Sunday, October 6, 2024
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दलाल, हरामज़ादा, पूतना, दरिंदा, चोर, भड़वा आदि आराम से क्यों बोलने लगे हैं हमारे नेता?

हम, आप, बाकी पूरी दुनिया के समझदार लोग कई बात कई बार बोलते हैं जिनमें से ‘मानवता हुई शर्मसार’ सबसे ज्यादा बार इस्तेमाल होता है। मानवता के शर्मसार होने का एक राजनैतिक समकक्ष भी है जो हम आम लोग और राजनेता भी बार बार इस्तेमाल करते हैं: ‘पॉलिटिक्स हैज़ टच्ड अ न्यू लो’ या राजनीति ने नए न्यूनतम स्तर को छू लिया है। 

अगर ये बात बार-बार कही जा रही हो तो इसका मतलब है कि दिनोंदिन राजनीति गिरती ही जा रही है। राजनीति से यहाँ मतलब नेताओं की बयानबाज़ी से है। हमेशा कोई आकर कुछ ऐसा बोल जाता है कि लगता है इससे बुरा कोई क्या बोलेगा आज के दौर में। ताज़ातरीन बयान है गिरिराज सिंह द्वारा ममता बनर्जी को ‘पूतना‘ और ‘किम जोंग उन‘ कहने का। 

अभी एक ख़बर आई कि गिरिराज सिंह ने ममता बनर्जी को ‘पूतना’ और ‘किम जोंग उन’ कहा है। भाजपा समर्थकों और ममता विरोधियों को ऐसे बयान सुनकर बहुत आनंद मिलने लगता है, लेकिन ऐसे बयानों को बढ़ावा देने से बचना चाहिए। इस तरह के बयान देकर आप कल को मर्यादा और गरिमा नामक शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते।

ये बयान कम और बेहूदगी ज़्यादा है। इस तरह के कई बयान भाजपा नेताओं ने कई बार दिए हैं। कभी बेकार की बातों पर पाकिस्तान भेजने की बात, तो कभी ‘रामजादा‘ कहना, भाजपा और सहयोगी दलों के कुछ नेता इस तरह के वाहियात बातें कहने के लिए ही ख्याति प्राप्त करने लगे हैं। ऐसे ही राहुल गाँधी ने राफ़ेल जपने, ‘चौकीदार चोर है‘ कहने से पहले, सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति करते हुए मोदी को ‘ख़ून की दलाली‘ करने वाला कहा था। 

बात मोदी या भाजपा, राहुल या काँग्रेस की नहीं है। भाजपा ने भी ऐसे ही विचित्र बयान दिए हैं जिससे शर्मसार राजनीति और भी शर्मसार होती चली गई है। सोनिया गाँधी का ‘ज़हर की खेती‘ वाला बयान भी सामने आता है। फिर याद आता है केजरीवाल का ट्वीट जिसमें उन्होंने मोदी को ‘कायर और विकृत मानसिकता वाला‘ (कावर्ड एण्ड अ साइकोपाथ) कहा था। 

इसी श्रृंखला में देखिए तो मोदी द्वारा लिए गए नए-नए नाम, ‘रोज़ जंगलराज का डर‘ (RJD), ‘जनता का दमन और उत्पीड़न‘ (JDU) याद आता है। फिर नितीश का ‘बड़का झूठा पार्टी‘ (BJP) याद आता है। मोदी का मज़े लेकर ‘शहज़ादे‘, ‘50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड’, ‘जीजाजी‘ बोलना भी याद आता है। काँग्रेस का मोदी को अपनी ‘माँ और बीबी को छोड़ने वाला‘ कहना आदि याद आता है। बात पार्टी से नेता और फिर एकदम निजी स्तर तक पहुँच गई।

ये क्यों होता है? आज के दौर में इंटरनेट, और आम जनता जो समाचार देखती-पढ़ती है, दो खेमें में बँट जाती है। सब एक विचारधारा पकड़ लेते हैं। एक आदमी या तो राष्ट्रभक्त है, या राजद्रोही। ये दोनों परिभाषाएँ भी ये खुद तय करते हैं। कोई मोदी भक्त है, कोई आपटार्ड है। कोई राहुल गाँधी को पप्पू कहता है, कोई केजरीवाल को युगपुरूष, कोई मोदी को फेंकू। 

बातचीत का स्तर हर दिन गिरता जा रहा है और इसी को हमारे नेता भुना रहे हैं। जहाँ एक गाली देकर काम चल जाए, वहाँ लंबा भाषण क्यों दें? जहाँ सिर्फ चुटकुलेबाजी से काम चल जाए वहाँ कोई विकास के मुद्दे पर क्यों बोलेगा? जहाँ आदमी हिंदू राष्ट्र माँग रहा है वहाँ नवाजुद्दीन के रामलीला से निकाले जाने पर वो क्यों दुखी होगा?

जहाँ लोगों को प्रधानमंत्री की हर बात झूठी लगती है वो आखिर सेना की नीयत पर सर्जिकल स्ट्राइक के विडियो माँगकर संदेह क्यों नहीं प्रकट करेगा? जहाँ ये बोलकर ही काम चल जाए कि मोदी हमें काम करने नहीं देता वहाँ काम करने की क्या जरूरत है क्योंकि आपकी पार्टी के समर्थक तो इसी में ख़ुश हैं! जहाँ लोग ‘पचास हजार करोड़ चइए कि साठ हजार करोड़?’ पर ही ताली पीट ले रहे हों, वहाँ विकास की बात करके क्या मिलेगा?

