उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के दाऊदपुर कोटा गाँव से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। यहाँ दलित परिवारों ने अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाकर गाँव छोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इन परिवारों का आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के लोग उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। वे न केवल उनके सामाजिक और धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर हिंसा पर उतर आते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जवाँ थाना इलाके का दाऊदपुर कोटा एक मुस्लिम बहुल गाँव है, जहाँ करीब 400 मुस्लिम परिवार रहते हैं। वहीं कुल 60 हिंदू परिवारों में से दलित परिवारों की संख्या मात्र 20 है। आरोप है कि गाँव में दलित समुदाय को हर स्तर पर दबाया जा रहा है। कभी उनके बच्चों को स्कूल में तंग किया जाता है तो कभी उनकी बहन-बेटियों को परेशान किया जाता है। हाल ही में एक शादी के दौरान डीजे बजाने को लेकर विवाद हुआ था, जहाँ बारातियों पर हमला कर दिया गया था।
ग्रामीण जयंती देवी ने बताया कि उनकी पड़ोसी दरकशा नाम की महिला की बकरी उनके घर में घुसकर आटा और दूध खराब कर गई। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो दरकशा और उसके शौहर ने उनके साथ मारपीट की। जयंती देवी का आरोप है कि यह पहली बार नहीं हुआ है। आए दिन किसी न किसी बहाने से उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाया जाता है।
पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने कई बार पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के दबंग लोग पुलिस को पैसे खिलाकर मामलों को रफा-दफा करवा देते हैं। हाल ही में ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाए गए थे, लेकिन पुलिस ने इन्हें हटवा दिया।

ग्रामीण मोहित कुमार ने बताया कि घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए जाते हैं। घरों पर गंदगी फेंकी जाती है। महिलाएँ और बेटियाँ घर से बाहर निकलने में डरती हैं। शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रमों में भी दखल दिया जाता है। कुछ समय पहले एक शादी के दौरान बारात चढ़ने से रोक दी गई थी।
पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उन्हें सुरक्षा दी जाए। उनका कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे मजबूर होकर पलायन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गाँव में अमन-चैन नहीं लौटता, तब तक वे सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे।
थाना जवाँ प्रभारी हेमंत मावी ने बताया कि मारपीट के मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कुछ ग्रामीणों ने मकान बेचने के पोस्टर अपने घरों पर लगा लिए थे, जिन्हें हटवा दिया गया है।