सतना में 2 मासूमों की अपहरण के बाद हत्या की घटना ठीक ऐसे समय पर घटी है, जब मध्य प्रदेश सरकार अधिकारियों के तबादलों में व्यस्त थी। 12 फरवरी को चलती स्कूल बस से अगवा किए गए जुड़वाँ भाई श्रेयांश और प्रियांश रावत के शव 13 दिन बाद बरामद हुए हैं।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन माओवादियों का इरादा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का था। सुरक्षा इंतज़ाम को कड़ा करते हुए पूरे इलाक़े की घेराबंदी की गई है जिससे इन माओवादियों के भागने का मौक़ा न मिल सके।
उन्होंने कहा कि पहले इस प्रकार की धारणा बनाई गई थी कि सरकारें एक ही समय विकासोन्मुखी तथा गरीबोन्मुखी नहीं हो सकतीं, लेकिन भारत के लोग अब इसे संभव बना रहे हैं।
अल्पसंख्यक समुदायों और उनसे संबंधित धर्मों (इस्लाम या ईसाई धर्म) की आलोचना पर सरकार हमेशा से कड़े रुख अपनाती रही है। जबकि हिंदू धर्म की आलोचना 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के तहत स्वीकार्य मानी जाती रही है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद शायद यह मान्यता टूटेगी!
“पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के डर से अधिकारी इतने विवश हैं कि किसी को प्रतिनियुक्ति पर भी जाने की अनुमति नहीं है। यहाँ बंगाल में एक ख़ौफ़ की स्थिति है।”
कौन जानता है कि IMA जैसे संस्थानों पर भी ये शांतिदूत नजरें रखे हुए हों और आर्मी की गतिविधियों की सूचना कहीं भेजते हों? देहरादून में ही DRDO और आयुध निर्माण फ़ैक्ट्री भी हैं, जिन्हें बेहद संवेदनशील माना जाता है।
भारत अगर इस प्रस्ताव को पारित करवाने में क़ामयाब होता है तो इससे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर, पाकिस्तान और उसकी आतंक की फैक्ट्री पर रोकथाम लगाने के लिए उठाए गए कठोर कदमों को वैश्विक समर्थन हासिल होगा।
उम्मीद है कि 'राष्ट्रवाद से नफरत' की मानसिकता वालों के भी कभी अच्छे दिन जरूर आएँगे, जब ये यकीन करना शुरू कर देंगे कि जुरासिक पार्क की फिल्मों के लिए असली डायनासौर और सुपरमैन फिल्म बनाने के लिए असली सुपरमैन की सहायता नहीं ली गई थी।
यह राहुल गाँधी, सोशल मीडिया के वामपंथी ट्रोल और फुल टाइम प्रचारक पत्रकारों द्वारा प्रचारित एक और झूठ, उनकी कभी न खत्म होने वाली महाझूठ और प्रोपेगंडा का हिस्सा है।