एक दौर था जब विपक्ष सत्तारूढ़ की इज़्ज़त करता था और उनसे इज़्ज़त पाता था। एक दौर था जब विपक्ष के नेता सत्ता के नेताओं की बड़ाई करते थे, और उन्हें भी वापस में वही सम्मान मिलता था। आज टीवी और सोशल मीडिया के दौर में बड़ा, शक्तिशाली और समझदार वो है जो सामने वाले को सबसे विचित्र और गिरे हुए संबोधनों से नवाजता है। 

आज समर्थक ‘रामजादा’ और ‘साइकोपाथ‘ दोनों को अपने अपने हिसाब से डिफ़ेंड करते हैं क्योंकि उन्हें सामने वाले का कहा गाली लगती है और अपने नेता वाला सटीक चित्रण। आज ज़हर की खेती, ख़ून की दलाली, सूटबूट की सरकार आदि का प्रयोग वो भी कर रहे हैं जिनके हाथ हर तरह के दंगों और सेना से संबंधित घोटालों से सने हैं।

इस तरह के बयानों को अगर ग़ौर से देखें तो पाएँगे कि ये तब आते हैं जब सामने वाला अपनी हार मान चुका होता है। जब सामने वाले को लगता है कि इस चुनाव में बाकी बातों से हमारे लोग हमें वोट नहीं करेंगे तो ‘रामजादा’ आता है। जब अपनी कमी छुपानी होती है तो ‘साइकोपाथ’ आता है। जब अपनी हार सुनिश्चित दिखती है तो ‘ज़हर की खेती’ याद आती है। 

ये जुमले डेस्पेरेशन की पैदाइश हैं। भले ही आप मुझे ‘संदर्भ’ और बाकी बातें समझाने लगें, लेकिन राजनैतिक मर्यादा की बात करने वाले लोगों को, या उनकी पार्टी से जुड़े केन्द्रीय मंत्रियों के इस तरह से किसी भी नेता के लिए बोलना राजनीति नहीं, एक गलत सोच का नतीजा है।

हजार लोग तालियाँ बजा देंगे, सोशल मीडिया पर शेयर भी हो जाएगा, लेकिन फिर राहुल गाँधी द्वारा अपशब्द कहने, आँख मारने, या ‘चोर’ आदि कहने पर आपको मर्यादा और सीमाओं की बात नहीं करनी चाहिए। पब्लिक में नेता क्या बोलता है, क्या करता है, इससे जनता प्रभावित होती है। हो सकता है कि ऐसी ही बातें करते हुए वोट भी मिलते हों, लेकिन इससे राजनैतिक बयानबाज़ी का स्तर नीचे ही गिरता है, और प्रोत्साहन मिलते रहने से वो सुधरने से तो रहा। 

आज के दौर में जब दुनिया स्त्री अधिकारों को लेकर, उनके शोषण आदि को लेकर सजग हो रही है, और उस पर बातें हो रही हैं, तब ऐसी बयानबाज़ी किसी को मदद नहीं पहुँचा सकती। 

ऐसा भी नहीं है कि गिरिराज सिंह ने जो कहा वो संदर्भ बताने पर सही नहीं है, क्योंकि विपक्ष ने तो मोदी को हिटलर से लेकर ज़हर की खेती करने वाला, चूहा, मास मर्डरर, दरिंदा, भड़वा, मेंढक, दिमाग़ी रूप से दिवालिया, मौत का सौदागर, बर्बादी लाने वाला, रावण, यमराज, और पागल कुत्ता तक कहा है। इसके बावजूद, इस तरह की बातें एक केन्द्रीय मंत्री के मुँह से शोभा नहीं देती। 

ख़ास कर तब, जब आपके पास विपक्ष को घेरने के लिए तमाम आँकड़े हैं, तथ्य हैं, और अपनी पार्टी के किए गए कामों की लम्बी फ़ेहरिस्त है। पार्टी को चाहिए कि इस तरह की बयानबाज़ी करने वाले नेताओं पर रोक लगाए, क्योंकि विपक्ष और वामपंथी मीडिया ऐसे बयानों के लेकर उड़ने के लिए बैठा रहता है। जब नैरेटिव बनाने का समय आए तब ऐसी बेकार की बात करते हुए किसी और को बेलने का मौका देना समझदारी तो बिलकुल नहीं। 

ये स्तर कितना नीचे जाएगा कोई नहीं जानता। हो सकता है किसी दिन माँ-बहन की गालियाँ भी सुनने को मिले क्योंकि अब वही बचा है। किसी दिन संसद में मोदी को राहुल चप्पल मार दें, या मोदी राहुल को, ये भी संभव हो सकता है। अब सारी गणना चुनाव को जीतने नहीं, किसी भी तरह जीतने पर आ गई है। अब आपको चुनावी रणनीतिकार के हिसाब से चलना होता है जो कि हावर्ड में पढ़कर आया है, वो आपसे वो भी करवा लेगा जो आपने सोचा भी नहीं होगा।

वो भी सिर्फ एक सवाल के बल पर: आपको चुनाव जीतना है या नहीं?

आंध्र CM नायडू ने ₹1 करोड़ आंदोलन पर खर्च किया, जबकि आँगनबाड़ी सेविकाओं को नहीं मिल रहा वेतन

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विरोध के लिए ₹1 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि राज्य की आँगनबाड़ी कर्मचारियों को समय से सरकार वेतन भी नहीं दे पा रही है।

इंडिया टुडे ने अपने रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए राज्य सरकार ने दिल्ली में केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन किया। इस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों के यातायात की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गई थी।

तेलुगू देशम पार्टी (TDP) समर्थकों को दिल्ली भेजने के लिए दो ट्रेनों की बुकिंग राज्य सरकार द्वारा की गई थी। केंद्र सरकार के विरोध के लिए यातायात पर हुए एक करोड़ रूपए के खर्च राज्य सरकार ने वहन किए।

