“आपके बच्चे घर से हँसते-मुस्कुराते निकलें और अचानक उनपर कुछ लोग जानलेवा हमला कर दें… ये सोचकर आपको कैसा लगेगा? क्या आपका दिल नहीं काँपेगा जब सारे चश्मदीद आपको ये बताएँ कि हमलावरों के हाथ में लाठी-ंडंडे, चाकू-फरसे सब थे? आप पर क्या बीतेगी अगर आप अपने बच्चों को खून से लथपथ देखें? आपका कितना विश्वास प्रशासन पर बचेगा जब आप अपनी गुहार लेकर पुलिस के पास जाएँ, उन्हें आरोपितों के बारे में बताएँ और फिर भी कोई कार्रवाई न हो?
ये सारे सवाल हैं दिल्ली लक्ष्मीनगर के स्कूल ब्लॉक में रह रहे एक परिवार के, जिनके घर के दो लड़कों पर दिनदहाड़े हमला हुआ। 14 मार्च 2025 को होली मनाने के बाद दोपहर 3:15 बजे दो भाई अपने घर से निकलकर मेट्रो स्टेशन तक जा रहे थे, लेकिन गली से बाहर पहुँचते ही उन्हें 10-12 लड़कों ने घेर लिया और उन्हें तब तक मारा जब तक एक के सिर से खून नहीं निकला।
पीड़ित लड़कों की पहचान अर्जित (21), हर्षित (17) के तौर पर हुई है। दोनों लड़के घटना में बुरी तरह घायल हो गए। एक के सिर पर चोट आई, जबकि दूसरे का हाथ फ्रैक्चर हो गया। जिस 17 वर्षीय हर्षित के हाथ में चोट लगी वो 12वीं का छात्र है और इस समय उसकी बोर्ड परीक्षा भी चल रही है।
पीड़ित भाइयों के अनुसार, उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और न उनका कोई लड़ाई-झगड़ा हुआ था। वे अपने एक परिजन को मेट्रो स्टेशन तक छोड़ने जा रहे थे। इसी बीच कुछ लोग आए और कॉलर पकड़कर उन्हें घसीटकर गली के बाहर ले गए। इसके बाद एक के बाद एक 10-12 लड़के आए और दोनों भाइयों को पीटना शुरू कर दिया।
अर्जित, हर्षित ने बचाव का प्रयास किया तो उनके ऊपर बड़े-बड़े पत्थर फेंके गए। आसपास किसी ने रोकने की कोशिश की तो उन्हें चाकू दिखाकर पीछे कर दिया गया। चश्मदीदों का कहना है कि हमलावर जिस तरह मार रहे थे उसमें दोनों लड़कों की जान चली जाती, अगर उन्हें भागना का मौका नहीं मिलता।
हर्षित अब भी इस घटना के बाद डरा-सहमा है। उसे रात भर नींद नहीं आई। वहीं बच्चों के माता-पिता को समझ नहीं आ रहा कि उनके बच्चों की क्या गलती थी? अगर इस घटना में उनकी जान चली जाती तो वो लोग क्या करते?
पिता के मुताबिक, उन्हें घटना की सूचना करीबन 4 बजे मिली। इसके बाद उन्होंने पुलिस से कार्रवाई की गुहार लगाई, मगर सुनवाई न होने पर उन्होंने खुद सीसीटीवी खँगाले और 4 घंटे की मशक्कत के बाद वह एक आरोपित तक जा पहुँचे। आरोपित ने खुद कबूला कि वो उस भीड़ में था और उनमें से एक के पास चाकू भी था।
पीड़ित परिवार का पूछना है कि आखिर उनके बच्चों की गलती क्या थी जो इतनी बेरहमी से मारा गया? उनका सवाल उन लोगों से भी है कि जो लोग मूकदर्शक बने उनके बच्चों पर होते हमले को देखते रहे? वह कहते हैं कि जो लोग वहाँ मौजूद होकर वीडियो बना रहे थे, कोने में खड़े होकर बच्चों को पिटता देख रहे थे, वे तब भी यही रवैया रखते अगर बच्चा उनके अपने घर का होता?
बता दें कि हमले की सूचना होने के बाद पुलिस से गुहार लगाई जा रही है कि वो इस मामले में सख्त एक्शन लें ताकि इलाके के किसी और बच्चे के साथ ऐसी घटना न घटे। हालाँकि केस में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिजनों को एफआईआर होने का इंतजार है। स्थानीय भी हैरान हैं, ज्यादातर लोगों का कहना है कि उन्होंने आसपास कभी ऐसा भयानक मंजर नहीं देखा था। वह नहीं चाहते कि उनके इलाके में कानून-व्यवस्था को लेकर गलत संदेश जाए इसीलिए इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए।