Wednesday, November 20, 2024
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एशिया की सबसे बड़ी ईसाई कैथोलिक बिशप समिति ने मोदी की जीत को गले लगाया

जहाँ एक तरफ उत्तर-पूर्व और केरल के चर्चों के पादरी लगातार भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट न देने की बात कर रहे थे वहीं एशिया की सबसे बड़ी कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ने पीएम मोदी को उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई दी है। कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वे समावेशी और शांतिमय भारत के लिए नई सरकार के साथ मिल कर काम करने को तैयार हैं। कॉन्फ्रेंस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी बधाई दी है। कॉन्फ्रेंस ने ऐसे नए भारत के निर्माण की बात कही, जहाँ शांति और समृद्धि लगातार बढ़ती रहे।

कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वह ऐसे नए भारत के लिए आशावान है और इसके लिए प्रार्थना भी करता है। बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ओसवाल्ड कार्डिनल ग्रेसियस ने कहा, “आपको जिन महान जिम्मेदारियों को निभाने के लिए जनता ने चुना है, उसे पूरा करने के लिए भगवान आपको आवश्यक शक्ति, बुद्धिमत्ता और स्वास्थ्य प्रदान करें। इसके लिए मैं प्रार्थना करता हूँ।” मोदी को बधाई देते हुए कैथोलिक चर्च ने एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में लिखा गया है कि नए भारत के नज़रिए पर काम करने के लिए चर्च इच्छुक है। ये संस्था 19 करोड़ 90 लाख कैथोलिक ईसाईयों का प्रतिनिधित्व करती है।

चर्च ने लिखा कि नए भारत में युवाओं को आशा और ऊर्जा मिलेगी, महिलाओं का (ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली) सशक्तिकरण होगा और किसानों के लिए लम्बे समय तक के लिए प्रभावकारी अवसर पैदा किए जाएँगे। चर्च ने कहा कि बिना किसी को पीछे छोड़े हुए भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। चर्च ने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिर एवं प्रभवशाली सरकार चलाने के लिए स्पष्ट बहुमत दिया है और समावेशी भारत की दिशा में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की सफलता के लिए प्रार्थनाएँ की जाएँगी।

बता दें कि इसी बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया ने मार्च 2019 में प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में मोदी सरकार की आलोचना करते हुए लिखा था कि धार्मिक मामलों में मीडिया की लापरवाही, भोजन की चॉइस को लेकर हुए कई विवाद और सांस्कृतिक भिन्नता ने सरकार की विश्वसनीयता को काफी प्रभावित किया है और अल्पसंख्यकों को असुरक्षित महसूस कराया है। संस्था ने उस समय पीएम को भेजे पत्र में अल्पसंख्यकों को लेकर चिंता जताते हुए उन्हें देश में सुरक्षित महसूस कराने की सलाह दी थी।

इस पत्र में सरकार को सभी धर्मों के त्योहारों का सम्मान करते हुए उनमें भाग लेने की सलाह दी गई थी। मार्च में पीएम को भेजे पत्र में आगे लिखा गया था कि यूजीसी, सीबीएसई, एनसीईआरटी, आईआईटी, आईआईएम, सीबीआई, ईडी और न्यायपालिका जैसे राष्ट्रीय संस्थानों और स्वायत्त निकायों को अवरोध के बिना कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हें दबाया या प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि विपक्ष द्वारा भी कमोबेश चुनाव में इन्हीं मामलों को मुद्दा बनाया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज करते हुए पिछली बार से भी अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले 40 वर्षों में ऐसा पहली बार हुई है जब कोई सरकार लगातार दूसरी बार बहुमत के साथ चुन कर सत्ता में आए। ताज़ा लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की बुरी हार हुई है और पार्टी में घमासान मचा हुआ है।

कॉन्ग्रेस नेताओं के पुत्रमोह ने डुबाई पार्टी की लुटिया: राहुल गाँधी जमकर बरसे

लोकसभा चुनाव में देश भर में कॉन्ग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में घमासान मचा हुआ है। चुनाव परिणामों को लेकर शनिवार को दिल्ली में हुई कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। हालाँकि उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया गया।

बैठक में राहुल काफी गुस्से में नजर आए। उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी हित से ऊपर अपने बेटों का हित रखा। उन्होंने उन पर अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए जोर डालने का आरोप लगाया। राहुल गाँधी ने कहा कि जिन राज्यों में कॉन्ग्रेस की सरकार है वहाँ भी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा। वहाँ के पार्टी नेता भी कॉन्ग्रेस प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सके।

