कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा की उम्मीदों पर मानो पानी फिर गया। दरअसल, उनकी दिली तमन्ना है कि वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें और इसलिए वो काफी समय से प्रयासरत हैं कि कर्नाटक में कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन किसी तरह से टूट जाए। उनकी इस मंशा पर विराम लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने उन्हें निर्देश दिया है कि वो वर्तमान राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास न करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद दिल्ली से रवाना होते समय शुक्रवार (31 मई) को येदियुरप्पा ने पत्रकारों से कहा, “पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सख़्त निर्देश देते हुए कहा है कि गठबंधन सरकार को अस्थिर करने की कोशिश ना की जाए। यह फ़ैसला हो चुका है कि भाजपा गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिश नहीं करेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि सिद्धारमैया ख़ुद अपने कुछ विधायकों को मेरे पास भेज रहें हैं और वो राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।”
BS Yeddyurappa, BJP: I have just returned from Delhi. Our leaders have instructed me not to involve in any move that will scuttle the govt in the state. I believe that Siddaramaiah is sending some of his MLAs to me and is trying to take political leverage. #Karnataka (31.05.2019) pic.twitter.com/Vbozh2xYjy
इसके अलावा येदियुरप्पा ने यह भी कहा, “हम फिलहाल चुप रहेंगे। वे (कॉन्ग्रेस) आपस में लड़ सकते हैं और कुछ भी हो सकता है। हमें स्पष्ट रूप से सूचित किया गया है कि राज्य में सरकार को परेशान करने का प्रयास न करें।”
BS Yeddyurappa, BJP: We will remain silent for the time being. They (Congress) may fight with each other and anything can happen. We’ve been clearly informed not to disturb or attempt to topple the government in the state. #Karnataka (31.05.2019) https://t.co/svOAkefdUa
येदियुरप्पा ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि फ़िलहाल पार्टी को सत्ता में आने की कोई जल्दी नहीं है क्योंकि राज्य इकाई के पास ज़िम्मेदार विपक्षी पार्टी होने के तौर पर काम करने की सभी क्षमताएँ मौजूद हैं। ख़बर के अनुसार, येदियुरप्पा ने मध्यावधि चुनाव की आशंका से पूरी तरह इनकार नहीं किया और कहा, “मैं इस समय मध्यावधि चुनाव को लेकर अटकलें नहीं लगाना चाहता।” येदियुरप्पा के इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्रीय नेतृत्व कर्नाटक राज्य में सरकार बनाने को लेकर चिंतित नहीं है।
मोदी सरकार की ऐतिहासिक जीत से पहले देश में मौजूद समुदाय विशेष के पत्रकार अपने लेखों के जरिए इस बात को साबित करने में जुटे थे कि मोदी सरकार की हर नीति, योजना और प्रयास आम लोगों के ख़िलाफ़ है। लेकिन, जब प्रचंड बहुमत के साथ मोदी सरकार सत्ता में वापस लौट आई है तो ‘द प्रिंट’ नामक पोर्टल के मालिक और एडिटर्स गिल्ड के चीफ़ शेखर गुप्ता ने एक चर्चा ‘How India Voted’ में स्वीकारा है कि चुनाव से पहले पत्रकारों ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की सफलता को नजरअंदाज किया था।
शेखर गुप्ता ने कहा, “मुझे ये बात बहुत इमानदारी से कहनी है कि हम पत्रकारों ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की अनदेखी करने का सोचा था और जब उनकी हकीकत (जिसमें लोगों को फायदा पहुँचा) हमारे सामने आती तो हम उसे नकारने की कोशिश करते।”