इंडिया टुडे ने अपने रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया है कि आंध्र सरकार भले ही आंदोलन पर सरकारी खजाने से पैसे खर्च कर रही हो, लेकिन राज्य के आँगनबाड़ी कर्मचारियों को समय से वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है।

यही नहीं आंध्र प्रदेश आँगनबाड़ी कर्मचारी संगठन के सचिव ने बताया कि पिछले तीन महीने से राज्य के आँगनबाड़ी कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल पा रहा है। सचिव ने ये भी बताया कि कई बार राज्य के मुख्यमंत्री को इस संदर्भ में लिखा जा चुका है, बावजूद इसके इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

इसके अलावा राज्य के आंगनबाड़ी सचिव का यह भी कहना है कि सरकार नई स्कीम लॉन्च करे, यह अच्छी बात है परंतु पहले हम कर्मचारियों को समय से पैसा मिले यह ज्यादा जरूरी है।

जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने लगभग 9,400 करोड़ रुपये की राशि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों के विकास ( DWACRA) की नई स्कीम में देने की घोषणा की थी।

इस स्कीम के तहत ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए काम करने वाली सभी महिलाओं के लिए 10,000 रुपये की देने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि नई स्कीम को सरकार कैसे लॉन्च कर पाएगी जब राज्य भर के आँगनबाड़ी में काम कर रहे कर्मचारियों को समय से सरकार पैसा ही नहीं दे पा रही है।

शारदा, नारदा के लुटेरों को चौकीदार छोड़ेगा नहीं: ममता के गढ़ में मोदी की हुंकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी के गढ़ में हुंकार भरते हुए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया। प्रधानमंत्री ने भगवान शिव को याद करते हुए अपने भाषण की शुरूआत की और कहा कि इस पूरे क्षेत्र को महादेव का, भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है और मैं जलपेशधाम की धरती पर भोलेनाथ के चरणों में श्रद्धा पुष्प अर्पित करता हूँ। उत्तरी पश्चिम बंगाल स्थित जलपाईगुड़ी के मयनागुड़ी में पीएम ने विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए वहाँ की संस्कृति से लेकर विकास योजनाओं तक की चर्चा की।

नरेंद्र मोदी ने ममता के गढ़ में हुंकार भरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के प्रमुख अंश आप नीचे पढ़ सकते हैं:

  • अब से थोड़ी देर पहले, क़रीब 2 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले ‘फलाकाता- सलसलाबाड़ी’ नेशनल हाईवे की फोर लेनिंग के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया है। जब ये प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तो इससे सिलीगुड़ी आने-जाने के लिए सुविधा बढ़ जाएगी।
  • आपका जीवन आसान बनाने के लिए, इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को मज़बूत करने के लिए केंद्र सरकार निरंतर काम कर रही है। यहाँ नेपाल और बांग्लादेश की सीमा को जोड़ने वाले एशियन हाईवे नंबर 2 और नंबर 48 समेत हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए हैं।
  • आज आपकी दशकों पुरानी एक और माँग पूरी हुई है। थोड़ी देर पहले ही कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी खंडपीठ का उद्घाटन किया गया है। इस खंडपीठ के लिए जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कलिंगपोंग, कूच बिहार और इस क्षेत्र के सभी बहनों-भाइयों को बहुत-बहुत बधाई।
  • अब आपको हाईकोर्ट से जुड़े अपने मामलों के लिए कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा, यहीं जलपाईगुड़ी में ही आपको समाधान मिलेगा। इससे समय की बचत तो होगी ही, आपका पैसा भी बचेगा।
  • आप सभी साक्षी हैं कि सिलीगुड़ी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के साथ क्या बर्ताव किया जा रहा है? नॉर्थ बंगाल की क़ानून व्यवस्था की स्थिति क्या है? यहाँ उद्योग-धंधे विकसित नहीं किए गए, युवा पलायन के लिए मजबूर हैं। सिंचाई की परियोजनाएँ लटकी हुई हैं, ये हाल बनाकर रखा गया है।
  • पश्चिम बंगाल की इस सरकार ने माटी को बदनाम कर दिया है और मानुष को मजबूर कर दिया है। जो पश्चिम बंगाल कला और संस्कृति के लिए जाना जाता था, वो अब हिंसा के लिए चर्चा में रहता है।
  • ये पूरा उत्तर बंगाल 3T के लिए famous है- Tea, Timber और Tourism. इन तीनों को ही बेरुख़ी का शिकार होना पड़ा है, चाहे कोलकाता में कम्यूनिस्टों की सरकार रही हो या फिर कम्यूनिस्ट पार्ट-2, यानी टीएमसी की सरकार। इस पूरे क्षेत्र के संतुलित विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया गया।
  • केंद्र की NDA सरकार के लिए, भारतीय जनता पार्टी के लिए सबका साथ, सबका विकास नीयत भी है और नीति भी इसी पर चलती है। यही कारण है कि यहाँ के बंद पड़े चाय बागानों को हमने खुलवाया है। चाय बागान में काम करने वाले श्रमिकों के, मजदूरों के बैंकों में खाते खुलवाए हैं।
  • जो महीने में 5 हज़ार, 10 हज़ार, कमाता है, 15 हज़ार रुपए से कम कमाता है, ऐसा हर व्यक्ति इस योजना का लाभार्थी होगा। इसके लिए औसतन 100 रुपए का अंशदान हर महीने देना होगा और जितना अंशदान मेरे मजदूर भाई-बहन देंगे, उतना ही केंद्र सरकार उनके पेंशन खाते में डालेगी।
  • जो सस्ता राशन आपको मिल रहा है, मुफ़्त में रसोई गैस का कनेक्शन मिल रहा है, सस्ती दवाइयाँ मिल रही हैं, वो केंद्र सरकार भेज रही है। इसी तरह ग़रीबों को पश्चिम बंगाल में 23 लाख से ज़्यादा और यहाँ जलपाईगुड़ी में 65 हज़ार से ज़्यादा पक्के घर मिल चुके हैं, जिसमें से अनेक लाभार्थी यहाँ भी मौजूद हैं।
  • पश्चिम बंगाल में माँ, माटी, मानुष के नाम पर जिनको आपने सत्ता दी, जिनको कम्यूनिस्टों के कुशासन से मुक्ति दिलाने का ज़िम्मा दिया, उन्होंने वही ख़ून-ख़राबे का पॉलिटिकल कल्चर अपना बना लिया है। आज स्थिति ये है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तो दीदी हैं, लेकिन दादागिरी किसी और की चल रही है, शासन TMC के ‘जगाई-मधाई’ चला रहे हैं।
  • टीएमसी सरकार की तमाम योजनाओं के नाम पर बिचौलियों का अधिकार है। दीदी, दिल्ली जाने के लिए परेशान हैं और बंगाल के ग़रीब और मध्यम वर्ग को सिंडिकेट के गठबंधन से लुटने के लिए छोड़ दिया है।
  • त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी ने ये काम कर दिखाया है, अब पश्चिम बंगाल में भी ये होने वाला है। आप सभी के सहयोग से, सही मायने में सबका साथ, सबका विकास, पश्चिम बंगाल में आने वाला है और जगाई-मधाई जाने वाला है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता गुंडागर्दी के इस ‘निज़ाम’ से लड़ने के लिए तैयार हैं।
  • देश के इतिहास में ये पहली बार देखा गया है कि कोई मुख्यमंत्री हज़ारों ग़रीब लोगों को लूटने वालों के पक्ष में दिन-दहाड़े धरने पर बैठ जाए। महात्मा गाँधी ने विदेश में रंगभेद के ख़िलाफ़, विदेशी लोगों के हक़ के लिए दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति के ख़िलाफ़ सत्याग्रह किया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विदेश में रहकर, लोगों को जोड़ा और मुश्किल में फंसे भारतवासियों के लिए आंदोलन किया।
  • पश्चिम बंगाल की बहनें-बेटियाँ मज़दूर-कामगार, करोड़ों लोग आज ममता दीदी से सवाल पूछ रहे हैं। जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई लुट जाने की वजह से प्राण त्याग दिए, उनके परिवार वाले आज ममता दीदी से सवाल पूछ रहे हैं। वो जानना चाहते हैं कि चिटफंड घोटाले की जाँच से आप इतना क्यों डरी हुई हैं? क्यों जिन लोगों पर जाँच में लापरवाही बरतने का आऱोप है, उनके लिए धरना दे रही हैं।
  • मैं शारदा, नारदा, रोज़ वैली की ठगी के शिकार हर परिवार को विश्वास दिलाने आया हूँ, कि चौकीदार इनको छोड़ेगा नहीं। चाहे वो लुटेरा हो या फिर लुटेरों का संरक्षक, किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा।
  • आज कोलकाता को भ्रष्टाचारियों और भ्रष्टाचारियों को बचाने वालों का मंच बना दिया गया है। मैं कोलकाता में मंच बनाकर मोदी-मोदी बोलने वाले हर उस व्यक्ति को कहना चाहता हूँ, कि भ्रष्टाचारियों को कवर देने के लिए आप कहाँ-कहाँ धरना देंगे।
  • आज हर उस व्यक्ति को मोदी से कष्ट है, जो पूरी तरह से भ्रष्ट है। हम ग़रीब को लूटने वाले, देश की सेना को धोखा देने वाले राज़दारों को विदेशों से उठाकर ला रहे हैं और ये उनको बचाने के लिए पूरी ताक़त लगा रहे हैं।
  • मैं महा-मिलावट में जुटे इन सभी दलों को कहना चाहता हूँ कि, दलालों, बिचौलियों और धोखेबाज़ों को बचाने के आपके प्रयास, मोदी कभी सफल नहीं होने देगा। कल मैं लोकसभा में देख रहा था, कि जैसे ही मैंने महा-मिलावट कहा, इन लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया था। जब-जब देश को इनकी सच्चाई बताओ, ये ऐसे ही हंगामा करते रहे हैं। ये महा-मिलावट एक ऐसा घालमेल है जिसकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है, देश के लिए कोई विज़न नहीं है।
  • आप ख़ुद देखिए, पश्चिम बंगाल कॉन्ग्रेस के नेता लगातार बोल रहे हैं कि बंगाल में अराजकता है, भ्रष्टाचारियों और गुंडों का राज है, लेकिन दिल्ली में मिस्टर वाड्रा के साले साहब दीदी धुन में मस्त हैं। आज पश्चिम बंगाल में अजीब सी स्थिति बन गई है। यहाँ की सरकार देशभर से आए ऐसे लोगों का स्वागत करती है जिनपर गंभीर आरोप हैं। यहाँ की सरकार घुसपैठियों का भी स्वागत करती है लेकिन दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल, भाजपा के नेताओं को रोका जाता है
  • अब आपके साथ भाजपा है और संकल्प गुंडों और सिंडिकेट पश्चिम बंगाल की मुक्ति का है। देश में लोकतंत्र है, जो पश्चिम बंगाल पर भी लागू होता है। बीजेपी का कार्यकर्ता धमकियों से नहीं डरता। अगर हिंसा से बीजेपी के कार्यकर्ता डर जाते तो 2 सांसदों वाली पार्टी पूर्ण बहुमत की सरकार ना बना पाती और देश के अधिकतर राज्यों में सरकार में ना होती।
  • हाल में हुए पंचायत के चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता ने ट्रेलर दिखा दिया है। उस हिंसा की पराकाष्ठा कर दी गई थी, बूथ के बूथ लूट लिए गए थे, लेकिन फिर भी जनता ने भाजपा के प्रत्याशियों को भारी संख्या में जिताया। मैं पश्चिम बंगाल की जनता को भी कहना चाहता हूँ, यहाँ के हर युवा साथी को आश्वस्त करना चाहता हूँ, कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आपको अपने हक़ का इस्तेमाल करने से कोई ताक़त रोक नहीं पाएगी।
  • लोकसभा चुनाव की व्यवस्था देश के चुनाव आयोग के नेतृत्व में होगी और सुरक्षा और निष्पक्षता की पूरी गारंटी देने का प्रयास होगा। इस बार भी आपका एक वोट, केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली, मज़बूत सरकार बनाने में मदद करेगा।
  • ये पूर्ण बहुमत वाली सरकार की ही ताक़त है, जिससे देश के विकास को इतनी गति मिल रही है। दशकों से अटके हुए काम पूरे किए जा रहे हैं। आप सोचिए, साढ़े 4 वर्ष पहले अगर आपने एक मजबूत सरकार के लिए वोट नहीं दिया होता तो, भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद आज भी नहीं सुलझ पाता
  • आज यहाँ जलपाईगुड़ी में, मैं देश से जुड़े एक महत्वपूर्ण विषय पर भी अपनी बात रखना चाहता हूँ। ये विषय महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को अवसरों की समानता और महिलाओं के न्याय का है, ये विषय तीन तलाक़ का है। महिला अधिकारों पर झूठ बोलने वाली कॉन्ग्रेस ने अपनी असली सच्चाई भी देश के सामने रख दी है। तुष्टिकरण के लिए कॉन्ग्रेस किस हद तक जा सकती है, ये भी उसने कल फिर बता दिया है। कॉन्ग्रेस ने अब खुलकर कह दिया है कि वो तीन तलाक़ पर बन रहे कानून का विरोध करती है
  • कॉन्ग्रेस ने फिर दिखा दिया है कि उसे सुप्रीम कोर्ट की परवाह नहीं है, जो तुरंत तीन तलाक़ को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। राजीव गाँधी के समय, शाह बानो केस में कॉन्ग्रेस ने जो गलती की थी, अब वही गुनाह उसने कर दिया है। वो भूल गई है कि तीन तलाक़ से पीड़ित मुसलिम महिलाओं को कितने बुरे दौर से गुज़रना होता है, कितने संकटों से गुज़रना होता है।
  • यहाँ पश्चिम बंगाल की भी अनेक बहनों को इस तरह के अत्याचार से गुज़रना पड़ा है। वो बरसों से तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ क़ानून की माँग कर रहीं थीं, जिसे हमारी सरकार पूरा करने का प्रयास कर रही है। लेकिन, तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद से गुज़रने वाली कॉन्ग्रेस ने, न सिर्फ़ तीन तलाक़ क़ानून को संसद में रोका, बल्कि उसे अब ख़त्म करने की भी बात करने लगी है।
  • ये लोग कुछ भी बोलें, मैं देश की सभी मुस्लिम बहनों-बेटियों को ये भरोसा देना चाहता हूँ कि तीन तलाक़ क़ानून को हटने नहीं दिया जाएगा। बीजेपी, महिलाओं के अधिकार के लिए महिलाओं के न्याय के लिए, पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