जानकारी के मुताबिक,चुनाव में हार की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में राहुल गाँधी नेताओं के पुत्रमोह को लेकर जमकर भड़के। इस दौरान राहुल के निशाने पर मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम थे। राहुल ने कहा कि इन वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेताओं ने अपने बेटों को पार्टी हित से ऊपर रखकर उन्हें टिकट देने का जोर लगाया, जबकि वो इस पक्ष में नहीं थे।

दरअसल, इस बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस को स्थानीय नेताओं को मजबूत बनाना चाहिए। जिसके बाद राहुल गाँधी ने इन नेताओं को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया है, जबकि कुछ महीने पहले ही वहाँ पर पार्टी की जीत हुई है और कॉन्ग्रेस की सरकार बनी है। राहुल ने कहा कि इन राज्यों के नेता राफेल और चौकीदार चोर है जेसे अहम मुद्दों को लोगों के बीच ले जाने में नाकाम रहे, जिसकी वजह से कॉन्ग्रेस का प्लान फेल हो गया।

J&K में BJP को मिला अब तक का सर्वाधिक वोट शेयर: राज्य भाजपा ने कहा 370 हटाओ

लोकसभा चुनाव में भाजपा की जबर्दस्त जीत के बाद जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की माँग तेज़ी से जोर पकड़ने लगी है। राज्य के भाजपा संगठन का कहना है कि यहाँ की जनता ने राज्य से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए ही पीएम मोदी के पक्ष में वोट किया है तो अब समय आ गया है कि इस दिशा में कदम उठाते हुए अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को समाप्त करने की प्रक्रिया पर अंतिम निर्णय लिया जाए। दरअसल, भाजपा ने अपनी चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था केंद्र में वापस सरकार आने पर वो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म कर देगी।

गौरतलब है कि, राज्य में भाजपा की जीत के बाद पूर्व सीएम और श्रीनगर के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार (मई 24, 2019) को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि 2019 के चुनाव में भले ही भाजपा को बड़ी जीत है, मगर वो राज्य से विशेष दर्जे को खत्म नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि वो चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हो जाएँ, लेकिन राज्य से इसे नहीं हटाया जा सकता। अब्दुल्ला के इस बयान के बाद राज्य के भाजपा संगठन ने इसे हटाने की माँग तेज कर दी है।

बता दें कि जम्मू कश्मीर में भाजपा ने अपना सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। भाजपा ने न केवल 46.39% मत प्राप्त किया बल्कि 27 विधानसभा सीटों पर भी उसका मत प्रतिशत सर्वाधिक रहा है। यह 2014 के निर्वाचन में पाए 32% मतों से 12% अधिक है।

राज्यमंत्री रहे डॉ. जितेंद्र सिंह ऊधमपुर में विजयी हुए हैं और उन्होंने राज्य के भूतपूर्व शाही परिवार के राजकुमार विक्रमादित्य सिंह को हराया है। साढ़े तीन लाख वोटों से अधिक की उनकी जीत राज्य में किसी भी प्रत्याशी की जीत से बड़ी है। पार्टी के जुगल किशोर ने जम्मू में 58.02% मतों के साथ जीत दर्ज की है, और लद्दाख से जामयांग त्सेरिंग नामग्याल लगभग 34% मतों के साथ विजयी हुए हैं।

फारूख अब्दुल्ला के बयान पर भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) अनिल गुप्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व के पास अनुच्छेद 35ए और 370 को लेकर बड़े-बड़े दावे करने के लिए जम्मू और लद्दाख का जनादेश नहीं है क्योंकि उन्हें जम्मू और लद्दाख की जनता का वोट नहीं मिला है। उनके पास सिर्फ घाटी की सीटें हैं। इसके साथ ही अनिल गुप्ता ने अब्दुल्ला को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये घाटी में शांति की माँग तो करते हैं, मगर साथ ही इनकी पार्टी आफस्पा हटाने और जमात-ए-इस्लामी पर बैन हटाने की भी माँग रखती है। अब आतंक के अंत और उसके नेटवर्क को समाप्त किए बिना राज्य में शांति की स्थापना कैसे हो सकती है, ये तो अब्दुल्ला ही बता सकते हैं। 