कॉन्ग्रेस की करारी हार के बारे में बात करते हुए गुप्ता जी ने ये तक कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी auto-immune disease (ऐसी बीमारी जिसके कारण पार्टी ने खुद ही को नुकसान पहुँचाया) से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के इतने दिनों में उन्होंने कभी नहीं सुना कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार के कार्यकाल में हुई किसी अच्छी चीज के बारे में बात की हो। वो हमेशा मोदी सरकार और मीडिया पर दोष देते रहे। गुप्ता जी कहते हैं कि देश में योजनाओं का झाँसा देकर हमेशा से वोट माँगा जाता रहा है इसलिए देश के मतदाता को कॉन्ग्रेस की योजनाओं पर भरोसा नहीं है।
The whole section from Shekhar Gupta is a gold mine for those wanting to know the intellectual vacuum that these libbies live in. Listen from about 1:33:50 or so to about 1:36:30 for the most self incriminating evaluation. @iMac_toohttps://t.co/Gah6cjsVsZ
इस चर्चा के दौरान एडिटर गिल्ड के चीफ ने स्वीकारा कि वो खुद भी मोदी सरकार की योजनाओं के ख़िलाफ़ सबूत ढूँढ रहे थे, लेकिन उन्हें कोई प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने योजनाओं के तहत बाँटे गए गैस सिलिंडरों को देखने के लिए घरों के भीतर तक झाँका, लेकिन वहाँ सिलेंडर मौजूद होने के कारण, जो सोचा वो मुमकिन नहीं हो पाया।
अपनी बातचीत के दौरान निराश शेखर गुप्ता मानते हैं कि सरकार द्वारा चालू की गई जन-धन योजना, आधार और मुद्रा योजना ने लोगों को फायदा पहुँचाया है, जो लिबरलों के बर्दाश्त से बाहर हो गया था। वो कहते हैं कि उन्हें पहले खुद ही लगता था कि मुद्रा लोन योजना एक बकवास और फर्जी चीज है, लेकिन अब उनके पास वो वीडियो प्रमाण के रूप में हैं जो साबित करते हैं ये सब फर्जी नहीं है। अपनी बात में वो आजमगढ़ से 50 किलोमीटर दूर एक दलित व्यक्ति का जिक्र करते हैं जो बताता है कि उसे 50,000 रुपए का मुद्रा लोन मिला है, जिससे उसने चाय की दुकान की दुकान खोली और अब 1,300 वह हर महीने रुपए वापस करता हैं। और, जब वो पैसे वापस नहीं दे पाता तो बैंक मैनेजर किसी को उसके पास भेजता है।
चुनाव से पहले तक मोदी विरोध में सुर बुलंद करने वाले द प्रिंट के मालिक का कहना है कि उन्होंने बड़े आँकड़ों को जाँचा, जिसमें स्पष्ट था कि 4.81 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है जिसमें से 2.1 लाख का करोड़ चुका भी दिए गए हैं। इसलिए अब वो ईमानदारी से कहते हैं कि पत्रकारों ने मोदी सरकार द्वारा चालू की गई कल्याणकारी योजनाओं की अनदेखी की, और जब उन्हें योजनाओं के कारण प्रगति दिखी तो उन्होंने उसे भी नजरअंदाज करने की कोशिश ये कहकर की “उन्हें भले ही गैस सिलिंडर मिल गया, लेकिन वो अगला सिलेंडर खरीदने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि अगला सिलेंडर पूरी कीमत पर मिलेगा” जबकि ये तर्क बिल्कुल झूठ था। अगला सिलेंडर जिन्हें पूरे कीमत पर मिला, उनकी सब्सिडी कटकर उनके बैंक में आई।
मोदी सरकार की वापसी के बारे में बात करते हुए गुप्ता जी इस बातचीत में कहते हैं कि हकीकत ये है कि इससे पहले लोगों ने कभी किसी योजना को घर के भीतर तक पहुँचते हुए नहीं देखा था, और जिन चीज़ों की डिलीवरी देखी थी, उन्हें बिना घूस दिए नहीं देखी थी। वो मानते हैं कि ये देश में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। जिसे हो सकता है कुछ लोग पसंद न करें लेकिन समझदार लोग इससे बहुत कुछ सीख रहे हैं।
भारत सरकार ने इंडियन एयरस्पेस में लगाए गए सभी अस्थाई प्रतिबंधों को हटा दिया है। भारतीय वायुसेना ने शुक्रवार (मई 31, 2019) को ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “27 फरवरी 2019 से इंडियन एयरफोर्स द्वारा भारतीय एयरस्पेस में सभी रूट्स पर लगाए गए अस्थाई प्रतिबंधों को हटा लिया गया है।”
#Information : Temporary restrictions on all air routes in the Indian airspace, imposed by the Indian Air Force on 27 Feb 19, have been removed.
