मालूम हो कि यह कार्रवाई केवल अवैध मदरसों के खिलाफ ही हो रही है वो भी इसलिए क्योंकि जाँच के दौरान जब इन्हें मौका दिया गया तो इनके पास रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज नहीं मिले। मदरसों को सील करने के लिए आदेश 28 फरवरी को पारित किया गया था। इसके बाद उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के पास करीबन 88 आवेदन मान्यता पाने के लिए आए। बोर्ड ने अभी तक इनमें से 51 मदरसों को मान्यता प्रदान की है।
उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई, 10 से ज्यादा मदरसे बंद#Uttarakhand pic.twitter.com/aIR0Wrx4TQ
— NDTV India (@ndtvindia) March 5, 2025
देहरादून में अवैध मदरसे
देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने बताया कि सदर देहरादून तहसील में ऐसे अंपजीकृत मदरसे 16 पाए गए थे जबकि विकासनगर में 34 , डोईवाला में 6 और कलसी में 1।
जाँच के दौरान इन मदरसों के पास पंजीकरण संबंधी कोई दस्तावेज नहीं मिले। इसके बाद प्रशासन ने इन मदरसों को सील करने के लिए एक संयुक्त टीम का गठन किया। इस टीम में जिला प्रशासन, पुलिस के साथ अल्पसंख्यक आयोग और मदरसा बोर्ड के अधिकारी शामिल थे।
इस बाबत विकासनगर तहसील के उप-जिलाधिकारी विनोद कुमार ने भी बयान दिया। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने बताया, “3 मार्च से अब तक नौ मदरसे सील किए जा चुके हैं। अन्य दो संस्थान डोईवाला और सदर में हैं।”
मुस्लिम संगठन का विरोध
बता दें कि इस कार्रवाई से मुस्लिम सेवा संगठन के लोग नाराज हैं। इसके अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा, “मदरसा चलाने के लिए किसी मान्यता की आवश्यकता नहीं होती। सीलिंग अवैध है क्योंकि मदरसा सील करने से पहले प्रबंधकों को कोई आदेश या नोटिस नहीं दिया गया। उन्होंने इसका कारण भी नहीं बताया।”
आगे उन्होंने कहा, “हमने मंगलवार को कलेक्ट्रेट में और आज मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में मस्जिद को अवैध रूप से सील करने के खिलाफ प्रदर्शन किया। हमने ज्ञापन भी सौंपा। हमने कहा कि अगर वे इस अवैध सीलिंग को नहीं रोकते हैं, तो हम सचिवालय के बाहर प्रदर्शन करेंगे।”
मान्यता प्राप्त मदरसा और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसा
मान्यता प्राप्त मदरसे शिक्षा के लिए राज्य बोर्ड के अंतर्गत आते हैं जबकि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे बड़े मदरसों जैसे दारुल उलूम नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई कराते हैं। अब उत्तराखंड सरकार ऐसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर कार्रवाई इसलिए कर रही है ताकि हर छात्र को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके, बच्चों को आधुनिकता की जानकारी हो, वह NCERT का सिलेबस पढ़ें और नई चीजें सीख सकें।