Wednesday, November 27, 2024

राजनैतिक मुद्दे

हमसे किसी ने कहा ही नहीं: J&K से लेकर महाराष्ट्र-कर्नाटक तक ‘फूफा मोड’ में कॉन्ग्रेस

चारों मुख्य पार्टियों भाजपा, कॉन्ग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में सबसे कम यानी केवल 44 विधायक कॉन्ग्रेस के जीते हैं, और राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन से पहले की मीटिंग में न बुलाने पर बिफ़र ऐसे रहे हैं मानो बैठक में होते तो दावा सीएम की दावेदारी का पेश कर देते!

भारत भक्ति का सामूहिक भाव मोदी सरकार के संकल्प से सिद्धि पथ का संबल

राम मंदिर, तीन तलाक और अनुच्छेद 370... देश की सत्ता में 60 वर्ष से अधिक समय तक रहने वाले राजनैतिक दल स्वार्थ और वोट बैंक की राजनीति के चलते इन समस्याओं को सुलझाने के बजाय उलझाकर राजनीति की रोटियाँ सेंकते रहे। भाजपा नीत मोदी की सरकार ने...

वामपंथियो! अयोध्या तो झाँकी है ब्रो, अभी तो और जलना बाकी है! उनके नाम जिनकी जली है… बहुत ज्यादा!

बाबरी मस्जिद का टूटना भले ही भारतीय कानून की दृष्टि में एक आपराधिक घटना है, लेकिन हिन्दुओं के इतिहास के हिसाब से यह उस आस्था के साथ न्याय है जिसके मंदिर की दीवार पर मस्जिद खड़ी की गई थी।

अयोध्या कांड: रथी आडवाणी, सारथी मोदी… और राम मंदिर की वह लहर जिसने खोद दी ‘सेक्युलरों’ की कब्र

इस यात्रा ने सत्ता में भाजपा को स्थापित करने के बीज बोए। आज उसकी जड़ें इतनी फैल गई हैं कि जो नेहरू कभी राम को बेदखल करने पर अमादा थे, आज उनकी ही राजनीति के वारिस मंदिर-मंदिर प्रदक्षिणा को मजबूर हैं। बाकायदा मुनादी की जाती है उनके जनेऊधारी हिन्दू होने की।

हिन्दूफ़ोबिया के वीर: शोएब दानियाल के लिए साधु आतंकी, जयराम रमेश के लिए निहत्थों पर गोलीबारी बड़ी बहादुरी

यह सोचे जाने की ज़रूरत है कि सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी के धर्म को गाली देने की हिम्मत कहाँ से आती है? ऐसी आस्था जिसने न मज़हबी हिंसा की, न जबरिया मतांतरण, उससे शोएब दानियाल जैसों की दुश्मनी क्या है?

अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला ‘सेक्युलर राजनीति’ के लिए परीक्षा की घड़ी: योगेंद्र यादव

समय आ गया है कि पोलिटिकल साइंटिस्ट का ढोंग करने वाले प्रोपेगंडाबाजों को मान लेना चाहिए कि बहुंसख्यकों की प्रकृति ही सेक्युलर मानी जाती है। अनगिनत पंथों में फैले हुए हिन्दू धर्म ने हमेशा आस्था, विचारधारा, पंथ और मान्यताओं के लिए छतरी का काम किया है। जबकि......

‘शिवसेना का जन्म ही कॉन्ग्रेस के आशीर्वाद से हुआ था’ – बाल ठाकरे ने इमरजेंसी का किया था समर्थन

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा का समर्थन। चुनाव में कॉन्ग्रेस का समर्थन। मुस्लिम लीग का समर्थन। फिर कॉन्ग्रेस के विरोध के लिए पवार के साथ मंच साझा करना। 2 राष्ट्रपति चुनावों में कॉन्ग्रेस उम्मीदवार का समर्थन। बालासाहब ठाकरे के रहते ही शिवसेना 'सौदेबाजी' में पारंगत हो गई थी।

कार सेवक नहीं थे राजीव: शाहबानो से पीछा छुड़ाने को राम मंदिर आंदोलन में डाला था हाथ

कॉन्ग्रेस कहती है कि वह धार्मिक भावनाओं को तवज्जो नहीं देती। फिर क्या कारण था कि अचानक राजीव गॉंधी हिंदू जनभावना के रथ पर सवार होने को बेचैन हो उठे? इसके लिए वे देवरहा बाबा के पास हाजिरी देने से भी पीछे नहीं हटे।

कितना गिरेंगे केजरीवाल? पहले अपने बच्चों की कसम खाई, अब दूसरों के बच्चों को बना रहे हथियार

बीते साल जब दिल्ली की हवा बिगड़ रही थी तो केजरीवाल फैमिली के साथ दुबई प्राइवेट ट्रिप पर निकल गए थे। इस बार चुनाव चौखट पर है, इसलिए बने रहने की मजबूरी है। प्रदूषण के बहाने वे अपने 'बच्चा पॉलिटिक्स' को मॉंजने में जुट गए हैं।

किरण बेदी ‘राक्षस’ हैं, क्योंकि कॉन्ग्रेसियों के लिए नारी सम्मान बस मैडम जी की चमचई है

इंदिरा, सोनिया और कल प्रियंका में मॉं खोजने वाले चाटुकारों के लिए परिवार के बाहर की महिलाओं का सम्मान मायने नहीं रखता। इसलिए, कभी वे एयरहोस्टेस की आत्महत्या को राजनीतिक हथियार बनाते हैं, तो कभी उपराज्यपाल पर ओछी टिप्पणी करते हैं।

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