Thursday, June 26, 2025
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रेयर अर्थ मिनरल, TBM, स्मार्टफोन पार्ट… भारत की विकास यात्रा में अड़ंगा लगा रहा चीन: अब स्पेशल खाद की भी सप्लाई रोकी, ‘हाथी’ की आर्थिक तरक्की ‘ड्रैगन’ को नहीं हो रही बर्दाश्त

भारत की आर्थिक तरक्की को रोकने के लिए चीन कई हथकंडे अपना रहा है। उसने अब विशेष काम में उपयोग होने वाले उर्वरकों की आपूर्ति रोक दी है। चीन के पोर्ट पर भारत जाने के लिए कंटेनर तैयार रखे हैं, लेकिन चीनी अधिकारी उनकी जाँच कर हरी झंडी नहीं दे रहे, जिससे यह अधर में लटके हैं।

बीते 20-30 वर्षों में चीन ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास हासिल किया है। चीन ‘दुनिया की फैक्ट्री’ के रूप में उभरा है। लेकिन चीन की कम्युनिस्ट तानाशाही और उसकी विस्तारवादी नीतियों के चलते विश्व का उस पर विश्वास नहीं है। उसका विकल्प इस दुनिया में मात्र एक ही देश है, और वह है भारत। भारत ने कई मामलों में चीन को कड़ी टक्कर देना चालू कर दिया है। चीन, भारत की तरक्की में अब रोड़े अटका रहा है। उसने बीते कुछ वर्षों में कई बार ऐसी हरकतें की हैं, जिससे भारत की विकास यात्रा को धक्का लगे।

अब चीन ने उर्वरक पर लगाया बैरियर

इस कड़ी में सबसे ताजा मामला चीन से भारत आने वाले कृषि उत्पादों से जुड़ा हुआ है। इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने बिना कोई आधिकारिक प्रतिबन्ध लगाए ही विशेष काम में उपयोग होने वाले उर्वरकों की आपूर्ति रोक दी है। चीन के पोर्ट पर भारत जाने के लिए कंटेनर तैयार रखे हैं, लेकिन चीनी अधिकारी उनकी जाँच कर हरी झंडी नहीं दे रहे, जिससे यह अधर में लटके हैं। फसल को बढ़ाने, कीट भगाने और उसकी विशेष जरूरतों को पूरा करने वाले यह उर्वरक भारत आना बंद हो चुके हैं।

रिपोर्ट बताती है कि चीन भारत छोड़ कर बाकी देशों को ख़ुशी-ख़ुशी यह उर्वरक भेज रहा है। यहाँ ना कोई जाँच में दिक्कत है और ना ही पोर्ट पर इससे सम्बन्धित कंटनेर रोके जा रहे हैं। भारत इस उत्पाद का हर साल जून-दिसम्बर के बीच लगभग 1.5 लाख टन आयात चीन से करता है। चीन बीते कुछ वर्षों से यह आयात भारत को करने में आनाकानी कर रहा था लेकिन इस बार उसने पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है।

भारत इन विशेष तरह के उर्वरकों के लिए 80% चीन पर ही निर्भर है। इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि जिन उर्वरकों के निर्यात पर चीन ने कैंची चलाई है, वह सामान्यतः नैनो तरह के हैं और पानी में घोले जाते हैं। भारत जहाँ यूरिया, DAP और फॉस्फेट जैसे उत्पादों में काफी हद तक आत्मनिर्भर है, वहीं ऐसे विशेष तरह के उर्वरकों के लिए वह चीन समेत कई अन्य देशों पर निर्भर है। भारत को प्रति वर्ष लगभग 3.5

यदि चीन इन उर्वरकों की सही समय पर आपूर्ति नहीं करता, तो भारत में कई फसलें प्रभवित हो सकती हैं। रिपोर्ट बताती है कि चीन का विकल्प बाजार में मौजूद है। भारत जॉर्डन या किसी अन्य यूरोपियन देश से यह उर्वरक खरीद सकता है। लेकिन समस्या यह है कि ये देश इतनी बड़ी मात्रा, इतने कम समय में आपूर्ति कर नहीं पाएँगे। भारत को आने वाले सामानों पर चीन कोई पहली बार ऐसी बदमाशी नहीं कर रहा। इससे पहले भारत की आर्थिक तरक्की को ब्रेक लगाने के लिए कई बार ऐसे ही प्रयास कर चुका है।

TBM भी रोकीं

भारत में लगातार बन रहा इन्फ्रा भी चीन को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वह इसके निर्माण में जिस तरह से अड़ंगा लगा सकता है, लगा रहा है। चीन ने अहमदाबाद-मुम्बई बुलेट रेल प्रोजेक्ट में उपयोग होने वाली 3 टनल बोरिंग मशीन (TBM) का भारत को आयात रोक दिया है। टनल बोरिंग मशीन, जमीन के नीचे सुरंग बनाने के लिए काम में लाई जाती हैं। यह जमीन के नीचे एक दिशा में गड्ढा खोदती जाती हैं, यह वर्तमान में जमीन के नीचे सुरंग बनाने के लिए सबसे तेज तरीका है।

TBM मशीन (प्रतीकात्मक चित्र, साभार: Terratec)

रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने वर्तमान में भारत को आने वाली 3 ऐसी TBM रोक रखी हैं। यह तीनों मशीनें जर्मनी की एक कम्पनी ने बनाई हैं। यह कम्पनी इन्हें चीन के गुआंगझाऊ में बनाती है। इनकी आवश्यकता मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स बनाने में है। यह कॉरिडोर 21 किलोमीटर लम्बा है। इनके चक्कर में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। तीन में से 2 TBM भारत अक्टूबर, 2024 में ही आ जानी थीं। लेकिन अभी तक यह चीन के पोर्ट पर फंसी हैं।

इस मामले को वाणिज्य मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय के पास पहुँचाया गया है। वह इस पर काम कर रहे हैं। TBM का मुद्दा कोई नया नहीं है। इसको लेकर केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल जर्मनी के मंत्री को सावर्जनिक तौर पर लताड़ चुके हैं। इसमें उन्होंने जर्मन कम्पनी की बनाई TBM के चीन के पोर्ट पर रोके जाने की बात दोहराई थी इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। इन TBM के आने के बाद ही भारत में काम तेजी पकड़ पाएगा। भारत में इन्फ्रा निर्माण में अड़ंगा लगाने का यह दांव चीन अब जानबूझ कर खेल रहा है।

रेयर अर्थ मिनरल पर भी ताला

चीन के पास पृथ्वी के दुर्लभ चुंबकीय तत्वों (रेयर अर्थ मैग्नेट्स) का भंडार है। अमेरिका के साथ टैरिफ वार के बाद चीन ने इन दुर्लभ तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका बड़ा नुकसान भारत को हुआ। भारत में स्थापित ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और अन्य उपकरण निर्माण से जुड़े उद्योगों को इस प्रतिबंध के चलते आपूर्ति बाधित हो गई थी। अप्रैल 2025 में चीन ने 7 मध्यम से भारी दुर्लभ तत्वों पर सुरक्षा और प्रसार संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इसके बाद चीन ने निर्यातकों को लाइसेंस लेने की जरूरत बता दी। दुर्लभ मैग्नेट इलेक्ट्रिक और पेट्रोल गाड़ियों, रक्षा उपकरणों और में एक अहम भूमिका निभाते हैं। इनका उपयोग मोटर और स्टीयरिंग सिस्टम, ब्रेक, वाइपर और ऑडियो डिवाइसेज के निर्माण में किया जाता है। कई भारतीय कम्पनियों को निर्माण पर ब्रेक के बारे में भी चीन के इस कदम के चलते सोचना पड़ा था। मारुति सुजुकी की आने वाली गाड़ी E-विटारा का उत्पादन तक इसके चलते प्रभावित हो गया।

भारत की अर्थव्यवस्था में 7.1% हिस्सा ऑटोमोबाइल सेक्टर का है। यह देश में रोजगार का एक बड़ा स्रोत है। ऐसे में चीन यह सप्लाई बाधित कर भारत की जीडीपी वृद्धि दर को भी प्रभावित कर रहा है। हालाँकि, उसकी यह हरकतें ज्यादा दिन नहीं चलती। लेकिन हर बार बार वह किसी ना किसी तरीके से यह प्रयास करता है कि भारत के आर्थिक इंजन पर ब्रेक लगा दे। यह भी उसी कड़ी में उठाया एक कदम है।

स्मार्टफोन निर्माण में भी लगा रहा ब्रेक

भारत बीते कुछ वर्षों में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बन कर उभरा है। इस मामले में उसने सीधे चीन को चुनौती दी है। एप्पल के लिए फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन समेत तमाम कम्पनियाँ लगातार भारत में निवेश कर रही हैं। भारत स्मार्टफोन निर्माण के मामले में चीन के विकल्प के तौर पर उभरा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2025 खत्म होते-होते भारत विश्व के 20% फोन बना रहा होगा। इस मेक इन इंडिया से चीन को करारा झटका लगा है।

अपने हाथ से बिजनेस छिनता देख चीन ने भारत के मेक इन इंडिया में टाँग अड़ाने का प्रयास किया है। जनवरी में आई रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन ने उन विशेषज्ञ इंजीनियरों के भारत आने पर रोक लगाई है, जो यहाँ स्मार्टफोन निर्माण को लेकर काम करने वाले थे। वह फॉक्सकॉन के चीनी स्टाफ को भारत आने देने में कई बैरियर लगा रही हैं। यहाँ तक कि इन स्टाफ को टिकट करवा लेने के बाद भी अपनी यात्रा रद्द करने को कहा गया।

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि चीन स्मार्टफोन बनाने के लिए आवश्यक कई पार्ट्स की सप्लाई भी रोक रहा है। वह इससे भारत की मेक इन इंडिया की यात्रा को प्रभावित करना चाहता है। चीन की यह हरकतें इस बात का प्रमाण हैं कि वह भारत के लिए वर्तमान में कितनी भी मीठी बातें बोल रहा हो, वह असल में हमारी आर्थिक वृद्धि नहीं देख पा रहा। वह जानता है कि भारत ही उसके जितनी निर्माण क्षमता बना सकता है। इसलिए चाहे TBM हों या स्मार्टफोन के पुर्जे, वह सबकी सप्लाई में पेंच फँसाता है।

खुद को ड्रैगन और भारत को हाथी बताने वाला चीन वैसे तो दोनों के साथ ‘डांस’ यानी दोनों देशों के सहयोग की बात करता है, लेकिन जब असल सहयोग की बात आती है तो उसे समस्या हो जाती है और वह चतुराई से हाथी को धोखा देने लगता है।

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