Friday, April 19, 2024
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AMU के ‘खिलाफत’ पर वेबिनार में तुर्की की प्रोफेसर को बुलाए जाने पर बवाल: BJP नेता ने लिखा शिकायती पत्र

13 अगस्त को AMU द्वारा आयोजित वेबिनार में तुर्की की प्रोफेसर हिलाल शाहीन को आमंत्रित किया गया। इसमें वाईस चांसलर तारिक मंसूर भी शामिल हुए थे। अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय को स्पष्ट करना चाहिए कि ये वेबिनार क्यों आयोजित हुई। बीजेपी नेता ने पत्र में एएमयू के कुलपति एवं कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मानव संसाधन मंत्रालय से माँग की है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 13 अगस्त को हुए एक वेबिनार में तुर्की की गिरेसुन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एच हिलाल शाहीन को आमंत्रित किए जाने पर बीजेपी नेता ने ऐतराज जताया है। बीजेपी नेता ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि तुर्की से हमारे रिश्ते पहले से ही हमेशा खराब रहे हैं। वह पाकिस्तान को सपोर्ट करता रहा है।

ऐसे में 13 अगस्त को AMU द्वारा आयोजित वेबिनार में तुर्की की प्रोफेसर हिलाल शाहीन को आमंत्रित किया गया। इसमें वाईस चांसलर तारिक मंसूर भी शामिल हुए थे। अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय को स्पष्ट करना चाहिए कि ये वेबिनार क्यों आयोजित हुई। बीजेपी नेता ने पत्र में एएमयू के कुलपति एवं कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मानव संसाधन मंत्रालय से माँग की है।

बीजेपी नेता डॉ निशित शर्मा ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे पत्र में कहा है कि दिनांक 13 अगस्त को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया था। जिसका विषय ‘तुर्की, भारत और महात्मा गाँधी -खिलाफत आंदोलन’ के आलोक में था। इसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर सहित कई अन्य प्रोफेसर ने भाग लिया था। 

बीजेपी नेता ने पत्र में लिखा है कि किस प्रकार तुर्की ने विभिन्न विषयों पर लगातार भारत का विरोध किया है तथा पाकिस्तान के समर्थन में रहा है। धारा 370 हटाने का भी विरोध तुर्की द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पटल पर किया गया था। जिस विषय पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंदर वेबिनार का आयोजन हुआ वह विषय खिलाफत आंदोलन को लेकर था और यह भी सर्वविदित है कि खिलाफत आंदोलन के कारण संपूर्ण विश्व में नरसंहार की एक शृंखला प्रारंभ हो गई थी। जिसका असर भारत के मालाबार दंगों में भी देखने को मिला।

बीजेपी नेता ने पत्र में लिखा कि इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा गैर-इस्लामी लोगों की हत्या की गई। खिलाफत आंदोलन ही भारत के विभाजन का एक मुख्य कारण भी था। एक इस्लामिक आंदोलन पर भारत विरोधी निर्णय लेने वाले तुर्की देश की प्रोफेसर को आमंत्रित कर स्वयं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा एक वेबिनार की अध्यक्षता किया जाना गंभीर प्रश्न उत्पन्न करता है। निवेदन है कि विशेष संज्ञान में लें। जाँच समिति स्थापित कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कुलपति एवं वेबिनार के अन्य आयोजकों को दंडित करें। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, शैक्षणिक संस्थान में कट्टरपंथी विचारधारा के प्रभावी होने का विषय है।

बीजेपी नेता ने कहा खिलाफत आंदोलन को पुनर्जीवित करने का काम चल रहा है। खिलाफत जैसे विवादास्पद और राष्ट्र विभाजन वाले विषय को लेकर ऐसे लोगों को बुलाकर वेबिनार का आयोजन करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और गंभीर विषय है। AMU जैसे एक संस्था में इस तरह की गतिविधियाँ होना भी रेडिकलाइजेशन को बढ़ावा देने वाला विषय है। कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि खिलाफत 2.0 की तैयारी चल रही है।

इस पूरे मामले पर अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ मोहम्मद वसीम अली ने बताया कि 13 अगस्त को एक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया था। इसकी स्पीकर तुर्की विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एच हिलाल शाहीन थी। इन्हीं का मेन टॉक था। यह एक एकेडमिक प्रोग्राम था और काफी सर्च करने के बाद उनको इनवाइट किया गया, वो खिलाफत मूवमेंट की एक्सपर्ट है। जिसके बाद उन्होंने ऑनलाइन अपना लेक्चर रखा। इसका कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं है। ना कोई पॉलीटिकल बैकग्राउंड है।

उन्होंने आगे कहा कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं है कि इस तरह का कोई प्रोग्राम में किस को बुलाना है या किस को नहीं बुलाना। कोशिश यही रहती है कि जो अच्छे वक्ता हैं उनको बुलाया जाए। डिस्कशन के लिए उसी कड़ी में मैडम को इसमें निमंत्रण दिया गया था और उन्होंने ऑनलाइन इस पर एक लेक्चर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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