Saturday, September 28, 2024

विचार

सामाजिक न्याय को तरसते ‘दलित’ सिर्फ़ SC/ST में ही सीमित नहीं

अगर जातिगत आरक्षण से आपको समस्या नहीं है, तो फिर आर्थिक आरक्षण से तो बिलकुल ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि जातिगत आरक्षण की जड़ में यही अवधारणा है कि इन जातियों के लोग ग़रीब और वंचित हैं।

विनम्र होकर महिलाओं से माफ़ी माँगिए राहुल गाँधी

राहुल गाँधी का जयपुर में दिया गया बयान महिला-विरोधी है। उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है। और ट्विटर पर उस बयान के बचाव में एक और सेक्सिस्ट बयान देना उनकी छोटी सोच को दर्शाता है।

आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्गों को आरक्षण सही मायने में ‘सबका साथ सबका विकास’

अब तक ये इसलिए ख़ारिज होता रहा है क्योंकि संविधान में इसका प्रावधान ही नहीं किया गया था। इस बार संविधान में इसका प्रावधान किया गया है, इसलिए यह संविधान सम्मत है।

रायसीना डायलॉग में थलसेनाध्यक्ष जनरल रावत के बयान के मायने

सुन त्ज़ू ने भी आर्ट ऑफ़ वॉर में कहा था कि शत्रु को तभी समाप्त किया जा सकता है जब उसकी पहचान निश्चित हो जाए। जब तक आतंकवाद की परिभाषा नहीं गढ़ी जाएगी उसे समाप्त करने की बात करना बेमानी है।

हर तीसरे दिन उठते जातीय बवंडरों का हासिल क्या है?

उन्हें तलाशिए जो हत्या के बाद ही तय कर देते हैं कि गुनहगार कौन है, और फ़ैसला आने या उसके बीच की प्रक्रिया में उलटा परिणाम आने पर शायरी लिखने लगते हैं।

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होता भारत

ध्यान देने वाली बात यह है कि कक्षा बारह तक के विद्यालय ज्ञान के उत्पादक नहीं होते जबकि विश्वविद्यालय और उच्च शोध संस्थान मौलिक ज्ञान के उत्पादन हेतु ही बने हैं। भारत की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को पुष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक ऐसे अनेक प्रयास किये हैं जिन्हें परिवर्तित होते भारत अथवा ‘न्यू इंडिया’ की आधारशिला के रूप में देखा जा सकता है।

बेतुके बयानों से भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस की धूमिल होती छवि

कृष्णन के अनुसार सौर मंडल में सारे ग्रह सूर्य की परिक्रमा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नहीं करते बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि अन्तरिक्ष (space) उन्हें संकुचित करता है।

कानून को हाथ में ले रहे गौ-तस्कर हिंदू या मजहबी नहीं, बस अपराधी हैं

राजस्थान,हरियाणा और यूपी में अब भी गौ-तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं

नसीर साहब देश का विवेक जाग चुका है, आग लगाना बंद कीजिए

नसीर साहब आपकी चिंता वाज़िब है मगर अपनी चिंता को मज़हबी रंग न दें। साम्प्रदायिकता से लड़ना ठीक है, धर्म से नहीं।

डियर थरूर जी, मोदी के कपड़े खींचते हुए आप मोर बन जाते हैं

ऐसी बातें फ़्रस्ट्रेशन हैं, छटपटाहट है, अभिजात्यता की ऐंठ से जनित सोच है। ये अगर बाहर नहीं आएगा तो ये लोग सड़कों पर कुत्तों की तरह आते-जाते भाजपाइयों या उनके समर्थकों को दाँत काटने लगेंगे। दाँत काटने से बेहतर है कि अंग्रेज़ी में ऐसे बयान दो कि आदमी को समझने में दो मिनट लगे कि क्या बोल गया।

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