AAP की लड़ाई WhatsApp से Twitter पर आई, अलका ने माँगा केजरीवाल का इस्तीफा

आम आदमी पार्टी के व्हाट्सएप ग्रुप से निकाले जाने के बाद से अलका लांबा ट्विटर पर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं। चाँदनी चौक से आप विधायक ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला। अलका लांबा ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि वो भले ही पार्टी के भीतर नहीं हैं, लेकिन एक शुभचिंतक के तौर पर वो बाहर से पार्टी की भलाई के लिए सुझाव देती रहेंगी। उसे मानना या ना मानना उनकी मर्जी होगी। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में चुनाव जीतना है, तो अरविंद जी को दिल्ली पर फोकस करना चाहिए और संविधान के मुताबिक पार्टी के संयोजक का पद संजय सिंह जी को सौंप देना चाहिए, क्योंकि उनके पास संगठन का अनुभव भी है। इसके साथ ही अलका ने सवाल भी उठाया कि क्या चुनाव में पार्टी की हार के लिए केजरीवाल को इस्तीफा नहीं देना चाहिए?

अलका लांबा ने कहा कि शनिवार (मई 25, 2019) को अरविंद केजरीवाल ने विधायकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज किया कि हार के बाद अब सभी विधायकों को दिल्लीवालों के बीच जाकर माफी माँगनी चाहिए। लोगों से एक मौका देने की अपील करनी चाहिए। अलका का कहना कि इस दौरान उन्होंने पूछा कि इस चुनाव में उनसे गलती क्या हुई है, इस पर भी चर्चा हो जानी चाहिए, जिससे दोबारा से ऐसी कोई गलती न हो। जिसके बाद उन्हें ग्रुप से हटा दिया गया।

अलका यहीं पर नहीं रुकी, उन्होंने तो व्हाट्सएप ग्रुप कहा कि बात समस्याओं की नहीं, बल्कि सभाओं की हो रही है और साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज को मोहरा और चमचा तक कह दिया।

इसके साथ ही अलका ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, “2013 में आप के साथ शुरू हुआ मेरा सफ़र 2020 में समाप्त हो जायेगा। मेरी शुभकामनाएंँ पार्टी के समर्पित क्रांतिकारी जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा रहेंगी, आशा करती हूँ आप दिल्ली में एक मजबूत विकल्प बने रहेगें। आप के साथ पिछले 6 साल यादगार रहगें।आप से बहुत कुछ सीखने को मिला।”

गौरतलब है कि अलका लांबा को शनिवार (मई 25, 2019) को आम आदमी पार्टी के व्हाट्सऐप ग्रुप से निकाल दिया गया। इस ग्रुप में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के अलावा सीएम अरविंद केजरीवाल भी हैं। विधायक अलका लांबा ने आरोप लगाया है कि ओडिशा के सीएम को जीत की बधाई देने की वजह से उन्हें व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया गया। जिसके बाद से अलका लगातार ट्वीट करके आप को निशाने पर ले रही हैं और साथ ही नसीहतें भी दे रही है और अब तो उन्होंने सीएम केजरीवाल का इस्तीफा ही माँग लिया।

चुनाव हारने में राहुल गाँधी की कोई गलती नहीं, मैं दूँगा इस्तीफा: अशोक चव्हाण

लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में इस्तीफा का दौर जारी है। शनिवार (मई 25, 2019) को खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी। हालाँकि उनके इस्तीफे को कार्यकारिणी समिति द्वारा नामंजूर कर दिया गया। इसके साथ ही कॉन्ग्रेस के बड़े नेताओं ने इस्तीफे की पेशकश की है और अब महाराष्ट्र के प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने राहुल गाँधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

चव्हाण का कहना है कि उन्होंने राहुल गाँधी को इस्तीफा भेज दिया है। अब इसे स्वीकार करना या नहीं, यह उन पर निर्भर करता है। उनका कहना है कि राहुल चाहें तो प्रदेश संगठन में बदलाव कर सकते हैं। वो इसके लिए उन्हें (राहुल) पूरी तरह से अधिकृत करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जल्द ही राहुल गाँधी से मिलने की भी बात कही। इससे पहले उन्होंने शनिवार (मई 25, 2019) को ट्वीट करते हुए कहा था कि चुनाव में कॉन्ग्रेस की हार एक सामूहिक जिम्मेदारी है, अकेले पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी की नहीं। अशोक चव्हाण के नेतृत्व में राज्य का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कॉन्ग्रेस में सिर्फ 2 सीटें मिली थी, तो वहीं, इस बार के चुनाव में महज 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा। अशोक चव्हाण खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए।

