गोधरा ट्रेन अग्निकांड में लापरवाही के कारण 9 पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी को 24 अप्रैल की सुनवाई में भी गुजरात उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।
गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस के S6 कोच में यात्रा कर रहे 58 हिंदू तीर्थयात्रियों को मुस्लिम भीड़ ने जलाकर मार दिया था। मरने वालों में 27 महिलाएँ और 10 बच्चे भी शामिल थे। यह नरसंहार गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि बर्खास्त हुए पुलिसकर्मी अगर अनदेखी और लापरवाही न दिखाते तो इस घटना को रोका जा सकता था।
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा, “अगर याचिकाकर्ता अहमदाबाद पहुँचने के लिए साबरमती एक्सप्रेस से ही सफर करते तो शायद गोधरा कांड को रोका जा सकता था। याचिकाकर्ताओं ने अपने काम में लापरवाही और अनदेखी की। ये सभी आरोप सिद्ध हो चुके हैं।”
साबरमती एक्सप्रेस को जलाने के लिए मुस्लिम जिम्मेदार
गोधरा में साबरमती ट्रेन अग्निकांड में 31 इस्लामी दंगाई दोषी पाए गए थे। 11 आरोपितों को 1 मार्च, 2011 को विशेष फास्टट्रैक कोर्ट ने मृत्युदंड दिया।
इनके नाम अब्दुल रज्जाक कुरकुर, इस्माइल सुलेजा, जब्बीर बिनयामीन बेहरा, रमजानी बिनयामीन बेहरा, महबूब हसन, सिराज बाला, इरफान कलंदर, इरफान पटाडिया, हसन लालू, महबूब चंदा और सलीम जर्दा हैं।
इनकी मौत की सज़ा को अक्टूबर 2017 में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। अन्य दोषियों में से 20 को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
उनके नाम सुलेमान अहमद हुसैन, अब्दुल रहमान अब्दुल माजिद धनतिया, कासिम अब्दुल सत्तार, इरफान सिराज पदो घांची, अनवर मोहम्मद मेहदा, सिद्दीक, मेहबूब याकूब मीठा, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर, सौकत, सिद्दीक मोहम्मद मोरा, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, अब्दुल रऊफ अब्दुल माजिद ईसा, यूनुस अब्दुलहक समोल, इब्राहिम अब्दुल रजाक अब्दुल सत्तार समोल, सौकत यूसुफ इस्माइल मोहन, बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम घांची, फारूक, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सौकत अब्दुलाह मौलवी इस्माइल बादाम, एमडी हनीफ हैं।
इन 31 कट्टरपंथियों की सज़ा उन सभी षड्यंत्रकारियों को आईना दिखाती रहेगी जो हिंदू तीर्थयात्रियों की योजनाबद्ध हत्या को महत्वहीन बनाने की कोशिश करते हैं।