अभिनेता से नेता बने जन सेना प्रमुख पवन कल्याण ने उच्चतम न्यायालय के उस निर्देश पर सवाल खड़े किए हैं, जिसमें सिनेमा हॉल के अंदर राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य किया गया। पवन कल्याण को सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान पर खड़े होना पसंद नहीं है।
यह बात चौंकाने वाली है कि भविष्य में देश का नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले राहुल गाँधी को ऐसी राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान आतंकी समूहों के साथ होने वाली जटिल वार्ताओं के बारे में पूरी और सही जानकारी अब तक नहीं है।
प्रभाकर पर इल्जाम है कि उन्होंने अपनी पूँजी को बढ़ाने के लिए एक शाही परिवार के नाम का इस्तेमाल किया है लेकिन नेशनल हेराल्ड ने इस ख़बर को जो एंगल देकर पेश किया उसमें साफ़ है कि वह विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की छवि को धूमिल करने के लिए प्रयासरत है।
सावधान, आप लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीतने वाले कप्तान की बात कर रहे हैं। यह कारनामा इस से पहले सिर्फ़ ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ही कर सके हैं। पंत को मौक़ा दिया जाना समय की माँग है, टीम के भले के लिए है।
रमजान पर राजनीति हो रही है। चुनाव आयोग को घेरा जा रहा है। बीजेपी को फायदा दिलाने का आरोप आयोग पर लगाया जा चुका है। आम आदमी पार्टी से लेकर टीएमसी तक बिना वजह रमजान पर राजनीति कर रहे हैं। जो इस पर राजनीति कर रहे हैं उनका (कु)तर्क यह है कि...
इंग्लैंड और अमेरिका का उदाहरण देने वाले ये नेता उन देशों और भारत के बीच के जनसंख्या गैप को भी काफ़ी आसानी से नज़रअंदाज़ कर देते हैं। कभी अमेरिका में कोई नकाबपोश कथित ख़ुलासे करता है तो कभी ब्लूटूथ से ईवीएम 'हैक' होने लगता है।
अपनी बहुसंख्यक आर्थिक ताकत से इस बार कंपनी को यह एहसास करने की कोशिश की जा रही है कि कब तक सहनशीलता को जाँचा जाएगा। जितना आप लोग नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, उससे ज़्यादा शांति और सद्भाव से यहाँ रह रहे हैं लोग। इस तरह से आग लगाने की ज़रूरत नहीं है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि मोदी सरकार न रामराज्य है और न ही उसकी वैचारिक भिन्नता के चलते आलोचना करना गलत या आपराधिक है, पर वामपंथी समाचार पोर्टलों ने मोदी-विरोध और देश-विरोध में कोई अंतर ही नहीं छोड़ा है।
ऐसे ही लोग पत्थरबाजों के समर्थन में खोज-खोज कर आर्टिकल लिखने को तैयार रहते हैं लेकिन जैसे ही भारतीय सेना इनके ख़िलाफ़ कदम उठाती हैं तो इन्हें उससे गुरेज़ होता है।
प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी जीत में सहायता के लिए यह अकादमिक समूह विभिन्न विषयों पर चर्चाओं और राजनीतिक बहसों का आयोजन करने के अलावा इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न ऑनलाइन मंचों पर अपनी बात लेखों के द्वारा रखेगा।