पाकिस्तान के बालाकोट में 26 फरवरी को किए गए एयरस्ट्राइक के बाद 27 फरवरी को वायुसेना ने भारतीय एयरस्पेस के सभी रूटों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान ने भी पूर्वी सीमा पर एयर स्पेस को प्रतिबंधित कर दिया है। पाक द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारतीय विमानों को दक्षिण एशिया और पश्चिमी देशों के लिए ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है, तो वहीं भारतीय प्रतिबंध की वजह से पाकिस्तान की बैंकॉक और कुआलालंपुर जाने वाली उड़ानों पर असर पड़ा।
अब भारत के द्वारा उठाया गया ये कदम पाकिस्तान के लिए संकेत है कि वह भी अपने एयर स्पेस पर लगे प्रतिबंध हटा ले। इसके अलावा अब विदेशी एयरलाइंस, पाकिस्तान द्वारा एयर स्पेस पर लगे प्रतिबंध को लेकर यूएन की एविएशन विंग ICAO और IATA का ग्लोबल एयरलाइन फोरम से संपर्क कर सकती हैं, ताकि पाकिस्तान पर प्रतिबंध हटाने के लिए दबाव बनाया जा सके। हालाँकि, पाकिस्तान पहले 30 मई को प्रतिबंध हटाने की बात कह रहा था, लेकिन फिर इसे 14 जून तक के लिए बढ़ा दिया।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के उनके समुदाय के लोगों को बीजेपी के सत्ता में आने से डरना नहीं चाहिए क्योंकि संविधान प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। उन्होंने एक सभा संबोधित करत हुए कहा, “अगर कोई ये समझ रहा है कि हिन्दुस्तान के वज़ीर-ए-आज़म 300 सीट जीत कर, हिन्दुस्तान पे मनमानी करेंगे नहीं हो सकेगा। वज़ीर-ए-आज़म से हम कहना चाहते हैं, संविधान का हवाला देकर, असदुद्दीन ओवैसी आपसे लड़ेगा, मज़लूमों के इंसाफ़ के लिए लड़ेगा।”
Asaduddin Owaisi, AIMIM: Agar koi ye samajh raha hai ki Hindustan ke Wazir-e-Azam 300 seat jeet ke, Hindustan pe manmani karenge, nahi ho sakega. Wazir-e-Azam se hum kehna chahte hain, Constitution ka hawala dekar, Asaduddin Owaisi aapse ladega, mazluumon ke insaaf ke liye ladega pic.twitter.com/E15KAlAyVX
इसके अलावा ओवैसी ने कहा कि हिन्दुस्तान को आबाद रखना है, हम हिन्दुस्तान को आबाद रखेंगे। हम यहाँ पर बराबर के शहरी हैं, किरायेदार नहीं हैं हिस्सेदार रहेंंगे।
Asaduddin Owaisi, AIMIM: Hindustan ko aabad rakhna hai, hum Hindustan ko aabad rakhenge. Ham yahan par barabar ke shehri hain, kirayedaar nahi hain hissedar rahenge. https://t.co/kiu7wFIx59
ख़बर के अनुसार, ओवैसी ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भी कहा, “भारत का क़ानून, संविधान हमें इजाज़त देता है कि हम अपने धर्म का पालन करें।” उन्होंने कहा, “जब भारत के प्रधानमंत्री मंदिर जा सकते हैं तो हम भी गर्व के साथ मस्जिद जा सकते हैं।” इससे पहले ओवैसी ने बाबा रामदेव के उस बयान की कड़ी निंदा की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की आबादी नियंत्रित करने के लिए तीसरे बच्चे पैदा करने वालों से वोट का अधिकार छीन लेना चाहिए। इस बयान की आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी से वोट का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीन लेना चाहिए क्योंकि वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं।
अपने ट्वीट में ओवैसी ने लिखा था, “लोगों को असंवैधानिक बातें कहने से रोकने के लिए कोई क़ानून नहीं है, लेकिन रामदेव के विचारों पर अनुचित ध्यान क्यों दिया जाता है? वह अपने पेट के साथ कुछ कर सकते हैं या अपने पैरों को घुमा सकते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि नरेंद्र मोदी अपना वोट देने का अधिकार सिर्फ़ इसलिए खो दें, क्योंकि वह तीसरी संतान हैं।”
There is no law preventing people from saying downright unconstitutiona things, but why do Ramdev’s ideas receive undue attention?
That he can do a thing with his stomach or move about his legs shouldn’t mean @narendramodi lose his right to vote just because he’s the 3rd kid https://t.co/svvZMa4aZy
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगातार हो रही गंगा की बेकदरी के लिए 3 राज्यों (बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) को फटकार लगाई है, साथ ही इन राज्यों की लापरवाही के लिए इन पर 25-25 लाख का जुर्माना भी ठोंका है। एनजीटी ने जाँच में पाया है कि बिहार ने एक भी सीवेज प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया जबकि पश्चिम बंगाल ने 22 में से केवल तीन प्रोजेक्टों को पूरा किया है। वहीं पीठ ने झारखंड की प्रगति को भी अपर्याप्त बताया।
एनजीटी की खंडपीठ का कहना है कि इन तीनों राज्यों ने ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद भी अपना प्रतिनिधि पेश करना तक जरूरी नहीं समझा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले पर राज्यों का इस तरह का रवैया बिलकुल ठीक नहीं है। इतने गंभीर मामले में ऐसी असंवेदनशीलता बेहद चिंता का विषय है।
खंडपीठ ने कहा कि हम इन तीनों राज्यों पर 25-25 लाख रुपए बतौर जुर्माने का आदेश देते हैं। यह जुर्माना इन राज्यों को गंगा की लगातार हो रही दुर्गति पर ध्यान न देने के कारण देना होगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को यह रकम मिलने पर इसका इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा।
एनजीटी ने इस दौरान क्रिकेट मैदान की सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पेयजल पर चिंता जताई है। उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति को पानी बचाने के उपाय पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल का कहना है कि पीने के पानी की कमी को देखते हुए आरओ को या तो खारिज किया जाना चाहिए या सीवर के पानी को संशोधित कर उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने शुक्रवार (मई 31, 2019) को कहा कि उन्हें ईस्टर के मौके पर हुए हमले में शामिल आत्मघाती हमलावरों के भारत की यात्रा करने से संबंधित कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। बिमस्टेक (BIMSTEC) देश के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आए सिरिसेना ने कहा कि 21 अप्रैल को हुए बम धमाकों को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसी द्वारा भेजे गए अलर्ट के बारे में श्री लंका रक्षा प्रमुखों ने कोई जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय एजेंसियों ने श्री लंका की सुरक्षा एजेंसियों को 4 अप्रैल को एक स्पष्ट रिपोर्ट भेजी थी जिसमें संभावित हमले की जानकारी दी गई थी। इस मुद्दे पर रक्षा सचिव और पुलिस महानिरीक्षक के बीच पत्रों और पत्राचार का आदान-प्रदान किया गया था।
An intelligence report earlier this week claimed that 15 terrorists belonging to the Islamic State had set off from Sri Lanka for the Lakshadweep islands on boats.https://t.co/JTDyTe3WLH
सिरिसेना ने कहा, “मैं 4 अप्रैल से 16 अप्रैल तक श्रीलंका में था। हालाँकि, किसी भी रक्षा प्रमुख ने मुझे इस तरह की खुफिया जानकारी के बारे में जानकारी नहीं दी थी। अगर मुझे इस संभावना के बारे में पता होता तो मैं देश छोड़कर कभी नहीं जाता और यही कारण है कि मैंने रक्षा सचिव और पुलिस महानिरीक्षक को हटाने की कार्रवाई की है।” इसके साथ ही सिरिसेना ने कहा कि हमलों की जाँच में श्रीलंका को भारत, ब्रिटेन और अमेरिका का साथ मिला। उन्होंने कहा कि जाँच में पाया गया कि अपराधियों ने एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के तहत काम किया। श्री लंकाई आतंकवादियों ने उन देशों में प्रशिक्षण प्राप्त किया था, जहाँ अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूह काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि, मैत्रीपाल सिरिसेना के इस बयान से पहले श्रीलंका के सेना प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायक ने कहा था कि 21 अप्रैल को हुए बम धमाकों को अंजाम देने वाले कुछ हमलावरों ने कश्मीर और केरल की यात्रा की थी। उन्होंने आशंका जताई थी कि हो सकता है कि वो लोग वहाँ पर आतंकी ट्रेनिंग लेने के लिए गए होंगे। वहीं, उन्होंने इस यात्रा के पीछे का उद्देश्य बताते हुए कहा था कि यह किसी तरह के प्रशिक्षण के लिए या देश के बाहर मौजूद संगठनों के साथ लिंक स्थापित करने के लिए की गई यात्रा हो सकती थी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार (मई 31, 2019) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि नवनिर्वाचित लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से शुरू होकर 26 जुलाई तक चलेगा। इस बीच 5 जुलाई को प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली नई सरकार अपना बजट पेश करेगी। 40 दिन तक चलने वाले इस सत्र में 30 बैठकें होंगी।
सत्र के पहले दो दिन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलवाई जाएगी जबकि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव 19 जून को होगा। 20 जून को राष्ट्रपति कोविंद लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे। 4 जुलाई को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा जिसमें देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा होगी।
17वीं लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक, 19 जून को होगा लोकसभाध्यक्ष का चुनाव, जबकि 20 जून को राष्ट्रपति करेंगे संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित, आम बजट 5 जुलाई को किया जाएगा पेश pic.twitter.com/dFcPJBB732
5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा बजट पेश किया जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के बाद वह पहली महिला होंगी जो संसद में बजट पेश करेंगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावडेकर के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी थे। दोनों मंत्रियों ने सदन के सत्र की तारीखों के अलावा कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की भी जानकारी दी। नवनिर्वाचित मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किसानों, पशुओं और छोटे व्यापारियों को लेकर 4 बड़े निर्णय लिए गए हैं। इन फैसलों में किसानों के लिए पेंशन योजना की शुरूआत की गई, प्रधानमंत्री किसान योजना का दायरा बढ़ाया गया, पशुओं को बीमारी से निजात दिलाने के लिए टीकाकरण पर चर्चा हुई है और सेल्फ एम्प्लॉयड को पेंशन देने का निर्णय लिया गया है।
17वीं लोकसभा का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कैबिनेट की प्रथम बैठक के साथ कर लिया है। दूसरे कार्यकाल की अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में पीएम मोदी ने सेना और किसानों के लिए बड़ी सौगात दी है और किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ा दिया है। सैनिकों के बाद मोदी 2.0 कैबिनेट ने घोषणा की है कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब सभी किसानों को सालाना ₹6,000 रुपए मिलेंगे।
साथ ही, योजना से 5 हेक्टयर वाली शर्त को भी हटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए पेंशन योजना का ऐलान किया गया है। इसमें सरकार किसानों द्वारा जमा की गई राशि के बराबर योगदान देगी।
People first, people always.
Glad that path-breaking decisions were taken in the Cabinet, the first in this tenure. Hardworking farmers and industrious traders will benefit greatly due to these decisions.
पीएम किसान योजना पहले सिर्फ लघु और सीमांत किसानों के लिए थी। लेकिन बीजेपी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में इस योजना में सभी किसानों को शामिल करने का वादा किया था, जिस पर पहली ही कैबिनेट मीटिंग में मुहर लगाई गई। इस योजना का देश के 14.5 करोड़ किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा सरकार ने पिछले कार्यकाल के अंतरिम बजट में की थी।
नए फैसले के तहत अब 3 करोड़ और किसानों को हर साल ₹6 हजार मिलेंगे। यानी अब इस योजना का लाभ देश के करीब 15 करोड़ किसानों को मिलेगा। पहले इस योजना के दायरे में सिर्फ 12.5 करोड़ किसान ही थे। इस प्रकार अब सभी किसान इसके दायरे में होंगे। इस योजना के तहत लाभार्थी किसान को साल में तीन बार कुल ₹2000 की किस्त सीधे उसके खाते में पहुँचेगी।
कैबिनेट मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पीएम ने कहा था कि किसान की आमदनी अगले 5 साल में दोगुनी करने की कोशिश करेंगे। फसल की लागत का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, यह पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया। कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 3 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में पैसा पहुँच चुका है। इस योजना पर पहले ₹75 हजार करोड़ खर्च होते, लेकिन अब ₹12 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। यानी अब कुल ₹87 हजार करोड़ सालाना खर्च होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लिए इन 2 बड़े फैसलों से संकेत दे दिया है कि अपने दूसरे कार्यकाल में उनकी प्राथमिकता जवान और किसान रहेंगे। अपने संकल्प पत्र के आधार पर मोदी सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय जनता के लिए उत्साहवर्धक तो है ही, साथ ही नई उम्मीदें भी जगाता है।
पिछले कुछ सालों में अचानक से मीडिया में असहिष्णुता और डरा हुआ अल्पसंख्यक जैसे शब्दों को स्थापित करने का जमकर प्रयास किया गया है। सच्चाई चाहे कुछ भी हो लेकिन मीडिया का एक विशेष गिरोह है, जो यह चाहता है कि इस प्रकार की शब्दावली को वो एक आकार और रूप देकर समाज के बीच स्थापित करे ताकि इसके ऊपर जमकर अपनी घटिया विचारधारा की रोटियाँ सेंकता रहे। ख़ास बात यह है कि मजहब विशेष के हित की ‘अच्छी बातें’ करते हुए ये लोग बाहर से तो बढ़िया नजर आते हैं (जिसका उदाहरण आप आगे पढ़ेंगे), लेकिन यदि गहराई में उतरकर देखा जाए, तो समुदाय विशेष को सबसे ज्यादा डराने का काम इन्हीं कुछ लोगों ने किया है। किसी झूठ को बार-बार बोलकर उसे दिशा देना स्वघोषित निष्पक्ष और क्रन्तिकारी पत्रकारों को बखूबी आता है।
इस बात को इस ताजा प्रकरण से समझा जा सकता है, जिसमें मीडिया ने एक ऐसी वाहियात और फर्जी खबर को ‘समुदाय विशेष पर होने वाले जुर्म’ की दास्तान बनाकर पेश किया है, जो वास्तव में कभी हुई ही नहीं। यानी, पूर्ण रूप से काल्पनिक घटना पर जमकर ज्ञान दिया जा रहा है।
मई 29, 2019 को टीवी9 गुजराती ने एक खबर ट्वीट की, जिसमें कहा गया कि मुंबई पुलिस ने फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले 2 मुस्लिम युवकों को इसीलिए आतंकी समझकर गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उनका ‘गेट-अप’ आतंकियों जैसा था। साथ ही, यह भी बताया गया कि ये दोनों रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ की मूवी की शूटिंग के लिए जा रहे थे।