गौरतलब है कि, इससे पहले यूपी, कर्नाटक और ओडिशा के पार्टी प्रभारी भी अपने इस्तीफों की पेशकश कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को पार्टी ने फतेहपुर सिकरी से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया था। राज बब्बर अपनी सीट तो हारे ही पूरे यूपी में कॉन्ग्रेस को भी कोई सीट नहीं दिला सके, सिवाय पार्टी की रायबरेली वाली परंपरागत सीट के। इस सीट पर सोनिया गाँधी ने जीत दर्ज की है। वहीं अमेठी से राहुल गाँधी तक हार गए। इतने बुरे प्रदर्शन के बाद राज बब्बर ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को इस्तीफा भेज दिया है।

इसी तरह कर्नाटक में कॉन्ग्रेस कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष एच के पाटिल ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। कर्नाटक में भी कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। वहाँ पार्टी केवल 1 सीट ही जीत पाई। इस हार के बाद पाटिल ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को खत लिखकर कहा कि यह सभी के लिए आत्ममंथन का समय है और वो अपनी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे हैं। ओडिशा कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने भी ओडिशा में पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि पार्टी ने उनको भी टिकट दिया था मगर वो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सके और उन्होंने ये बात अपने पार्टी अध्यक्ष को बता दी है। वहीं, अमेठी जिला कॉन्ग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने भी अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है।

मोदी सरकार में हुआ राफेल मुनाफे का सौदा, CAG ने लगाई मुहर

शनिवार (25 मई) को सरकार ने उच्चतम न्यायालय में सीधे-सीधे कहा कि राफेल सौदा देश के लिए मुनाफे का सौदा साबित हुआ है, और इस बात पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने भी मुहर लगा दी है। केंद्र ने यह भी कहा कि संप्रग सरकार के मुकाबले राजग सरकार द्वारा ख़रीदे गए लड़ाकू विमानों का ₹1000 करोड़ महंगा होना महज याचिकाकर्ताओं प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के दिमाग का फितूर है।

मीडिया रिपोर्टों के आधार पर याचिका, CAG के आकलन से लैस सरकार

याचिकाकर्ताओं ने याचिका का आधार मीडिया में चली कुछ ख़बरों को बनाया था जिनमें दावा किया गया था कि कॉन्ग्रेस सरकार के समय तय की गई 126 राफेल की कीमत से 36 राफेल विमानों का सौदा (जो राजग सरकार ने किया था) ₹1000 करोड़ ज्यादा महंगा है। केंद्र ने इसके खिलाफ कैग की रिपोर्ट को रखते हुए याचिका के आधार और औचित्य को ही सवालिया घेरे में ला दिया है। सरकार ने न्यायालय को बताया कि उसने कैग को सभी मूल्य संबंधित जानकारियाँ, दस्तावेज और रिकॉर्ड मुहैया करा दिए थे। उनके आधार पर कैग ने विमानों की कीमत का एक स्वतंत्र आकलन किया, और मोदी सरकार के 36 विमानों के सौदे और मनमोहन सरकार के 126 विमानों के सौदे का अध्ययन किया

केंद्र ने अपने 39 पन्नों के जवाब में कहा, “कैग का आकलन याचिकाकर्ताओं के उस मूल तर्क का समर्थन नहीं करता कि कि हर विमान को पहले तय की गई कीमत के मुकाबले ₹1000 करोड़ ज्यादा दाम देकर खरीदा गया। बल्कि कैग के कहे अनुसार तो 36 राफेल विमानों का सौदा तो अनुमानित मूल्य से 2.86% कम है। इसके अतिरिक्त नॉन-फर्म और फिक्स्ड कीमत का भी लाभ मिलेगा। इससे याचिकाकर्ताओं का केस ही खत्म हो जाता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया फैसला

इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। याचिका 14 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पड़ी थी। उस फैसले में अदालत ने केंद्र सरकार को राफेल विमानों की खरीद प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से क्लीन चिट दे दी थी

अमेठी में स्मृति ईरानी के करीबी BJP कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या

