Thursday, June 5, 2025
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कश्मीर को भारत से जोड़ रही ‘वंदे भारत’: ₹43000 करोड़ की लागत से पूरा हुआ इंजीनियरिंग चमत्कार, मोदी सरकार की रेलवे क्रांति ने दुनिया को दिखाया दम

इस प्रोजेक्ट में एक और खास चीज है अंजी खड्ड ब्रिज, जो भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज है। यह ब्रिज 725 मीटर लंबा है और समुद्र तल से 331 मीटर की ऊँचाई पर बना है। इसे 96 केबलों ने सहारा दिया हुआ है।

वंदे भारत एक्सप्रेस अब कटरा से श्रीनगर के बीच तेजी से दौड़ेगी। यह ट्रेन न सिर्फ यात्रा का समय कम करेगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को एकदम आरामदायक और शानदार सफर का अनुभव देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून 2025 को उद्धमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर कश्मीर की पहली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

यह नई आधुनिक सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन कटरा के श्री माता वैष्णो देवी स्टेशन से श्रीनगर के नौगाम स्टेशन तक 150 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इस ट्रेन में ऑटोमैटिक दरवाजे, पत्थरों से बचाव वाले सीसें और खास हीटिंग सिस्टम लगे होंगे, जो इसे और सुरक्षित और आरामदायक बनाएँगे। 23 जनवरी 2025 को भारतीय रेलवे ने इस ट्रेन का कटरा से श्रीनगर तक टेस्ट रन किया था, जो पूरी तरह सफल रहा।

फोटो साभार: राइजिंग कश्मीर

इस प्रोजेक्ट को पहले 19 अप्रैल को शुरू करना था, लेकिन खराब मौसम की वजह से इसे टालना पड़ा। फिर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने उद्घाटन को और पीछे धकेल दिया। पहले पीएम मोदी को श्रीनगर में इस ट्रेन का उद्घाटन करना था, लेकिन अब वे जम्मू के कटरा से इसे हरी झंडी दिखाएंगे।

अभी कश्मीर के बारामूला-श्रीनगर से संगलदान तक ट्रेनें चल रही हैं। रेलवे अधिकारियों ने बताया, “संगलदान और जम्मू के कटरा के बीच रेल लाइन अब पूरी तरह जुड़ गई है। अब इस पूरे रास्ते पर ट्रेनें बिना किसी रुकावट के चल सकती हैं।”

इसके साथ ही, पीएम मोदी दो बड़े इंजीनियरिंग चमत्कारों का भी उद्घाटन करेंगे। पहला है भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज, जिसे अंजी खड्ड ब्रिज कहते हैं, और दूसरा है दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज।

चिनाब पुल

पिछले महीने रेलवे ने एक ‘ट्रायल स्पेशल ट्रेन’ चलाई थी, जो कटरा से काजीगुंड के बीच गई। इस ट्रेन में सैनिक सवार थे और यह चिनाब ब्रिज से होकर गुजरी। यह ब्रिज कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से रेल के जरिए जोड़ने वाला आखिरी और सबसे अहम हिस्सा है।

अंजी केबल ब्रिज

इंजीनियरिंग का गजब का कारनामा

उद्धमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक, यानी यूएसबीआरएल, आजाद भारत का सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल रेलवे प्रोजेक्ट है। यह 272 किलोमीटर लंबा रास्ता हिमालय की जंगली और मुश्किल भरी जमीन पर बना है। इस पूरे प्रोजेक्ट को बनाने में 43,780 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह रेल लाइन घाटियों, पहाड़ों और दर्रों को जोड़ती है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है।

इस प्रोजेक्ट में बिना बैलास्ट (पटरियों के बीच-सीमेंट के खंबे) की पटरियाँ बिछाई गई हैं, जो 943 पुलों और 36 बड़े टनलों से होकर गुजरती हैं। इन टनलों की कुल लंबाई 119 किलोमीटर है। इनमें से सबसे खास है टी-50 टनल, जो भारत की सबसे लंबी रेलवे टनल है और इसकी लंबाई 12.7 किलोमीटर से भी ज्यादा है।

इस प्रोजेक्ट का एक और बहुत जरूरी हिस्सा है बनिहाल-काजीगुंड रेलवे टनल, जिसे लोग पीर पंजाल रेलवे टनल भी कहते हैं। यह टनल 11.215 किलोमीटर लंबी है और हिमालय की पीर पंजाल रेंज में बनी है। यह टनल जम्मू-कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने में बहुत अहम भूमिका निभाती है।

