Saturday, October 12, 2024
Homeदेश-समाजजब दंगाई पत्थर बरसा रहे थे, एक शख्स ने पुलिस वालों के खाने का...

जब दंगाई पत्थर बरसा रहे थे, एक शख्स ने पुलिस वालों के खाने का भरा बिल… वो भी बिना बताए!

SI सुशील सिंह राठौर अपने दोनों साथियों के साथ ड्यूटी पर थे। माहौल ऐसा कि नाश्ता-पानी की फ़ुर्सत तक नहीं। किसी तरह शाम को ये लोग एक रेस्टोरेंट में गए, जल्दी-जल्दी कुछ खाया। लेकिन जब बिल देने की बारी आई तो...

नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के 9 दिसंबर को पास होने के बाद से ही देशभर में हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शनों से दहशत का माहौल बना हुआ है। कॉन्ग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस क़ानून के विरोध में खड़ा हुआ है। दंगाइयों द्वारा मचाए गए उत्पात की ख़बरें लगातार सुर्ख़ियों में बनी हुईं हैं। फिर भले ही उपद्रवियों को इस क़ानून के बारे में धेला भर कुछ न मालूम हो, लेकिन विरोधरुपी आग लगाने में वो इस क़दर डूबे नज़र आए कि उन्होंने 7 से 14 साल के बच्चों को भी न सिर्फ़ बरगलाया बल्कि उनसे जानलेवा हमला भी करवाया।

लेकिन, क्या आपको मालूम है कि दंगाइयों द्वारा मचाए उत्पात के चलते जब हालात क़ाबू से बाहर होते हैं तो पुलिस वालों के पास इतना भी वक़्त नहीं होता कि वो चैन से दो वक़्त का खाना भी खा सकें। 21 दिसंबर का दिन एक ऐसा ही दिन था। IPS ऑफ़िसर नवनीत सिकेरा ने अपने दोस्त से मिली जानकारी के आधार पर SI सुशील सिंह राठौर के साथ घटित एक ऐसी घटना का ज़िक्र किया, जिसमें उनके दो अन्य साथियों (SI गौरव शुक्ल और SI विजय पांडे) का ज़िक्र शामिल था।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में SI सुशील सिंह राठौर अपने दोनों साथियों के साथ ड्यूटी पर थे। ड्यूटी के दौरान उन्हें नाश्ता-पानी की फ़ुर्सत नहीं मिली। लेकिन शाम को वो और उनकी टीम ड्यूटी प्वाइंट के सामने एक रेस्टोरेंट में गए। जहाँ उन्होंने अपने साथियों के साथ खाना तो खाया, लेकिन कोई उनका बिल चुका कर चुपचाप ऐसे वहाँ से चला गया, जिसकी भनक तक उन्हें नहीं लगी। इसका ज़िक्र IPS ऑफ़िसर नवनीत सकेरा ने अपनी फ़ेसबुक वॉल पर भी किया।

दरअसल, उस क्षेत्र में SI सुशील सिंह राठौर और उनके दो साथियों की तैनाती के चलते उस जगह किसी तरह का कोई हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन नहीं हो पाया था और शांति-व्यवस्था बनी हुई थी। जबकि उसके एक दिन पहले यानी 20 दिसंबर को वहाँ हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इसी वजह से तीनों पुलिसकर्मी मुरादाबाद के सिविल लाइन के पीली कोठी चौराहे पर सुबह से ही मुस्तैद थे। लेकिन, शाम होते-होते उन्हें भूख लगने लगी।

इलाक़े में शांति-व्यवस्था दुरुस्त देखते हुए वो तीनों शाम के समय मुरादाबाद के सिविल लाइन के पीली कोठी चौराहे के नज़दीक स्थित रेस्टोरेंट में खाना-खाने चले गए। वहाँ उन्होंने खाने का ऑर्डर दिया। जहाँ सुशील सिंह और उनके साथी बैठे हुए थे, वहीं पास में ही एक फैमिली भी बैठी थी। जब उनका ऑर्डर किया खाना टेबल पर आ गया तो तीनों पुलिसकर्मी खाना खाने लगे। इतने में उनके पास ही में बैठी फैमिली कब खाना खाकर बिल पेमेंट करके चली गई, इसका उन्हें पता ही नहीं लगा, और न ही उन्होंने पुलिसकर्मियों से इस बारे में कोई बात ही की थी।

लेकिन, जब पुलिसकर्मियों ने खाना खाने के बाद बिल पेमेंट करने के लिए वेटर को बुलाया तो वहाँ मैनेजर ने ख़ुद आकर उन्हें बताया कि उनके खाने का बिल पेमेंट हो चुका है। यह पूछे जाने पर कि उनके खाने का बिल किसने दिया, तो उन्हें रेस्टोरेंट के मैनेजर से जवाब मिला कि जो फैमिली उनके पास में बैठी थी, उन्होंने आपका बिल दिया और साथ ही आप लोगों के लिए एक मैसेज भी छोड़ा है जिसके अनुसार, “आप लोग अपना घर-परिवार छोड़कर दिन-रात हमारे लिए खड़े रहते हैं, तो आपके प्रति भी हमारा कुछ कर्तव्य बनता है।”