उत्तर प्रदेश के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के करीबी माने जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता और बरौलिया गाँव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जानकारी के मुताबिक, शनिवार (मई 25, 2019) की रात सोते हुए सुरेंद्र सिंह पर अज्ञात बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोली बरसा कर हत्या कर दी। गोली लगने से घायल सुरेंद्र सिंह को लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुँची पुलिस ने मामला दर्ज कर इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। पुलिस ने इसे लेकर कई लोगों से पूछताछ कर हत्या के पीछे की वजह पता लगाने की कोशिश कर रही है। मगर फिलहाल इसके पीछे की वजह चुनावी रंजिश को बताया जा रहा है, क्योंकि सुरेंद्र सिंह अमेठी से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को शिकस्त देने वाली भाजपा नेता स्मृति इरानी के बेहद खास थे और स्मृति ईरानी के प्रचार में वो काफी सक्रियता से जुटे थे। वारदात से कुछ समय पहले ही वो स्मृति ईरानी की जीत का जश्न मनाकर लौटे थे।

घटना के बाद बरौलिया का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया है। इसे देखते हुए आसपास के इलाके में भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई है। इस मामले पर अमेठी के एसपी का बयान आया है। उन्होंने कहा कि सुरेंद्र सिंह को शनिवार रात करीब 3 बजे गोली मारी गई। कुछ संदिग्धों को हिरासत में ले लिया गया है और जाँच जारी है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हत्या का कारण कोई पुराना विवाद या फिर चुनावी रंजिश से जुड़ा मामला हो सकता है।

कॉन्ग्रेस में नया ड्रामा: राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद छोड़ा तो आत्महत्या कर लेंगे कार्यकर्ता, बोले चिदंबरम

लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी को करारी शिकस्त मिलने के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी ने 2014 की तरह एक बार फिर से अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का राग अलापा। जिसे कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी द्वारा नामंजूर कर दिया गया। दरअसल, पार्टी की हार के बाद शनिवार (मई 25, 2019) को हार की वजहों का विश्लेषण करने के लिए कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक की गई। जिसमें तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे। बैठक में राहुल गाँधी ने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन पार्टी की कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से उनकी पेशकश को खारिज कर दिया।

इस दौरान देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम काफी भावुक हो गए। उन्होंने राहुल गाँधी से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि वो अध्यक्ष पद न छोड़ें। अगर वो अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे, तो दक्षिण भारत के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे। इस बार तमिलनाडु और केरल में कॉन्ग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। राहुल गाँधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के कारण वहाँ पर वाम दल के खाते में सिर्फ 1 सीट आई, जबकि कॉन्ग्रेस गठबंधन को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई।

बैठक के बाद कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी हार स्वीकार करती है, लेकिन राहुल गाँधी ही पार्टी अध्यक्ष रहेंगे। पार्टी में बदलाव के पूरे अधिकार राहुल गाँधी को दिए गए हैं। इस बारे में राहुल गाँधी की बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा का कहना था कि जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। वहीं, जब पार्टी के नेताओं ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी से हस्तक्षेप करने और राहुल गाँधी को इस्तीफा देने से मना करने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि यह राहुल को तय करना है कि वह पद छोड़ना चाहते हैं या नहीं।


गुजरात के 20 बच्चों की हत्या हुई है, ज़िम्मेदारी भाजपा सरकार की है, एलियन्स की नहीं

आग लगी, कुछ बच्चे जल गए, कुछ डर से कूद गए और मर गए। सूरत की बात है। सूरत गुजरात में आता है। गुजरात में भाजपा की सरकार है। सरकारों का काम होता है हर कमर्शियल संस्थान की फायर ऑडिट करना। सरकारों का काम यह भी होता है कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में आपदा से त्वरित बचाव के उपाय बताना। सरकारों का बहुत काम होता है, लेकिन सरकारें वैसे काम नहीं करतीं।

बीस बच्चों की जान चली गई। शॉर्ट सर्किट से आग लगी और सीढ़ियों वाले हिस्सों में फैली। भगदड़ मची और कई लोग दम घुटने की वजह से मर गए। कुछ बच्चे इस आशा में कूद गए कि कहीं बच जाएँगे। कुछ बचे, कुछ उतने भाग्यशाली नहीं थे।

