जब 1907 में सूरत में कॉन्ग्रेस पार्टी का अधिवेशन हो रहा था तो दोनों हिस्सों के बीच तल्खियाँ बढ़ गईं। इस वक्त बीएस मुंजे ने खुलकर तिलक का समर्थन किया और यही वजह रही कि तिलक के वो भविष्य में भी काफी करीबी रहे।
1826 से 1865 तक के 40 वर्षों में अंग्रेज़ी सेनाओं ने नागाओं पर कई तरीकों से हमले किए, लेकिन हर बार उन्हें उन मुट्ठी भर योद्धाओं के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा।
केरल में उन्हें सिंह कहा जाता है। इतिहासकार उनकी तुलना नेपोलियन से करते हैं। दुश्मन अंग्रेजों ने उन्हें 'स्वाभाविक नेता' बताया। मैसूर की इस्लामी सत्ता उनसे काँपती थी।
"मेरे बहादुरों। हमारे राजा जब तक गढ़ न पहुँच जाए, तब तक एक भी शत्रु इस दर्रे से होकर नहीं गुजरना चाहिए। मराठी आन की लाज हमारे हाथों में है। हर हर महादेव!"