Monday, January 27, 2025
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हिंदू लड़के के साथ लिव-इन में थी मुस्लिम लड़की, बेटी भी पैदा हो गई… कर दिया रेप का केस: ₹5 लाख और शादी की बात पर मानी, इलाहाबाद HC ने दी बेल, कहा- ये मामूली विवाद

ये फैसला जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने सुनाया है। उन्होंने ये फैसला इस आधार पर दिया कि केस दर्ज कराने वाली महिला और आरोपित दोनों नवजात बच्चे के साथ पति-पत्नी के रूप में शांति से रहने को तैयार थे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक रेप मामले में अतुल गौतम नाम के आरोपित को इस शर्त पर बेल दे दी कि वो अपनी उसी मुस्लिम लिव इन पार्टनर के साथ शादी करे जिसने उसके ऊपर रेप का इल्जाम लगाया है। जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने शर्त रखी कि अतुल को ये शादी ‘विशेष विवाह अधिनियम’ के तहत करनी होगी और लिव इन पार्टनर और उनके बच्चे की सुरक्षा के लिए 5 लाख रुपए की राशि जमा करनी होगी।

ये फैसला जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने सुनाया है। उन्होंने ये फैसला इस आधार पर दिया कि केस दर्ज कराने वाली महिला और आरोपित दोनों नवजात बच्चे के साथ पति-पत्नी के रूप में शांति से रहने को तैयार थे। कोर्ट ने माना कि यह मामला एक मामूली विवाद का परिणाम था, जब दोनों पक्षों ने साथ रहने की इच्छा को व्यक्त किया तो फैसला इसी तथ्य को आधार बनाकर सुनाया गया।

मामले में दोनों पक्ष व्यस्क हैं। दोनों का मजहब अलग है। कुछ समय तक ये लोग लिव-इन रिलेशन में थे। इस दौरान इनकी बेटी हुई (जो अभी 4-5 महीने की है)। बाद में महिला ने गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज करवा दिया।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 323, 504 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपित ने उससे शादी करने का अपना वादा तोड़ दिया। मामले में जमानत की माँग करते हुए अतुल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि प्राथमिकी एक छोटे विवाद के कारण दर्ज की गई थी। इस दौरान उन्होंने माना कि वही उस बच्ची के पिता हैं और वो अपनी लिव-इन पार्टनर से शादी करने और बच्चे का भरण-पोषण करने को तैयार हैं।

उनकी इस बात के बाद महिला मान गई, लेकिन साथ ही उसने आशंका जताई कि हो सकता है कि आरोपित अपनी बात से बात में पलट जाए। ऐसा में कोर्ट ने जमानत देने के साथ आरोपित के सामने कुछ शर्ते भी रखीं जैसे रिहाई के सात दिनों के भीतर उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए आवेदन करना होगा, विवाह के बाद उन्हें उसे जल्द से जल्द रजिस्टर कराना होगा, बच्चे की देखभाल के लिए पाँच लाख रुपए की सावधि जमा करनी होगी, अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराना होगा और कही भीं देश के बाहर बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं जाएँगे आदि।

बता दें कि ये मामला पिछले साल कोर्ट ने 5 दिसंबर 2024 को सुनाया था। हालाँकि इसकी जानकारी अब सामने आई है। वहीं एफआईआर की बात करें तो वो जुलाई 2024 में दायर हुई थी और आरोपित सितंबर से ही कस्टडी में था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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