन्द केजरीवाल ने अमानतुल्लाह को दिल्ली के मुख्य सचिव को समझाने भेजा था। उसके कुछ दिनों बाद केजरीवाल को अमानतुल्लाह की ज़मानत कराने जाना पड़ा था।

जब दिल्ली सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के दौरान मनोज तिवारी मंच पर पहुँचे तब भी केजरीवाल ने अमानतुल्लाह को ही तिवारी को समझाने-बुझाने भेजा था लेकिन वो खान ने मनोज तिवारी को मंच से ऐसा ढकेला कि एक पल के लिए कश्मीर के पत्थरबाज़ भी उनकी दाद दें।

ताज़ा ख़बरों के अनुसार अमानतुल्लाह ख़ान ने ये तय किया है कि अब वो किसी की पिटाई नहीं करेंगे और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को देखते ही ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष के साथ शंख बजा कर स्वागत करेंगे। केजरीवाल ने तो इस पर अभी चुप्पी साध रखी है लेकिन स्वामी ओम ने ख़ान से खुश होकर उन्हें अपने घर डिनर पर बुलाया है।

जीतेन्द्र सिंह तोमर

फ़िलहाल AAP के सदस्य नहीं हैं लेकिन केजरीवाल मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। कहा जाता है कि केजरीवाल को मोदी की डिग्री माँगने की सलाह इन्होने ही दी थी। वो तो अलग बात है कि बाद में इनकी खुद की ही डिग्री जाली निकली। ये इतनी फ़ेक थी कि कोर्ट में इस बात को साबित करने के लिए पुलिस को 50,000 पेज के डाक्यूमेंट्स पेश करने पड़े थे।

केजरीवाल ने उन्हें क़ानून मंत्रालय दिया था लेकिन बेचारे आज खुद क़ानून के शिकंजे में बैठे हैं। अगले चुनावों को लेकर उन्होंने भी एक रेज़ोल्यूशन तैयार किया है। उन्होंने कहा है कि वो इस बार ऐसी डिग्री बनाएँगे कि दिल्ली पुलिस को चार्जशीट प्रिंट करने में ही 10 साल लग जाएँ। ताज़ा सूचना के अनुसार तेजस्वी यादव ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे दिया है।

मनीष सिसौदिया

अगर केजरीवाल अकबर हैं तो मनीष उनके टोडरमल। केजरीवाल जितनी भी वीडियो बनाते हैं उसमे मनीष उनके बगल में बैठे नज़र आते हैं। वो अलग बात है कि उस दौरान उन्हें बोलने कुछ नहीं दिया जाता। केजरीवाल बोलते हैं और मनीष एक्सप्रेशंस देते हैं। ये ठीक उसी तरह है जैसे फ्लाइट के टेक ऑफ़ के दौरान एक एयर हॉस्टेस बोलती हैं और बाकी बस इशारे करती है। यहाँ भी कुछ ऐसा ही केस है।

फिर भी सिसौदिया ने चुनावी रेज़ोल्यूशन निश्चित कर लिया है। उन्होंने तय किया है कि AAP सरकार के जाते-जाते बारहवीं के विज्ञान के सिलेबस में एक चैप्टर सड़जी के नाम पर कर के रहेंगे। उनके इस निर्णय का मायावती ने स्वागत किया है। कहा तो ये भी जा रहा है कि सिसौदिया एक वेबसाइट भी बनाने जा रहे हैं जो बॉक्स ऑफिस इंडिया और IMDB को सीधी टक्कर देगी। उस वेबसाइट पर केजरीवाल के फ़िल्म रिव्यूज प्रकाशित किए जाएँगे।

ममता ने रोका अमित शाह का हेलीकॉप्टर, पीयूष गोयल ने पूछा बंगाल में आपातकाल है या नहीं?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने मालदा जिले में अमित शाह के हेलीकॉप्टर को उतारने की अनुमति देने से इनकार करते हुए, कई झूठे कारण गिनाए। इस पर पीयूष गोयल ने महागठबंधन से ही सवाल पूछा है कि क्या अब किसी को बंगाल में लोकतंत्र ख़तरे में नहीं दिख रहा?

“एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष को राज्य में रैली से रोकने में असहिष्णुता नज़र नहीं आ रही। यदि ऐसा किसी ज़रूरी कारण से भाजपा शासित किसी राज्य में होता तो अब तक आपातकाल आ चुका होता।”

बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 22 जनवरी को मालदा में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं। उन्हें रैली में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता से मालदा हेलीकॉप्टर से रवाना होना है।

प्रशासन की दलील

ममता बनर्ज़ी ने जिला प्रशासन का हवाला देते हुए पहले कहा कि इस सप्ताह में वीवीआईपी हेलीकॉप्टर उतारने की अनुमति देना संभव नहीं है। प्रशासन ने पत्र लिखकर कहा कि मालदा मंडल के कार्यकारी इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी (सिविल) की रिपोर्ट के अनुसार, मालदा में हवाई अड्डे पर काम चल रहा है। धूल और अन्य सामान रनवे के चारों ओर पड़ा है, साथ ही निर्माण के चलते अस्थायी हेलीपैड का रख-रखाव ठीक से नहीं किया गया है। इस स्थिति में हवाई अड्डा हेलीकॉप्टरों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। इसी वजह से अमित शाह के हेलीकॉप्टर को लैंडिग की अनुमति दे पाना संभव नहीं है।

ग्राउंड रिपोर्ट में प्रशासनिक दलील का पर्दाफ़ाश

प्रशासन द्वारा हेलीकॉप्टर की लैंडिंग में ख़तरा बताने के बाद एक अंग्रेजी टीवी चैनल ने मौके का मुआयना किया तो प्रशासन की सारी पोल खुल गई। हेलीपैड क्षेत्र और रनवे के पास निर्माण सामग्री का नामो-निशान तक नहीं मिला। वहीं हवाई अड्डे पर काम करने वाले स्थानीय कर्मचारियों की मानें तो हेलीकॉप्टर नियमित रूप से हवाई अड्डे से बाहर चल रहे हैं।

हवाई अड्डे के आस-पास काम करने वाली दीपाली दास कहती हैं, “मंत्री और यात्री हेलीकॉप्टर से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ सेवा बाधित थी लेकिन अब यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। यहाँ ममता बनर्जी और मिथुन चक्रवर्ती के पास हेलीकॉप्टर है और वो लोग यहाँ उतरते रहे हैं।”

मालदा से बीजेपी नेता संजय शर्मा ने कहा कि पार्टी ने इस संबध में प्रशासन से बात की है। उन्होंने कहा, “टीएमसी इस बात को लेकर घबराई हुई है कि अगर अमित शाह मालदा की इस रैली में आएँगे, तो बीजेपी को अधिक समर्थन मिलेगा।” उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोई लोकतंत्र नहीं है, सरकार इस हवाई अड्डे का उपयोग कर रही है, लेकिन हमने जब अनुमति माँगी तो नियम बदल गए।

हालाँकि, बाद में बवाल होने पर ममता बनर्जी ने दलील दी कि अनुमति दी गई थी लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों से मना किया था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने चॉपर को कहीं और उतारने के लिए कहा था। ममता बनर्जी ने आगे कहा, “कभी-कभी मुझे भी पुलिस के कहने पर ऐसा करना पड़ता है। हमने अमित शाह को रैली के लिए परमीशन दे दी है क्योंकि हम लोकतंत्र में यक़ीन रखते हैं जबकि बीजेपी बात को तोड़-मरोड़ कर लोगों को ग़ुमराह कर रही है।”

कोलकाता रैली ‘बड़ा मज़ाक’, देश को PM का विकल्प चाहिए सिर्फ़ विपक्ष नहीं : योगेन्द्र यादव

हाल ही में कोलकाता में आयोजित हुई यूनाईटेड रैली पर तरह-तरह के बयान सामने आए हैं। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक इस रैली को चुनाव से पहले बहुत बड़ा कदम बताया जा रहा है। तेजस्वी यादव से लेकर शत्रुघ्न सिन्हा और फ़ारुख़ अब्दुल्लाह तक इस रैली का हिस्सा बने।

एक तरफ जहाँ इस रैली को बड़े राजनीतिज्ञों का समर्थन प्राप्त हुआ है, वहीं स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का इस रैली के बारे में कुछ अलग ही विचार सामने आए हैं।

योगेन्द्र ने शनिवार (जनवरी,19 2019) को आयोजित हुई इस रैली के बारे में कहा कि इस रैली से उन्हें कोई उम्मीद नहीं दिखी है क्योंकि देश सिर्फ विपक्ष नहीं चाहता है, देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प की जरूरत है।