जब आग लगती है, और वो बिजली के तारों में लगी हो तो धुआँ इतना सघन और ज़्यादा उठता है कि आप न साँस ले पाएँगे, न आगे बढ़ पाएँगे क्योंकि दिखना बंद हो जाता है। खास कर वैसी जगहों में जो बंद हो। 2008 में मैं एक ऐसी ही आग में फँसा था, और हमारे ऑफिस के सारे लोगों का सौभाग्य था कि अधिकतर लोग धुएँ के ऊपर पहुँचने से पहले टॉप फ़्लोर से छत पर पहुँच गए थे। मैं सीढ़ियों से बहुत दूर एक केबिन में खाना खा रहा था, और जबकि किसी को याद आई कि मैं रह गया तो वो अपनी जान पर खेल कर मुझे गरियाने आया कि वो भी मरेगा, मैं भी।

मैंने उस आग की भयावहता को देखा है जब मेरे लिए छत तक जाने की दस सीढ़ियाँ दस किलोमीटर जैसी हो गई थी। आपका शरीर जवाब देने लगता है क्योंकि आप धुएँ को फेफड़ों में भरते हैं जिसमें ऑक्सीजन नहीं होता। दिमाग सुस्त होने लगता है और आप बेहोश होते हैं, फिर कोई मदद न मिले तो आप मर जाते हैं। मेरा शरीर जब जवाब देने लगा और सामने दो मीटर चौड़े, ढाई मीटर ऊँचे खुले दरवाज़े को गर्मी के दोपहर की चिलचिलाती धूप को धुएँ ने ऐसे ढक लिया था कि मुझे लगा आज छत पर नहीं पहुँच पाऊँगा। लेकिन शायद वहाँ कुछ दोस्त इंतजार में थे, और उन्होंने मुझे खींच लिया। मैं बच गया।

सूरत के कोचिंग सेंटर के बच्चे नहीं बचे। सरकार ने ‘एन्क्वायरी’ के आदेश दे दिए हैं। नेताओं ने शोक संदेश जारी कर दिए हैं। परिवार वालों को चार लाख की सरकारी मदद की घोषणा भी हो गई है। एक दिन यह खबरों में भी चला। सोशल मीडिया पर दो दिन रहा। कल ये गायब हो जाएगा। देश बड़ा है, नई खबरें आएँगी, कोई और आपदा, इस आपदा की जगह ले लेगी। हम उस पर चर्चा करने लगेंगे।

कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में आग से बचाव को लेकर कई नियम कानून होते हैं। आपके पास अग्निशमन यंत्र होने चाहिए, उसकी तय समय पर चेकिंग होनी चाहिए, कर्मचारियों को इसके इस्तेमाल की जानकारी होनी चाहिए। सरकार के कर्मचारी उसका ऑडिट करते हैं, और सेफ़्टी का सर्टिफ़िकेट दिया जाता है। आप समझ सकते हैं कि भारत जैसे देश में यह काम कितनी जगहों पर सही तरीके से होता होगा, और भगवान को अगरबत्ती दिखा कर कम्पनी बचाए रखने की प्रार्थना से सारे काम होते रहते होंगे।

कई स्कूलों में इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। मेरे स्कूल में दी जाती थी। लेकिन बाकी स्कूलों के बारे में मुझे पता है कि दूसरी क्लास की किताब में लाल-पीले रंग की आग और दमकल की फोटो दिखा कर ही फायर सेफ़्टी ख़त्म हो जाती थी। सड़क की बायीं ओर चलने से लेकर, घंटी बजाने और कूड़ेदान में कूड़ादान फेंकने से लेकर आग बुझाने की बात दो पन्ने में, प्राइमरी कक्षा में पढ़ा दी जाती है। और वो भी रटा दी जाती है कि सवाल आएँ तो जवाब लिख दिया जाए। वही बच्चा सड़क की दाहिनी ओर चलता है, मम्मी के कहने पर कूड़ादान बाहर फेंक देता है, और सायकिल चलाते वक्त घंटी नहीं बजाता।

वैसा ही व्यक्ति कोचिंग संस्थान खोलता है। वैसा ही व्यक्ति सरकार चलाता है। वैसा ही व्यक्ति कोचिंग में पढ़ता है। और, वैसा ही व्यक्ति लाशों की संख्या में से एक संख्या मात्र बन कर चला जाता है। ये आपदा नहीं, हत्याकांड है। इस हत्या का ज़िम्मा सबसे ज़्यादा कोचिंग संस्थान और सरकार पर है, और फिर आधा ज़िम्मा हमारे तंत्र का है जहाँ हम तैयार नहीं करते लोगों को।

