Thursday, May 23, 2024

विचार

स्वतंत्रता के हुए 75 साल, फिर भी बाँटी जा रही मुफ्त की रेवड़ी: स्वावलंबन और स्वदेशी से ही आएगी आर्थिक आत्मनिर्भरता

जब हम यह मानते हैं कि सत्य की ही जय होती है तब ईमानदार सत्यवादी देशभक्त नेताओं और उनके समर्थकों को ईडी आदि से भयभीत नहीं होना चाहिए।

हिंदू-सिखों को मरते छोड़ भाग गए थे कॉन्ग्रेसी नेता, सैकड़ों RSS कार्यकर्ताओं के बलिदान से बची हजारों जिंदगी: इतिहास की इन किताबों से जानें...

भारत बँटवारे के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने बहादुरी का परिचय देते हुए सैकड़ों हिंदू-सिख परिवारों की रक्षा की।

33 साल पहले निकला था सलमान रुश्दी की मौत का फरमान, अब हुआ जानलेवा हमलाः मोहम्मद जुबैर के कारण इसी खतरे में नूपुर शर्मा...

सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद नुपूर शर्मा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। लगातार ऐसे संदिग्ध मिल रहे हैं जिनका मकसद नुपूर की हत्या का है।

सितारे गर्त में… क्योंकि दूध का जला भारत अब दही भी फूँक-फूँक कर खा रहा: राजनीति हो या फिल्म आपका ‘चुनाव’ ही इनकी निर्लज्जता...

राजनीति हो या खेल। साहित्य हो या मनोरंजन। प्रशासन हो या न्यायपालिका। शिक्षा हो या खेती-किसानी... कोई क्षेत्र निर्लज्ज विशेषज्ञता से वंचित नहीं है।

लालू-नीतीश से ऊब चुके बिहार में कौन होगा BJP का देवेंद्र फड़नवीस? कीचड़ में कमल खिलाने वाला चाहिए, लेकिन पार्टी के अधिकतर नेता अपने...

बिहार भाजपा के अधिकतर बड़े नेताओं का अपने जिले से बाहर कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में देवेंद्र फड़नवीस वाला कार्य कौन कर सकता है? तेजस्वी बनाम कौन?

कोउ नृप (सरकार) होउ बिहारी को ही हानी… नीतीश कुमार इधर रहें या जंगलराज की छाया में पसरें, बिहार पर बोझ बना रहेगा

बिहार सियासी तौर पर अभिशप्त है। फिर भी जंगलराज की छाया से दूर रहने का सुकून था। हालिया राजनीतिक हलचल उस सुकून पर हमले जैसा है।

पसमांदा से ही मुस्लिम ‘वोट बैंक’, मजहबी भीड़ भी इनसे ही: चाहिए दलितों का कोटा, पर वोट उनको जिधर मदरसे-मौलवी

कौन हैं पसमांदा मुस्लिम? 'सबका साथ-सबका विकास' के बाद क्यों चर्चा में पसमांदा प्लान? क्या 2024 के लिए ऐसे किसी प्रयोग की बीजेपी को सच में जरूरत है?

स्वतंत्रता के 75वें साल में भी वही मजहबी खतरे, किस ‘अवतार’ की प्रतीक्षा में हैं हिंदू: आखिर कब तक सरकार से सवाल को ही...

यह आवश्यक नहीं कि हिंदू किसी खास संगठन, दल के साथ खड़े हों। जरूरी है कि हिंदू के साथ हिंदू खड़े हों।

बालपन की कुछ सफेद कहानियाँ और काले कपड़ों वाली कॉन्ग्रेस…

कॉन्ग्रेस के कर्म ऐसे हैं कि काले कपड़ों में प्रदर्शन कर वह उन्हें ढक नहीं सकती। इसलिए संसद से सड़क तक जुमे पर उसने जो सियासी तमाशा किया, वह बेअसर साबित हुई।

जेल से बाहर आते ही PR इंटरव्यू, ट्वीट भी करने लगा जुबैर; लेकिन नहीं माँगी उस आग की माफी जिसमें जले उमेश, कन्हैया और...

देश में आग लगाने वाला मोहम्मद जुबैर इंटरव्यू पर इंटरव्यू दे रहा। तस्लीम रहमानी डिबेट्स में वापस आ गया। नूपुर शर्मा और उनके परिवार की मजबूरी है छिप कर रहना।

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