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यादव का कहना है कि इस पूरी रैली के दौरान विपक्ष के नेताओं का न कोई एजेंडा था और न ही कोई अपना नज़रिया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव उनके बीच और पूरे विपक्ष के बीच में हो, जिसे करने में वो सफल भी हो रहे हैं।

अपनी बातचीत में यादव ने कहा कि इस समय आगामी चुनावों के लिए सभी विपक्षी पार्टियाँ सिर्फ सत्ता की कुर्सी के लिए ही लड़ रही हैं। ईवीएम को बैलट पेपर का विकल्प बताते हुए योगेन्द्र यादव ने बैलट पेपर वापस लाने की माँग करने वालों को निशाना बनाते हुए कहा कि पार्टियाँ सिर्फ ईवीएम की आलोचना तभी करती हैं जब नतीजे उनके पक्ष में नहीं होते हैं।

बता दें कि कुछ समय पहले बैलट पेपर की वापसी माँग पर चुनाव आयोग के पूर्वाधिकारी ओपी रावत ने भी इस बात को कहा था कि जब जो पार्टियाँ चुनावों को हारती हैं, तभी ईवीएम के मुद्दे को फुटबॉल की तरह उछाला जाता है। वरना इस बारे में कोई बात भी नहीं होती हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार यादव ने इस पूरे गठबंधन को एक बड़ा मज़ाक बताया है।

हमारे बारे में अच्छी ख़बर लिखिए, ₹50,000/महीने का सरकारी इंतज़ाम हो जाएगा: अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी कार्यालय में सोमवार (जनवरी 21, 2019) को मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि साधु-संतों को हर महीने करीब ₹20 हजार पेंशन दी जाए और प्रदेश में यश भारती व समाजवादी पेंशन भी फिर से शुरू की जाए।

उन्होंने अपने भाषण में कहा कि उन्होंने रामलीला के पात्रों को पेंशन देने की स्कीम शुरू की थी और वो चाहते हैं कि रामलीला करने वालों को भी पेंशन दी जानी चाहिए, जिसके अंतर्गत भगवान राम को भी पेंशन मिलनी चाहिए, माता सीता को भी पेंशन मिलनी चाहिए और इसके बाद अगर कुछ बच जाए तो रावण को भी पेंशन दी जानी चाहिए।

अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान, एक महिला पत्रकार से कहा कि उनके कई पत्रकार मित्र हैं जिन्हें ‘यश भारती सम्मान’ मिला है जिसमें ₹50,000/महीने का प्रावधान है, अगर वो अच्छा लिखेंगी उनके बारे में तो उन्हें भी सम्मान मिलेगा।

“अगर आप अपने कार्य में अच्छी रहेंगी तो कई पत्रकारों को हमने यश भारती सम्मान दिया है, वो ₹50 हजार भी आपको मिल जाएगा, लेकिन इसके लिए आपको समाजवादी पार्टी की स्टोरी अच्छी लिखनी पड़ेगी, अगर आज से आप लिखना शुरू करें तो ढाई साल में इंतज़ाम हो जाएगा कि अगला कोई सम्मान आपको प्राप्त हो जाए, हमारे कई पत्रकार साथियों को ये सम्मान प्राप्त हो चुका है।”

अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ दान का पर्व माना जाता है और केंद्र सरकार को प्रयागराज का अकबर किला यूपी सरकार को दान दे देन चाहिए, इसके बदले सेना को जगह चाहिए तो उसे चंबल में ख़ाली पड़ी जगह पर भेज दें।

गठबंधन पर अखिलेश यादव ने कहा, “नेता जी जहाँ से चाहेंगे, वहाँ से समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी। बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता और सपा ने सीटों पर विचार किया है, जल्द उसकी जानकारी आप सबको मिल जाएगी।” महागठबंधन के चेहरे के प्रश्न पर सपा अध्यक्ष ने कहा, “भाजपा के पास तो 40 दल जुड़े हैं, अभी तो हमने 20 से 22 ही जोड़े हैं। हमारे पास तो बहुत चेहरे हैं, बीजेपी के पास कोई चेहरा हो तो बताए।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सपा नेता ने कहा कि देश को अब नए प्रधानमंत्री का इंतजार है। अगर बीजेपी के पास कोई नया पीएम हो तो बताएँ। महागठबंधन से पीएम के उम्मीदवार पर अखिलेश सफाई से सवाल टालते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि ईवीएम की जगह बैलट से चुनाव कराए जाने चाहिए, इससे उनका गुस्सा शांत हो जाएगा।