फिर क्या था, ‘समुदाय विशेष‘ शब्द सुनते ही लार टपकाकर बैठे हुए मीडिया के गिरोहों के प्रमुख एनडीटीवी, टीवी-18, इंडियन एक्सप्रैस, इंडिया टुडे, आज तक और रशिया टुडे जैसे कई इंटरनेशनल मीडिया ग्रुप ने इस खबर को बिना सत्यापित किए ही ज्यों का त्यों छाप दिया। सोशल मीडिया और यूट्यूब के माध्यम से कुणाल कामरा जैसे सस्ते कॉमेडियंस से ‘दर्शनशास्त्र’ में पीएचडी कर रहे महान विचारकों, क्रांतीजीवों और सोशल मीडिया एक्टिविस्टों ने जमकर अपनी भड़ास निकाली।
डर का माहौल शब्द को ही नाश्ता, लंच और डिनर में भेजने वाले क्रांतिकारियों ने यहाँ तक भी निष्कर्ष निकला कि भाजपा शासित महाराष्ट्र के मुंबई में क्या हालात हैं। लोगों को मुस्लिम हुलिए के कारण ही आतंकी समझकर गिरफ्तार किया जा रहा है। पाकिस्तान में भी इस खबर पर इंडिया के खिलाफ जमकर माहौल बनाया गया।
सोशल मीडिया पर भी अरस्तू और सुकरात के बाद जन्मे कुछ ‘महान विचारकों’ ने जमकर इस घटना पर सत्संग और ‘अच्छा महसूस होने वाला’ साहित्य लिखा, लेकिन आखिरकार मुबंई पुलिस ने इस खबर की सच्चाई उजागर कर दी। मुंबई पुलिस ने ट्वीट करके बताया कि मुंबई पुलिस ने ऐसे किसी शख्स को गिरफ्तार नहीं किया है, कृपया फैक्ट्स की जाँच करें।”
Mumbai Police has not picked up any such persons. Kindly verify facts. https://t.co/vGOi2X3dYi
लेकिन मीडिया में कुछ ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो स्वयं को संस्थाओं से भी ऊपर सिर्फ इस वजह से रखते हैं क्योंकि केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार नहीं है। ये मीडिया गिरोह अभी भी अपने समाचार में लिख रहे हैं कि पुलिस के बताए पर इन्हें यकीन नहीं है। ठीक इसी तरह का दुराग्रह करते हुए इसी प्रकार की विचारधारा वाली फ्रीलांस प्रोटेस्टर और चंदा-भक्षी शेहला रशीद भी पुलवामा आतंकी हमले के समय देखी गई थी। उत्तराखंड पुलिस के तमाम स्पष्टीकरण के बावजूद भी उसने अपने ही सुविधाजनक झूठ को सच मानने का प्रण किया। यदि बारीकी से देखें तो इन सभी दुराग्रही लोगों में एक चीज कॉमन है और वो है ‘लाल सलाम’ और क्रांति की चॉइस।
इन्हीं कुछ चुनिंदा क्रांति के सेवकों के कारण हमारे लिए यह समझ पाना मुश्किल होता जा रहा है कि कथित तौर पर समुदाय विशेष को डराने वाले लोग तो वास्तव में यही लोग हैं, जो झूठी ख़बरों को सिर्फ अपनी दुकान चलाने के लिए भुनाते हैं। ये लोग पत्रकारिता के नाम पर सिर्फ इसी प्रकार की कुछ चुनिंदा झूठी अफवाहों का इन्तजार करते हैं, ताकि अपनी छवि को चमका सकें और उन पर अंधों की तरह यकीन करने वाले कुछ लोग इस पर यकीन कर के डरना शुरू करें।
इसी का एक उदाहरण सोशल मीडिया पर इसी एक घटना पर वायरल हो रहे पोस्ट्स के माध्यम से समझा जा सकता है कि कितनी भावुक कलम से एक सज्जन ने इसी एक घटना को आधार बनाकर जमकर ज्ञान और सत्संग किया है। इस सज्जन के प्रोफ़ाइल पर जाने पर पता चलता है कि ये तो उसी ‘दी लल्लनटॉप’ नामक पत्रकारिता के संक्रामक रोग के ही एक कर्मचारी हैं, जो हिटलर के लिंग की नाप-छाप करने के कारण पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