जब सुशील सिंह और उनके साथियों ने यह भावनात्मक संदेश सुना तो सब भौंचक्के से रह गए। सम्मान की भावना से गदगद पुलिसकर्मियों के दिलो-दिमाग में अनेकों भावनाएँ घर कर गईं। किसी अजनबी से मिले इतने सम्मान को पाकर वे सभी ख़ुशी से फूले नहीं समाए। वो लोग दौड़कर गेट पर आए, जिससे उस फैमिली को इस आदर-सम्मान और प्रेमभाव के लिए धन्यवाद दे सकें। लेकिन, वो फैमिली तब तक वहाँ से जा चुकी थी, पुलिसकर्मी उस फैमिली से मुलाक़ात नहीं कर पाई।

SI सुशील सिंह और उनके साथी भले ही उस फैमिली से न मिल पाएँ हों लेकिन IPS ऑफ़िसर नवनीत सिकेरा ने धन्यवाद देने के लिए फ़ेसबुक जैसे मंच का सहारा लिया और पूरे वाकये को लिखकर बयाँ कर डाला। इसमें उन्होंने यह भी लिखा कि पुलिस के प्रति जनता के इसी विश्वास और प्रेम की वजह से हम पुलिसवाले पूस की सर्द रातों में, जेठ की तपती दोपहरी में और मूसलाधार बारिश में भी उनकी सुरक्षा में अपना सब कुछ छोड़कर सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होंने अफ़सोस जताते हुए लिखा कि वो उस फैमिली से तो नहीं मिल पाए पर जब हम लोग अपनी फोटो ले रहे थे तो उस परिवार के एक सदस्य की भी फोटो उसमें आ गई थी, जिसे उन्होंने अपलोड भी किया।

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों की ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिनमें पुलिसकर्मियों की जान लेने पर उतारू दंगाइयों में बच्चे भी शामिल थे, जिन्होंने पुलिस पर तेज़ाब भरी बोतलें फेंकी, तो कहीं उन पर पत्थरबाज़ी की। लेकिन, फिर भी जगह-जगह मुस्तैद पुलिसकर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना जनता की सुरक्षा में तैनात रहे।

जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के बारे में यह बात कोई नहीं जानता कि उन्हें भी भूख लगती है, उन्हें भी दो पल सुकून के चाहिए होते हैं, ताकि वो दो निवाले शांति से खाकर अपने काम में फिर से जुट सकें। लेकिन, अफ़सोस की बात है कि दंगों के दौरान पुलिसकर्मियों को फ़ुर्सत के यह चार पल नसीब नहीं हो पाते।

ज़रा सोचिए, क्या हो अगर पुलिस दंगे और अशांति भरे माहौल से ख़ुद को बचाने में जुट जाए और गंभीर हुए हालातों को क़ाबू करने की बजाए हाथ खड़े कर दे? क्या हो अगर दंगाइयों, उपद्रवियों और हिंसक विरोधियों से लोहा लेने में जुटी पुलिस पीछे हट जाए? क्या हो अगर साम्प्रदायिक रंग में रंगे दंगों की स्थिति को भाँपकर पुलिस वहाँ न पहुँचे जहाँ लोग एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हों? क्या हो अगर पुलिस छोटे-छोटे आपसी बैर को समय पर सुलझाकर उसे बड़ी लड़ाई के रूप में परिवर्तित होने से न रोक ले?

इन जानलेवा परिस्थितियों से लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में अगर एक बार पुलिस से चूक हो जाए तो उसकी भरपाई कैसे होगी, इसका अंदाज़ा ख़ुद-ब-ख़ुद लगाया जा सकता है। इसलिए पुलिस को नकारा-निकम्मा कहने से पहले ऊपर दिए गए सवालों के जवाब में पुलिस की अहम भूमिका को जानें और समझें, हो सकता है तब पुलिसकर्मियों के अस्तित्व में आप ख़ुद को सुरक्षित रख पाने की असल वजह को महसूस कर पाएँ।

यह भी पढ़ें: दंगों से कुछ तस्वीरें, जो बताती हैं पुलिस वाले भी चोट खाते हैं, उनका भी ख़ून बहता है…

कानपुर में CAA पर हिंसा: दंगाइयों ने पुलिस पर तेज़ाब और पेट्रोल बम से किया हमला, 50 गिरफ़्तार-12 को लगी गोली

यूपी हिंसा: CAA के विरोध-प्रदर्शन में 250 से अधिक पुलिसकर्मी घायल, 62 दंगाइयों की गोली से जख़्मी

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में तनाव: दशहरा के मौके पर RSS का निकला ‘पथ संचालन’, इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ की भड़काऊ नारेबाजी पर FIR दर्ज

रत्नागिरी में इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ को नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है, जबकि आरएसएस के कार्यकर्ता शांति से अपना मार्च निकाल रहे थे।

ठप कर देंगे सारी मेडिकल सेवा… RG Kar रेप-मर्डर मामले में न्याय माँग रहे डॉक्टर आमरण अनशन पर, 1 प्रदर्शनकारी की तबीयत बिगड़ने पर...

आरजी कर मेडिकल रेप-मर्डर को लेकर आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों में एक की तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल एसोसिएशन ने सीएम ममता को चेतावनी दी है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -