Saturday, April 20, 2024
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AAP के पूर्व मंत्री की ‘हिंदू विरोधी शपथ’ से उखड़े बौद्ध संगठन: राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा- देश बाँटने वालों पर कार्रवाई हो

"बौद्ध धर्म अन्य धर्मों के खिलाफ जहर उगलने की शिक्षा नहीं देता। बौद्ध धर्म अन्य देवी-देवताओं को 'अस्वीकार' करने या उनका अनादर करने का समर्थन नहीं करता... बौद्ध और हिंदू शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रहते हैं और इनके बीच एक समृद्ध अंतरधार्मिक संवाद रहा है।"

दिल्ली की केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम (Rajendra Pal Gautam) के खिलाफ बौद्ध संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को पत्र लिखकर उस कार्यक्रम की निंदा की है, जिसमें ‘हिंदू विरोधी शपथ’ ली गई थी। साथ ही उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है जो इस तरह की गतिविधियों के जरिए देश को बाँटने का प्रयास कर रहे हैं।

इस साल दशहरे के दिन (5 अक्टूबर 2022) नई दिल्ली के अंबेडकर भवन में हुए इसी कार्यक्रम का वीडियो सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता गौतम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस कार्यक्रम में 10 हजार हिंदुओं को धर्मांतरित किया गया था। वीडियो में गौतम समेत कई लोग हिंदू विरोधी शपथ लेते दिख रहे थे। शपथ में कहा जा रहा था, “मैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्रीराम और श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानूँगा, न ही उनकी पूजा करूँगा। मुझे राम और कृष्ण में कोई विश्वास नहीं होगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है।” इस मामले में दिल्ली पुलिस ने भी गौतम को पूछताछ के लिए बुलाया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब बौद्ध संगठनों ने इस कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कानूनी कार्यवाही की माँग की है। इन संगठनों का कहना है कि राजेंद्र गौतम की मौजूदगी में जो कुछ हुआ वह बौद्ध के अनुसार नहीं है। न ही इसका भगवान बुद्ध के उपदेशों से लेना-देना है।

इस संबंध में राष्ट्रपति को लिखे पत्र पर 19 लोगों के हस्ताक्षर हैं। इनमें धर्म संस्कृति संगम के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लांबा, सचिव डॉक्टर विशाखा सैलानी, महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के महासचिव भंते वेन पी सिवाली थेरो, संयुक्त सचिव भंते सुमिहानंद थेरो, इंटरनेशनल बौद्ध रिसर्च के शांति मित्र भी शामिल हैं। पत्र में आश्चर्य जताया गया है कि इस तरह के देश विरोधी कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के मंत्री भी शामिल हुए।

पत्र में कहा है कि गौतम की उपस्थिति में हुए धर्मांतरण कार्यक्रम में जो कुछ भी हुआ वह बाबा साहब अंबेडकर और भारतीय संविधान के भी खिलाफ है। पत्र में बौद्ध संगठनों ने कहा है, “बौद्ध धर्म अन्य धर्मों के खिलाफ जहर उगलने की शिक्षा नहीं देता। बौद्ध धर्म अन्य देवी-देवताओं को ‘अस्वीकार’ करने या उनका अनादर करने का समर्थन नहीं करता। भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ सदियों से ‘स्वयं प्रबुद्ध’ की भावना और सभी धर्मों के प्रति सम्मान का प्रतीक हैं। बौद्ध और हिंदू शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रहते हैं और इनके बीच एक समृद्ध अंतरधार्मिक संवाद रहा है।”

पत्र में यह भी कहा गया है “दिल्ली सरकार के मंत्री के वहाँ जाने की किसी ने निंदा नहीं की। हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द ऐसा किया जाएगा। हम संबंधित अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि देश को बाँटने का प्रयास करने के लिए उनके (गौतम) साथ-साथ वहाँ उपस्थित अन्य लोगों के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई की जाए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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