Saturday, November 16, 2024

संपादक की पसंद

कमलनाथ दिन के 57 ट्रांसफर से पार्टी फ़ंड न जुटाते रहते तो 2 मासूमों की हत्या न होती

सतना में 2 मासूमों की अपहरण के बाद हत्या की घटना ठीक ऐसे समय पर घटी है, जब मध्य प्रदेश सरकार अधिकारियों के तबादलों में व्यस्त थी। 12 फरवरी को चलती स्कूल बस से अगवा किए गए जुड़वाँ भाई श्रेयांश और प्रियांश रावत के शव 13 दिन बाद बरामद हुए हैं।

‘भारत माता की जय’ हमारा नारा, देश को सबसे आगे पहुँचाना लक्ष्य हमारा: नित्यानंद राय

देश भर के चुनावों के लिए हमारे पास नरेंद्र मोदी जी का नाम और काम है तो बिहार में नीतीश कुमार जी का विकास और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का नारा और उनका नेतृत्व है। राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ-साथ हम बिहार में नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में भी हैं।

पैगंबर मुहम्मद पर विचार रखना नहीं है ईशनिंदा: मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

अल्पसंख्यक समुदायों और उनसे संबंधित धर्मों (इस्लाम या ईसाई धर्म) की आलोचना पर सरकार हमेशा से कड़े रुख अपनाती रही है। जबकि हिंदू धर्म की आलोचना 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के तहत स्वीकार्य मानी जाती रही है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद शायद यह मान्यता टूटेगी!

ऑपइंडिया फैक्ट चेक: इस सप्ताह के मीडिया प्रपंच

वामपंथी मानसिकता से ग्रसित मीडिया-महानुभावों को मुद्दे नहीं मिलते आज-कल। लेकिन ख़बरों में बने रहने की लालसा भी नहीं जाती। ऐसे में बेचारे झूठ की माला फेरते हैं और धरे जाते हैं। यहाँ तो खैर रगड़ दिए जाते हैं।

कुप्रेक: वामपंथ के इश्क़ में ज़हर होना

उम्मीद है कि 'राष्ट्रवाद से नफरत' की मानसिकता वालों के भी कभी अच्छे दिन जरूर आएँगे, जब ये यकीन करना शुरू कर देंगे कि जुरासिक पार्क की फिल्मों के लिए असली डायनासौर और सुपरमैन फिल्म बनाने के लिए असली सुपरमैन की सहायता नहीं ली गई थी।

फैक्ट चेक: क्या पुलवामा आतंकी हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में फोटो शूट करवा रहे थे?

यह राहुल गाँधी, सोशल मीडिया के वामपंथी ट्रोल और फुल टाइम प्रचारक पत्रकारों द्वारा प्रचारित एक और झूठ, उनकी कभी न खत्म होने वाली महाझूठ और प्रोपेगंडा का हिस्सा है।

विडियो: कारवाँ के एजाज़ अशरफ़, मूर्खता विरासत में मिली है या कारवाँ वाले डिप्लोमा कराते हैं?

पुलवामा के वीरों की जाति: ये काम दिलीप मंडल जैसे लोगों का था, अब 'नए एंगल' की तलाश में कारवाँ ने इस नाले में भी अपनी जगह बना ली है।

रवीश जी गालियाँ आपके पत्रकारिता से तंग जनता का आक्रोश है, इसे भारत-माँ के नाम मत कीजिए

जब आपको तारीफें मिली, प्रसिद्धि मिली, आज आप जो कुछ हैं, जब वो सब मिला तो आपने कभी नहीं कहा कि ये सब 'भारत माँ' की वजह से है। और जब आपकी 'पक्षकारिता' की वजह से गालियाँ मिल रही हैं तो किस हक़ से इसे 'भारत माँ' को समर्पित कर रहे हैं?

जिन्हें गुमान था कि वो लाइन खुद बनाते हैं, चुनाव आते ही लाइन में खड़े हो गए!

अपने ही बयानों से विरोधाभास की स्थिति खड़ा करने वाले शत्रुघ्न लगातार भाजपा में तानाशाही का आरोप मढ़ते रहते हैं साथ ही यह भी कहते हैं कि जो कुछ भी हो जाए पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे।

बाप का, बेटा का… सबका बूथ लूटेगा! कॉन्ग्रेस की ‘आज़ाद’ पॉलिटिक्स का ख़ुलासा

जहाँ की जनता ने पिछली बार उन्हें BJP सांसद के रूप में लोकसभा भेजा था, वहीं की जनता के सामने उन्होंने कॉन्ग्रेसी गुलामी कुबूल करते हुए स्वीकारा कि उनके पिताजी और खुद उनके लिए भी कॉन्ग्रेस के लोगों ने बूथ कब्जा किया था।

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