Wednesday, July 16, 2025
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संभल का ढाँचा नहीं है मस्जिद, हाई कोर्ट ने भी आदेश में कहा ‘कथित मस्जिद’: रंगाई-पुताई पर बनाई कमेटी, ASI करेगी निरीक्षण; हिंदुओं ने बताया था मंदिर के निशान मिटाने की साजिश

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने विरोध किया। उनका कहना था कि पुताई के बहाने मस्जिद में मौजूद कथित हिंदू निशान मिटाए जा सकते हैं।

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को आदेश दिया कि वो मस्जिद में जाकर देखे कि रमजान से पहले सफेदी और सजावट की कितनी जरूरत है। इसके लिए ASI की तीन लोगों की टीम बनाई गई है, जो मस्जिद का मुआयना करेगी और शुक्रवार (28 फरवरी 2025) सुबह 10 बजे तक कोर्ट में रिपोर्ट देगी।

यह फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद की प्रबंधन समिति की अर्जी पर सुनाया। समिति चाहती थी कि रमजान की तैयारी के लिए मस्जिद में रंगाई-पुताई और दूसरा काम हो, लेकिन पुलिस और ASI ने इसे रोक दिया था।

रमजान के मौके पर मरम्मत-सफेद की जरूरत

मस्जिद कमेटी का कहना है कि रमजान 1 मार्च से शुरू हो रहा है, इसलिए मस्जिद को तैयार करना जरूरी है। वे हर साल सफेदी, सफाई, टूटी चीजों की मरम्मत और लाइटिंग का काम करते हैं ताकि नमाजियों को परेशानी न हो। कमेटी ने कहा कि अजान और ये काम उनकी धार्मिक आजादी का हिस्सा हैं, जो संविधान के आर्टिकल 25 और 26 में मिली है। लेकिन ASP नॉर्थ संभल ने 11 फरवरी को चिट्ठी लिखकर कहा कि मस्जिद संरक्षित स्मारक है, इसलिए ASI की इजाजत चाहिए।

कमेटी को ये बात गलत लगी, क्योंकि उनका दावा है कि सालों से वे खुद ये काम करते आए हैं और पहले कोई दिक्कत नहीं हुई। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कमेटी के वकील SFA नकवी ने कहा कि ASI को खुद ये काम करना चाहिए, लेकिन वो बेवजह रोक रहे हैं।

मस्जिद नहीं, ‘कथित’ मस्जिद

ASI के वकील मनोज कुमार सिंह ने जवाब दिया कि कमेटी उनके लोगों को मस्जिद में घुसने नहीं दे रही। दूसरी तरफ, हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने विरोध किया। उनका कहना था कि पुताई के बहाने मस्जिद में मौजूद कथित हिंदू निशान मिटाए जा सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि कोर्ट इसे सिर्फ मस्जिद न माने, जिसके बाद जस्टिस ने ऑर्डर में ‘कथित मस्जिद’ लिखवाया।

कोर्ट के फैसले के अहम बिंदु

  • कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रमजान में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहना चाहिए और दोनों पक्षों के हितों का ध्यान रखा जाए।
  • ASI को मस्जिद की जाँच करने को कहा गया, ताकि ये पता चले कि काम जरूरी है या नहीं।
  • ASI ने अपनी टीम के लिए सुरक्षा माँगी, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया और कहा कि इसकी जरूरत नहीं।
  • हरिशंकर जैन की चिंता पर कोर्ट ने भरोसा दिया कि हिंदू निशानों को नुकसान नहीं होगा।

अब सबको ASI की रिपोर्ट का इंतजार है, जो बताएगी कि मस्जिद में काम हो सकता है या नहीं। बता दें कि इसी मस्जिद के सर्वे के दौरान इस्लामी भीड़ ने हमला कर दिया था, जिसके बाद तनाव फैल गया था। संभल में दंगाइयों के निशाने पर हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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