जब उस आग से बच कर मैं घर आया, तो हमारे मित्र के भाई थे उन्होंने बताया कि वो हाल ही में एक फायर ड्रिल में गए थे। धुएँ से बचने का सबसे पहला तरीक़ा है ज़मीन पर लेट जाना क्योंकि धुआँ ज़मीन पर सबसे बाद में भरता है, क्योंकि उसकी प्रवृति ऊपर रहने की होती है। उसके बाद नाक पर किसी कपड़े को रख कर साँस लेने की कोशिश करनी चाहिए। अगर कहीं पानी हो, तो रुमाल या कपड़ा भिंगाकर नाक पर रख लीजिए, जान बचने की पूरी संभावना है। आप दम घुटने से नहीं मरेंगे। अगर पानी न मिले तो जान बचाने के लिए शरीर से लिक्विड निकालिए। कपड़े पर थूकिए, या फिर मूत्र का प्रयोग कीजिए। बचे रहने की संभावना बढ़ जाएगी

ये बातें मैं जानता था, लेकिन स्कूल के बाद भूल गया था। क्योंकि स्कूल में भी ड्रिल हमेशा नहीं होती थी। हो सकता है कि ये बातें आग लगने के वक्त याद न रहे, लेकिन अगर सबने वही पढ़ाई की होती, हर स्कूल में आपदा को लेकर तैयारी का चैप्टर प्रैक्टिकल के तौर पर पढ़ाया जा रहा होता, तो आपका सहकर्मी, आपका सहपाठी, आपका मित्र, आपकी बहन, आपकी बेटी आपको उस समय सलाह देकर बचाने की कोशिश कर सकते थे।

लेकिन, हमने कहीं नहीं पढ़ा। पढ़ा भी तो परीक्षा पास करने के लिए, जान बचाने के लिए नहीं। सरकारों ने नियम बनाए लेकिन यह याद नहीं कि ऑडिट किया कि नहीं। हो सकता है कि यह आपदा एक दुर्घटना हो, संस्थान ने ऑडिट भी कर रखा हो, उसके पास सेफ़्टी का सर्टिफ़िकेट भी हो। सर्टिफ़िकेट तो बन जाते हैं, लेकिन कई खबरें बताती हैं कि वहाँ अग्निशमन यंत्र थे ही नहीं! बीस जानें गईं। क्या सरकार कोचिंग वालों के ऊपर एक्शन लेकर अपना पल्ला झाड़ सकती है? अगर सरकार दोषी हुई तो क्या उस सबसे बड़े अफसर पर हत्या का मुकदमा चलेगा जिसके कार्यक्षेत्र में यह विभाग आता है?

नौकरशाहों, जनप्रतिनिधियों और वकीलों ने सारे कानून अपने हिसाब के कर रखे हैं। ज़िम्मेदारी सबसे निचले व्यक्ति पर थोपी जाती है, वो सस्पैंड होता है, बाकी लोगों पर असर नहीं होता। मोदी जी ने आज कहा है कि विश्व भारत की तरफ देख रहा है। रवीश जी ने कहा कि भारत में अब राजनीति का युग बदल गया है। भाजपा के समर्थक खुश हैं कि अब स्पष्ट बहुमत फिर से मिला है।

क्या हमारे तरीके बदलेंगे? क्या सरकार इन बातों पर गम्भीर होगी कि कोटा में बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं तो उसके लिए कुछ किया जाए? क्या स्कूलों के पाठ्यक्रम से लेकर पैरेंटल काउन्सलिंग जैसी चीज़ों पर बातें होंगी? क्या शिक्षा में किताबों की भागीदारी की बराबरी में लाइफ स्किल्स यानी जीवन जीने के लिए ज़रूरी बातों पर बच्चों को तैयार किया जाएगा? या फिर आपदाएँ नाम बदल कर आती रहेंगी, सरकारें चलती रहेंगी, सिस्टम भी चलता रहेगा?

