Tuesday, November 5, 2024

विचार

जब बार-बार लुटयन मीडिया ने राहुल गाँधी के राफ़ेल झूठ पर कहा ‘जिने मेरा दिल लुटया, ओहो!’

राहुल गाँधी ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन ने खुद (रिलायंस के ऑफसेट पार्टनर के बारे में ) उनसे कहा था। मगर फ्रांसीसी सरकार ने इससे इनकार कर दिया।

उत्तिष्ठत जाग्रत: ज्ञान रूपी अस्त्र के हिमायती थे स्वामी विवेकानंद

हम information warfare में इतना पीछे हैं कि अपने एक राज्य जम्मू कश्मीर के बारे में भी सही सूचना देश को नहीं दे पाते।

आलोक वर्मा एक दीमक था, जो CBI को लंबे समय से कर रहा था खोख़ला! ये रहे सबूत

PM मोदी और जस्टिस सीकरी ने सीवीसी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आलोक वर्मा को पद से हटाने का फ़ैसला किया जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन दोनों के फ़ैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज़ की

बरखा जी, पीरियड्स को पाप और अपवित्रता से आप जोड़ रही हैं, सबरीमाला के अयप्पा नहीं!

चूँकि आप गोमांस खा सकती हैं, तो क्या कल आप संविधान के मौलिक अधिकारों का हवाला देकर किसी मंदिर के गर्भगृह में बैठकर गोमांस खाएँगी? क्योंकि आपके तर्क के अनुसार यह भी लिखा जा सकता है कि इक्कीसवीं सदी के भारत में मंदिरों में मन का भोजन खाने पर पाबंदी हैं।

अपने पति के हत्यारों से भला सोनिया को इतनी सहानुभूति क्यों है?

यह सोचने वाली बात है कि एक राजनीतिक पार्टी, जिसके नेताओं पर राजीव गाँधी हत्या का आरोप है, उस पार्टी के नेताओं से अपने जन्मदिन की सुबह सबसे पहले मिलकर सोनिया गाँधी क्या संकेत देना चाहती हैं?

सामाजिक न्याय को तरसते ‘दलित’ सिर्फ़ SC/ST में ही सीमित नहीं

अगर जातिगत आरक्षण से आपको समस्या नहीं है, तो फिर आर्थिक आरक्षण से तो बिलकुल ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि जातिगत आरक्षण की जड़ में यही अवधारणा है कि इन जातियों के लोग ग़रीब और वंचित हैं।

विनम्र होकर महिलाओं से माफ़ी माँगिए राहुल गाँधी

राहुल गाँधी का जयपुर में दिया गया बयान महिला-विरोधी है। उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है। और ट्विटर पर उस बयान के बचाव में एक और सेक्सिस्ट बयान देना उनकी छोटी सोच को दर्शाता है।

आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्गों को आरक्षण सही मायने में ‘सबका साथ सबका विकास’

अब तक ये इसलिए ख़ारिज होता रहा है क्योंकि संविधान में इसका प्रावधान ही नहीं किया गया था। इस बार संविधान में इसका प्रावधान किया गया है, इसलिए यह संविधान सम्मत है।

रायसीना डायलॉग में थलसेनाध्यक्ष जनरल रावत के बयान के मायने

सुन त्ज़ू ने भी आर्ट ऑफ़ वॉर में कहा था कि शत्रु को तभी समाप्त किया जा सकता है जब उसकी पहचान निश्चित हो जाए। जब तक आतंकवाद की परिभाषा नहीं गढ़ी जाएगी उसे समाप्त करने की बात करना बेमानी है।

हर तीसरे दिन उठते जातीय बवंडरों का हासिल क्या है?

उन्हें तलाशिए जो हत्या के बाद ही तय कर देते हैं कि गुनहगार कौन है, और फ़ैसला आने या उसके बीच की प्रक्रिया में उलटा परिणाम आने पर शायरी लिखने लगते हैं।

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