Friday, March 29, 2024

राजनैतिक मुद्दे

हाथ में संविधान, जुबाँ पर सुप्रीम कोर्ट के लिए गाली, दिल में राम के लिए घृणा: ऐसे कैसे चलेगा स्वरा मैडम?

कुणाल कामरा किसी का कहीं भी उत्पीड़न कर सकता है। क्योंकि दो लोगों ने जामिया नगर और शाहीन बाग़ में हवाई फायरिंग कर दी। इसीलिए, हजारों-लाखों मौतों का जिम्मेदार इस्लामी और नक्सल आतंकवाद भी जायज हो जाता है।

आप हमें कमअक्ल समझें, लेकिन हम ही बैंड बजाएँगे AAP की: यह ट्वीट आपको बहुत भारी पड़ेगा केजरीवाल

यहाँ पर सवाल उठता है कि केजरीवाल ने ऐसा क्यों कहा कि वोट देने से पहले पुरुषों से अवश्य चर्चा करें? क्या उनको आज की नारी पर भरोसा नहीं है? क्या वो पढ़ी-लिखी-समझदार नहीं है? क्या वो भला-बुरा देखकर समझ नहीं सकती? क्या महिलाओं में इतनी समझदारी नहीं है कि वो अपनी समझ से वोट दे सकें?

दिल्ली चुनाव 2020: बीजेपी ने 20-20 मैच की तरह बदली हवा पर कितनी सीटों पर खिलेगा कमल?

2015 में करीब 67% मतदान हुआ था। इस बार भी ऐसा हुआ तो एक करोड़ के करीब वोट पड़ेंगे। दिल्ली में इस वक्त भाजपा के सदस्यों की संख्या 62 लाख के करीब है। इन सभी ने बीजेपी के लिए वोट डाले तो 11 फरवरी को करिश्मा तय है।

भूमिहार कन्हैया! मज़हब, जाति को धंधा बना कर दलाली करने वाले वामपंथी लम्पटों के सरगना हो तुम

विवादों में रहने के शौक़ीन कन्हैया कुमार ने धर्म को संघियों के लिए धंधा बताते हुए आज एक विवादित ट्ववीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि जहाँ धर्म हिन्दुओं के लिए आस्था का सवाल है वहीं संघियों के लिए मात्र धंधा।

‘Times Now’ के दिल्ली में AAP की जीत की भविष्यवाणी के बावजूद, इन वजहों से वो अभी भी चुनाव हार सकते हैं

'टाइम्स नाउ' द्वारा करवाए गए हालिया सर्वेक्षण ने भाजपा समर्थकों का मनोबल गिराने का काम किया है। टाइम्स नाउ ने दावा किया है कि यह सर्वे जनवरी 27, 2020 और फरवरी 01, 2019 के बीच किया गया था, यानी कि ऐसी अवधि के दौरान जबकि भाजपा को बढ़त बनाते हुए देखा गया।

ईसाई नहीं बनने की सजा… 34000 वैष्णव हिंदुओं को अपने ही देश में 23 साल रहना पड़ा शरणार्थी बन कर!

कश्मीरी पंडितों जितनी ही दर्दनाक कहानी है ब्रू लोगों की। 23 वर्षों तक उनके पास न घर, न जमीन, न चिकित्सा और न ही उनके बच्चों को अभी तक कोई शैक्षिक सुविधा ही प्राप्त हुई। क्यों? क्योंकि ये वैष्णव हिन्दू हैं, अत्यन्त राष्ट्रवादी हैं और इन्हें ईसाई बनना मंजूर नहीं था। लेकिन इन्होंने इसकी भारी कीमत चुकाई।

गोडसे का डर दिखाने वालों ने हाई कोर्ट में नहीं लगने दी गाँधी की प्रतिमा, देखती रही कॉन्ग्रेस

धर्मनिरपेक्ष देश के एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की अदालत में गॉंधी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो पाई। ऐसा करने वाले ही गाँधी के नाम को भुनाने के फेर में लगे रहते हैं। तो क्या उनके लिए गॉंधी प्रतीक से ज्यादा कुछ भी नहीं?

जय भीम-जय मीम: न जोगेंद्रनाथ मंडल से सीखा, न मरीचझापी में नामशूद्रों के नरसंहार से

जोगेंद्रनाथ मंडल के साथ जो कुछ हुआ वह बताता है कि 'जय भीम-जय मीम' दलितों के छले जाने का ही नारा है। मजहबी उन्मादी उनकी आड़ लेते हैं। कॉन्ग्रेसी और वामपंथी उनकी लाशों पर चढ़ 'मीम' का तुष्टिकरण करते हैं। #CAA के नाम पर जो हो रहा है वह इससे अलग नहीं।

भारत की वैश्विक छवि के बदलाव में ‘सांस्कृतिक कूटनीति’ की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विद्वान जोसेफ नाइ के सॉफ्ट पॉवर की परिभाषानुसार प्रधानमंत्री मोदी भारत की वैश्विक पहुँच में बदलाव के वाहक बने हैं। PM मोदी ने अपनी विदेश नीति के 5 स्तंभों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए एक सफल प्रयास किया है। ये 5 स्तंभ - सम्मान, संवाद, समृद्धि, सुरक्षा एवं संस्कृति और सभ्यता हैं।

जिससे थी उम्मीदें, वो बेवफा निकला: ‘सरजी’ के गले का फाँस बना शाहीन बाग़, बिगड़ा चुनावी गणित

कॉन्ग्रेस चालाक निकली। उसने दिग्विजय और मणिशंकर जैसे नाकारा नेताओं को वहाँ भेज इतिश्री कर ली। 'सरजी' राजनीतिक फसल काटने के लिए लालच में आ गए। अमानतुल्लाह-सिसोदिया ने काम बिगाड़ दिया। अब शाहीनबाग़ वो कुल्हाड़ी बन गया है, जिसे दिल्ली के मुखिया ने अपने पाँव पर ही दे मारा।

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