गुजरात के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक अंबाजी मंदिर में दशकों पुराने पारम्परिक प्रसाद ‘मोहनथाल को बदल कर ‘चिक्की’ करने पर विवाद खड़ा हो गया है। कुछ लोगों द्वारा इस बदलाव का विरोध हो रहा है। मोहनथाल एक गुजराती मिठाई है जिसमें बेसन, चीनी, घी और दूध मिला होता है। नए प्रसाद के तौर पर दी जा रही चिक्की को गुड़ और मेवे के साथ बनाया जाता है। मेवे के रूप में अधिकतर मूंगफली या तिल डाला जाता है।
अब नाराज और विरोध कर रहे लोगों ने न सिर्फ प्रसाद को बदले जाने का विरोध किया है बल्कि वापस पहले जैसा करने के लिए मंदिर प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया है। विरोध दर्ज करने वालों में भाजपा नेता भी शामिल हैं। इसके अलावा हिंदू हित रक्षा समिति नाम के संगठन ने 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चिक्की के बदले फिर से मोहनथाल प्रसाद किए जाने की माँग की है। संगठन का कहना है कि प्रशासन को निर्णय बदलना ही पड़ेगा भले ही इसके लिए मंदिर को बंद ही क्यों न करना पड़े।
वहीं अपना पक्ष रखते हुए मंदिर प्रशासन ने दावा किया है कि चिक्की की तुलना में मोहनथाल की शेल्फ लाइफ कम होती है। दूसरे शब्दों में मंदिर प्रशासन का कहना है कि चिक्की की तुलना में मोहनथाल मिठाई जल्दी खराब हो जाती है। मंदिर प्रशासन इस बदलाव को भक्तों के फायदे का कदम बता रहा है।
विवाद पर सफाई देते हुए मंदिर ने आगे बताया कि कई श्रद्धालुओं ने ही उनसे प्रसाद बदलने का अनुरोध किया था। यहाँ तक कि बचाव में सोमनाथ और तिरुपति मंदिरों में भी इसी तरह के सूखे प्रसाद की पैरवी की गई, जहाँ फ़िलहाल लड्डू चढ़ाया जाता है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक चिक्की या अन्य सूखे प्रसाद को विदेश में रहने वाले भक्तों को भी लड्डू और मोहनथाल की तुलना में आसानी से भेजा जा सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बनास डेयरी और अमूल डेयरी अम्बाजी मंदिर में चढ़ने वाले प्रसाद के लिए चिक्की का ठेका लेने पर विचार कर रही हैं। इधर प्रसाद बदले जाने के बाद मोहनथाल का स्टॉक तेजी से खाली हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक पिछले हफ्ते बुधवार तक मोहनथाल प्रसाद के लगभग 19,200 पैकेट मौजूद थे जिसमें से अगले दिन गुरुवार को 11,000 बिक गए। फिलहाल अब मंदिर में मोहनथाल का सिर्फ 8,200 पैकेट बचा है। इसके भी आने वाले शुक्रवार तक खत्म हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है।