ये वही दी लल्लनटॉप (The Lallantop) है जो कुछ दिन पहले ही एक के बाद एक फेकिंग न्यूज़ और पेरोडी वेबसाइट्स की ख़बरों का फैक्ट चेक कर जीवनयापन करते हुए पाया गया है। ‘दी लल्लनटॉप’ (The Lallantop) में तो ये सब चलता रहता है लेकिन, कुछ बड़े मीडिया गिरोहों ने भी इस खबर के जरिए जमकर ‘ज्ञान’ दिया है और समुदाय को डराने का प्रयास किया है।
‘फर्जी खबर’ से मुहम्मद असगर को डर सता रहा है कि ‘कपड़े देखकर एन्काउंटर भी हो सकता था’, अपना फर्जी डर अपने साथियों में बाँटते हुए –
यानी, मीडिया ने बिना मुंबई पुलिस से फैक्ट वेरिफाई किए ही एक फेक न्यूज को प्रोपगैंडा की तरह खूब चलाया। आपको बता दें कि पिछले 5 दिनों में ये तीसरी फेक न्यूज है, जिसे मुस्लिमों पर हमला करार देकर प्रोपगैंडा चलाया जा रहा था। इससे पहले, ऑपइंडिया पर गुरूग्राम औऱ बेगूसराय के हमलों से जुड़ी फेक न्यूज का भी पर्दाफाश किया गया है। इसके अलावा, मीम्स और फेकिंग न्यूज़ की ख़बरों का फैक्ट चेक करने वालों का फैक्ट चेक तो हम समय-समय पर करते ही हैं।
ऐसा लगता है जैसे राणा अय्यूब भाजपा की लोकसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के सदमे से अभी तक भी नहीं उबर पाई है। कम से कम ट्विटर पर उनके दैनिक प्रलाप को देखकर तो यही निष्कर्ष निकलता है। आज सुबह ही अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जहाँ एक ओर कई निष्पक्ष पत्रकारों में सन्नाटा देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर राणा अय्यूब अपने मन के भावों को रोक पाने में नाकामयाब रही।
राणा अय्यूब ये देखकर शायद अपने होशो-हवास गँवा बैठी कि उनके ‘कट्टर दुश्मन’ अमित शाह को देश की आतंरिक सुरक्षा सौंपी गई है। इस बात से सदमे में डूबा राणा अय्यूब का दुखी हृदय ट्विटर पर फूट पड़ा और वो एक के बाद एक ट्वीट कर के भारत के नए गृह मंत्री के खिलाफ अपना जहर उगलते हुए देखी गई। राणा अय्यूब का दर्द यह था कि अमित शाह को मर्डर के केस में गिरफ्तार किया गया था, जब वो गुजरात के गृह मंत्री थे।
The man who was arrested as a minister of state for Home in Gujarat for murder and extortion, declared tadipaar by Supreme Court, is now Home Minister of India.
हालाँकि, आदर्श लिबरल के ‘स्वयं न्यायाधीश’ होने के अनोखे गुण के चलते राणा अय्यूब यह बात भी भूल गई कि जिस बेबुनियाद आरोप को वो गृह मंत्री अमित शाह पर लगा रही है, कोर्ट उसके लिए अमित शाह को आरोपमुक्त कर चुकी है।
अय्यूब तो उसी वक़्त से दुखी चल रही थी जब एग्जिट पोल में भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी। लेकिन किसी चमत्कार के इंतज़ार में तथाकथित पत्रकार ने खुद पर तब तक कण्ट्रोल बनाए रखा जब तक शुरुआती रुझानों में भाजपा की सरकार बनती दिखाई देने लगी।
तब भी राणा अय्यूब को यह बात अपच की तरह परेशान कर रही थी कि, जिनसे वो सबसे ज़्यादा घृणा करती है वो सरकार में बहुमत से वापस आएँगे। अत्यंत दुख और आतंरिक परेशानियों से जूझती अय्यूब ने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधा कि वो भाजपा को क्यों नहीं रोक पाए। दुखातिरेक में अय्यूब ने याद किया कि कॉन्ग्रेस में 5 सालों में कुछ भी नहीं बदला।
चूँकि अमित शाह अब कैबिनेट में गृह मंत्री हैं, हमें यह पूरी आशा है कि अपने कुत्सित इरादों को शब्दों का कपड़ा पहना कर मोदी, शाह और पूरे PMO के लिए ट्विटर एवं अन्य वैश्विक मंचों पर राणा अय्यूब ओवरटाइम खटते हुए घृणा और झूठ का विषवमन करती रहेगी।