पीर पंजाल रेलवे सुरंग

यह ट्रेन दूर-दराज के इलाकों को देश के रेल नेटवर्क से जोड़ रही है। इससे जम्मू-कश्मीर में आवाजाही, व्यापार और पर्यटन को एक नया रास्ता मिलेगा। इस प्रोजेक्ट को हिमालय की मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कटरा से श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस इस कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगी। यह ट्रेन हिमालय की सख्त सर्दियों में भी आसानी से चलेगी, जहाँ तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

ट्रेन में गर्म विंडशील्ड, खास हीटिंग सिस्टम और इंसुलेटेड टॉयलेट लगाए गए हैं, जो साल भर आरामदायक और भरोसेमंद सफर सुनिश्चित करते हैं। एक खास बर्फ हटाने वाली ट्रेन इसके आगे चलती है, जो पटरियों को साफ रखती है, ताकि बर्फ की वजह से कोई रुकावट न आए। साथ ही, भूकंप के झटकों को सहने के लिए सिस्मिक डैम्पर्स लगाए गए हैं, जिससे इस जोखिम भरे इलाके में सफर सुरक्षित और आरामदायक रहे।

ट्रेन में सर्दियों में साफ दिखने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इसमें ठंड के मौसम में काम करने वाले हीटिंग सिस्टम हैं और ड्राइवर के सामने वाले शीशे में डीफ्रॉस्टिंग के लिए हीटिंग तत्व लगे हैं। यह ट्रेन चिनाब ब्रिज से होकर गुजरेगी, जो समुद्र तल से 359 मीटर की ऊँचाई पर है।

ये सारे इंतजाम जम्मू-कश्मीर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को और भरोसेमंद, मजबूत और भविष्य के लिए तैयार बना रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में एक और खास चीज है अंजी खड्ड ब्रिज, जो भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज है। यह ब्रिज 725 मीटर लंबा है और समुद्र तल से 331 मीटर की ऊँचाई पर बना है। इसे 96 केबलों ने सहारा दिया हुआ है।

चिनाब ब्रिज की बात करें तो यह चिनाब नदी पर 1,178 फीट की ऊँचाई पर बना है, जो एफिल टावर से भी ऊँचा है। एक रेलवे अधिकारी ने बताया, “ट्रेनें चलाने और सुरक्षा के सारे इंतजाम पूरी तरह तैयार हैं।” इस रूट पर सिर्फ चार स्टेशन होंगे: श्रीनगर, बनिहाल, जम्मू तवी और श्री माता वैष्णो देवी कटरा।

ट्रेन का समय और शेड्यूल

रेल मंत्रालय ने चार वंदे भारत ट्रेनों को मंजूरी दी है। इनमें जम्मू तवी-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (26401/26402) और जम्मू तवी-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (26403/26404) शामिल हैं। दो ट्रेनें श्रीनगर से चलेंगी और दो जम्मू से।

श्रीनगर-जम्मू तवी वंदे भारत एक्सप्रेस (26402) हर दिन दोपहर 2 बजे श्रीनगर से निकलेगी (मंगलवार को छोड़कर) और शाम 6:50 बजे जम्मू पहुँचेगी। दूसरी ट्रेन (26404) सुबह 8 बजे श्रीनगर से चलेगी और दोपहर 12:40 बजे जम्मू पहुंचेगी (बुधवार को छोड़कर)।

जम्मू तवी-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (26403) हर दिन दोपहर 1:20 बजे जम्मू से रवाना होगी (बुधवार को छोड़कर) और शाम 6 बजे श्रीनगर पहुँचेगी। दूसरी ट्रेन (26401) सुबह 6:20 बजे जम्मू से चलेगी और सुबह 11:10 बजे श्रीनगर पहुंचेगी (मंगलवार को छोड़कर)।

रेलवे के आदेश में कहा गया है कि ट्रेन को समय पर और सुविधाजनक तारीख को शुरू करना है। पहली ट्रेन एक खास सेवा हो सकती है, जो बाद में सामान्य समय-सारिणी से जुड़ जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि उत्तरी रेलवे के प्रस्तावों के अनुसार बदलाव किए जाएँगे।

हाई स्पीड ट्रेन ट्रायल के दौरान चिनाब ब्रिज

कटरा से श्रीनगर का किराया अभी आधिकारिक तौर पर तय नहीं हुआ है, लेकिन रेलवे सूत्रों के मुताबिक, एसी चेयर कार का किराया करीब 1600 रुपये और एग्जीक्यूटिव चेयर कार का किराया 2500 रुपये हो सकता है। इस ट्रेन में 530 यात्री सफर कर सकते हैं। इसमें सात लग्जरी कोच और एक एग्जीक्यूटिव कोच होगा।

इसके अलावा, एक अलग मालगाड़ी सेवा भी मौसमी जरूरतों के हिसाब से चलेगी। यह खास तौर पर ताजी सब्जियों और अन्य जरूरी सामानों को लाने-ले जाने के लिए होगी। साथ ही, पीएम मोदी उत्तरी कश्मीर के बारामूला से कटरा के बीच यात्री सेवा भी शुरू करेंगे।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम मोदी दो वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएँगे: एक कटरा से श्रीनगर और दूसरी श्रीनगर से कटरा। अभी ये ट्रेनें सिर्फ इन दो शहरों के बीच चलेंगी। जम्मू रेलवे यार्ड में कुछ निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके चलते जम्मू से श्रीनगर की सीधी वंदे भारत सेवा अभी शुरू नहीं हो सकती। यात्रियों को कटरा में ट्रेन बदलनी होगी। यह काम अगस्त या सितंबर तक पूरा हो जाएगा।

वंदे भारत से विकास की नई राह

कटरा से श्रीनगर के बीच सड़क का सफर कम से कम 6 से 7 घंटे लेता है, लेकिन वंदे भारत ट्रेन सिर्फ 3 घंटे में यह दूरी तय कर देगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इस ट्रेन की वजह से लोग एक ही दिन में जम्मू से श्रीनगर जाकर वापस आ सकेंगे।

यह ट्रेन कश्मीर के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होगी। इससे सेब, ड्राई फ्रूट्स, पश्मीना शॉल, हस्तशिल्प जैसी चीजों को देश के बाकी हिस्सों में आसानी से और कम खर्चे में भेजा जा सकेगा। साथ ही, देश के अन्य हिस्सों से घाटी में रोजमर्रा का सामान लाने की लागत भी बहुत कम हो जाएगी। बनिहाल और बारामूला के बीच चार कार्गो टर्मिनल बनाने की योजना है, जिनमें से तीन जगहों की पहचान हो चुकी है।

ट्रायल रन के दौरान वंदे भारत ट्रेन

कटरा और श्रीनगर के बीच इस रूट पर 18 बड़े स्टेशन होंगे, जिनमें रियासी, बक्कल, दुग्गा, सावलकोट, संगलदान, सम्बर, खारी, बनिहाल, शहाबाद हिल हॉल्ट, काजीगुंड, सादुरा, अनंतनाग, बिजबेहरा, पंजगाम, अवंतीपोरा, रतनिपोरा, काकापोरा और पंपोर शामिल हैं। ये स्टेशन आसपास के लोगों के लिए सफर को और आसान बनाएँगे।

इस बड़े प्रोजेक्ट के बनने का सफर

हिमालय की जमीन नई है और यह भूकंप के लिहाज से सबसे सक्रिय जोन IV और V में आती है। यहाँ शिवालिक पहाड़ियाँ और पीर पंजाल पर्वत हैं। इस मुश्किल इलाके में भारी बर्फबारी के बीच बड़े-बड़े पुल और टनल बनाना बहुत बड़ा चैलेंज था।

इस प्रोजेक्ट के लिए 205 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं, जिनमें 320 पुल और एक टनल शामिल हैं। इन सड़कों को बनाने में 2000 करोड़ रुपये की लागत आई। ये सड़कें कर्मचारियों, भारी मशीनों और निर्माण सामग्री को 70 डिग्री ढलान वाले पहाड़ी इलाकों तक ले जाने के लिए बनाई गई थीं।

फोटो साभार: X_trainwalebhaiya

रेलवे इंजीनियरों ने एक नया तरीका निकाला, जिसे हिमालयन टनलिंग मेथड (एचटीएम) कहते हैं। इसमें आम डी-शेप की टनलों की जगह हॉर्सशू-शेप की टनल बनाई गईं। इससे ढीली मिट्टी वाले इलाकों में टनल की संरचना को और मजबूती मिली।

इस ब्रॉड गेज रेल लाइन का ढलान 0.5 से 1 प्रतिशत रखा गया है, जिससे पहाड़ी इलाके में ट्रेनों को चलाने के लिए अतिरिक्त इंजन की जरूरत नहीं पड़ती। पहले योजना थी कि ट्रेनें डीजल इंजन से चलेंगी, लेकिन बाद में इन्हें इलेक्ट्रिक करने का विकल्प रखा गया। हर बड़े पुल, टनल और स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। टनल और पटरियों को इस तरह बनाया गया है कि उन्हें कम से कम रखरखाव की जरूरत पड़े।