मुज़फ़्फ़रनगर दंगे: मुज़स्सिम, मुज़म्मिल, फ़ुरकान, नदीम, जहाँगीर, अफ़ज़ल, इक़बाल को आजीवन कारावास

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के 7 आरोपितों को कोर्ट ने आज 8 फ़रवरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा इन दोषियों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि जुर्माने की इस धनराशि में से अस्सी प्रतिशत पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा।

6 फरवरी को अतिरिक्त ज़िला न्यायाधीश कोर्ट ने इन दंगे के जुड़े इन 7 आरोपितों को दोषी करार दिया था। जिसके बाद न्यायाधीश ने इन सभी आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा दिया गया। इस मामले में दोषियों को सज़ा सुनाने के लिए कोर्ट ने 8 फ़रवरी की तारीख तय की थी।

बता दें कि साल 2013 में 27 अगस्त को जानसाठ कोतवाली क्षेत्र के कवाल गाँव में मलिकपुर के गौरव और उसके ममेरे भाई सचिन की हत्या कर दी गई थी।

इन दोनों ही लोगों की जघन्य हत्या में ये सभी सात आरोपित शामिल थे। अतिरिक्त ज़िला न्यायाधीश ने जिन सात लोगों को दंगे के लिए दोषी ठहराया है वे सभी एक ही सम्प्रदाय विशेष से हैं।

इन सभी आरोपितों के नाम क्रमश: मुज़स्सिम, मुज़म्मिल, फ़ुरकान, नदीम, जहाँगीर, अफ़ज़ल और इक़बाल हैं। इन सभी को कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

कवाला गाँव की इस घटना के बाद मुज़फ़्फ़रनगर शहर और शामली में भी दो सम्प्रदाय के बीच दंगे हुए थे। इस दंगे में लगभग 60 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे।

इस वीभत्स घटना में कुल 8 आरोपित थे, जिनमें एक आरोपित शाहनवाज़ की मौत पहले ही हो चुकी है।

तो अयोध्या में राहुल गाँधी और ‘गौ भक्त’ कमलनाथ बनवाएँगे भव्य राम मंदिर…

राहुल गाँधी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करवाएँगे। जी हाँ, चौंकिए मत क्योंकि कॉन्ग्रेस पार्टी के पोस्टर्स में ऐसा ही दावा किया गया है। इन पोस्टर्स में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को भगवान श्री राम तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को ‘गौ भक्त’ हनुमान के रूप में दिखाया गया है। पूरे भोपाल शहर में ऐसे पोस्टर्स की भरमार है। बता दें कि राहुल आज शुक्रवार (फरवरी 8, 2019) को भोपाल दौरे पर हैं जहाँ वह किसानों को सम्बोधित करेंगे।

राहुल गाँधी के दौरे से पहले प्रदेश कॉन्ग्रेस द्वारा इस तरह के पोस्टर्स लगवाना पार्टी के सॉफ्ट-हिंदुत्व दृष्टिकोण को दिखाने की कोशिश है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस का कोई भी नेता इस बारे में बयान देने के लिए तैयार नहीं है। इन पोस्टरों में राहुल गाँधी नरेंद्र मोदी पर निशाना लगा रहे हैं। जी हाँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण के रूप में दिखाया गया है। मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस मीडिया सेल के संयोजक नरेंद्र सालूजा ने कहा:

“कॉन्ग्रेस धर्म आधारित राजनीति में विश्वास नहीं करती है। यह पार्टी ने नहीं, बल्कि हमारे उत्साही कार्यकर्ताओं ने किया है। उन्होंने ही ऐसे होर्डिंग्स लगाए हैं।”

इन पोस्टरों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, वर्तमान उप-मुख्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई कॉन्ग्रेस नेताओं के चित्र भी हैं। भोपाल के जम्बूरी मैदान में लगे ऐसे पोस्टरों में राम मंदिर को लेकर लिखा गया है:

“सर्वसम्मति से अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा। ऐसे राम भक्त आदरणीय राहुल गाँधी जी का झीलों की नगरी भोपाल में हार्दिक अभिनन्दन। स्वागत है।”

ज्ञात हो कि बुधवार (फरवरी 6, 2019) को अमित शाह ने अलीगढ की रैली में कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा पर निशाना साधा था। भाजपा अध्यक्ष ने कहा था:

“BJP का मत साफ है कि राम मंदिर अयोध्या में ही बनेगा। एसपी, बीएसपी और कॉन्ग्रेस को अपना एजेंडा साफ करना चाहिए, वह लोग राम मंदिर बनवाना चाहते हैं या नहीं।”

इस पोस्टरों को लेकर कॉन्ग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा:

“सिर्फ़ पोस्टरों में ही क्यों? कॉन्ग्रेस को आधिकारिक रूप से घोषणा करनी चाहिए कि वे राम मंदिर का निर्माण करेंगे, अगर वे इसे लेकर गंभीर हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा है। ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को भगवान राम की तुलना में राहुल गाँधी में अधिक विश्वास है। भगवान राम में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हिंदू देवता के रूप में चित्रित करने के लिए पोस्टर नहीं लगाएगा, जैसा कि उन्होंने पटना में किया था।”

ज्ञात हो कि कुछ ही दिनों पहले पटना में भी ऐसे ही पोस्टर्स लगाए गए थे, जिनमे उन्हें भगवान का रूप बताया गया था। इसके अलावा अन्य पोस्टरों में कॉन्ग्रेस की नवनियुक्त महसचिव प्रियंका गाँधी को भी माँ दुर्गा के रूप में दिखाया जा सकता है। ऑपइंडिया ने फीचर आर्टिकल के ज़रिए आपको ऐसी कई पोस्टरों से रूबरू कराया था।

ममता को झाँसी की रानी कहना लक्ष्मीबाई के ऊपर गाली होगी, हाँ पूतना हो सकती हैं: गिरिराज सिंह

सीबाआई मामले को लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों ही दलों के नेताओं की तरफ़ से बयानों का दौर पिछले कुछ दिनों से चल रहा है। भाजपा ममता बनर्जी को तानाशाह बता रही है, वहीं दूसरी तरफ़ टीएमसी के नेता ममता को रानी लक्ष्मीबाई के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

मामता बनर्जी को रानी लक्ष्मीबाई कहे जाने पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बयान दिया है। गिरिराज सिंह ने अपने बयान में कहा है, “ममता को झाँसी की रानी कहना लक्ष्मीबाई के ऊपर एक तरह से गाली होगा।”

उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी लक्ष्मीबाई तो नहीं, हाँ पूतना जरूर हो सकती हैं।” यही नहीं केंद्रीय मंत्री ने ममता के तानाशाही की तुलना किम जोंग से की है। केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा कि रोहिंग्या व बंग्लादेशी घुसपैठी को समर्थन देकर कोई रानी लक्ष्मीबाई नहीं हो सकती है। गिरिराज सिंह की मानें तो ममता ने पूरे बंगाल को तबाह करके रख दिया है। जो भी ममता के ख़िलाफ़ मुँह खोलता है, उसकी हत्या कर दी जाती है।

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले दिनों पुरुलिया में ममता बनर्जी सरकार द्वारा हेलिकॉप्‍टर के लैंडिंग की अनुमति नहीं देने पर यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने ट्वीट कर ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा था।

सीएम योगी ने ममता के नहीं चाहने के बावजूद पुरूलिया में रैली की। रैली के पहले ट्वीट में योगी ने कहा था “मुझे अत्यंत दुःख है कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की कर्मभूमि, हमारा बंगाल, आज ममता बनर्जी और उनकी सरकार की अराजकता तथा गुंडागर्दी से पीड़ित है।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि अब समय है कि बंगाल को एक सशक्त लोकतांत्रिक आंदोलन के माध्यम से संविधान की रक्षा हेतु इस सरकार से मुक्त किया जाए। इसके साथ ही पुरुलिया सभा में लोगों के बीच ममता के ख़िलाफ़ आंदोलन की ध्वजा लेकर भ्रष्टाचारियों के गठबंधन के लिए चुनौती बनने की बात योगी आदित्यनाथ ने की थी।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बिचौलिए क्रिश्चिन मिशेल ने दायर की ज़मानत याचिका

