झारखंड की राजधानी राँची से करीब 60 किलोमीटर दूर तामड़ गाँव में देउड़ी मंदिर है। यहाँ जनजातीय समाज के रीति-रिवाज़ और ब्राह्मण परंपराएँ साथ-साथ निभाई जाती हैं। यहाँ दोनों समुदाय के लोग मिलकर पूजा-पाठ करते हैं। यहाँ मौजूद 15 पुजारियों में से आधे ब्राह्मण और आधे जनजातीय समाज से हैं। समय के साथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया लेकिन मूल परंपरा और आस्था अब भी उतनी ही मजबूत हैं।

यह मंदिर सिर्फ आम श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं बल्कि खुद टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए भी खास है। जो हर बड़ी सीरीज़ से पहले यहाँ आशीर्वाद लेने पहुँचते हैं।
मंदिर का इतिहास
देउड़ी मंदिर का इतिहास लगभग 700 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण नागवंशी वंश के राजा ने 14वीं सदी में करवाया था। नागवंशी राजाओं का झारखंड में लंबा शासन रहा था। वे माँ दुर्गा के उपासक थे।

मान्यता है कि राजा ने एक बार माँ दुर्गा से किसी युद्ध में विजय का आशीर्वाद माँगा था और जब उनकी इच्छा पूरी हुई तो उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की। माँ देउड़ी को यहाँ माँ दुर्गा के विशेष रूप में पूजा जाता है और उन्हें पाँच मुखों और 10 भुजाओं वाली देवी के रूप में स्थापित किया गया है।
मंदिर की संरचना
देउड़ी मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है। पूरा मंदिर बड़े-बड़े पत्थरों से बना है और इसकी बनावट नागर शैली की झलक देती है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह छोटा है। लेकिन इसके भीतर स्थापित देवी की मूर्ति बहुत प्रभावशाली है। मूर्ति को काले पत्थर से बनाया गया है और इसकी विशेषता इसके पाँच चेहरे और 10 भुजाएँ हैं। जो देवी को सर्वशक्तिमान दर्शाती हैं।

मंदिर के चारों ओर पत्थरों की दीवारें हैं जो देखने में बहुत प्राचीन लगती हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार भी विशेष रूप से सजाया गया है। जहाँ पर देवी की झाँकी और लोककथाओं से जुड़े चित्र देखे जा सकते हैं। गर्भगृह के चारों ओर एक परिक्रमा पथ भी है। जहाँ भक्त पूजा के बाद घूमते हैं। मंदिर का आँगन खुला है, जहाँ विशेष पर्वों और नवरात्रि के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
कैसे पहुँचे मंदिर ?
देउड़ी मंदिर राँची से लगभग 60 किलोमीटर दूर राँची-जमशेदपुर रोड पर तामड़ प्रखंड के देउड़ी गाँव में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए राँची से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से जा सकते हैं। राँची रेलवे स्टेशन या बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से टैक्सी या बस लेकर भी मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। तामड़ तक नियमित लोकल बसें भी चलती हैं जो मंदिर के पास ही रुकती हैं।

मंदिर तक पहुँचने का रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, जिससे यात्रा का अनुभव और भी मनमोहक हो जाता है। मंदिर के पास श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने की दुकानें और छोटे-छोटे रुकने के स्थान भी मौजूद हैं।