जम्मू-कश्मीर में रेलवे का नया बदलाव

फरवरी 2024 में बनिहाल से संगलदान तक 48 किलोमीटर की रेल लाइन शुरू हुई। बारामूला-श्रीनगर-बनिहाल-संगलदान का 185.66 किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह इलेक्ट्रिक कर दिया गया। पीएम मोदी ने संगलदान से बारामूला के बीच सेवा शुरू की और कश्मीर घाटी की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई।

जनवरी 2025 में बनिहाल-कटरा के 111 किलोमीटर खंड की आखिरी सुरक्षा जाँच शुरू हुई। इस हिस्से में 4 सात-किलोमीटर लंबे पुल और 97 किलोमीटर की टनल हैं। जम्मू रेलवे स्टेशन को नया रूप दिया जा रहा है, जिसमें आठ प्लेटफॉर्म और आधुनिक सुविधाएँ होंगी।

फोटो साभार: INSIGHTS IAS

जनवरी में जम्मू रेलवे डिवीजन शुरू हुआ, जो उत्तरी रेलवे का हिस्सा है। यह डिवीजन जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कुछ हिस्सों को कवर करेगा। यह भारतीय रेलवे का 70वाँ डिवीजन है और इसमें पुराने फिरोजपुर डिवीजन का बड़ा हिस्सा शामिल किया गया है। यह डिवीजन यूएसबीआरएल के बड़े हिस्सों का मैनेजमेंट करेगा और इलाके में रेलवे के काम को और बेहतर बनाएगा।

उद्धमपुर से कटरा (25 किमी) और संगलदान से बारामूला (184 किमी) तक स्थानीय ट्रेनें पहले से चल रही हैं। अब आखिरी 63 किलोमीटर का कटरा-संगलदान खंड भी जनता के लिए खुल गया है।

साल 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की कॉन्ग्रेस सरकार ने उद्धमपुर-श्रीनगर रेल लाइन की नींव रखी थी। लेकिन असल में काम 2002 में शुरू हुआ, जब अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित किया।

भारत को एक सूत्र में पिरो रहा रेलवे

यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट को 1994-95 में मंजूरी मिली थी और 2002 में इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया। इसे चरणों में पूरा किया गया। इसके कई हिस्से पहले ही शुरू हो चुके हैं, जैसे बनिहाल-काजीगुंड (2013), उद्धमपुर-कटरा (2014), बनिहाल-बारामूला (2009) और बनिहाल-संगलदान (2020)। पिछले साल रियासी-संगलदान लाइन पर इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (MEMU) ट्रेन का सफल ट्रायल हुआ था।

फोटो साभार: Mint

यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक नई ट्रेन सेवा शुरू करने तक सीमित नहीं है। यह पिछले 11 सालों में मोदी सरकार के तहत जम्मू-कश्मीर के रेलवे सिस्टम में हुए बड़े बदलाव का सबूत है। इस क्षेत्र का रेलवे नक्शा पूरी तरह बदल गया है। जो पहले दूर के सपने थे, वे अब लोगों उनकी आजीविका और जगहों को जोड़ने वाले असल रास्ते बन गए हैं।

एक डेडिकेटेड रेलवे डिवीजन, स्टेशनों का आधुनिकीकरण और पूर्ण विद्युतीकरण ने इस क्षेत्र को तेज, स्वच्छ और सभी के लिए बराबर विकास के रास्ते पर ला दिया है। मोदी सरकार ने कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ दिया है। 2014 के बाद से रेलवे नेटवर्क का बहुत विस्तार हुआ है। उन इलाकों को भी रेल से जोड़ा गया, जहाँ पहले रेल सेवा सिर्फ एक सपना था।

पूर्वोत्तर से लेकर कश्मीर तक, रेलवे ने देश के सबसे दूर-दराज के इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ा है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है और लोगों को सुविधा और आराम मिला है। यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगा। साथ ही बागवानी, पर्यटन, कृषि और शिक्षा जैसे उद्योगों को भी बढ़ावा देगा।

पहले अलग-थलग माने जाने वाले पूर्वोत्तर और आतंक प्रभावित कश्मीर अब भारत की मुख्यधारा का हिस्सा बन गए हैं। हाल के ये सारे बदलाव इसका सबूत हैं। रेलवे ढाँचे पर मौजूदा ध्यान एकीकरण और सभी को साथ लेकर चलने वाले विकास की प्रतिबद्धता को दिखाता है। यह नया रेल लिंक कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक निर्बाध रेल लाइन बनाकर सात दशक पुराने राष्ट्रीय एकीकरण के सपने को पूरा करेगा।

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