Monday, May 12, 2025
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…तो वो मेरी माँ नहीं: जेल में बंद खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल ने अपनी माँ को नकारा, कहा – ‘खालसा के लिए लाखों सिखों ने सिर कटाए’

आगे कहा गया, "बंदा सिंह बहादुर के 14 वर्षीय युवा साथी इस सिद्धांत के प्रमुख उदाहरण हैं। जब माँ ने अपने बेटे को बचाने के लिए उसके सिख होने से इनकार कर दिया तो उस किशोर ने कहा कि जब वह सिख नहीं है तो वह भी उसकी माँ नहीं है। बेशक यह उदाहरण इस घटना के लिए बेहद सख्त है, लेकिन सैद्धांतिक नजरिए से यह समझने के काबिल है।"

पंजाब के खंडूर साहिब से लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को संसद सदस्य की शपथ ली। सेफ हाउस में अमृतपाल ने लगभग 50 मिनट तक अपने पिता और चाचा से मुलाकात की। इसके बाद उन्हें डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया। इस बीच अमृतपाल का एक बयान आया, जिसमें उन्होंने खुद को पंथ का बेटा और खालसा राज्य की माँग को वाजिब बता रहा है।

‘वारिस पंजाब दे’ नाम के खालिस्तान समर्थक संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने खुद को अपनी माँ के बयान से भी अलग कर लिया। अमृतपाल की माँ ने कहा था कि पंजाब के युवाओं के पक्ष में बोलने से अमृतपाल ‘खालिस्तान समर्थक’ नहीं बन जाते। वह खालिस्तान समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अमृतपाल ने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा और अब उन्हें खालिस्तान समर्थक नहीं कहा जाना चाहिए।”

माँ के इस बयान के बाद शनिवार (6 जुलाई 2024) को अमृतपाल के सोशल मीडिया साइट X से एक पोस्ट किया गया। इस पोस्ट में कहा गया, “जब माताजी द्वारा दिए गए बयान के बारे में मुझे पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ। मुझे विश्वास है कि उन्होंने यह बयान अनजाने में दिया होगा, फिर भी ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरफ से नहीं आना चाहिए।”

अमृतपाल के हैंडल से आगे लिखा गया, “खालसा राज्य का सपना देखना कोई अपराध नहीं है, यह गर्व की बात है। जिस रास्ते के लिए लाखों सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है, उससे पीछे हटने का हम सपना भी नहीं देख सकते। मैंने मंच से बोलते हुए कई बार कहा है कि अगर मुझे पंथ और परिवार में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं हमेशा पंथ को चुनूँगा।”

आगे कहा गया, “इस संबंध में इतिहास का वाक्य बहुत सटीक है जहाँ बंदा सिंह बहादुर के 14 वर्षीय युवा साथी इस सिद्धांत के प्रमुख उदाहरण हैं। जब माँ ने अपने बेटे को बचाने के लिए उसके सिख होने से इनकार कर दिया तो उस किशोर ने कहा कि जब वह सिख नहीं है तो वह भी उसकी माँ नहीं है। बेशक यह उदाहरण इस घटना के लिए बेहद सख्त है, लेकिन सैद्धांतिक नजरिए से यह समझने के काबिल है।”

उसमें आगे लिखा है, “मैंने इसके लिए अपने परिवार को नसीहत देता हूँ कि सिख राज्य पर समझौते के बारे में सोचना भी अस्वीकार्य है। उम्मीद है कि आगे यह गलती नहीं दोहराई जाएगी। यह कहना बहुत दूर की बात है कि भविष्य में सोचते समय ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए।” पोस्ट में अंत में लिखा है, “गुरु पंथ का गुलाम अमृतपाल सिंह बांदी डिब्रूगढ़ जेल असम।”

अमृतपाल सिंह को खडूर साहिब सीट पर 1,97,120 वोटों से जीत मिले है। उन्हें कुल 4,04,430 वोट मिले थे। वहीं, कॉन्ग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को कुल 2,07,310 वोट मिले। साल 2019 में यहाँ से कॉन्ग्रेस के जसबीर सिंह गिल जीते थे। अमृतपाल फिलहाल NSA के तहत असम की जेल में बंद हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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