राजनैतिक मुद्दे
हर सियासी मुद्दे का वह पहलू जिस पर ख़बरों से आगे चर्चा है ज़रूरी
प्रिय लम्पट बुद्धिजीवी गिरोह, भारत ने रोहिंग्या का ठेका नहीं ले रखा है
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्याओं को अवैध अप्रवासी बताते हुए उन्हें देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया था। सरकार का तर्क था कि रोहिंग्या लोगों को रहने की अनुमति देने से हमारे अपने नागरिकों के हित काफी प्रभावित होंगे और देश में तनाव भी पैदा होगा।
संसद में 10% आरक्षण वाले बिल का समर्थन नहीं करना हमारी भूल: रघुवंश प्रसाद सिंह, RJD
कोटा बिल पर रघुवंश सिंह ने राजद के फ़ैसले के खिलाफ़ बयान दिया
‘द वायर’, NDTV किंकर्तव्यविमूढ़ हैं मोदी राज में, महँगाई बढ़े तब संकट, घटे तब संकट!
महँगाई घटने की ख़बर सकारात्मक है। लेकिन कुछ मीडिया पंडित (या मौलवी, जैसी आपकी श्रद्धा) इसे अब किसानों पर संकट के तौर पर देख रहे हैं।
मोदी को फ़िलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड मिलने पर माओवंशी गिरोह क्यों है परेशान?
एक ख़ास वर्ग इस देश में, विशेषकर 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से सक्रिय हुआ है, जिसका प्रथम उद्देश्य अपने प्रधानमंत्री को सिर्फ इसलिए नीचा दिखाने का है क्योंकि वो उनकी विचारधारा से अलग विचार रखता है।
दुबई में ‘हिन्दू’ शब्द बोलने में भी क्यों कतराए जनेऊधारी राहुल गाँधी?
राहुल यहाँ न सिर्फ पीएम मोदी पर हमला बोल रहे हैं बल्कि गाँधी के विचारों, देश की सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को भी चोट पहुँचा रहे हैं
कौन किसके साथ? ख़ुद में ही कन्फ़्यूज़्ड हैं महागठबंधन के नेता
माया-अखिलेश दो राज्यों में तो कॉन्ग्रेस के साथ सत्ता भोगेंगे लेकिन यूपी में उसके ख़िलाफ़ ताल ठोकेंगे। महागठबंधन की खिचड़ी और यश चोपड़ा की क्लासिक फ़िल्म सिलसिला में बहुत कुछ समान है
जब बार-बार लुटयन मीडिया ने राहुल गाँधी के राफ़ेल झूठ पर कहा ‘जिने मेरा दिल लुटया, ओहो!’
राहुल गाँधी ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन ने खुद (रिलायंस के ऑफसेट पार्टनर के बारे में ) उनसे कहा था। मगर फ्रांसीसी सरकार ने इससे इनकार कर दिया।
आलोक वर्मा एक दीमक था, जो CBI को लंबे समय से कर रहा था खोख़ला! ये रहे सबूत
PM मोदी और जस्टिस सीकरी ने सीवीसी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आलोक वर्मा को पद से हटाने का फ़ैसला किया जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन दोनों के फ़ैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज़ की
अपने पति के हत्यारों से भला सोनिया को इतनी सहानुभूति क्यों है?
यह सोचने वाली बात है कि एक राजनीतिक पार्टी, जिसके नेताओं पर राजीव गाँधी हत्या का आरोप है, उस पार्टी के नेताओं से अपने जन्मदिन की सुबह सबसे पहले मिलकर सोनिया गाँधी क्या संकेत देना चाहती हैं?
सामाजिक न्याय को तरसते ‘दलित’ सिर्फ़ SC/ST में ही सीमित नहीं
अगर जातिगत आरक्षण से आपको समस्या नहीं है, तो फिर आर्थिक आरक्षण से तो बिलकुल ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि जातिगत आरक्षण की जड़ में यही अवधारणा है कि इन जातियों के लोग ग़रीब और वंचित हैं।