Saturday, September 28, 2024

विचार

ब्राह्मण, ब्राह्मणवाद और अब ब्राह्मणवादी पितृसत्ता

जिस समाज को आप नहीं समझते, वहाँ बस अपनी विचारधारा से मिलते लोगों को साथ मिल लेने से आप ज्ञानी नहीं हो जाएँगे, न ही इन्क्लूसिव और प्लूरलिस्ट। आप वहाँ अपनी अज्ञानता के कारण जैक से जैकऐस बन जाएँगे।

कॉन्ग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए संविधान के साथ खिलवाड़ किया?

कांग्रेस सरकार अपना रास्ते की रूकावटों को दूर करने के लिए भी संविधान का संशोधन करती है।

सबरीमाला: सोनिया ने लगाई अपने ही सांसदों को फ़टकार, विरोध प्रदर्शन करने से भी कर दिया साफ़ मना

केरल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने सीएम पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मंदिर में दो महिलाओं का इस तरह प्रवेश कर लेना एक साजिश है, जिसको रचने वाले खुद सीएम महोदय हैं।

मोदी सरकार की वो 6 योजनाएँ, जिन्होंने 2014 से ही बदलनी शुरू कर दी थी देश की तस्वीर

आज भ्रम की स्थिति में फँसकर लोग इन बातों को भी भूल गए हैं कि देश के व्यवस्थित तबके को सुव्यवस्थित करने के साथ ही मोदी सरकार ने बिगड़ी चीजों को भी सुधारा है।

घोड़े की लीद के सेवन से उपजते हैं ऐसे तर्क और आतंकियों के प्रति इतना प्रेम

मोदी विरोध में ये लोग इतना आगे निकल चुके हैं कि जब तक उनकी आँखों के सामने विस्फोट नहीं होगा तब तक वो ये नहीं मानेंगे कि ऐसे ‘जुगाड़’ से भी बम बनाया जा सकता है।

माओवंशियों के लिए तो ‘मिसेज़ गाँधी’ कस्तूरबा हुईं, और ‘R’ से उनका पुत्र रामदास गाँधी

अब कोई लक्ष्मणसूर्य पोहा टाइप इतिहासकार ये न कह दे कि कस्तूरबा गाँधी वाक़ई में इतालवी महिला थी जो महात्मा गाँधी से दक्षिण अफ़्रीका प्रवास के दौरान मिली थी और दोनों में प्रेम हो गया।

वामपंथी लम्पट गिरोह चुप रहता है जब ‘गलत’ भीड़ ‘गलत’ आदमी की हत्या करती है

यहाँ न तो दलित मरा, न मुस्लिम। उल्टे तथाकथित दलितों ने पुलिस वाले की जान ले ली क्योंकि उन्हें लगा कि वो जान ले सकते हैं। ये मौत तो 'दलितों/वंचितों' का रोष है जो कि 'पाँच हज़ार सालों से सताए जाने' के विरोध में है।

NIA द्वारा पकड़े आतंकी 25 किलो ‘मसाले’ से चिकन मैरिनेट करने वाले थे

ज़ाहिर तौर पर इन सब चीजों से सब्जी बनाई जाती है, और अलार्म क्लॉक का प्रयोग गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए जल्दी जगाने के लिए किया जाता है। वामपंथी पत्रकार सब परेशान हो गए कि विद्यार्थियों को पकड़ लिया, वो तो रसायन विज्ञान का प्रोजेक्ट बना रहे थे।

सबरीमाला विवाद: जेंडर इक्वालिटी, धार्मिक परम्पराएँ और धर्म

समाज और धर्म को एक ही मानकर, मंदिर को पूर्णतः पर्यटन स्थल मानकर उसमें जेंडर इक्वालिटी का तड़का मत लगाइए। हर बात, हर जगह लागू नहीं होती। अगर हो पाती तो मुस्लिम महिलाएँ भी हर मस्जिद में नमाज़ पढ़ पातीं और एक एनजीओ इसी सुप्रीम कोर्ट में इसे लागू करने के लिए लगातार प्रयत्न करती रहती।

UGC NET द्वारा उमैया खान का हिजाब उतरवाना एहतियात है, भेदभाव नहीं

इस बात पर संविधान का नाम लेकर, ‘शॉविनिस्टिक गवर्मेंट सरवेंट’ की हद तक चली जाती हैं मानो उसका काम आपके धर्म के वैकल्पिक बातों को तरजीह देना हो, न कि इस बात की कि कोई चोरी न करें, हिजाब पहनकर!

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