वीवीआईपी हेलीकॉप्टर के सौदा मामले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने अपनी ज़मानत के लिए दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में ज़मानत याचिका को दायर किया है।

क्रिश्चियन मिशेल पर अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले मामले में ₹3,600 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप हैं। मिशेल ने सीबीआई और ईडी के चल रहे इन्हीं मामलों से कुछ समय तक राहत पाने के लिए ज़मानत याचिका दायर की है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कथित बिचौलिए किश्चियन मिशेल की ज़मानत याचिका पर सीबीआई और ईडी से 12 फरवरी तक जवाब माँगा है।

दिल्ली के इसी कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में राजीव सक्सेना की हिरासत अवधि चार दिनों तक के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले इसी मामले में कथित तौर पर सह-आरोपी और दुबई के बिजनेसमैन राजीव दीक्षित की हिरासत अवधि बढ़ाई जा चुकी है।

सरकार द्वारा भ्रष्टाचार की लड़ाई में सरकार कथित तौर से दो दलालों, राजीव दीक्षित और मिशेल क्रिश्चियन को भारत लेकर आया गया। जिसमें से राजीव ईडी की हिरासत में हैं।

मिशेल के बारे में बता दें कि मिशेल एक ब्रिटिश कंसलटेंट है जिसे कथित तौर पर एंग्लो-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड ने डील हासिल करने के लिए भारत में तात्कालीन यूपीए सरकार और भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए नियुक्त किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित IPS संजीव भट्ट की याचिका खारिज की, नहीं मिलेगी परिवार को सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी संजीव भट की परिवार को सुरक्षा देने से सम्बंधित याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस ए के सीकरी और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने भट से अपनी याचिका के साथ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 4 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने उनकी पत्नी श्वेता भट की उस याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसमें एक वकील को ड्रग्स प्लांट कर गिरफ़्तार करने के 22 साल पुराने मामले में पुलिस की जाँच और उसकी न्यायिक हिरासत को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा था कि वह राहत के लिए इस मामले को उचित फ़ोरम  के समक्ष रखें। शीर्ष अदालत ने माना था कि इसके लिए चल रही जाँच में हस्तक्षेप करना उचित नहीं था।

बता दें कि भट को 2011 में आधिकारिक वाहनों के दुरुपयोग और बिना अनुमति ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था और बाद में अगस्त 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था। उनकी पत्नी श्वेता ने 2012 में अहमदाबाद के मणिनगर सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था।

भट 1996 में बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। पुलिस के अनुसार, भट्ट के अधीन बनासकांठा पुलिस ने 1996 में सुमेरसिंह राजपुरोहित नामक एक वकील को लगभग 1 किलो ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। उस समय बनासकांठा पुलिस ने दावा किया कि राजपुरोहित के कब्जे वाले एक होटल के कमरे में ड्रग्स मिला था। बनासकांठा पुलिस के साथ जुड़े कुछ पूर्व पुलिसकर्मियों सहित संजीव भट्ट और सात अन्य को शुरू में इस मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था।

हालाँकि, राजस्थान पुलिस की जाँच में ये स्पष्ट हो गया था कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस द्वारा कथित रूप से झूठा फँसाया गया था ताकि वह राजस्थान के पाली में एक विवादित संपत्ति को स्थानांतरित करने के लिए मज़बूर हो सके।

यह भी दावा किया गया कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने पाली स्थित उनके आवास से कथित तौर पर अपहरण कर लिया था। राजस्थान पुलिस की जाँच के बाद, बनासकांठा के पूर्व इंस्पेक्टर बी बी व्यास ने 1999 में गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया और इस मामले की गहन जाँच की माँग की।

जून 2018 में उच्च न्यायालय ने याचिका की सुनवाई करते हुए मामले की जाँच CID को सौंप दी थी और तीन महीने में जाँच पूरी करने को कहा था।

राजदीप सरदेसाई ने ‘बेनामी’ संपत्ति पर वाड्रा को ‘बेगुनाह’ साबित करने की कोशिश

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर सवाल उठा रही है। ईडी ने आरोप लगाया था कि वाड्रा एक बेनामी संपत्ति के जरिए लंदन में 1.9 मिलियन पाउंड की संपत्ति का मालिक है।

ईडी ने अदालत में दावा किया था कि 12, लंदन में ब्रायनस्टोन स्क्वायर (Brayanstone Square) को वाड्रा के क़रीबी मनोज अरोड़ा के के ज़रिए से ख़रीदा गया था। जाँच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि संपत्ति दुबई के माध्यम से और काले धन अधिनियम के उल्लंघन में मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से ख़रीदी गई थी।

ख़बरों के अनुसार, लंदन में हथियार के डीलर भंडारी और बेनामी सम्पत्तियों के साथ वाड्रा के संबंधों का खुलासा ईडी की जाँच में किया गया था, जब भंडारी पर 2016 में आयकर अधिकारियों द्वारा छापा मारा गया था। इस छापे के दौरान लंदन हाउस के नवीकरण के भुगतान संबंधी वाड्रा के ई-मेल का खुलासा हुआ था।

बता दें कि मनोज अरोड़ा भी ईडी की जाँच के दायरे में हैं और उनसे एजेंसी द्वारा वाड्रा के कई अन्य सहयोगियों के बारे में पूछताछ की गई है।

2016 में, लंदन की संपत्ति का संबंध पहली बार ख़बरों की सुर्ख़ियों में आया था। उस समय वाड्रा पर यह आरोप लगाया गया था कि 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर में संपत्ति एक शारजाह-आधारित फ़र्म के माध्यम से ख़रीदी गई थी।

जहाँ एक तरफ तो वाड्रा से ईडी पिछले दो दिनों से पूछताछ कर रही है वहीं दूसरी तरफ राजदीप सरदेसाई ने इंडिया टुडे टीवी में अपने एक शो के दौरान उन्होंने वाड्रा को बेगुनाह साबित करने पर तुले नज़र आए। उन्होंने अपने कार्यक्रम में यह दावा किया कि लंदन में संबंधित संपत्तियाँ रॉबर्ट वाड्रा के नाम से पंजीकृत नहीं हैं।

लंदन की संपत्ति, वास्तविक मालिक के नाम पर पंजीकृत नहीं होने के तथ्य को पूरी तरह से अनदेखा किया गया। आधारभूत जानकारियों का अभाव और इस बात की पुष्टि कि वाड्रा के नाम का उल्लेख संपत्ति के दस्तावेजों में नहीं है, इसलिए ईडी के द्वारा इस मामले को ग़लत तरीके से लक्षित किया रहा है, इसे सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा अनदेखा नहीं किया गया।

राजदीप सरदेसाई ने समाचार वीडियो में बार-बार चिल्लाते हुए कहा कि सम्पत्ति लंदन की सम्पत्ति के विवरण में रॉबर्ट वाड्रा का नाम नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भंडारी ने 2016 में वाड्रा और मनोज अरोड़ा के साथ अपने संबंधों को स्वीकार किया था। इसमें उसने लंदन की सम्पत्ति को लेकर हुए ई-मेल के माध्यम से जानकारी साझा करने संबंधी आपसी बातचीत को भी स्वीकार किया था।

पिछले कुछ दिनों से मुख्यधारा की मीडिया वाड्रा की पत्नी यानी प्रियंका वाड्रा पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान है। मीडिया उनकी हर गतिविधि जिसमें अपने पति वाड्रा को ईडी कार्यालय तक ड्रॉप करने और फिर पिक करने संबंधी ख़बरों को तरजीह देना शामिल है। इससे एक बात और निकलकर सामने आती है कि तथ्यों और महत्वपूर्ण विवरणों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है जिसमें सोशल मीडिया एक अहम भूमिका में है।

ट्रेन पर मिथिला पेंटिंग देख चमत्कृत हुए जापान और कनाडा, कहा ‘हमें भी चाहिए’

बिहार की संस्कृति की धमक अब दुनिया भर में सुनाई देने लगी है। जापान और कनाडा जैसे देश मिथिला पेंटिंग से अभिभूत हैं और उन्होंने इसकी माँग भी कर दी है। जापान को मिथिला पेंटिंग इतना पसंद आ गई है कि उसने मिथिला पेंटिंग करने वाले चित्रकारों की एक टीम की माँग की है। जापान की तरफ से भारत को इसके लिए अनुरोध पत्र भेजा गया है। ऐसे में, कल को अगर आप जापान जाते हैं और आपको वहाँ की रेलगाड़ियों पर मिथिला पेंटिंग्स दिखते हैं, तो चौंकने की ज़रूरत नहीं है।

महानंदा एक्सप्रेस से होकर मिथिला पेंटिंग बंगाल पहुँची

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस बारे में ट्वीट कर जानकारी देते हुए लिखा कि भारत की मिथिला पेंटिंग्स जब ट्रेन पर उकेरी गई तो इसने देश के साथ विदेशियों को भी अपनी सुंदरता से प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि जापान ने मिथिला पेंटिंग्स की ख़ूबसूरती को देखकर इस कला के चित्रकारों की टीम भेजने का अनुरोध किया है। भारत सरकार ने भी मित्र राष्ट्र जापान के इस अनुरोध को सहर्ष स्वीकार कर लिया है।

जापान के बाद अब कनाडा ने भी मिथिला पेंटिंग के चित्रकारों की एक टीम की माँग की है ताकि वहाँ की ट्रेनों पर भी मिथिला पेंटिंग उकेरी जा सके। कनाडा रेलवे बोर्ड के निदेशक ने भारत सरकार को भेजे अपने अनुरोध पत्र में कहा:

“मिथिला पेंटिंग्स न सिर्फ़ पर्यटकों व यात्रियों को आकर्षित करती है, बल्कि इसे देखने के बाद एक सकारात्मक विचार मन में उत्पन्न होता है। जब भी व्यक्ति तनाव में रहता है तो सकारात्मक चित्र या अच्छे माहौल में रहने से वह कम होता है। ऐसे में यदि भारत सरकार कलाकारों की टीम को कनाडा भेजती है तो यहाँ की प्रमुख ट्रेनों की बोगियों पर इस पेंटिंग्स को उकेरा जाएगा ।”

भारत में कई ट्रेनों पर पहले ही मिथिला पेंटिंग उकेरी जा चुकी है और वो लोगों को काफ़ी पसंद भी आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) भी मिथिला पेंटिंग वाले ट्रेनों की प्रशंसा कर चुका है। भारतीय रेलवे ने कहा है कि जापान और कनाडा भेजने के लिए मिथिला पेंटिंग के कलाकारों का चयन किया जा रहा है और जल्द ही टीम तैयार कर उन देशों में भेजी जाएगी। मिथिला पेंटिंग को मधुबनी पेंटिंग भी कहते हैं।

मिथिला पेंटिंग ने संपर्क क्रांति एक्सप्रेस की सुंदरता में चार चाँद लगा दिए

आपको ये जान कर सुखद आश्चर्य होगा कि यहाँ से हज़ारों कोस दूर जापान के निगाता में एक मिथिला म्यूज़ियम है, जिसमे मिथिला पेंटिंग की एक अलग ही दुनिया बसी हुई है। 15 हज़ार से भी ज़्यादा मिथिला पेंटिंग्स के साथ सुशोभित यह म्यूज़ियम भारत से मिथिला कलाकारों को आमंत्रित करता रहा है और उनके रहने, खाने की भी व्यवस्था करता है।