Thursday, April 25, 2024
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वीर सावरकर के नाम पर कॉलेज खोलेगा DU, उच्च-स्तरीय कमिटी की सिफारिश: परिषद की मुहर लगनी बाकी

जून 2020 में ही इन कॉलेजों के नाम को लेकर सुझाव माँगे गए थे। बड़ी संख्या में शिक्षक समुदाय से लेकर कई अन्य लोगों ने भी इसके लिए वीर सावरकर का नाम सुझाया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर कॉलेज खोलने की योजना बना रहा है। एक उच्च-स्तरीय कमिटी ने नया कॉलेज खोलने के लिए वीर सावरकर के नाम की सिफारिश की है। मंगलवार (24 अगस्त, 2021) को होने वाली एक अकादमिक बैठक में इस पर चर्चा होगी। DU ने नजफगढ़ के रोशनपुरा और साउथ एक्सटेंशन में एक-एक सुविधा केंद्र खोलने की योजना बनाई है।

नजफगढ़ के रोशनपुरा में 16.35 एकड़ एवं भाटी कलां में 40 एकड़ जमीन पर कॉलेज खोले जाने की DU की योजना है। जून 2020 में ही इन कॉलेजों के नाम को लेकर सुझाव माँगे गए थे। बड़ी संख्या में शिक्षक समुदाय से लेकर कई अन्य लोगों ने भी इसके लिए वीर सावरकर का नाम सुझाया है। ‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, DU ने एक रिपोर्ट भी तैयार की है जिसमें पहली बार वीर सावरकर का जिक्र है।

जल्द ही इस रिपोर्ट को अकादमिक परिषद में भी पेश किया जाना है। DU के कुलसचिव डॉक्टर विकास गुप्ता ने जा दी है कि जिन लोगों के नाम इस सुझाव में सामने आए हैं, उनमें दिवंगत पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर और स्वामी विवेकानंद के अलावा देश के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल भी शामिल हैं। अकादमिक परिषद (AC) एवं कार्यकारी परिषद (EC) में इन नामों पर चर्चा होगी।

यही दोनों समितियाँ हैं, जिन्हें अंतिम नामों पर मुहर लगानी है। इन दोनों कॉलेजों व सुविधा केंद्रों से दक्षिणी दिल्ली, बाहरी व पश्चिमी दिल्ली में रहने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे पहले इन्हें दाखिला, परीक्षा, फीस, मार्कशीट और अन्य शैक्षिक कार्यों के लिए नॉर्थ व साउथ कैम्पस के दौड़ लगाने पड़ते थे। पहले दो सुविधा केंद्र खोले जाएँगे, जिसके बाद इन्हें कॉलेजों में तब्दील कर दिया जाएगा। इससे छात्रों की समस्याएँ भी दूर होंगी।

बता दें कि विनायक दामोदर सावरकर जब कालापनी की सज़ा भुगत रहे थे, तब महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से लौटे तक नहीं थे और जब 28 वर्ष के सावरकर को अंडमान-निकोबार में बने सेल्युलर जेल में कोल्हू के बैल की जगह जोता जाता था, उसके 4 वर्षों बाद 45 साल के मोहनदास करमचंद गाँधी का भारत में आगमन हुआ। रानी लक्ष्मीबाई, पेशवा नाना और वीर कुँवर सिंह की गाथाओं को इतिहास से खोद कर निकालने का श्रेय उन्हें ही जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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