Monday, May 6, 2024
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मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर फोन किया नष्ट, नहीं बता रहे इतने फोन क्यों बदले: ED ने कोर्ट को बताया, 5 दिन की रिमांड मिली

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने जाँच एजेंसियों की इस कार्रवाई को राजनीतिक बताया। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया पिछले 7 दिनों से ईडी की हिरासत में हैं और उनसे सिर्फ 15 घंटे सवाल किए गए हैं, यानी प्रतिदिन सिर्फ 2 घंटे। उन्होंने इसे कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का उदाहरण बताया।

शराब घोटाले को लेकर गिरफ्तार किए गए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में पेश किया। ED ने कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि उन्होंने इतने फोन क्यों बदले।

प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया ने अपने फोन को जानबूझकर नष्ट किया है। जाँच एजेंसी ने कोर्ट से और 7 दिन की रिमांड की माँग की है। हालाँकि, कोर्ट ने ED के आग्रह को स्वीकार करते हुए मनीष सिसोदिया को 7 दिन के बजाए 5 दिन के रिमांड पर भेज दिया है।

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार (17 मार्च 2023) को पेश किया गया। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया की सात की ED कस्टडी खत्म हो गई है।

ED ने अदालत को यह भी बताया कि हिरासत में एक IAS अधिकारी और आबकारी आयुक्त सहित तीन लोगों से मनीष सिसोदिया का सामना कराया गया। ED ने कहा कि अन्य आरोपियों से मनीष सिसोदिया का एक बार फिर आमना-सामना कराना है। इसलिए 7 दिन की रिमांड दी जाए।

दरअसल, मनीष सिसोदिया ने 22 जुलाई 2022 को अपना मोबाइल फोन बदल दिया था। यह वही तारीख है, जिस दिन दिल्ली के उपराज्यपाल ने शराब घोटाले की शिकायत में जाँच के लिए सीबीआई को भेजी थी। जिस फोन को मनीष सिसोदिया ने बदला था, उसे वह लंबे समय से इस्तेमाल कर रहे थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने जब इस फोन के बारे में मनीष सिसोदिया से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उनका फोन खराब हो गया है। फोन कैसे खराब हुआ और अब कहाँ है, इसका वे जवाब वह नहीं दे सके। दरअसल, उपराज्यपाल द्वारा सीबीआई को सूचना की मीडिया रिपोर्ट सामने आ गई थी। इसके बाद मनीष सिसोदिया ने फोन को बदल दिया।

उधर, मनीष सिसोदिया के वकील ने फोन के इस आधार पर रिमांड बढ़ाने की माँग का विरोध किया है। वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि सीबीआई ने भी अपने रिमांड में इस बिंदु का उल्लेख किया है। इसलिए ED की माँग का कोई औचित्य नहीं है। वकील ने सवाल किया, “क्या ईडी सीबीआई की प्रॉक्सी एजेंसी है?”

मनीष सिसोदिया के वकील ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि उनका कंप्यूटर जब्त कर लिया गया था और पहले एक एजेंसी द्वारा जाँच की गई थी। अब एक और एजेंसी वही पूरी प्रक्रिया फिर दोहराने की कोशिश कर रही है। वकील ने कहा, “उन्हें अपराध की आय और इसमें मैं कैसे शामिल हूँ, इसे दिखानी है। अगर वे 7 महीने तक जाँच करते हैं और फिर मेरी रिमांड माँगने के लिए अदालत आते हैं तो इसका अर्थ है कि अब तक आपने क्या किया?”

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने दिल्ली में शराब घोटाले में केस दर्ज किया गया था, जिसमें उनकी गिरफ्तारी 26 फरवरी 2023 को हुई थी। इसके बाद कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया है। यह मामला जासूसी कांड से जुड़ा है।

जासूसी कांड को लेकर सीबीआई ने द्वारा दर्ज मामला साल 2016 से संबंधित है। उस समय आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक फीडबैक यूनिट तैयार की थी, जिससे कई लोगों की जासूसी कराई गई थी। अब इसी मामले में दावा है कि AAP ने ऐसा कराने से पहले केंद्र की अनुमति नहीं ली।

इतना ही नहीं, शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में मनीष सिसोदिया से पहले लगातार 2 दिन जेल में पूछताछ की थी। 7 मार्च 2023 को उनसे 6 घंटे पूछताछ हुई और फिर 9 मार्च 2023 को उनसे 2 घंटे सवाल-जवाब किए गए। सीबीआई की तरह ईडी भी इन जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें जाँच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने जाँच एजेंसियों की इस कार्रवाई को राजनीतिक बताया। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया पिछले 7 दिनों से ईडी की हिरासत में हैं और उनसे सिर्फ 15 घंटे सवाल किए गए हैं, यानी प्रतिदिन सिर्फ 2 घंटे। उन्होंने इसे कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का उदाहरण बताया।

चड्ढा ने कहा कि मनीष सिसोदिया को जेल में रखने की कोशिश की जा रही है। इसीलिए एक जाँच एजेंसी से जमानत मिलती है तो दूसरी जाँच एजेंसी पूछताछ के नाम पर गिरफ्तार कर लेती है। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया से जो सवाल पूछे गए हैं, वे सभी पुराने सवाल हैं। नया कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब सवाल नया नहीं तो हिरासत में रखने की क्या जरूरत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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