वर्तमान गर्लफ्रेंड से मिलने गया था Alt News का ‘अलगाववादी’ जाकिर मूसा, भूतपूर्व गर्लफ्रेंड ने मरवा दिया

अजय देवगन की फिल्म दिलजले में दारा ने कहा भी था कि आतंकवादी की प्रेमकहानी नहीं होती। फिर भी एक एक कर जितने भी आतंकी मारे जा रहे हैं, उनके पीछे उनकी प्रेमिकाओं की बेवफाई की बात सामने आ रही है। आज ‘शाका’ का कहा वो डायलॉग अनायास ही प्रासंगिक हो उठा है और कश्मीर में सक्रिय उन आतंकियों पर शत-प्रतिशत लागू हो रहा है, जो जिहाद छेड़ने की मुहिम में जुटे हैं और अपनी प्रेमिकाओं से मिलने की चाहत में मौत को गले लगा रहे हैं।

कश्मीर में आतंकियों को प्रेमिकाओं से की जाने वाली बेवफाई भारी पड़ने लगी है। अल-कायदा के अंसार गजवत-उल-हिंद सेल का संस्थापक और प्रमुख जाकिर मूसा की मौत के लिए उसकी प्रेमिका को जिम्मेदार माना जा रहा है, जबकि कुछ अरसा पहले हिजबुल मुजाहिदीन के दूसरे पोस्टर ब्याय आतंकी कमांडर समीर टाइगर की मौत की जिम्मेदार भी एक युवती को ठहराया गया था।

कश्मीर में जारी आतंकवाद के इतिहास में यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें आतंकी कमांडरों की मौत का कारण युवतियाँ बनी हों। कई आतंकी कमांडर या तो अपनी प्रमिकाओं से मिलने की चाहत के कारण डूब गए या फिर उनकी उस बेवफाई के कारण जान से हाथ धोना पड़ा, जो उन्होंने प्रेमिकाओं से की थी।

ताजा मामला कश्मीर में सबसे मोस्ट वांटेड आतंकी जाकिर मूसा की मौत का है। उसकी मौत के लिए उसकी प्रेमिका को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुत्ते की मौत मरने से पहले जाकिर मूसा एनकाउंटर वाले दिन अपनी दूसरी प्रेमिका से मिलने आया था और यही बात उसकी पहली प्रेमिका को पसंद नहीं आई। इसी वजह से भूतपूर्व प्रेमिका ने जज्बाती होकर सुरक्षाबलों से मुखबिरी कर दी और मूसा कुत्ते की मौत मारा गया।

आधिकारिक आँकड़ों पर यकीन करें तो पिछले 30 साल के आतंकवाद के इतिहास में ऐसे सैंकड़ों मामलों में सुरक्षाबल आतंकी कमांडरों और उनके काडर को मार गिराने में उस समय कामयाब हुए, जब वे प्रेमिकाओं की गोद में सिर रख कर फिरदौस का हसीन नजारा लूटने के इरादों से उनसे मिलने आए या फिर अपनी प्रेमिकाओं से बेवफाई के चलते उनकी प्रेमिकाओं ने उनकी मुखबरी कर डाली।

जाकिर मूसा मुठभेड़ वाले दिन अपनी दूसरी प्रेमिका से मिलने उसके घर गया था तो उसकी पहली प्रेमिका ने उसकी मुखबिरी कर सेना को उसके प्रति जानकारी दे डाली थी।

इससे पहले का एक बड़ा मामला वर्ष 2016 के जुलाई महीने में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पहले पोस्टर बॉय और NDTV पत्रकार बरखा दत्त के अनुसार गरीब मास्टर के बेटा बुरहान वानी का भी था। बुरहान भी अपनी गर्लफ्रेंड की मुखबिरी पर मारा गया था। मीडिया में मिली जानकारियाँ बताती हैं कि बुरहान वानी ने कई महिलाओं और लड़कियों से संबंध बना रखे थे, जिस कारण बुरहान से उसकी गर्लफ्रेंड नाराज थी। उसकी गर्लफ्रेंड ने मोबाइल पर उसकी चैंटिंग भी देख ली थी और इसके बाद से वह बदला लेना चाहती थी। इसी क्रम में उसने सुरक्षा एजेंसियों को उसके बारे में सटीक जानकारी दे दी थी।

दिलजले फिल्म का वह कालजयी डायलॉग

इस फिल्म में दारा ने तो शाका को पहले ही कह दिया था कि आतकंवादियों की प्रेम कहानी नहीं होती। दारा ने ये कहने के बाद मटका तोड़ दिया था। आप भी देखिए, Alt News का ‘अलगाववादी’ जाकिर मूसा तो निपट ही चुका है।